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भारत ने जमीन से मार करने में सक्षम ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने 17 दिसम्बर को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण ओडिसा तट पर चांदीपुर एकीकृत परीक्षण रेंज से किया गया. इस परीक्षण में मिसाइल के जमीन (सतह) संस्करण का परीक्षण किया गया.

ब्रह्मोस मिसाईल: महत्वपूर्ण तथ्यों पर एक दृष्टि

  • ब्रह्मोस के महानिदेशक डॉक्‍टर सुधीर कुमार हैं.
  • ब्रह्मोस एक कम दूरी की सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है.
  • 9 मीटर लंबी इस मिसाइल का वजन लगभग 3 टन है. यह मिसाइल ठोस ईंधन से संचालित होती है.
  • यह दुनिया की सबसे तेज मिसाइल है. यह ध्‍वनि से 2.9 गुना तेज (करीब एक किलोमीटर प्रति सेकेंड) गति से 14 किलोमीटर की ऊँचाई तक जा सकता है.
  • इस मिसाइल की मारक क्षमता 290 किलोमीटर है जिसे अब 400 किलोमीटर तक बढ़ाया जा सकता है.
  • ब्रम्‍होस का विकास भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और रूस के एनपीओ के संयुक्‍त उद्यम ने किया है.
  • ब्रह्मोस के संस्करणों को भूमि, वायु, समुद्र और जल के अंदर से दागा जा सकता है.
  • इसका पहला परीक्षण 12 जून 2001 को किया गया था.
  • इस मिसाइल का नाम दो नदियों को मिलाकर रखा गया है जिसमें भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्क्वा नदी शामिल है.
  • जमीन और नौवहन पोत से छोड़ी जा सकने बाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाईल पहले ही भारतीय सेना और नौसेना में शामिल की जा चुकी है. इस सफल परीक्षण के बाद ये मिसाइल सेना के तीनों अंगों का हिस्सा बन जायेगी.
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भारतीय सेना ने परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम पृथ्वी-2 मिसाइल का सफल परीक्षण किया

भारतीय सेना की सामरिक बल कमान ने 3 दिसम्बर को पृथ्वी-2 मिसाइल का सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण ओडिसा तट पर चांदीपुर में समेकित परीक्षण रेंज से किया गया. परीक्षण में छोड़ी गई इस मिसाइल ने 350 किलोमीटर दूर लक्ष्य साधा. परीक्षण सभी निर्धारित मानकों पर सफल रहा.

पृथ्वी-2 मिसाइल: एक दृष्टि

  • स्वदेश में विकसित पृथ्वी-2 मिसाइल सतह-से-सतह पर मार करने वाली और परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है. इस मिसाइल का पहली बार 27 अगस्त 1996 को परीक्षण किया गया था.
  • करीब 4600 किलोग्राम वजन और 9 मीटर लंबी यह मिसाइल 500 से 1000 किलोग्राम वजन के हथियार ले जा सकती है. इसमें तरल ईंधन से चलने वाले दो इंजन लगे हैं.
  • इस मिसाइल को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड द्वारा संयुक्त रूप विकसित किया गया है.
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अग्नि-3 बलिस्टिक मिसाइल का पहली बार रात में परीक्षण किया गया

भारत ने 30 नवम्बर को ‘अग्नि-3’ बलिस्टिक मिसाइल का रात में परीक्षण किया. यह परीक्षण ओडिशा तट के पास (चांदीपुर परीक्षण केंद्र) ‘डॉ अब्दुल कलाम द्वीप’ पर एकीकृत परीक्षण (ITR) रेंज में एक मोबाइल लॉन्चर से किया गया. ‘डॉ अब्दुल कलाम द्वीप’ को पहले व्हीलर आईलैंड के नाम से जाना जाता था. यह परीक्षण इंडियन आर्मी की स्ट्रैटिजिक फोर्सेज कमांड द्वारा किया गया है.

अग्नि-3 मिसाइल का यह पहला रात में किया गया परीक्षण था. इससे पहले हाल ही में जब भारत ने रात के वक्त पहली बार किसी अत्याधुनिक मिसाइल के रूप में ‘अग्नि-2’ का सफल परीक्षण किया था.

अग्नि-3 मिसाइल: एक दृष्टि

  • ‘अग्नि-3’ इंटरमीडिएट रेंज (मध्यम दूरी की) बलिस्टिक मिसाइल (IRBM) है. यह सतह से सतह पर मार करने में सक्षम है.
  • इस मिसाइल की मारक क्षमता 3,500 किलोमीटर है. यह 1.5 टन के हथियार को ले जाने में सक्षम है.
  • अग्नि-3 मिसाइल हाइब्रिड नेविगेशन, गाइडेंस और कंट्रोल सिस्टम से लैस है.
  • न्यूक्लियर हथियारों को ले जाने में सक्षम इस मिसाइल को पहले ही सशस्त्र बलों में शामिल किया जा चुका है.
  • इसकी लंबाई 17 मीटर, व्यास 2 मीटर और वजन करीब 50 टन है. यह 1000 किलोग्राम तक पेलोड ले जाने में भी सक्षम है.
  • दो स्टेज में अपना लक्ष्य हासिल करने वाली यह मिसाइल ‘सॉलिड फ्यूल’ से चलती है.
  • इस मिसाइल को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने तैयार किया है.
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भारत ने टैंक भेदी दो स्‍पाइक मिसाइलों का सफल परीक्षण किया

भारतीय सेना ने 29 नवम्बर को लम्‍बी दूरी तक मार कर सकने वाली टैंक भेदी दो स्‍पाइक मिसाइलों (ATGM) का सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत की उपस्थिति में मध्य प्रदेश के महू में किया गया.

इन मिसाइलों को हाल ही में इस्राइल से खरीदा गया था. इस परीक्षण के साथ है भारत स्पाइक मिसाइल को अपने सुरक्षा बलों में शामिल करने वाला 33वां देश बन गया है. स्‍पाइक मिसाइल को इज़राइल के राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम द्वारा विकसित और डिज़ाइन किया गया है.

स्‍पाइक चौथी पीढ़ी की मिसाइल है जो चार किलोमीटर तक लक्ष्‍य को सटीकता से भेद सकती है. यह मिसाइल हवा में ही लक्ष्य बदलने की क्षमता रखती है.

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अग्नि-2 मिसाइल का सफल परीक्षण: पहली बार अत्याधुनिक मिसाइल का रात में परीक्षण किया गया

भारत ने 16 नवम्बर को अग्नि-2 बलिस्टिक मिसाइल का रात में सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण ओडिशा तट के पास (चांदीपुर परीक्षण केंद्र) ‘डॉ अब्दुल कलाम द्वीप’ पर एकीकृत परीक्षण (ITR) रेंज के प्रक्षेपण परिसर-4 में एक मोबाइल लॉन्चर से किया गया. ‘डॉ अब्दुल कलाम द्वीप’ को पहले व्हीलर आईलैंड के नाम से जाना जाता था. यह पहला मौका था, जब भारत ने रात के वक्त किसी अत्याधुनिक मिसाइल का परीक्षण किया है.

अग्नि-2 मिसाइल: एक दृष्टि

  • ‘अग्नि-2’ इंटरमीडिएट रेंज बलिस्टिक मिसाइल (IRBM) है. यह सतह से सतह पर मार करने में सक्षम है.
  • इस मिसाइल की मारक क्षमता 2000 किमी है, जरूरत पर 3,000 किलोमीटर तक बढ़ाया जा सकता है.
  • न्यूक्लियर हथियारों को ले जाने में सक्षम इस मिसाइल को पहले ही सशस्त्र बलों में शामिल किया जा चुका है.
  • इसकी लंबाई लगभग 20 मीटर है और यह 1000 किलोग्राम तक पेलोड ले जाने में भी सक्षम है.
  • दो स्टेज में अपना लक्ष्य हासिल करने वाली यह मिसाइल ‘सॉलिड फ्यूल’ से चलती है.
  • इस मिसाइल को DRDO के अडवांस्ड सिस्टम्स लैबोरेटरी ने तैयार किया है.

DRDO ने स्‍वदेशी उपकरणों वाले ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया


रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने 30 सितम्बर को स्‍वदेशी उपकरणों वाले ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के भू-हमला संस्करण का सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण ओडि़सा के चांदीपुर परीक्षण केंद्र से किया गया. यह मिसाइल जमीनी लड़ाई में उपयोगी साबित होगी. इस मिसाइल को ज़मीन और समुद्र में स्थित प्लेटफॉर्म दोनों से दागा जा सकता है.

ब्रह्मोस मिसाईल: महत्वपूर्ण तथ्यों पर एक दृष्टि

  • ब्रह्मोस के महानिदेशक डॉक्‍टर सुधीर कुमार हैं.
  • ब्रह्मोस एक कम दूरी की सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है.
  • 9 मीटर लंबी इस मिसाइल का वजन लगभग 3 टन है. यह मिसाइल ठोस ईंधन से संचालित होती है.
  • यह दुनिया की सबसे तेज मिसाइल है. यह ध्‍वनि से 2.9 गुना तेज (करीब एक किलोमीटर प्रति सेकेंड) गति से 14 किलोमीटर की ऊँचाई तक जा सकता है.
  • इस मिसाइल की मारक क्षमता 290 किलोमीटर है जिसे अब 400 किलोमीटर तक बढ़ाया जा सकता है.
  • ब्रम्‍होस का विकास भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और रूस के एनपीओ के संयुक्‍त उद्यम ने किया है.
  • ब्रह्मोस के संस्करणों को भूमि, वायु, समुद्र और जल के अंदर से दागा जा सकता है.
  • इसका पहला परीक्षण 12 जून 2001 को किया गया था.
  • इस मिसाइल का नाम दो नदियों को मिलाकर रखा गया है जिसमें भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्क्वा नदी शामिल है.
  • जमीन और नौवहन पोत से छोड़ी जा सकने बाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाईल पहले ही भारतीय सेना और नौसेना में शामिल की जा चुकी है. इस सफल परीक्षण के बाद ये मिसाइल सेना के तीनों अंगों का हिस्सा बन जायेगी.

सुखोई लड़ाकू विमान से गाइडेड बम छोड़ने का सफल परीक्षण

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने 24 मई 2019 को सुखोई लड़ाकू विमान (SU-30 MKI) से 500 किलोग्राम श्रेणी के एक गाइडेड बम छोड़ने का सफल परीक्षण किया था. यह परीक्षण राजस्थान के पोकरण में किया गया था. यह बम देश में ही विकसित किया गया है.

भारत ने हवा से हवा में मार करने सक्षम ‘अस्त्र’ मिसाइल का सफल परीक्षण किया

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने 17 सितम्बर को अस्त्र मिसाइल का सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण सुखोई-30 MKI लड़ाकू विमान से किया गया, जिसने पश्चिम बंगाल में एक हवाई अड्डे से उड़ान भरी थी.

अस्त्र मिसाइल: मुख्य तथ्य

  • अस्त्र मिसाइल BVR (बियोंड विजुअल रेंज) एयर-टू-एयर (हवा से हवा में मार करने वाली) मारक क्षमता वाली मिसाइल है.
  • इसकी रेंज 70-80 किलोमीटर है. अस्त्र एक ऐसी मिसाइल है जो किसी भी मौसम में इस्तेमाल की जा सकती है. इसे एक्टिव रडार टर्मिनल गाइडेंस से लैस किया गया है.
  • इसका निर्माण DRDO ने किया है. इसे मिराज-2000H, मिग-29, मिग-29K, मिग-21 बायसन, LCA तेजस और सुखोई SU-30 MKI विमानों में लगाने के लिए विकसित किया गया है.
  • इस मिसाइल में ठोस ईंधन प्रणोदक का इस्तेमाल किया गया है. यह सुपर सोनिक गति से हवा में उड़ रहे किसी भी लक्ष्य को नेस्तनाबूत कर सकती है.
  • इसका वजन 154 किलोग्राम, लंबाई 3570mm और व्यास 178mm है.


मैन पोर्टेबल टैंक रोधी गाइडेउ मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने देश में ही निर्मित कम वजन के ‘मैन पोर्टेबल टैंकरोधी गाइडेड मिसाइल’ (MPATGM) का 11 सितम्बर को सफल परीक्षण किया. यह प्रक्षेपास्त्र आंध्र प्रदेश की कुरनूल रेंज में मैन पोर्टेबल ट्राइपोड लॉन्‍चर से छोड़ा गया. परीक्षण से इस प्रक्षेपास्त्र के सभी मिशन पूरे कर लिए गए हैं. इस परीक्षण से देश में ही निर्मित तीसरी पीढ़ी के मैन पोर्टेबल टैंकरोधी गाइडेड मिसाइल विकसित करने का सेना का रास्ता साफ हो गया है.

मैन पोर्टेबल टैंक रोधी गाइडेउ मिसाइल के सफल परीक्षण की यह तीसरी श्रृंखला है. इस प्रक्षेपास्त्र में उन्नत वैमानिकी सहित अत्याधुनिक इन्फ्रा-रेड इमेजिंग सीकर शामिल किए गए हैं. इस मिसाइल को DRDO तथा भारत डायनामिक्स लिमिटेड द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है.


भारत ने ‘क्विक रिएक्‍शन सैम’ मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया

भारत ने 4 अगस्त को ‘क्विक रिएक्‍शन सैम’ (QR-SAM) मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया. यह परीक्षण ओडिसा में चांदीपुर परीक्षण केन्‍द्र से किया गया. इस वर्ष इस मिसाइल का यह दूसरा परीक्षण था. पहला परीक्षण 26 फरवरी 2019 को किया गया था.

क्विक रिएक्‍शन सैम (QR-SAM): एक दृष्टि

  • ‘क्विक रिएक्‍शन सैम’ सभी मौसम में जमीन से हवा में मार कर सकने में सक्षम मिसाइल है. इसकी मारक क्षमता 25-30 किमी है.
  • इस मिसाइल का विकास रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) तथा भारत इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स लिमिटेड (BEL) ने संयुक्‍त रूप से किया है.
  • यह अपने मार्ग में आने वाले लक्ष्‍यों का पता लगाने में भी सक्षम है. इस मिसाइल को एक ट्रक के ऊपर कनस्तर में लगाया जा सकता है.
  • यह इलेक्ट्रॉनिक काउंटर सिस्टम से लैस है, जिससे यह शत्रु एयरक्राफ्ट रडार के जैमर के खिलाफ भी जाकर मार कर सकती है.
  • QSRAM का पहला परीक्षण 4 जून, 2017 को हुआ था. इसके बाद 26 फरवरी, 2019 को एक ही दिन दो सफल परीक्षण किए गए थे.


भारत ने परमाणु सक्षम पृथ्वी-2 मिसाइल का सफल परीक्षण किया