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प्रधानमंत्री ने मणिपुर जल आपूर्ति परियोजना की आधारशिला रखी

प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 23 जुलाई को वीडियो कांफ्रेंस के जरिये ‘मणिपुर जल आपूर्ति परियोजना’ की आधारशिला रखी. यह परियोजना केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गयी ‘जल जीवन मिशन’ के तहत पूरा किया जायेगा.
सरकार ने मणिपुर के 1185 बस्तियों में पीने का पानी उपलब्‍ध कराने के लिए जल जीवन मिशन के तहत तीन हजार करोड़ धन उपलब्‍ध कराया है. इन बस्तियों में 1.42 लाख से अधिक घर हैं.

जल जीवन मिशन: एक दृष्टि

  • केन्‍द्र सरकार ने 2024 तक ग्रामीण भारत के हर घर में सुरक्षित, पर्याप्‍त और साफ पेयजल उपलब्‍ध कराने के लिए जल जीवन मिशन की शुरूआत की है.
  • यह मिशन पानी के लिए सामुदायिक दृष्टिकोण पर आधारित है. मिशन के मुख्‍य घटक सूचना, शिक्षा और संचार हैं.
  • इसमें पानी के लिए जन आन्‍दोलन की पहल की गई है त‍ाकि उसे प्रत्‍येक व्‍यक्ति की प्राथमिकता बनाया जा सके.
  • भारत में करीब 19 करोड़ घर हैं, लेकिन केवल 24 प्रतिशत घरों में ही पाइप के जरिये स्‍वच्‍छ जल उपलब्‍ध है. जल जीवन मिशन के तहत करीब 15 करोड़ घरों में पाइप से पानी पहुंचाया जायेगा.

प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत नवाचार चुनौती का शुभारंभ किया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में स्तरीय ऐप विकसित करने के लिये ‘आत्मनिर्भर भारत नवाचार चुनौती’ (AatmaNirbhar Bharat Innovate Challenge) का शुभारंभ किया है. इसका उद्देश्य स्टार्ट-अप और तकनीकी क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाना तथा भारतीय ऐप निर्माताओं और नवाचारों को प्रोत्साहित करना है.

मुख्य बिंदु

  • प्रधानमंत्री ने लोगों और प्रौद्योगिकी से जुड़े समुदाय से आत्मनिर्भर भारत नवाचार चुनौती में भाग लेने का आग्रह किया. यह चुनौती दो स्तरों पर आयोजित होगी- मौजूदा ऐप का संवर्धन और नये ऐप का विकास.
  • ई-लर्निंग, वर्क फ्रॉम होम, गेमिंग, बिज़नस, मनोरंजन, कार्यालय संबंधी कार्य और सोशल नेटवर्किंग के लिये मौजूदा ऐप को बढ़ावा देने और नये ऐप विकसित करने के लिये सरकार आवश्यक सहयोग उपलब्ध करेगी.
  • इस चुनौती के नतीजे मौजूदा ऐप को बेहतर बनाने और लक्ष्य प्राप्त करने में मदद करेंगे. भारतीय ऐप्स में विश्व स्तरीय बनने की क्षमता है.
  • उन्होंने कहा कि भारत और विश्व की अनेक समस्‍याओं के समाधान के लिये नये ऐप विकसित किये जाने की असीम संभावना है.
  • भारत के पास प्रौद्योगिकी और स्टार्ट-अप के अनुकूल पारिस्थितिकीय तंत्र है और इनके लिये भारतीय बाजारों में भी अपार क्षमता है.

प्रधानमंत्री गरीब कल्‍याण अन्‍न योजना का नवम्‍बर तक के लिए विस्‍तार किया गया

प्रधानमंत्री गरीब कल्‍याण अन्‍न योजना का नवम्‍बर 2020 तक के लिए विस्‍तार किया गया है. इसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 30 जून को राष्‍ट्र को सम्‍बोधित करते हुए किया.

प्रधानमंत्री गरीब कल्‍याण अन्‍न योजना के तहत देशभर में 80 करोड जरूरतमंद लोगों को अब नवम्‍बर 2020 तक मुफ्त राशन दिया जायेगा.

प्रधानमंत्री गरीब कल्‍याण अन्‍न योजना

इस योजना के अंतर्गत गरीब परिवारों के हर सदस्‍य को हर महीने पांच किलोग्राम गेहूं या चावल और एक किलोग्राम चना मुफ्त उपलब्‍ध कराया जाता है. इस योजना को नवम्‍बर तक बढ़ाने पर सरकार को 90 हजार करोड़ रुपए से अधिक राशि खर्च करनी होगी. कोविड-19 महामारी के प्रकोप के बाद इस योजना शुरू की गयी थी.

प्रधानमंत्री के संबोधन के मुख्य बिंदु

  • पिछले तीन महीनों में करीब बीस करोड़ गरीब लोगों के जनधन खातों में 31 हजार करोड रुपए अंतरित किए गए हैं.
  • प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत नौ करोड़ से अधिक किसानों के बैंक खातों में 18 हजार करोड़ रुपए भेजे गए हैं.
  • गरीबों को रोजगार उपलब्‍ध कराने के लिए चलाए जा रहे प्रधानमंत्री गरीब कल्‍याण रोजगार अभियान पर 50 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं.
  • आज देश एक-राष्‍ट्र, एक-राशन कार्ड की दिशा में आगे बढ़ रहा है, जिससे रोजगार के लिए एक राज्‍य से दूसरे राज्‍य में जाने वाले गरीब मजदूरों को बड़ा फायदा होगा.

प्रधानमंत्री स्‍वामित्‍व योजना की शुरूआत की, जानिए क्या है यह योजना

पंचायत राज दिवस के अवसर पर 24 अप्रैल को भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भारत के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए ‘स्वामित्व योजना’ की घोषणा की है. इस योजना का उद्देश्य संपत्ति को लेकर भ्रम और झगड़े को खत्म करना है. इससे गांव में विकास योजनाओं को शुरू करने में मदद मिलेगी.

प्रधानमंत्री ने छह राज्‍यों- उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, हरियाणा, मध्यप्रदेश और उत्तराखंड में प्रायोगिक तौर पर ‘स्‍वामित्‍व योजना’ की शुरूआत की.

क्या है स्‍वामित्‍व योजना?

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में बताया गया कि भारत की 60% आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है. ज्यादातर लोगों के पास उनकी संपत्ति के स्वामित्व के दस्तावेज नहीं हैं. अंग्रेजों के समय से ग्रामीण क्षेत्रों में जमीनों का बंदोबस्त होता आया है. यही बंदोबस्त ग्राम विवाद का मुख्य कारण होता है. स्वामित्व योजना के माध्यम से ग्रामीणों को उनकी संपत्ति का मालिकाना हक मिल जाएगा. इसके बाद फिर किसी भी प्रकार का विवाद नहीं होगा.

स्‍वामित्‍व योजना के मुख्य बिंदु

  • इसके तहत देश के सभी गांवों में ड्रोन के माध्यम से गांव की हर संपत्ति की मानचित्रण किया जायेगा. इसके बाद गांव के लोगों को उस संपत्ति का मालिकाना प्रमाण-पत्र दिया जाएगा.
  • प्रधानमंत्री ने कहा कि इस योजना से ग्रामीण क्षेत्रों में नियोजन तथा राजस्‍व संग्रह को सुचारू बनाने और संपदा अधिकारों पर स्‍पष्‍टता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी. इससे संपत्ति संबंधित विवादों के समाधान में भी सहायता मिलेगी.
  • संपत्ति का मालिकाना प्रमाण-पत्र मिलने से शहरों की तरह गांवों में भी बैंकों से आसानी से ऋण लिए जा सकेगा. इसके लिए ग्रामीणों से न्यूनतम डॉक्युमेंट मांगे जाएंगे.

ऑनलाइन शिक्षा के लिए ‘भारत पढ़े ऑनलाइन’ अभियान शुरू किया गया

मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) ने भारत में ऑनलाइन शिक्षा के जरिये लोगों को आपस में जोड़ने एवं लोगों के विचार जानने के उद्देश्‍य से ‘भारत पढ़े ऑनलाइन’ अभियान शुरू किया है. मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने 10 अप्रैल को इसकी शुरूआत की.

इस अभियान का उद्देश्य भारत की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को आमंत्रित करना है ताकि ऑनलाइन शिक्षा की बाधाओं को दूर करते हुए उपलब्ध डिजिटल शिक्षा प्लेटफार्मों को बढ़ावा दिया जा सके. इसके जरिये मंत्रालय के साथ सुझाव और समाधान सीधे साझा किए जा सकेंगे तथा उपलब्‍ध डिजिटल शिक्षा प्‍लेटफॉर्मों को बढ़ावा मिलेगा.

श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी नेशनल रूर्बन मिशन ने चार वर्ष पूरे किये, जानिए क्या है SPMRM

श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन (Shyama Prasad Mujherji Rurban Mission – SPMRM) ने 21 फरवरी को चार वर्ष पूरे किये. प्रधानमंत्री ने इस मिशन का शुभारंभ 21 फरवरी, 2016 को छत्‍तीसगढ़ के राजनाथगांव जिले में किया था.

इसका उद्देश्‍य राज्‍यों और केन्‍द्रशासित प्रदेशों में ऐसे ग्राम समूहों को विकसित करना है जिनसे समूचे क्षेत्र में चंहुमुखी विकास का रास्‍ता खुलेगा. इस मिशन का शुभारम्‍भ देश के गांवों को स्‍मार्ट गांव बनाने के लिए किया गया है.

श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन (SPMRM): एक दृष्टि

  1. गाँव और शहर के बीच अंतर पाटने के लिए केंद्र सरकार ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन (SPMRM) शुरू किया है. मिशन के तहत मैदानी इलाकों में 25,000 से 50,000 की आबादी तथा रेगिस्तानी व पहाड़ी इलाकों में 5,000 से 15,000 तक की आबादी वाली ग्राम पंचायतों के साथ रूर्बन क्लस्टर (ग्राम समूह) विकसित करना है.
  2. SPMRM के तहत, अगले तीन वर्षों में 300 क्लस्टर्स विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है. ये क्लस्टर्स भौगोलिक रूप से नजदीक कई ग्राम पंचायतों को मिलाकर बनाए जाएंगे. क्लस्टर का चयन राज्य सरकार के द्वारा किया जाएगा.
  3. इस मिशन के अंतर्गत कौशल विकास का प्रशिक्षण, खाद्य प्रसंस्करण, भंडारण गोदामों का निर्माण, डिजिटल शिक्षा, स्वच्छता, पाइप द्वारा घर-घर तक जलापूर्ति, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, ग्रामीण सड़क, जल निकासी, मोबाइल स्वास्थ्य यूनिट, स्कूली एवं उच्च शिक्षा में सुधार, ई-ग्राम कनेक्टिविटी, सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था, नागरिक सेवा केन्द्र तथा LPG गैस आपूर्ति सेवा इत्यादि शामिल की गईं हैं.

22वें विधि आयोग के गठन को मंजूरी दी गयी, विधि आयोग संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 22वें विधि आयोग (22nd Law Commission) के गठन को मंजूरी दी है. यह मंजूरी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में 19 फरवरी को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में दी गई. यह आयोग सरकार को जटिल कानूनी मुद्दों पर सलाह देगा. इस का कार्यकाल तीन वर्ष होगा.

22वें विधि आयोग में एक पूर्णकालिक अध्यक्ष, चार पूर्णकालिक सदस्य और पदेन सदस्य के रूप में विधि मंत्रालय के विधायी विभाग सचिव पदेन सदस्य के रूप में होंगे. इसमें अधिकतम पांच अंशकालिक सदस्य भी होंगे.

21वां विधि आयोग

21वें विधि आयोग का कार्यकाल 31 अगस्त 2018 को समाप्त हुआ था. जस्टिस बीएस चौहान (सेवा निवृत्त) इस आयोग के अध्यक्ष थे. 21वें विधि आयोग ने जो अनुसंशा की थी, उनमें लोकसभा और विधानसभा का चुनाव साथ-साथ कराने तथा समान नागरिक संहिता शामिल है.

विधि आयोग: एक दृष्टि

  • विधि आयोग भारत सरकार द्वारा समय-समय पर गठित एक गैर-सांविधिक निकाय है.
  • मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद विधि मंत्रालय आयोग के गठन संबंधी अधिसूचना जारी करता है.
  • विधि आयोग का कार्य किसी न्याय-प्रणाली में कानूनों की स्थिति की समीक्षा करना तथा कानूनों में सुधार की शिफारिश करना है.
  • आयोग का कार्यकाल अधिसूचना के प्रकाशन की तिथि से तीन साल तक के लिए होता है.
  • अब तक गठित 21 विधि आयोगों ने 277 रिपोर्ट प्रस्तुत की हैं.
  • आम तौर पर सुप्रीम कोर्ट के अवकाश प्राप्त जज अथवा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस इस आयोग के अध्यक्ष होते हैं.

विधि आयोग का संक्षिप्त इतिहास

पहली बार विधि आयोग 1833 के चार्टर ऐक्ट के अंतर्गत 1834 में गठित किया गया था. इस समय भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन था. लार्ड मैकाले ने ब्रिटिश संसद में भारत के लिए विधि आयोग के गठन पर बल दिया था. मैकाले इस आयोग अध्यक्ष थे.

भारत की स्वतंत्रता के बाद प्रथम विधि आयोग का गठन 5 अगस्त 1955 को भारतीय संसद में हुई थी. श्री मोतीलाल चिमणलाल सेटलवाड इस आयोग के अध्यक्ष थे. उनके अतिरिक्त 10 अन्य सदस्य थे. स्वतन्त्र भारत में अब तक 22 विधि आयोग बन चुके हैं.

मध्‍य प्रदेश ने ‘प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना’ लागू करने में पहला स्‍थान हासिल किया

प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (Pradhan Mantri Matru Vandana Yojana) लागू करने में मध्‍य प्रदेश ने पहला स्‍थान हासिल किया है. इंदौर जिले को इस योजना में बेहतर कार्य के लिए पहला स्‍थान मिला है.

मध्य प्रदेश में, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत अब तक 14 लाख 55 हजार से अधिक लाभार्थियों का पंजीकरण किया गया है. लगभग 13 लाख 40 हजार महिलाओं को पहली किस्त मिल चुकी है, वहीँ, लगभग 12 लाख महिलाओं को दूसरी और 8 लाख 80 हजार महिलाओं को तीसरी किस्त का भुगतान किया गया है.

प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना: एक दृष्टि
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत कामकाजी महिलाओं को गर्भावस्था के कारण मजदूरी से होने वाले नुकसान और उनके उचित आराम और पोषण को सुनिश्चित करने के लिए पांच हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है. इस योजना को 1 जुलाई 2017 को देश के सभी जिलों में लागू किया गया था.

सरकार ने पूर्वोत्‍तर राज्‍यों के लिए गैस ग्रिड की स्‍थापना को मंजूरी दी

सरकार ने पूर्वोत्‍तर राज्‍यों को प्राकृतिक गैस पाइपलाइन ग्रिड बनाने के लिए इन्‍द्रधनुष गैस ग्रिड लिमिटेड की परियोजना को 8 जनवरी को मंजूरी दी. इस परियोजना की कुल लागत नौ हजार दो सौ छप्‍पन करोड़ रुपये है और केन्‍द्र सरकार की ओर से वायबिलिटी गैप फंडिंग के रूप में इसका साठ प्रतिशत हिस्‍सा दिया जाएगा.

इस परियोजना के तहत आठ पूर्वोत्‍तर राज्‍यों के 1656 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन से असम में गुवाहाटी से इटानगर, दीमापुर, कोहिमा, इम्‍फाल, आइजॉल और अगरतला जैसे पूर्वोत्‍तर क्षेत्र के प्रमुख नगरों को जोड़ा जाएगा.

प्रधानमंत्री ने भूजल के स्थायी प्रबंधन के लिए ‘अटल भूजल योजना’ का शुभारंभ किया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भूजल के स्थायी प्रबंधन के लिए ‘अटल भूजल योजना’ का 25 दिसम्बर को शुभारंभ किया. केन्द्र सरकार की इस योजना के तहत लोगों की भागीदारी से भूजल प्रबंधन और व्यवहार परिवर्तन को बढ़ावा दिया जाएगा. यह योजना पंचायतों के नेतृत्‍व में भूमि जल प्रबंधन को बढ़ावा देगी.

केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में छह हज़ार करोड़ रुपये की इस योजना को मंज़ूरी दी गयी थी. इसमें तीन हजार करोड़ रुपये वर्ल्ड बैंक से मिलेंगे. तीन हजार करोड़ भारत सरकार देगी.

इसमें सात प्रदेशों के 8350 गांव चिन्हित

यह योजना देश के प्रत्‍येक परिवार को नल से जल की आपूर्ति की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम हैं. योजना के तहत गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के आठ हजार तीन सौ पचास गांव चिन्हित किये गये हैं. चिन्हित क्षेत्रों में अगले पांच वर्ष के दौरान लागू की जाएगी.

‘जल जीवन मिशन’ के तहत सभी घरों में पानी पहुंचाने का लक्ष्य

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने ‘जल जीवन मिशन के तहत’ वर्ष 2024 तक सभी ग्रामीण घरों में पाइप के जरिए नल का पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा है. देश में अभी तक 18 करोड़ ग्रामीण घरों में से सिर्फ 3 करोड़ घरों में ही नल से पानी पहुँचता है. सरकार ने अगले 5 सालों में ग्रामीण क्षेत्रों में 15 करोड़ घरों में पाइप के जरिए नल का पानी पहुंचाना है. इसके लिए अगले 5 सालों में केंद्र और राज्य सरकारें 3.5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च करने वाले हैं.

जल जीवन मिशन और अटल जल योजना में अंतर

इस प्रकार ‘जल जीवन मिशन’ हर घर तक जल पहुंचाने का काम करेगा और ‘अटल जल योजना’ उन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देगी जहां ग्राउंड वॉटर बहुत नीचे गई है या तेजी से नीचे जा रही है.

किसानों की आमदनी बढ़ेगी

देश के कुल सिंचित भूमि में भू-जल का योगदान लगभग 65 प्रतिशत है. जबकि ग्रामीण पेयजल आपूर्ति में इसका योगदान 85 प्रतिशत है. बढ़ती जनसंख्या, शहरीकरण और ऑद्योगीकरण की वजह से देश के सीमित भू-जल संसाधन खतरे में है.

अटल भू-जल योजना के दो प्रमुख घटक हैं- पहला राज्यों में स्थायी भू-जल प्रबंधन के लिए संस्थागत प्रबंधनों को मजबूत बनाने के साथ-साथ क्षमता निर्माण को भी मजबूत बनाना है. वहीं दूसरे घटक में भू-जल प्रबंधन उपायों को और बेहतर बनाने के लिए राज्यों को प्रोत्साहन देना है.

अटल भू-जल योजना के जरिये उपलब्ध भू-जल संसाधनों का उचित उपयोग करने पर भी जोर दिया जायेगा. इससे किसानों की आय दोगुनी करने में मदद मिलेगी.

सघन टीकाकरण योजना ‘मिशन इन्द्रधनुष 2.0’ की शुरुआत

सघन टीकाकरण ‘मिशन इन्द्रधनुष 2.0’ 2 दिसम्बर से देश-भर में शुरू हो गया. केन्द्र सरकार द्वारा प्रायोजित इस मिशन इन्द्रधनुष योजना का यह चरण 31 मार्च 2020 तक चलेगा.

इन्द्रधनुष 2.0 का लक्ष्य 27 राज्यों के 272 जिलों का पूर्ण टीकाकरण है. अभियान के तहत बिहार और उत्तर प्रदेश के 650 ब्लॉक पर खास नजर रहेगी क्योंकि इन प्रखंडों मे टीकाकरण की दर कम है. सघन मिशन इंद्रधनुष 2.0 को चार चरणों में चलाया जाएगा.

केन्द्र सरकार की इस प्रमुख योजना का उद्देश्य दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों और गर्भवती महिलाओं को डिप्थिरिया, काली खांसी, टिटनेस, पोलियो, टीबी, खसरा, मेनिनजाइटिस और हेपेटाइटिस-बी से बचाव के टीके लगाना है. इस योजना के तहत चुने गये क्षेत्रों में एनसेफेलाइटिस और इन्फ़्लुएन्ज़ा से बचाव के टीके भी लगाये जाते हैं. इस अभियान के तहत बारह बीमारियों से बचाव के लिए टीका दिया जाता है.

मिशन इन्द्रधनुष 2.0 के तहत अगले चार महीनों के दौरान, एक लाख बच्चों और तीस हजार से अधिक गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण करने का लक्ष्य रखा गया है. मिशन इंद्रधनुष से टीकाकरण अभियान करीब सात फीसद की दर से सालाना बढ़ोतरी हुई है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अक्तूबर 2017 में इस मिशन की शुरुआत की थी.

बेहतर पोषक उत्‍पाद के लिए सरकार ने भारतीय पोषण कृषि कोष के गठन की घोषणा की

सरकार ने भारतीय पोषण कृषि कोष के गठन की 18 नवम्बर को घोषणा की. इसका उद्देश्‍य कुपोषण दूर करने के लिए बहुक्षेत्रीय ढांचा विकसित करना है. इसके तहत बेहतर पोषक उत्‍पाद लेने के लिए 128 कृषि-जलवायु क्षेत्रों में विविध फसलों पर जोर दिया जायेगा.

नई दिल्‍ली में आयोजित समारोह में जाने-माने समाजसेवी और माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्‍थापक बिल गेट्स ने हिस्सा लिया. श्री गेट्स ने कुपोषण से निपटने में भारत के प्रयासों की सराहना की. महिला और बाल विकास मंत्री स्‍मृति जुबिन इरानी ने कुपोषण की चुनौती से निपटने के लिए कृषि और पोषाहार के बीच तालमेल की जरूरत पर जोर दिया.