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नीति आयोग ने गुवाहाटी में SDG पर सम्‍मेलन 2020 का आयोजन किया, जानिए क्या SDG

नीति आयोग 24 से 26 फरवरी तक गुवाहाटी में सतत विकास लक्ष्‍य (Sustainable Development goals- SDG): पूर्वोत्‍तर राज्यों की भागीदारी, सहयोग और विकास सम्‍मेलन 2020 का आयोजन किया. सम्‍मेलन का उद्घाटन पूर्वोत्‍त्‍र राज्‍यों के सभी मुख्‍यमंत्रियों और अन्य प्रतिनिधियों की उपस्थिति में किया गया था.

SDG कार्यक्रम में उत्‍तर-पूर्व राज्‍यों, केन्‍द्रीय मंत्रालयों,‍ शिक्षाविदों नागरिक समाज और अन्तर्राष्ट्रीय विकास संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्‍सा लिया. इस कार्यक्रम के तकनीकी सत्रों में उत्‍तर-पूर्व में एसडीजी स्‍थानीयकरण, आर्थिक समृद्धि और स्‍थायी आजीविका, जलवायु अनुकूल कृषि, स्‍वास्‍थ्‍य और पोषण जैसे मुद्दे शामिल थे.

सतत विकास लक्ष्‍य (SDG): एक दृष्टि

  • सतत विकास लक्ष्‍य (Sustainable Development Goals) वैश्विक विकास के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा तय किये गये लक्ष्य हैं. संयुक्त राष्ट्र ने इन लक्ष्यों को प्राप्त करने की समय-सीमा 2030 तय की है.
  • 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की 70वीं बैठक में ‘2030 सतत् विकास हेतु एजेंडा’ के तहत सदस्य देशों द्वारा 17 विकास लक्ष्य अर्थात् SDG (Sustainable Development goals) तय किये गए थे.
  • SDG का मुख्य उद्देश्य विश्व से गरीबी को पूर्णतः खत्म करना तथा सामाजिक न्याय और पूर्ण समानता स्थापित करना है.
  • भारत में 2030 तक SDG को प्राप्त करने की जिम्मेदारी नीति आयोग को दी गयी है.

संयुक्त राष्ट्र का 17 विकास लक्ष्य (SDG)

  1. गरीबी के सभी रूपों की पूरे विश्व से समाप्ति.
  2. भूख की समाप्ति, खाद्य सुरक्षा और बेहतर पोषण और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा.
  3. सभी आयु के लोगों में स्वास्थ्य, सुरक्षा और स्वस्थ जीवन को बढ़ावा.
  4. समावेशी और न्यायसंगत गुणवत्तायुक्त शिक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही सभी को सीखने का अवसर देना.
  5. लैंगिक समानता प्राप्त करने के साथ ही महिलाओं और लड़कियों को सशक्त करना.
  6. सभी के लिये स्वच्छता और पानी के सतत् प्रबंधन की उपलब्धता सुनिश्चित करना.
  7. सस्ती, विश्वसनीय, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच सुनिश्चित करना.
  8. सभी के लिये निरंतर समावेशी और सतत् आर्थिक विकास, पूर्ण और उत्पादक रोज़गार तथा बेहतर कार्य को बढ़ावा देना.
  9. लचीले बुनियादी ढाँचे, समावेशी और सतत् औद्योगीकरण को बढ़ावा.
  10. देशों के बीच और भीतर असमानता को कम करना.
  11. सुरक्षित, लचीले और टिकाऊ शहर और मानव बस्तियों का निर्माण.
  12. स्थायी खपत और उत्पादन पैटर्न को सुनिश्चित करना.
  13. जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों से निपटने के लिये तत्काल कार्रवाई करना.
  14. स्थायी सतत् विकास के लिये महासागरों, समुद्रों और समुद्री संसाधनों का संरक्षण और उपयोग.
  15. सतत् उपयोग को बढ़ावा देने वाले स्थलीय पारिस्थितिकीय प्रणालियों, सुरक्षित जंगलों, भूमि क्षरण और जैव-विविधता के बढ़ते नुकसान को रोकने का प्रयास करना.
  16. सतत् विकास के लिये शांतिपूर्ण और समावेशी समितियों को बढ़ावा देने के साथ ही साथ सभी स्तरों पर इन्हें प्रभावी, जवाबदेहपूर्ण बनाना ताकि सभी के लिये न्याय सुनिश्चित हो सके.
  17. सतत् विकास के लिये वैश्विक भागीदारी को पुनर्जीवित करने के अतिरिक्त कार्यान्वयन के साधनों को मजबूत बनाना.

श्री राम जन्‍मभूमि न्‍यास की पहली बैठक, नृपेंद्र मिश्रा मंदिर निर्माण समिति के प्रमुख होंगे

अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए गठित ‘श्री राम जन्‍मभूमि न्‍यास’ की पहली बैठक 19 फरवरी को नई दिल्ली में हुई. इस बैठक में महंत नृत्य गोपाल दास को इस न्‍यास (ट्रस्‍ट) का अध्यक्ष और चंपत राय को महासचिव बनाया गया है. पन्‍द्रह सदस्यीय न्‍यास का गठन नवंबर 2019 में अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुपालन में किया गया है.

मंदिर निर्माण समिति का गठन

श्री राम जन्‍मभूमि न्‍यास की पहली बैठक में मंदिर निर्माण के बारे में निर्णय लेने के लिए ‘मंदिर निर्माण समिति’ बनाये जाने का फैसला लिया गया. इस समिति के प्रमुख नृपेंद्र मिश्रा होंगे. नृपेंद्र मिश्रा प्रधानमंत्री मोदी के पूर्व प्रधान सचिव हैं. साथ ही गोविंद देवगिरि को इस समिति कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है.

मंदिर निर्माण समिति अपनी रिपोर्ट रखेगी. इसी रिपोर्ट के आधार पर ट्रस्ट की अयोध्या बैठक में मंदिर निर्माण की तारीख तय की जाएगी. भवन निर्माण समिति सभी प्रशासनिक और अन्य कार्यों के लिए विशेषज्ञों के साथ मिलकर निर्णय करेगी.

11वीं रक्षा प्रदर्शनी 2020 लखनऊ में आयोजित किया गया, 5वीं भारत-रूस रक्षा उद्योग बैठक


रक्षा मंत्रालय के 11वीं रक्षा प्रदर्शनी (11th DefExpo India) 2020 का आयोजन लखनऊ में 5 से 8 फरवरी तक किया गया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस प्रदर्शनी के समापन सत्र की अध्‍यक्षता की. यह अब तक का सर्वश्रेष्‍ठ आयोजन रहा. इस रक्षा प्रदर्शनी में दो सौ से अधिक प्रौद्योगिकी हस्‍तांतरण के समझौता ज्ञापनों पर हस्‍ताक्षर किए गए और कई रक्षा उत्‍पाद जारी किए गए.

हर दूसरे वर्ष आयोजित होने वाली यह 11वीं रक्षा प्रदर्शनी थी. प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने इस प्रदर्शनी का उद्घाटन किया था. 70 से ज्‍यादा देशों के 1000 से अधिक कंपनियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया. रक्षा प्रदर्शनी-2020 के दौरान लखनऊ में ‘पहला भारत-अफ्रीका रक्षा सम्‍मेलन’ और ‘5वीं भारत-रूस रक्षा उद्योग बैठक’ भी आयोजन किया गया था.

5वीं भारत-रूस रक्षा उद्योग बैठक, 14 समझौता ज्ञापनों पर हस्‍ताक्षर

लखनऊ में रक्षा प्रदर्शनी-2020 के दौरान ‘5वीं भारत-रूस रक्षा उद्योग बैठक’ आयोजित किया गया. इस बैठक में दोनों देशों के बीच 14 समझौता ज्ञापनों पर हस्‍ताक्षर किये गये. जो प्रमुख कंपनियां इन समझौता-पत्रों का हिस्सा बनी उनमें भारत की तरफ से BHEL, भारत डायनामिक्स लिमिटेड और विस्टा कंट्रोल शामिल थीं वहीं रूस की ओर से इमवर्शिया, यूवी जेड, और BEML शामिल रहीं.

यह समझौता-पत्र विभिन्न रक्षा साजो-सामान के उत्पादन से जुड़े हुए थे जिनमें T-72, T-90, राडार सिस्टम, ASB रॉकेट लॉन्चर और 3D मॉडलिंग के पुर्जे शामिल है.

आगामी 5 वर्षों में 5 बिलियन डॉलर के रक्षा निर्यात का लक्ष्य

रक्षा प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अगले पांच वर्षों में पांच अरब डॉलर (35 हज़ार करोड़ रुपये) के रक्षा निर्यात का लक्ष्य तय किया है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में भारत का रक्षा उपकरण निर्यात लगभग दो हजार करोड़ रुपये था. पिछले दो वर्षों में यह बढ़कर 17 हज़ार करोड़ रुपये हो गया है.

रायसीना डायलॉग के पांचवे संस्करण का आयोजन दिल्ली में किया गया

रायसीना डायलॉग के पांचवे संस्करण का आयोजन 14 से 16 जनवरी तक दिल्ली में किया गया. इसकी मेजबानी विदेश मंत्री एस जयशंकर ने किया था. इस सम्‍मेलन का विषय ‘नेविगेटिंग द अल्‍फा सेंच्‍युरी’ था. इसका आयोजन विदेश मंत्रालय और ऑबजर्वर रिसर्च फाउंडेशन ने संयुक्‍त रूप से किया था. सम्‍मेलन सौ से अधिक देशों के करीब सात सौ अंतर्राष्‍ट्रीय प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सम्‍मेलन के उद्घाटन सत्र में भाग लिया था. न्‍यूजीलैंड की पूर्व प्रधानमंत्री हेलन क्‍लार्क, अफगानिस्‍तान के पूर्व राष्‍ट्रपति हामिद करजई, कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री स्‍टीफन हार्पर, स्‍वीडन के पूर्व प्रधानमंत्री कार्ल बिल्‍ट, डेनमार्क के पूर्व प्रधानमंत्री आंद्र फोग रासमुसेन, भूटान के पूर्व प्रधानमंत्री त्‍शेरिंग टोबगे और दक्षिण कोरिया के पूर्व प्रधानमंत्री हान स्‍युंग-सू भी उद्घाटन सत्र में शामिल हुए थे.

इस सम्‍मेलन में रूस, ईरान, आस्‍ट्रेलिया, मालदीव, दक्षिण अफ्रीका, डेनमार्क, उज्‍बेकिस्‍तान और यूरोपीय संघ समेत कुल 12 देशों के विदेश मंत्रियों ने हिस्सा लिया था. ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरीसन इस बैठक में आने वाले थे, लेकिन उन्होंने देश के जंगलों में आग की वजह से फैसला बदल लिया. अमरीका और ईरान के बीच चल रहे गतिरोध के बीच ईरान के विदेशमंत्री जावेद जरीफ का संवाद में हिस्‍सा लेना अत्‍यन्‍त महत्‍वपूर्ण था.

क्या है रायसीना डायलॉग?

रायसीना डायलॉग भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक मुद्दों पर भारत का वैश्विक सम्‍मेलन है. यह वैश्विक समुदाय के सामने सबसे चुनौतीपूर्ण मुद्दों को संबोधित करने के लिये प्रतिबद्ध है.
यह सम्‍मेलन संवाद के द्वारा बेहतर समन्‍वय स्‍थापित करने की भारत की पहचान को दर्शाता है.
भारत के विदेश मंत्रालय का मुख्यालय रायसीना पहाड़ी (साउथ ब्लॉक), नई दिल्ली में स्थित है, इसी के नाम पर इसे रायसीना डायलॉग के रूप में जाना जाता है. इसका आयोजन विदेश मंत्रालय और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है.

रायसीना डायलॉग 2020: मुख्य बिंदु

  • भारत-चीन संबंघों की चर्चा करते हुए विदेशमंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत और चीन को अच्‍छे पड़ोसियों की तरह महत्‍वपूर्ण मुद्दों को सुलझाना चाहिए.
  • अमरीका और ईरान के बीच के तनाव का उल्लेख करते हुए विदेशमंत्री ने कहा कि ये दोनों ही सम्प्रभुत्ता सम्पन्न देश हैं और इन्हें ही आपस में निपटना है.
  • उन्होंने कहा कि भारत आतंकवाद के विरूद्ध निर्णायक लड़ाई लड़ रहा है. एस जयशंकर ने कहा कि भारत पेरिस जलवायु समझौते का पालन करता है और भारत के रूख से विश्व के देश सहमत है.
  • रूसी विदेश मंत्री लावरोव ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत और ब्राजील की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया.
  • प्रमुख रक्षा अध्‍यक्ष (CDS) जनरल बिपिन रावत ने आतंकवाद को प्रायोजित करने वालों के विरूद्ध कड़ी वैश्विक कार्रवाई करने की आवश्यकता पर जोर दिया है.
  • ईरान के विदेश मंत्री जवाद ज़रीफ ने कहा है कि खाड़ी क्षेत्र में तनाव दूर करने में भारत महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.

द्वीप विकास एजेंसी की छठी बैठक नई दिल्‍ली में आयोजित की गयी

द्वीप विकास एजेंसी (IDA) की छठी बैठक 13 जनवरी को नई दिल्‍ली में आयोजित की गयी. गृह मंत्री अमित शाह ने इस बैठक की अध्‍यक्षता की. बैठक में एजेंसी ने द्वीपों के समग्र विकास योजना की प्रगति की समीक्षा और पर्यटन और निर्यात को बढ़ावा देकर द्वीपवासियों के लिए रोजगार योजनाएं तैयार की गई.

बैठक में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 16 और लक्ष्‍यद्वीप में 10 द्वीपों की पहचान की, जिनका पर्यटन और वहां के उत्‍पादों के निर्यात के जरिये समग्र विकास किया जाएगा. इन द्वीपों को समुद्री खाद्य पदार्थ और नारियल से बने उत्‍पादों की निर्यात सुविधाएं दी जाएंगी.

107वां भारतीय विज्ञान कांग्रेस बेंगलुरू में आयोजित किया गया, पहली बार किसान कांग्रेस का आयोजन

107वां भारतीय विज्ञान कांग्रेस 3 से 7 जनवरी तक बेंगलुरू के कृषि विज्ञान विश्‍वविद्यालय में आयोजित किया गया था. इस सम्‍मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने किया था. प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में देश के तेज विकास के लिए वैज्ञानिकों से चार कदम- नवाचार, पेटेंट, उत्‍पादन और समृद्धि की बात कही थी.

इस वर्ष के भारतीय विज्ञान कांग्रेस का विषय– “ग्रामीण विकास के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी” था. सम्‍मेलन में देश-विदेश से आए वैज्ञानिक और विशेषज्ञ नवाचार और शोध से जुड़े विभिन्‍न पहलुओं पर चर्चा हुई. नोबेल पुरस्‍कार विजेता जर्मनी के स्‍टेफन हेलतथा इज़राइल के अदा ई योनाथ सहित बड़ी संख्‍या में वैज्ञानिक, शिक्षाविद और विद्वान इस सम्‍मेलन में शामिल हुए.

28 पूर्ण सत्र और 14 प्रमुख विषयों पर व्‍याख्‍यान

107वें भारतीय विज्ञान कांग्रेस सम्‍मेलन में कृषि, पोषाहार, जलवायु परिवर्तन, कृत्रिम बुद्धिमत्‍ता तथा कैंसर जैसे विषयों पर 28 पूर्ण सत्र आयोजित किये गये. आधुनिक विज्ञान क्षेत्र में 14 प्रमुख विषयों पर भारतीय विज्ञान कांग्रेस में व्‍याख्‍यान हुए.

इसके अलावा एक दिन विशेष व्‍याख्‍यान महिला, बाल और विज्ञान शिक्षार्थियों को लेकर किया गया. ‘प्राइड ऑफ इंडिया’ के नाम से प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया, जिसमें भारतीय विज्ञान क्षेत्र से जुड़े कई यंत्र और उपकरणों को दर्शाया गया था.

पहली बार कृषि विज्ञान कांग्रेस का आयोजन

भारतीय विज्ञान कांग्रेस के इतिहास में पहली बार एक कृषि विज्ञान कांग्रेस का आयोजन किया गया. इस बार पहली बार कृषि क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिक तकनीक पर हुई. इस कार्यक्रम में एकीकृत कृषि उद्यमिता, जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता, कृषि संकट, ग्रामीण जैव-उद्यमिता और नीतिगत मुद्दों में नवाचार पर ज़ोर दिया गया.

इस कार्यक्रम में तीन सत्र आयोजित किये गये. पहले सत्र का विषय “किसानों की आय दोगुनी करने के लिए एकीकृत कृषि और उद्यमशीलता पर किसान नवाचार” था. दूसरा सत्र “जलवायु परिवर्तन, जैव-विविधता, संरक्षण, पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं और किसान सशक्तिकरण” विषय पर आधारित था. इसके तीसरे सत्र का विषय “कृषि संकट, ग्रामीण जैव-उद्यमिता, नीतिगत मुद्दे” था.

भारतीय विज्ञान कांग्रेस में महिला विज्ञान कांग्रेस आयोजन

इस विज्ञान कांग्रेस में महिला विज्ञान कांग्रेस का भी आयोजन किया गया था. इस अवसर पर मुख्य अतिथि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के एरोनॉटिकल सिस्‍टम की महानिदेशक डॉक्‍टर टेसी थॉमस थीं. DRDO की ओर से विज्ञान क्षेत्र में चल रहे अनुसंधान की जानकारी देते हुए डॉक्‍टर टेसी थॉमस ने बताया कि लेह और लद्दाख में उन्‍होंने फसल उगाने की तरकीब निकाली है. इस तरकीब से अब हिमालय के ऊंचे प्रदेश में भी स्‍वास्‍थ्‍यवर्धक पेड़ उगाए जा सकते हैं.

भारतीय विज्ञान कांग्रेस (ISCA): एक दृष्टि

भारतीय विज्ञान कांग्रेस संस्था (Indian Science Congress Association- ISCA) भारतीय वैज्ञानिकों की शीर्ष संस्था है. ISCA की स्थापना 1914 में ब्रिाटिश रसायनज्ञ जेएल साइमनसेन और पीएस मैकमोहन के पहल से हुई थी. इसकी स्थापना का उद्देश्य भारत में विज्ञान को बढ़ावा देने के लिये किया गया था. प्रतिवर्ष जनवरी के प्रथम सप्ताह में इसका सम्मेलन होता है.

30 दिसम्बर 2019: नेता जी सुभाषचंद्र बोस के पहले ध्वजारोहण की 76वीं वर्षगांठ

30 दिसम्बर 2019 को नेता जी सुभाषचंद्र बोस के पहले ध्वजारोहण की 76वीं वर्षगांठ पर अंडमान निकोबार की राजधानी पोर्टब्लेयर में एक समारोह आयोजित किया गया. समारोह में उप-राज्यपाल एडमिरल डीके जोशी और स्वास्थ्य मंत्री अश्वनी चौबे ने ध्वजारोहण किया.

सुभाषचंद्र बोस के पहले ध्वजारोहण की 75वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 150 फुट ऊंचा राष्ट्रीय ध्वज फहराया था. अंडमान निकोबार की यात्रा पर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंडमान निकोबार के 3 द्वीपों के नाम बदलने की घोषणा की थी. प्रधानमंत्री ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह के ‘रॉस द्वीप’ का नाम बदल कर ‘नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप’, ‘नील द्वीप’ को ‘शहीद द्वीप’ और ‘हैवलॉक द्वीप’ को ‘स्वराज द्वीप’ कर दिया था.

29 दिसंबर, 1943 को नेताजी सुभाषचंद्र बोस अंडमान निकोबार की राजधानी पोर्टब्लेयर आए थे और 30 दिसंबर को ऐतिहासिक जिमखाना मैदान में उन्होंने प्रथम भारतीय तिरंगा फहराया था. उस समय इन द्वीपों में जापानी हुकूमत थी.

महात्मा गांधी की 150वीं जयंती समारोह की संयोजन समिति की दूसरी बैठक नई दिल्ली में हुई

महात्मा गांधी की 150वीं जयंती समारोह की संयोजन समिति की दूसरी बैठक (2nd Meeting of National Committee for Commemoration of 150th Birth Anniversary of Mahatma Gandhi) 19 दिसम्बर को नई दिल्ली में हुई. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस बैठक की अध्यक्षता की. भारत की यात्रा पर आये पुर्तगाल के प्रधानमंत्री एंटोनियो कोस्टा ने भी इस बैठक में भाग लिया.

बैठक की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि महात्मा गांधी के प्रति पूरे विश्व में आदर और श्रद्धा का भाव है, क्योंकि दुनिया समझ रही है कि शांति, समानता और अहिंसा का उनका दृष्टिकोण आज भी अधिक प्रासंगिक है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधित करते हुए महात्मा गांधी के विचार और दर्शन को जीवन में उतारने की आवश्यकता की बात कही.

पुर्तगाल ने गांधी नागरिकता शिक्षा पुरस्कार आरंभ करने की घोषणा की

पुर्तगाल के प्रधानमंत्री अंतोनियो कोस्टा ने महात्मा गांधी के आदर्शों को शाश्वत बनाए रखने के लिए उनके विचारों और उद्धरणों से प्रेरित गांधी नागरिकता शिक्षा पुरस्कार आरंभ करने की घोषणा की है. यह पुरस्कार प्रत्येक वर्ष प्रदान किया जाएगा. पहले वर्ष का पुरस्कार ‘पशु कल्याण’ के लिए समर्पित होगा.

महात्मा गांधी की 150वीं जयंती समारोह की संयोजन समिति: एक दृष्टि

  • सरकार राष्‍ट्रपिता के संदेश को प्रचारित करने के लिए उनकी 150वीं जयंती राष्‍ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्‍तर पर मना रही है. इस कार्य के लिए राष्‍ट्रपति की अध्‍यक्षता में राष्‍ट्रीय समति गठित की गई है. समिति के अन्‍य सदस्‍यों में उप-राष्‍ट्रपति, प्रधानमंत्री, सभी राज्‍यों के मुख्‍यमंत्री, राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि, गांधीवादी चिंतक और जीवन के विभिन्‍न क्षेत्रों से जुड़े महत्‍वपूर्ण व्‍यक्ति शामिल हैं. इस समिति में संयुक्‍त राष्‍ट्र के पूर्व महासचिव बान-की-मून समेत नौ अन्तर्राष्ट्रीय सदस्‍य भी हैं.
  • मई 2018 में हुई समिति की पहली बैठक में गांधीजी की 150वीं जयंती के सिलसिले को आगे बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में एक कार्यकारी समिति गठित करने का निर्णय लिया गया था. श्री मोदी ने समारोह को सरकारी आयोजनों से आगे ले जाकर एक जन आंदोलन बनाने का आह्वान किया था.
  • महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में देश के 150 प्रमुख विश्वविद्यालय 150 विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर गांधी जी पर सम्मेलनों का आयोजन करेंगे.

पुलिस महानिदेशकों और महानिरीक्षकों का 54वां राष्‍ट्रीय सम्मेलन पुणे में आयोजित किया गया

राज्‍यों के पुलिस महानिदेशकों और महानिरीक्षकों का 54वां राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन 6 से 8 दिसम्बर तक आयोजित गया था. इस वर्ष यह सम्‍मेलन पुणे में भारतीय विज्ञान, शिक्षा और अनुसंधान संस्‍थान के परिसर में आयोजित किया गया था. सम्‍मेलन का विषय प्रौद्योगिकी सक्षम पुलिसिंग तथा वैज्ञानिक तथा फॉरेंसिक आधारित जांच था.

केन्‍द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस सम्‍मेलन का उद्घाटन किया था. इस सम्‍मेलन में गृह मंत्री के साथ राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल ने भी सम्‍मेलन में हिस्सा लिया. इस वर्ष आंतरिक और बाहरी सुरक्षा से संबंधित आतंकवाद, नक्‍सलवाद, तटीय सुरक्षा, साइबर खतरा, कट्टरवाद तथा मादकपदार्थ-आतंकवाद जैसे मुद्दों पर मंथन करने के लिए ग्‍यारह समूहों का गठन किया गया.

इस सम्मेलन के समापन सत्र को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधित किया. अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए पुलिस की कारगर भूमिका पर जोर दिया. प्रधानमंत्री ने आसूचना ब्‍यूरो (IB) के अधिकारियों को उल्‍लेखनीय सेवा के लिए राष्‍ट्रपति पुलिस पदक भी प्रदान किये.

47वीं अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान कांग्रेस का आयोजन लखनऊ में किया गया

47वीं अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान कांग्रेस (47th all india police science congress) 2019 का आयोजन 28-29 नवम्बर को लखनऊ में किया गया. इसका उद्घाटन पुडुचेरी की उप-राज्यपाल और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने किया था. इससे पहले लखनऊ में इस कांग्रेस का आयोजन 1997 में किया गया था.

गृहमंत्रालय तथा पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो के सहयोग से उत्तर प्रदेश पुलिस ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया. पुलिस के अलावा सीबीआई, सीआरपीएफ और बीएसएफ सहित केन्द्रीय एजेंसियां तथा शिक्षाविद और फॉरेंसिक विशेषज्ञ ने भी इसमें हिस्सा लिया.

कांग्रेस के लिए जिन विषयों का चयन किया गया था, उनमें पोलिसिंग में सुधार, क्षेत्र में जाने पर पेश आने वाली चुनौतियां, आवश्यक उपाय, फोरेंसिक साइंस, संसाधन उन्नयन और जांच में उनका प्रभावी उपयोग, महिलाओं एवं बच्चों की सुरक्षा शामिल है. आतंकवाद और कट्टरपंथ से निपटने में सोशल मीडिया की भूमिका पर भी कांग्रेस में चर्चा की गयी.

वैश्विक जैव भारत सम्मेलन नई दिल्‍ली में आयोजित किया गया

वैश्विक जैव भारत सम्मेलन (Global Bio-India Summit) 21 से 23 नवम्बर 2019 तक नई दिल्‍ली में आयोजित किया गया. बायोटेक्नोलोजी पर आयोजित इस सम्मेलन में 25 देशों और भारत के 15 से अधिक राज्‍यों के लगभग तीन हजार प्रतिनिधियों ने भाग लिया.

इस सम्मेलन का आयोजन केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग और इसकी जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (BIRAC) द्वारा कान्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (CII) के सहयोग से किया गया था. इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य देश में निवेश को आकर्षित करना था.

इस सम्मेलन में देश-विदेश से आए विशेषज्ञों और इस क्षेत्र से जुड़ी छोटी-बड़ी कंपनियों ने बायो-मैन्युफैक्च रिंग, क्लीनिकल ट्रायल और दवाइयों की खोज के क्षेत्र की संभावनाओं और चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया.