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राज्यों के गृह मंत्रियों का चिंतन शिविर सूरजकुंड में आयोजित किया गया

राज्यों के गृह मंत्रियों का चिंतन शिविर 27-28 अक्तूबर हरियाणा के सूरजकुंड में आयोजित किया गया था. गृहमंत्री अमित शाह ने इस शिविर की अध्यक्षता की थी.

मुख्य बिन्दु

  • राज्यों के गृह मंत्री और केन्‍द्रशासित प्रदेशों के उपराज्‍यपाल तथा प्रशासक, गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक और केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस इस सम्मेलन में शामिल हुए थे. सम्मेलन के छह सत्रों में कई विषयों पर विचार-विमर्श हुआ.
  • इस चिंतन शिविर का उद्देश्य इस वर्ष प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस भाषण में घोषित विजन 2047 और पंच प्राण के कार्यान्वयन के लिए एक कार्ययोजना तैयार करना था.
  • शिविर में पुलिस बलों के आधुनिकीकरण साइबर अपराध प्रबंधन, आपराधिक न्याय प्रणाली में सूचना प्रौद्योगिकी के बढ़ते उपयोग, भूमि सीमा प्रबंधन, तटीय सुरक्षा, महिला सुरक्षा और मादक पदार्थों की तस्करी जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया.
  • प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने इस शिविर को सम्‍बोधित किया. अपने संबोधन में उन्होंने पुलिस के लिए एक राष्‍ट्र, एक वर्दी का विचार रखा है.

गुजरात में राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों का राष्ट्रीय सम्मेलन

गुजरात के एकता नगर में 23-24 सितम्बर को राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल माध्यम से इस सम्मेलन का शुभारंभ किया था.

इस सम्मेलन का उद्देश्य पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली पर ध्‍यान केंद्रित करना था। सम्‍मेलन में पर्यावरण से जुड़े विभिन्न विषयों पर छह सत्र आयोजित किए गए थे. इनमें पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली, जलवायु परिवर्तन, वन्‍यजीव प्रबंधन और प्‍लास्टिक कचरा प्रबंधन जैसे विषय शामिल थे.

पर्यटन मंत्रियों का राष्ट्रीय सम्मेलन: पर्यटन के क्षेत्र में विश्व का अग्रणी बनाने का लक्ष्य

भारत के राज्यों के पर्यटन मंत्रियों का राष्ट्रीय सम्मेलन हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में 18-20 सितम्बर को आयोजित किया गया था. इस सम्मेलन में देश को 2047 तक पर्यटन के क्षेत्र में विश्व का अग्रणी बनाने का लक्ष्य रखा गया है.

मुख्य बिन्दु

  • इस सम्मेलन के अंतिम दिन 20 सितम्बर को पर्यटन मंत्रालय के सचिव अरविंद सिंह ने धर्मशाला घोषणा पत्र जारी किया गया था. घोषणा पत्र में इस संबंध में संकल्प लिया गया है.
  • इसके साथ ही, वर्ष 2024 तक 150 बिलियन डालर और 2030 तक 250 बिलियन डालर देश की जीडीपी में सहयोग का लक्ष्य रखा गया है.
  • भारत में नई पर्यटन नीति का मसौदा तैयार हो गया है. इसके लागू होने के बाद 2047 तक पर्यटन उद्योग एक ट्रिलियन डालर तक पहुंचाने का लक्ष्‍य रखा गया है. 2030 तक पर्यटन के क्षेत्र में करीब 14 करोड़ रोजगार का लक्ष्‍य रखा गया है.
  • केंद्रीय पर्यटन मंत्री ने अंबेडकर सर्किट को कवर करने के लिए एक विशेष ट्रेन शुरू करने की घोषणा की. अंबेडकर सर्किट में जन्मभूमि (मध्य प्रदेश में अम्बेडकर का जन्मस्थान), दीक्षा भूमि (नागपुर में वह स्थान जहाँ अंबेडकर ने बौद्ध धर्म ग्रहण किया था), महापरिनिर्वाण भूमि (दिल्ली में वह स्थान जहाँ उनका निधन हुआ) और चैत्य भूमि (मुंबई में उनके दाह संस्कार का स्थान) शामिल हैं.

तिरुवनंतपुरम में दक्षिणी क्षेत्रीय परिषद की 30वीं बैठक, जानिए क्या है क्षेत्रीय परिषद

दक्षिणी क्षेत्रीय परिषद की 30वीं बैठक (30th Southern Zonal Council Meeting) 3 सितम्बर को तिरुवनंतपुरम में हुई थी. इस बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने की. बैठक में, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और दक्षिण के अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तथा लक्षद्वीप के केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों ने भी भाग लिया.

क्षेत्रीय परिषद (Zonal Council) और उनके सदस्य

क्षेत्रीय परिषदें, केन्द्र एवं राज्यों के बीच आपसी मतभेदों को स्वतंत्र एवं निष्पक्ष विचार-विमर्शों तथा परामर्शों के माध्यम से सुलझाने के लिए एक मंच प्रदान करती है.

वर्तमान में, भारत में छः क्षेत्रीय परिषद (उत्तरी, मध्य, पूर्वी, पश्चिमी, दक्षिणी और उत्तर-पूर्वी) हैं. पांच क्षेत्रीय परिषद (उत्तरी, मध्य, पूर्वी, पश्चिमी और दक्षिणी) का गठन 1957 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के अंतर्गत हुआ था. उत्तर-पूर्वी परिषद का गठन 1971 के उत्तर-पूर्वी परिषद अधिनियम द्वारा हुआ था. गृह मंत्री सभी क्षेत्रीय परिषद के अध्यक्ष होते हैं.

  1. उत्तरी क्षेत्रीय परिषद: इसमें हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, राजस्थान राज्य, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और संघ राज्य क्षेत्र चंडीगढ़, जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख शामिल हैं.
  2. मध्य क्षेत्रीय परिषद: इसमें छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्य शामिल हैं.
  3. पूर्वी क्षेत्रीय परिषद: इसमें बिहार, झारखंड, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल राज्य शामिल हैं.
  4. पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद: इसमें गोवा, गुजरात, महाराष्ट्र राज्य और संघ राज्य क्षेत्र दमन-दीव तथा दादरा एवं नगर हवेली शामिल है.
  5. दक्षिणी क्षेत्रीय परिषद: इसमें आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, राज्य और संघ राज्य क्षेत्र पुद्दुचेरी शामिल हैं.
  6. उत्तर-पूर्वी परिषद: असम, मणिपुर, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मेघालय, त्रिपुरा और सिक्किम शामिल हैं.

राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के श्रम मंत्रियों का राष्ट्रीय सम्मेलन

देश के सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के श्रम मंत्रियों का राष्ट्रीय सम्मेलन 25-26 अगस्त को आयोजित किया गया था. सम्मेलन का आयोजन केन्द्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय ने आंध्र प्रदेश के तिरूपति में किया था.

श्रम मंत्रियों का राष्ट्रीय सम्मेलन: मुख्य बिन्दु

  • सहकारी संघवाद की भावना के अंतर्गत, श्रम संबंधी विभिन्न मुद्दों पर विचार करने के लिए इस सम्मेलन का आयोजन किया गया था.
  • यह श्रमिकों के कल्याण योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन तथा केन्द्र और राज्यों के लिए बेहतर तालमेल में मदद करेगा.
  • सम्मेलन के चार मुख्य सत्र थे. इसमें सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिए ई-श्रम पोर्टल के एकीकरण और ईएसआई अस्‍पतालों में चिकित्‍सा सेवा में सुधार शामिल था. अन्‍य दो सत्रों के विषय थे- चार श्रम संहिताओं के अंतर्गत नियम तय करना और विजन श्रमेव जयते @ 2047.
  • इस सम्मेलन को प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने वीडियो काफ्रेंस के माध्यम से संबोधित किया.

मध्य क्षेत्रीय परिषद की 23वीं बैठक भोपाल में आयोजित की गई

मध्य क्षेत्रीय परिषद की 23वीं बैठक 22 अगस्त को भोपाल में आयोजित की गई थी. गृह मंत्री अमित शाह ने इस बैठक की अध्यक्षता की. बैठक में मध्य क्षेत्रीय परिषद में शामिल राज्यों- उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने हिस्सा लिया.

मध्य क्षेत्रीय परिषद की 23वीं बैठक: मुख्य बिन्दु

  • बैठक में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बैठक में शामिल हुए, जबकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वर्चुअल माध्यम से भाग लिया.
  • इस बैठक में अनुसूचित जाति, जनजाति कल्याण, किसान कल्याण, महिलाओं और बच्चों के विरूद्ध अपराध की विवेचना, आंतरिक सुरक्षा, आतंकवाद और नक्सलवाद जैसे विषयों की रोकथाम के लिए व्यापक विचार-विमर्श हुआ.
  • बैठक को संबोधित करते हुए गृह मंत्री श्री अमित शाह ने मध्य क्षेत्र परिषद के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में वामपंथी उग्रवाद को सख्ती से निपटने की बात कही.
  • गृहमंत्री अमित शाह ने भोपाल में राष्ट्रीय फौरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय के पांचवें परिसर के निर्माण के लिए भूमिपूजन किया.

महिला पुलिस का 10वां राष्ट्रीय सम्मेलन शिमला में आयोजित किया गया

महिला पुलिस का 10वां राष्ट्रीय सम्मेलन 21-22 अगस्त को शिमला में आयोजित किया गया था. इसका आयोजन गृह मंत्रालय तथा पुलिस अनुसंधान और विकास ब्‍यूरो ने किया था. इस सम्मेलन का उद्घाटन केन्‍द्रीय गृह राज्‍य मंत्री नित्‍यानंद राय ने किया था.

इस सम्‍मेलन का मुख्य उद्देश्य महिला पुलिस अधिकारियों की नेतृत्व क्षमता बढ़ाना तथा उनकी समस्या और चुनौतियों पर विचार-विमर्श करना था.

बदलती प्रौद्योगिकी और अपराध के तरीकों के संदर्भ में महिला पुलिस की नई भूमिका और दायित्वों पर भी विचार-विमर्श किया गया.

पिंगली वेंकैया की 146वीं जयंती, नई दिल्ली में तिरंगा उत्सव का आयोजन

नई दिल्ली में 2 अगस्त को तिरंगा उत्सव का आयोजन किया गया था. इसका आयोजन संस्कृति मंत्रालय ने स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकैया (Pingali Venkayya) की 146वीं जयंती के अवसर पर किया था. इस कार्यक्रम के अंतर्गत सांस्कृतिक और संगीतमय प्रस्तुतियों से भरपूर संध्या आयोजित की गई. केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह तिरंगा उत्सव में हिस्सा लिया.

तिरंगा उत्सव के इस कार्यक्रम के समापन के अवसर पर पिंगली वेंकैया के बहुमूल्य योगदान के लिए उनके सम्मान में स्मारक डाक टिकट जारी गया और उनके परिजनों को सम्मानित किया गया.

पिंगली वेंकैया और राष्ट्रीय ध्वज: एक दृष्टि

  • पिंगली वेंकैया, स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने देश के राष्ट्रीय ध्वज का डिजाइन तैयार किया था. गांधी जी के अनुरोध पर उन्होंने भारत के राष्ट्रीय झंडे की परिकल्पना की थी.
  • महात्मा गांधी ने राष्ट्रीय ध्वज के इस डिजाइन को 1921 में विजयवाड़ा में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बैठक में मंजूरी दी थी. इस ध्वज में हरी और लाल दो धारियां थीं, और केंद्र में एक चरखा था. बाद में, उन्होंने महात्मा गांधी के सुझाव के बाद सफेद पट्टी जोड़ दी.
  • उन्हें मरणोपरांत 2011 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था.

दिल्ली में पहली अखिल भारतीय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की बैठक

दिल्ली में 30-31 जुलाई को पहली अखिल भारतीय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की बैठक आयोजित की गई थी. इसका आयोजन यह राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (NALSA) द्वारा किया गया था.

इस बैठक में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एनवी रमणा, केंद्रीय मंत्री श्री किरेन रिजिजू, सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के कई अन्य न्यायाधीश, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों (SLASA) के कार्यकारी अध्यक्ष और जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों (DLASA) के अध्यक्ष मौजूद थे.

प्रधानमंत्री ने बैठक के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया था. उन्होंने इस मौके पर ‘मुफ्त कानूनी सहायता का अधिकार’ पर एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया.

नालसा (NALSA) क्या है?

  • नालसा (राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण) का गठन कमजोर वर्गों को नि:शुल्क कानूनी सेवाएँ प्रदान करने के लिये किया गया है. भारत का मुख्य न्यायाधीश इसका मुख्य संरक्षक होता है.
  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39-A अवसर की समानता के आधार पर न्याय को बढ़ावा देने के लिये समाज के गरीब और कमजोर वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करने का प्रावधान करता है. इसी के मद्देनज़र वर्ष 1987 में पारित विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम के तहत नालसा का गठन किया गया था.
  • NALSA के तर्ज पर DLASA (जिला विधिक सेवा प्राधिकरण) और SLASA (राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण) का गठन किया गया है.
  • देश में कुल 676 जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLASA) हैं. उनके प्रमुख जिला न्यायाधीश होते हैं. DLASA, NALSA द्वारा आयोजित लोक अदालतों को विनियमित करके अदालतों पर बोझ कम करने में योगदान करते हैं.

धर्मशाला में राज्‍यों के मुख्‍य सचिवों का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन

हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में 15 से 17 जून तक राज्‍यों के मुख्‍य सचिवों का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया था. इसका आयोजन नीति आयोग द्वारा किया गया था. इस सम्‍मेलन का उद्धाटन कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने किया.

मुख्य बिंदु

  • सम्‍मेलन का उद्देश्‍य केन्‍द्र और राज्‍य सरकारों के बीच साझेदारी को और मजबूत बनाना था. प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने इस सम्‍मेलन की अध्‍यक्षता की थी. इस सम्‍मेलन में राज्‍यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशों के मुख्‍य सचिवों के अलावा विभिन्‍न क्षेत्रों के लगभग दो सौ विशेषज्ञ ने भी भाग लिया.
  • सम्मेलन में विस्तृत विचार-विमर्श के लिए तीन विषयों की पहचान की गई है जिसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति का कार्यान्वयन, शहरी शासन और फसल विविधीकरण और तिलहन, दलहन और अन्य कृषि-वस्तुओं में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना शामिल था.

पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद की 25वीं बैठक दीव में आयोजित की गयी

पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद की 25वीं बैठक 11 जून को दीव में आयोजित की गयी थी. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस बैठक की अध्यक्षता की थी.

पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद की 25वीं बैठक: मुख्य बिंदु

  • बैठक में पश्चिमी राज्‍यों से जुड़े अंतरराज्‍यीय सीमा, सुरक्षा, बुनियादी ढांचा, परिवहन और उद्योग से संबंधित मुद्दों पर विचार हुआ.
  • यह बैठक कोविड महामारी के कारण दो वर्ष बाद आयोजित की गई. गुजरात, महाराष्‍ट्र, गोवा, दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव इस परिषद के सदस्‍य हैं.
  • क्षेत्रीय परिषदें वार्ता और विचार साझा करने के लिए एक मंच उपलब्‍ध कराती हैं. इस बैठक में 30 विषयों पर चर्चा की गई, जिनमें से 27 को हल कर लिया गया है और शेष बचे तीन विषयों पर आगे विचार किया जाएगा.

गांधीनगर में शिक्षा मंत्रियों का राष्ट्रीय सम्मेलन, पीएम श्री स्कूल की योजना

देशभर के शिक्षा मंत्रियों का राष्ट्रीय सम्मेलन गुजरात के गांधीनगर में 1-2 जून को आयोजित किया गया था. सम्मेलन की अध्यक्षता केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने की थी.

इस सम्मेलन में तमिलनाडु को छोड़कर सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षा मंत्रियों ने और केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने हिस्सा लिया था.

इस सम्मेलन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने की दृष्टि से देश में शैक्षणिक व्यवस्था को मजबूत बनाने, स्कूलों में कौशल विकास, डिजिटल पहल आदि पर चर्चा हुई.

पीएम श्री स्कूल की योजना

  • केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार पीएम श्री स्कूल स्थापित करने की योजना बना रही है. इसका उद्देश्य छात्रों को भविष्य के लिए तैयार करना होगा. उन्होंने कहा कि ये अत्याधुनिक स्कूल NEP 2020 की प्रयोगशाला की तरह काम करेंगे.
  • केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति के 5+3+3+4 दृष्टिकोण में प्री-स्कूल से सेकेंडरी स्कूल तक, प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा कार्यक्रम (ईसीसीई), शिक्षक प्रशिक्षण और वयस्क शिक्षा पर जोर, स्कूली शिक्षा के साथ कौशल विकास का एकीकरण और प्राथमिकता देना आदि शामिल हैं.
  • 21वीं सदी के विश्व मानस (ग्लोबल सिटीजंस) को तैयार करने के लिए मातृ भाषा में सीखने का अवसर देना भी एक बड़ा कदम है.