राष्ट्रपति भवन में 2-3 अगस्त को राज्यपालों का 52वां सम्मेलन आयोजित किया गया था. सम्मेलन की अध्यक्षता राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने की थी.
मुख्य बिन्दु
- इस सम्मेलन में सभी राज्यों के राज्यपाल के अतिरिक्त उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित कई केन्द्रीय मंत्री ने भाग लिया.
- सम्मेलन की कार्यसूची में तीन आपराधिक कानूनों का कार्यान्वयन, उच्च शिक्षा में सुधार और विश्वविद्यालयों की मान्यता तथा चयनित क्षेत्रों के विकास का मुद्दा शामिल था.
- अभियानों में राज्यपालों की भूमिका और राज्य में विभिन्न केन्द्रीय एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय सहित कईं अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर भी विचार-विमर्श हुआ.
- राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि राज्यों के समावेशी और निरंतर विकास पर ही देश का भविष्य निर्भर करता है और सभी राज्यों को एक-दूसरे की सर्वोत्तम कार्यशैली और अनुभवों से सीखकर आगे बढना चाहिए.
राज्यपालों का सम्मेलन
राज्यपालों का पहला सम्मेलन 1949 में राष्ट्रपति भवन जिसे उस समय गवर्नमेंट हाउस कहा जाता था, में आयोजित किया गया था. इसकी अध्यक्षता भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल सी राजगोपालाचारी ने की थी. 51वां सम्मेलन 2021 में राष्ट्रपति भवन में आयोजित किया गया था. इसकी अध्यक्षता तत्कालीन राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने की थी.
राज्यपाल, उप-राज्यपाल और प्रशासक
भारत में राष्ट्रपति के पास राज्य के राज्यपालों, केंद्र शासित प्रदेशों के उप-राज्यपालों और प्रशासकों को नियुक्त करने और बर्खास्त करने की शक्ति है.
केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख, जम्मू और कश्मीर, पुडुचेरी, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में उपराज्यपाल हैं. केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव, चंडीगढ़ और लक्षद्वीप में प्रशासक हैं.