DRDO ने पिनाक और कैलिबर रॉकेट के नये संस्करण का सफल परीक्षण किया

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने 25 जून को स्वदेश में विकसित ‘पिनाक’ रॉकेट के नये संस्करण का सफल परीक्षण किया था. यह परीक्षण कल ओडिसा के चांदीपुर से किया गया था. इस परीक्षण के तहत अलग-अलग लक्ष्यों पर निशाना साधने के लिए 25 पिनाक रॉकेट दागे गये और ये सभी लक्ष्य पर सटीक बैठे.

DRDO ने स्वदेश में ही विकसित 122 मिलीमीटर कैलिबर रॉकेट के नये संस्करण का भी चांदीपुर से सफल परीक्षण किया था. ये रॉकेट 40 किलोमीटर तक के लक्ष्यों को निशाना बना सकते हैं.

‘पिनाक’ रॉकेट का नया संस्करण: एक दृष्टि

‘पिनाक’ एक स्वदेशी मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्च सिस्टम है. नये पिनाका रॉकेट की मारक क्षमता 45 किलोमीटर है. इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया गया है.

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लड़ाकू विमानों के लिए कैनोपी सेवरेन्‍स सिस्‍टम विकसित किया गया

पुणे के आर्मामेंट रिसर्च एण्‍ड डेवलेपमेंट इस्‍टैब्लिशमेंट (ARDA) ने लड़ाकू विमानों के लिए कैनोपी सेवरेन्‍स सिस्‍टम (CSS) विकसित किया है. सभी आधुनिक विमान अब इस CSS से लैस होंगे.

ARDA में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के प्रमुख वैज्ञानिक पीके मेहता की उपस्थिति में प्रौद्योगिकी हस्‍तांतरण प्रमाण-पत्र वितरण कार्यक्रम आयोजित किया गया.

कैनोपी सेवरेन्‍स सिस्‍टम (CSS) क्या है?

CSS एक जीवन रक्षक उपकरण है जो आपात संकट के समय पायलट को सुरक्षित निकलने में मदद करता है. यह पायलट को कम से कम समय में छतरी को अलग कर सुरक्षित निकलने का मौका देती है.

CSS में दो स्‍वतंत्र उपप्रणालियां काम करती हैं. पहली प्रणाली इनफ्लाइट एग्रेस सिस्‍टम उड़ान के दौरान आपात स्थितियों के लिए है और दूसरी ग्राउंड एग्रेस सिस्‍टम ऑन ग्राउंड आपात स्थितियों के लिए है.

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गहरा सागर मिशन के प्रस्‍ताव को मंजूरी दी गयी

सरकार ने गहरा सागर मिशन (Deep Ocean Mission) के एक प्रस्‍ताव को मंजूरी दी है. यह प्रस्‍ताव को पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा लाया गया था. यह मंजूरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में 16 जून को हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने दी. इस मिशन के तहत गहरे सागर का सर्वेक्षण और खोज की जाएगी, जिससे जैव-विविधता और खनिजों के अध्‍ययन में मदद मिलेगी.

गहरे सागर मिशन पर चार हजार करोड़ रुपए से अधिक की लागत आने का अनुमान है और यह पांच वर्ष में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा.

गहरा सागर मिशन के मुख्य बिंदु

  • इस निर्णय से संसाधनों के लिए गहरे सागर के अन्‍वेषण और समुद्री संसाधनों के उपयोग के लिए गहरे-सागर से संबंधित प्रौद्योगिकी विकसित करके नीली अर्थव्‍यवस्‍था को प्रोत्साहित किया जाएगा.
  • गहरा सागर मिशन भविष्‍य में क्रांतिकारी सिद्ध होगा. भारत की तटीय सीमा 7517 किलोमीटर लम्‍बी है. देश की करीब तीस प्रतिशत जनसंख्‍या तटीय क्षेत्रों में रहती है.
  • समुद्र मत्‍स्‍य पालन और एक्‍वाकल्‍चर, पर्यटन, आजीविका और समुद्री संसाधनों के कारोबार को समर्थन देने वाला प्रमुख आर्थिक कारक है.
  • इस मिशन के तहत समुद्र में छह हजार मीटर की गहराई तक तीन लोगों को ले जाने के लिए सबमर्सिबल विकसित की जाएगी. महासागर से ऊर्जा और पेय जल उत्पादन पर काम किया जायेगा.
  • इस मिशन के तहत अपतटीय समुद्री थर्मल ऊर्जा रूपांतरण सम्‍बंधी डिसेलिनेशन प्‍लांट के लिए अध्‍ययन और विस्‍तृत इं‍जीनियरिंग डिजाइन की भी परिकल्‍पना की गई है.
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नौसेना ने देश में तैयार तीन MK-3 हेलीकॉप्टर को अपने बेड़े में शामिल किया

भारतीय नौसेना ने देश में तैयार तीन MK-3 उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर को 7 जून को बेड़े में शामिल कर लिया. इन तीन हेलीकॉप्टरों को विशाखापत्तनम में भारतीय नौसेना कमान में शामिल किया गया. इनका उपयोग समुद्र में निगरानी और तटीय सुरक्षा के लिए किया जाएगा.

इन हेलीकॉप्टरों का निर्माण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने किया है. ये हेलीकॉप्टर आधुनिक निगरानी रडार और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल उपकरणों से युक्त हैं, जिनके जरिए समुद्री सीमा में टोही गतिविधियों के साथ-साथ लंबी दूरी की तलाशी और बचाव अभियान कुशलतापूर्वक संचालित किए जा सकेंगे. MK-3 हेलीकॉप्टर भारी मशीन गन से भी लैस हैं.

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इथेनॉल उत्पादन के लिए पुणे में E100 पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत

भारत ने इथेनॉल (Ethanol) क्षेत्र के विकास के लिए पुणे में E100 पायलट प्रोजेक्ट (E100 pilot project) शुरू किया है. यह प्रोजेक्ट इथेनॉल के उत्पादन और वितरण से संबंधित है. इसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) के अवसर पर की.

मुख्य बिंदु

  • प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि आने वाले वर्षों में भारत इथेनॉल आधारित कई प्रोजेक्ट शुरू करेगा. उन्होंने कहा कि 2020 में ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने 21,000 करोड़ रुपये का इथेनॉल खरीदा है.
  • भारत ने 2025 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रण को पूरा करने का संकल्प लिया है. आज करीब 8.5 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रित किया जा रहा है.
  • प्रधानमंत्री ने कहा कि एथेनॉल भारत की 21वीं सदी की प्राथमिकताओं से जुड़ गया है. यह पर्यावरण के साथ-साथ किसानों के जीवन की भी मदद कर रहा है. इससे देश के गन्ना किसानों को बड़ा लाभ हुआ है.
  • भारत समग्र दृष्टिकोण के साथ अपने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम पर काम कर रहा है. स्वच्छ ऊर्जा पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी – दोनों एक साथ आगे बढ़ सकते हैं. भारत ने इस रास्ते को चुना है.
  • पिछले कुछ वर्षों में, अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के साथ-साथ हमारे वन क्षेत्र में भी वृद्धि हुई है. हाल ही में देश में बाघों की आबादी दोगुनी हो गई है.

इथेनॉल इंधन क्या होता है?

इथेनॉल एक तरह का अल्कोहल है जिसे पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में इंधन की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है. इथेनॉल में 35 फीसदी फीसद ऑक्सीजन होता है. इथेनॉल का उत्पादन यूं तो मुख्य रूप से गन्ने की फसल से होता है लेकिन शर्करा वाली कई अन्य फसलों से भी इसे तैयार किया जा सकता है.

इंधन के रूप में इथेनॉल उपयोग के फायदे

इथेनॉल के इस्तेमाल से 35 फीसदी कम कार्बन मोनोऑक्साइड का उत्सर्जन होता है. यह सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन के उत्सर्जन को भी कम करता है.

इथेनॉल इको-फ्रैंडली इंधन है और पर्यावरण को जीवाश्म ईंधन से होने वाले खतरों से सुरक्षित रखता है.

इंधन के रूप में इथेनॉल का विश्व में उपयोग

ब्राजील में लगभग 40 प्रतिशत गाड़ियां 100 फीसदी इथेनॉल से चलती हैं, यही नहीं बाकी गाड़ियां भी 24 फीसदी इथेनॉल मिला ईंधन उपयोग कर रही हैं. ब्राजील जैसे देश के लिए यह करना आसान इसलिए हुआ क्योंकि उनके पास भारत से तीन गुना जमीन और आबादी उत्तर प्रदेश जितनी है.

स्वीडन और कनाडा में भी इथेनॉल पर गाड़ियां चल रही है. कनाडा में तो इथेनॉल के इस्तेमाल पर सरकार की तरफ से सब्सिडी भी दी जा रही है.

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रक्षा अधिग्रहण परिषद ने छह पनडुब्बियों के निर्माण के नौसेना के प्रस्ताव को मंजूरी दी

रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने छह पनडुब्बियों के निर्माण के नौसेना के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. यह मंजूरी 4 जून को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई DAC की बैठक में दी गयी.

सामरिक भागीदारी मॉडल के तहत होने वाला पहला मामला होने के कारण यह एक ऐतिहासिक स्वीकृति है. इस निर्माण में लगभग 43 हजार करोड़ रुपये की लागत आएगी.

परिषद ने बाय एंड मेक इंडियन श्रेणी के तहत सेना के लिए छह हजार करोड़ रुपये की एयर डिफेंस गन और गोला-बारूद को भी मंजूरी दी. इससे सशस्त्र बलों को आकस्मिक और महत्वपूर्ण अधिग्रहणों को पूरा करने में मदद मिलेगी.

रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC)

रक्षा अधिग्रहण परिषद (Defence Acquisition Council), अधिग्रहण संबंधी मामलों पर निर्णय लेने वाली रक्षा मंत्रालय की सर्वोच्च संस्था है।
DAC की स्थापना 2001 में सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं की शीघ्र ख़रीद सुनिश्चित करने के उद्देश्य से की गयी थी. रक्षा मंत्री इस परिषद के अध्यक्ष होते हैं।

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भारत में विश्व का पहला नैनो यूरिया विकसित किया गया

भारत में विश्व का पहला नैनो यूरिया विकसित किया गया है. इसका विकास इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (IFFCO) ने किया है. यह यूरिया इफको के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने अनुसंधान के बाद स्वदेशी और प्रोपाइटरी तकनीक के माध्यम से कलोल स्थित नैनो जैव-प्रौद्योगिकी अनुसंधान केन्द्र में तैयार किया है. यह नवीन उत्पाद ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘आत्मनिर्भर कृषि’ की दिशा में एक सार्थक कदम है.

इफको नैनो यूरिया (Nano Urea): मुख्य बिंदु

  • यह यूरिया तरल (Liquid) के रूप में है. इसके 500 ml की एक बोतल में 40,000 PPM नाइट्रोजन होता है जो सामान्य यूरिया के एक बैग के बराबर नाइट्रोजन पोषक तत्व प्रदान करेगा.
  • इफको नैनो यूरिया का उत्पादन जून 2021 तक आरंभ होगा. इसके एक बोतल (500 ml) की कीमत 240 रुपये निर्धारित की है जो सामान्य यूरिया के एक बैग के मूल्य से 10 प्रतिशत कम है.
  • नैनो यूरिया को सामान्य यूरिया के प्रयोग में कम से कम 50 प्रतिशत कमी लाने के प्रयोजन से तैयार किया गया है.
    नैनो यूरिया तरल का आकार छोटा होने के कारण इसे पॉकेट में भी रखा जा सकता है जिससे परिवहन और भंडारण लागत में भी काफी कमी आएगी.

इफको नैनो यूरिया की विशेषता

  • इफको नैनो यूरिया तरल को पौधों के पोषण के लिए प्रभावी व असरदार पाया गया है. इसके प्रयोग से फसलों की पैदावार बढ़ती है तथा पोषक तत्वों की गुणवत्ता में सुधार होता है.
  • नैनो यूरिया भूमिगत जल की गुणवत्ता सुधारने तथा जलवायु परिवर्तन व टिकाऊ उत्पादन पर सकारात्मक प्रभाव डालते हुए ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में अहम भूमिका निभाएगा.
  • किसानों द्वारा नैनो यूरिया तरल के प्रयोग से पौधों को संतुलित मात्रा में पोषक तत्व प्राप्त होंगे और मिट्टी में यूरिया के अधिक प्रयोग में कमी आएगी. यूरिया के अधिक प्रयोग से पर्यावरण प्रदूषित होता है, मृदा स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है, पौधों में बीमारी और कीट का खतरा अधिक बढ़ जाता है, फसल देर से पकती है और उत्पादन कम होता है. साथ ही फसल की गुणवत्ता में भी कमी आती है.

इफको (IFFCO): एक दृष्टि

इफको (Indian Farmers Fertiliser Cooperative) विश्व का सबसे बड़ा उर्वरक सहकारिता संस्था है. इफको का पंजीकरण 3 नवम्बर 1967 को का एक बहुएकक सहकारी समिति के रूप में किया गया था. बहुराज्य सहकारी सोसाइटीज अधिनियम, 1984 व 2002 के अधिनियमन के साथ यह एक बहुराज्य सहकारी समिति के रूप में पंजीकृत है. यह समिति प्रमुख रूप से उर्वरकों के उत्पादन और विपणन का कार्य करती है.

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युवा लेखकों को परामर्श देने के लिए प्रधानमंत्री योजना ‘YUVA’ की शुरूआत

शिक्षा मंत्रालय ने युवा लेखकों को परामर्श देने के लिए प्रधानमंत्री योजना ‘YUVA’ (Prime Minister’s Scheme for Mentoring Young Authors) की शुरूआत की. यह 30 साल से कम आयु वाले युवा लेखकों को प्रशिक्षित करने के लिए एक लेखक परामर्श कार्यक्रम है.

YUVA योजना क्या है?

‘YUVA’ का का पूरा नाम ‘Young, Upcoming and Versatile Authors’ है. युवा लेखकों को भारत के स्‍वतंत्रता संग्राम के बारे में लिखने के लिए प्रोत्‍साहित करने के वास्‍ते ये प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप है. श्री मोदी ने युवा पीढी से स्‍वतंत्रता सेनानियों और स्‍वाधीनता संग्राम से जुडी घटनाओं के बारे में लिखने का आह्वान किया था.

योजना की रूप-रेखा

‘YUVA’ योजना में एक अखिल भारतीय प्रतियोगिता द्वारा 75 लेखकों का चयन किया जाएगा. इन लेखकों को पांडुलिपियां तैयार करने के लिए प्रख्यात लेखकों द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा. 12 जनवरी 2022 को राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर इन पुस्तकों का विमोचन किया जाएगा.

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भारतीय नौसेना के पहले विध्वंसक पोत ‘INS राजपूत’ को विदाई दी गई

भारतीय नौसेना के पहले विध्वंसक पोत ‘INS राजपूत’ को 21 मई को नौसेना की सेवा से विदाई दे दी गई. इस पोत को नेवल डॉकयार्ड, विशाखापत्तनम में नौसेना की सेवा से हटाया (डीकमीशन) गया. 41 साल की सेवा के बाद इस पोत को विदाई दी गयी है.

इस पोत का निर्माण सोवियत संघ ने किया था और इसे 4 मई, 1980 को नौसेना में शामिल किया गया था. यह भारतीय नौसेना का पहला पोत था जिसे थल सेना की किसी रेजीमेंट (राजपूत रेजीमेंट) से संबद्ध किया गया था. इसने पश्चिमी और पूर्वी दोनों बेड़े में अपनी सेवाएं दी. इसका आदर्श वाक्य “राज करेगा राजपूत” था.

इस पोत ने पिछले चार दशकों में कई प्रमुख मिशनों में भाग लिया. इनमें भारतीय शांतिरक्षक बलों की सहायता के लिए श्रीलंका में चलाया गया ‘ऑपरेशन अमन’, श्रीलंका के तट पर गश्ती कार्य के लिए ‘ऑपरेशन पवन’ और मालदीव में बंधकों की समस्या के समाधान के लिए चलाया गया ‘ऑपरेशन कैक्टस’ शामिल हैं.

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DRDO ने कोरोना वायरस एंटीबॉडी डिटेक्शन किट ‘DIPCOVAN’ तैयार की

रक्षा अनुसंधान संगठन (DRDO) ने कोरोना वायरस एंटीबॉडी डिटेक्शन किट तैयार की है. इस किट का नाम ‘DIPCOVAN’ रखा गया है. इस किट ka उपयोग कर SARS-CoV-2 वायरस के साथ-साथ न्यूक्लियोकैप्सिड (S&N) प्रोटीन का भी 97% की उच्च संवेदनशीलता और 99% की विशिष्टता के साथ पता लगाया जा सकता है.

DRDO ने ‘DIPCOVAN’ को दिल्ली स्थित वैनगार्ड डायग्नोस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से विकसित किया गया है. यह किट पूरी तरह स्वदेशी है और इसे यहीं के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है.

भारत ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने ‘DIPCOVAN’ के उपयोग की मंजूरी हाल ही में प्रदान की है. इससे पहले इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने अप्रैल 2021 में इस किट को मान्यता दी थी. अब इस किट की खुले बाजार में बिक्री की जा सकती है. इस किट की कीमत प्रति टेस्ट 75 रुपये के करीब होगी.

DIPCOVAN किट के जरिए किसी व्यक्ति की कोरोना से लड़ने की क्षमता और उसकी पिछली हिस्ट्री (इंसान के शरीर में जरूरी एंटीबॉडी या प्लाज्मा) के बारे में पता लगाने में मदद मिलेगी.

उल्लेखनीय है कि हाल ही में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने ‘कोवीसेल्फ’ नाम की होम टेस्टिंग किट को भी मंजूरी दी है, जो एक रैपिड एंटीजन टेस्ट किट है. इस किट की मदद से लोग घर बैठे खुद ही अपना कोरोना टेस्ट कर सकेंगे.

DRDO की एंटी-कोविड दवा 2-DG

DRDO ने इससे पहले ‘2-DG’ नाम से covid-19 की दवा विकसित की थी. इस दावा का पूरा नाम 2-Deoxy-D-glucose है. इसे डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज के सहयोग से विकसित किया गया है. यह दवा संक्रमित कोशिकाओं में जमा हो जाती है और वायरल को बढने से रोकती है. DGCI ने कोविड-19 के गंभीर रोगियों के लिए इस दवा के आपातकालीन उपयोग की अनुमति दी है.

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यूनेस्को ने भारत के छह स्थानों को विश्व धरोहर स्थलों की संभावित सूची में शामिल किया

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने भारत के छह स्थानों को विश्व धरोहर स्थलों की संभावित सूची में शामिल किया है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने नौ स्थानों को यूनेस्को की संभावित विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल करने के लिए भेजा था, जिसमें छह को अस्थायी सूची के लिए मंजूरी दी गई है.

विश्व धरोहर स्थलों की संभावित सूची में शामिल किये गये स्थान

  1. वाराणसी का गंगा घाट
  2. तमिलनाडु में कांचीपुरम का मंदिर
  3. मध्य प्रदेश में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व
  4. महाराष्ट्र सैन्य वास्तुकला
  5. हीरे बेंकल मेगालिथिक साइट
  6. मध्य प्रदेश (जबलपुर) में नर्मदा घाटी के भेड़ाघाट-लम्हेटाघाट

धरोहर स्थल क्या है?

विश्व धरोहर या विरासत सांस्कृतिक महत्व और प्राकृतिक महत्व के वह स्थल होते है जो बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं. दुनियाभर में कुल 1052 विश्व धरोहर स्थल हैं जो बहुत ही महत्वपूर्ण हैं. इनमें से 814 सांस्कृति, 203 प्राकृतिक और 35 मिश्रित स्थल हैं.

यूनेस्को में शामिल भारत के धरोहर स्थल

यूनेस्को ने भारत में 36 स्थानों, शहर, इमारतों, गुफाओं आदि को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिया है. इनमें 27 सांस्कृतिक, 8 प्राकृतिक और 1 मिश्रित धरोहर शामिल हैं. यूनेस्को में शामिल भारत के धरोहर स्थल इस प्रकार हैं:

ताजमहल, आगरा का किला, अजंता और एलोरा की गुफाएं, काजीरंगा अभयारण्य, केवलादेव उद्यान, महाबलीपुरम और सूर्य मंदिर कोणार्क, मानस अभयारण्य, हम्पी, गोवा के चर्च और फतेहपुर सीकरी, चोल मंदिर, खजुराहो मंदिर, पट्टादकल और एलिफेंटा की गुफाएं, सुंदरबन, सांची के बुद्ध स्मारक, हुमायूं का मकबरा और नंदा देवी का पुष्प उद्यान, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, चंपानेर पावागढ़, दिल्ली का लाल किला और जयपुर का जंतर मंतर, नालंदा विश्वविद्यालय, कार्बूजिए की वास्तुकला, कंचनजंघा पुष्प उद्यान और अहमदाबाद शहर, भीमबैठका, कुतुब मीनार, हिमालयन रेल और महाबोधि मंदिर, गुजरात की रानी की वाव, पश्चिमी घाट, ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क और राजस्थान का किला.

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कोविड पीड़ितों के उपचार के लिए दवा ‘टू-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज’ के उपयोग को मंजूरी दी गयी

भारतीय औषधि महानियंत्रक (DCGI) ने कोविड पीड़ितों के उपचार के लिए देश में विकसित दवा ‘टू-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज’ (2-Deoxy – D – Glucose) के उपयोग को मंजूरी दी है. इस दवा को संक्षिप्त में 2DG भी कहते हैं. इस दवा को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने विकसित किया है.

यह दवा एक पाउडर के रुप में है जिसे पानी में घोलकर लेना होता है. इसका विकास DRDO की एक प्रयोगशाला नाभिकीय औषधि तथा संबद्ध विज्ञान संस्थान ने डॉ. रेड्डीज लेबॉरेट्रीज के साथ मिलकर किया है.

अब तक के परीक्षणों से पता चला है कि यह दवा कोरोना मरीजों को तेज़ी से स्वस्थ करती है और इसके सेवन से ऑक्सीजन पर निर्भरता भी कम रह जाती है.

2DG क्‍या करता है?

यह दवा ग्‍लूकोज का एक वेरिऐंट है. जब इस दवा को कोरोना के मरीज को दिया हैं तो ये वायरस से ग्रस्‍त कोशिका में ज्‍यादा मात्रा में चला जाता है. जिससे कोरोना वायरस को एनर्जी की जरूरत होती है. पर यह दवा वायरस को एनर्जी नहीं दे पाता. जिससे शारीर में उस वायरस की वृद्धि को नियंत्रित किया जाता है.

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