Tag Archive for: Covid-2019

पहली कोविड रोधी नेजल वैक्सीन के आपात स्थिति में उपयोग की मंजूरी

भारत में पहली कोविड रोधी नेजल (नाक से दी जाने वाली) वैक्सीन को आपात स्थिति में प्रतिबंधित उपयोग की मंजूरी दी गई है. ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने इसकी मंजूरी 6 सितम्बर को दी. यह भारत का कोविड-19 वायरस के लिए पहला नाक से दिया जाने वाला टीका होगा.

मुख्य बिन्दु

  • इसका निर्माण भारत बायोटेक ने किया है. इसका उपयोग 18 वर्ष से अधिक के लोगों के लिए किया जा सकेगा.
  • ये दुनिया में अपनी किस्म की वैक्सीन है जिसको व्यक्ति की नाक में कुछ बूंदें डाली जाती हैं और कोविड के प्रति रक्षा पैदा की जाती है.
  • इसका एक और लाभ है क्योंकि कोविड वायरस हमारे ज्यादातर नासिका और फेफड़ों के द्वारा शरीर में प्रवेश करता है तो ये मुमकिन है कि इसकी प्रतिरोधक क्षमता बेहतर रहेगी वायरस के प्रसार को कम करने में.
  • भारत में यह वैक्सीन अभी उन लोगों को देने के लिए मंजूर की गई है जिनमें अभी तक कोई टीका नहीं लगा है लेकिन शीघ्र ही यह वैक्सीन एहतियातन डोज के तौर पर भी उपलब्ध रहेगी.
लेटेस्ट कर्रेंट अफेयर्स 〉

भारत ने दो नए COVID रोधी वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग को मंज़ूरी दी

भारत में दो नए COVID रोधी वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग को मंज़ूरी दी गयी है. यह मंजूरी DCGI (Drugs Controller General of India) ने 28 दिसंबर को दी. जिन वैक्सीन को मंजूरी दी गयी है वो हैं- कॉर्बेवैक्स (Corbevax) और कोवोवैक्स (Covovax). DCGI ने इसके साथ ही कोविड रोधी एंटी-वायरल दवा मोलनुपिरवीर (Molnupiravir)  को भी मंजूरी दी.

इन दोनों वैक्सीन और दवा को नियामक केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (Central Drugs Standard Control Organisation – CDSCO) द्वारा अनुमोदित किया गया था. कोवोवैक्स (Covovax)

कॉर्बेवैक्स (Corbevax) वैक्सीन भारत में पहला स्वदेशी रूप से विकसित RBD प्रोटीन सब-यूनिट वैक्सीन है. इसका निर्माण हैदराबाद स्थित फर्म बायोलॉजिकल-ई द्वारा किया गया है. कोवोवैक्स (Covovax) एक नैनोपार्टिकल वैक्सीन है, जिसका निर्माण पुणे बेस्ड सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा किया जाएगा.

भारत में आपातकालीन उपयोग के लिए स्वीकृत कोविड रोधी वैक्सीन

इस मंजूरी के बाद भारत में आपातकालीन उपयोग के लिए स्वीकृत कोविड रोधी वैक्सीन की संख्या बढ़कर 8 हो गई है. इन टीकों से पहले निम्नलिखित 6 टीकों – कोविशील्ड, कोवैक्सिन, ZyCoV-D, स्पुतनिक वी, मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन की Janssen वैक्सीन को मंजूरी दी गई थी.

लेटेस्ट कर्रेंट अफेयर्स 〉

फाइजर ने कोविड-19 रोधी दवा ‘पैक्सलोविड’ विकसित किया, अमेरिका ने दी मंजूरी

फाइजर ने हाल ही में कोविड-19 रोधी दवा ‘पैक्सलोविड’ (Paxlovid)  विकसित किया था जिसे अमेरिका ने मंजूरी दे दी है. ये दवा गंभीर बीमारी की स्थिति में 12 साल के बच्चों और बड़ों को दी जा सकती है.

मुख्य बिंदु

  • कोरोना से लड़ने वाली ये दुनिया की पहली ओरल एंटीवायरल पिल होगी. ये एक एंटीवायरल दवा है जिसे PF-07321332 नाम दिया गया है. इस एंटीवायरल दवा को HIV मेडिसिन रीटोनाविर के लो डोज के साथ मिक्स कर दिया जाता है. यानी कोविड-19 की एक नई दवा को पहले से मौजूद रीटोनाविर के साथ दिया जाएगा. दवाओं के कॉम्बिनेशन के इस कोर्स को पैक्सलोविड नाम दिया गया है.
  • ट्रायल में ये दवा ओमिक्रॉन सहित कोरोना के खिलाफ बेहद कारगर रही है. कंपनी ने इसकी इफेक्टिवनेस जानने के लिए 2,250 लोगों पर ट्रायल किए थे. लक्षण नजर आने के 3 दिन बाद ये दवा हल्के लक्षणों से पीड़ित मरीजों को हॉस्पिटलाइजेशन और मौत से रोकने में दवा 89% कारगर रही है. लक्षण नजर आने के 5 दिन बाद लेने पर हॉस्पिटलाइजेशन और मौत रोकने में 88% कारगर है.
  • अमेरिका ने पैक्सलोविड के बाद मर्क कंपनी की मोलनुपिराविर को भी मंजूरी दे दी है. इसे कोरोना से संक्रमित 18 साल से ज्यादा उम्र के गंभीर मरीजों को दिया जाएगा. मोलनुपिराविर दवा वायरस के जेनेटिक कोड में गड़बड़ी कर उसकी फोटोकॉपी होने से रोकती है.
लेटेस्ट कर्रेंट अफेयर्स 〉

अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर ने बनाई कोरोना वायरस की दवाई

अमेरिकी दवा निर्माता कंपनी फाइजर (Pfizer) ने कोरोना वायरस के लिए एक एंटीवायरल दवा बनाई है जिससे मौत के जोखिम को 89 फीसदी तक कम कर सकती है. यह दवा गोली (oral pill) के रूप में है जिसका ब्रांड नाम ‘पैक्सलोविड’ (Paxlovid) है. अमेरिका में कोरोना की दवा फिलहाल इंजेक्शन के माध्यम से दी जाती है लेकिन फाइजर की दवा इस्तेमाल में आसान है.

मर्क की मोलनुपिरवीर को ब्रिटेन में मंजूरी

इससे पहले फाइजर की प्रतिस्पर्धी कंपनी मर्क (Merck) ने कोविड-19 की दवा के निर्माण का दावा किया था. मोलनुपिरवीर (molnupiravir) ब्रांड नाम की इस दवा को ब्रिटेन इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी भी दे चुका है. मर्क की दवा दुनिया में कोरोना वायरस की पहली गोली (oral pill) है. फाइजर का दावा है कि उसकी गोली मर्क की तुलना में ज्यादा प्रभावी है.

लेटेस्ट कर्रेंट अफेयर्स 〉

Covid-19 रोधी स्वदेश विकसित वैक्सीन ‘जायकोव-डी’ के इस्तेमाल की अनुमति

Covid-19 रोधी स्वदेश विकसित वैक्सीन ‘जायकोव-डी’ (ZyCoV-D) के आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति दे दी गयी. ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने इसकी अनुमति 22 अगस्त को दी. इस वैक्सीन को 12 साल से अधिक उम्र के बच्चों को लगाया जा सकेगा.

‘जायकोव-डी’: मुख्य बिंदु

  • ‘जायकोव-डी’,  कोवैक्सीन (covaxin) के बाद देश में दूसरी स्वदेश विकसित वैक्सीन है जिसके आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति दी गई है. इसका विकास भारतीय कंपनी ‘जायडस कैडिला’ (Zydus Cadila) ने किया है. ‘जायकोव-डी’ दुनिया की पहली DNA आधारित कोरोना रोधी वैक्सीन है जिसका विकास भारत के वैज्ञानिकों ने किया है.
  • ‘जायकोव-डी’ शरीर में SARS-CoV-2 वायरस के स्पाइक प्रोटीन का उत्पादन करता है और एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न करता है. इस प्रकार, यह रोग और वायरल निकासी से सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
  • पहले और दूसरे ट्रायल के आधार पर जायकोव-डी 66 प्रतिशत तक असरदार है. यह डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ भी 66 प्रतिशत तक प्रभावी है. इस वैक्सीन को 25 डिग्री सेल्सियस पर तीन महीने के लिए रखा जा सकता है.
लेटेस्ट कर्रेंट अफेयर्स 〉

WHO ने भारत में पाए गये कोरोना वायरस वैरिएंट्स का नाम ‘डेल्टा’ दिया

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना वायरस के वैरिएंट्स (स्ट्रेन) का नामकरण किया है. WHO के मुख्य वैरिएंट्स को आसानी से याद रखने के लिए इसका नाम रखा गया है. WHO ने कोरोना वेरिएंट्स के नामकरण के लिए ग्रीक भाषा के अल्फाबेट्स का इस्तेमाल किया है.

मुख्य बिंदु

भारत में दूसरी लहर के लिए जिम्‍मेदार कोरोना वायरस वैरिएंट B.1.617.2 (Corona Virus Variants B.1.617.2) का नाम ‘डेल्टा’ (Delta Strain) रखा है. वहीं, भारत में ही मिले वायरस के दूसरे स्ट्रेन (B.1.617.1) का नाम ‘कप्पा’ दिया गया है.

WHO ने ब्रिटेन में पाए गये कोरोना वायरस के वैरिएंट का नाम ‘अल्फा’, दक्षिण अफ्रीका में मिले वैरिएंट का नाम ‘बीटा’, अमेरिका में मिले वेरिएंट का नाम ‘एप्सिलॉन’, ब्राजील में मिले स्ट्रेन का नाम ‘गामा’ और फिलीपींस में मिले स्ट्रेन का नाम ‘थीटा’ रखा है.

उल्लेखनीय है कि, कोरोना के B.1.617.2 स्ट्रेन ‘डेल्टा’ को भारतीय वैरिएंट का नाम दिए जाने पर भारत ने कड़ा ऐतराज जताया था. डेल्टा कोरोना वायरस भारत में कोरोना की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार है.

लेटेस्ट कर्रेंट अफेयर्स 〉

DRDO ने कोरोना वायरस एंटीबॉडी डिटेक्शन किट ‘DIPCOVAN’ तैयार की

रक्षा अनुसंधान संगठन (DRDO) ने कोरोना वायरस एंटीबॉडी डिटेक्शन किट तैयार की है. इस किट का नाम ‘DIPCOVAN’ रखा गया है. इस किट ka उपयोग कर SARS-CoV-2 वायरस के साथ-साथ न्यूक्लियोकैप्सिड (S&N) प्रोटीन का भी 97% की उच्च संवेदनशीलता और 99% की विशिष्टता के साथ पता लगाया जा सकता है.

DRDO ने ‘DIPCOVAN’ को दिल्ली स्थित वैनगार्ड डायग्नोस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से विकसित किया गया है. यह किट पूरी तरह स्वदेशी है और इसे यहीं के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है.

भारत ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने ‘DIPCOVAN’ के उपयोग की मंजूरी हाल ही में प्रदान की है. इससे पहले इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने अप्रैल 2021 में इस किट को मान्यता दी थी. अब इस किट की खुले बाजार में बिक्री की जा सकती है. इस किट की कीमत प्रति टेस्ट 75 रुपये के करीब होगी.

DIPCOVAN किट के जरिए किसी व्यक्ति की कोरोना से लड़ने की क्षमता और उसकी पिछली हिस्ट्री (इंसान के शरीर में जरूरी एंटीबॉडी या प्लाज्मा) के बारे में पता लगाने में मदद मिलेगी.

उल्लेखनीय है कि हाल ही में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने ‘कोवीसेल्फ’ नाम की होम टेस्टिंग किट को भी मंजूरी दी है, जो एक रैपिड एंटीजन टेस्ट किट है. इस किट की मदद से लोग घर बैठे खुद ही अपना कोरोना टेस्ट कर सकेंगे.

DRDO की एंटी-कोविड दवा 2-DG

DRDO ने इससे पहले ‘2-DG’ नाम से covid-19 की दवा विकसित की थी. इस दावा का पूरा नाम 2-Deoxy-D-glucose है. इसे डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज के सहयोग से विकसित किया गया है. यह दवा संक्रमित कोशिकाओं में जमा हो जाती है और वायरल को बढने से रोकती है. DGCI ने कोविड-19 के गंभीर रोगियों के लिए इस दवा के आपातकालीन उपयोग की अनुमति दी है.

लेटेस्ट कर्रेंट अफेयर्स 〉

जानिए कौन है वितालिक बुतेरिन जिन्होंने इंडिया कोविड रिलीफ फंड में 1 अरब डॉलर दान किए

ईथेरियम (Ethereum) के सह-संस्थापक कोफाउंडर विटालिक बुटेरिन (Vitalik Buterin) ने भारत के कोविड रिलीफ फंड में 1 अरब (बिलियन) डॉलर की राशि दान में दी है. यह व्यक्तिगत रूप से दिया गया अब तक का सबसे बड़ा दान है.
बुतेरिन ने जो दान दिया है वो क्रिप्टोकरेंसी में है. इनमें 500 इथेर (ETH) सिक्के और 50 ट्रिलियन से ज्यादा शिबा इनु सिक्के (Shiba Inu coin) शामिल हैं.

कौन है वितालिक बुतेरिन?

27 वर्षीय वितालिक बुतेरिन रूस में जन्मे कनाडा के नागरिक हैं. वह क्रिप्टोकरेंसी प्लेटफॉर्म इथेरियम के सह-संस्थापक हैं. बुतेरिन की कुल संपत्ति लगभग 21 बिलियन डॉलर है.

बुतेरिन ने अपने पिता से बिटकॉइन के बारे में जाना. बुतेरिन के पिता एक सॉफ्ट फर्म के मालिक हैं. बुतेरिन ने 17 साल की उम्र में ही बिटकॉइन मैगजीन की शुरुआत कर दी थी. वह यूनिवर्सिटी ऑफ वाटरलू में कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई कर रहे थे लेकिन बाद में पढ़ाई छोड़ दी.

क्रिप्टोकरेंसी की कीमत में काफी उतार चढ़ाव देखने को मिलता है. यही वजह है कि बुतेरिन की संपत्ति में बीते एक सप्ताह में ही एक अरब डॉलर से बढ़कर 21 अरब डॉलर हो गई है.

ईथेरियम (Ethereum) क्या है?

ईथीरियम (Ethereum) एक क्रिप्टोकरेंसी (आभासी मुद्रा) है. इसका निर्माण वितालिक बुतेरिन और गाविन वुड (Gavin Wood) द्वारा किया गया था. ईथेरियम, बिटकॉइन के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी है.

लेटेस्ट कर्रेंट अफेयर्स 〉

SpO2 आधारित ऑक्‍सीकेयर प्रणाली की खरीद की मंजूरी दी गई

सरकार ने SpO2 आधारित ऑक्‍सीकेयर प्रणाली की 1.50 लाख यूनिट की खरीद की मंजूरी दी गई है. इस ऑक्‍सीकेयर को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने विकसित किया है. इस खरीद पर 322 करोड रुपए से अधिक की लागत आएगी जिसका भुगतान पीएम केयर्स निधि से किया जायेगा

SpO2 आधारित ऑक्‍सीजन आपूर्ति प्रणाली क्या है?

  • ऑक्‍सीकेयर, ऑक्‍सीजन सेचुरेशन लेवल यानी SpO2 आधारित ऑक्‍सीजन आपूर्ति प्रणाली है जो रोगियों को दिए जा रहे ऑक्‍सीजन को नियंत्रित करती है. ऑक्‍सीकेयर सिस्टम का उपयोग घरों, पृथकवास केन्‍द्रों, कोविड देखभाल केन्‍द्रों और अस्‍पतालों में किया जा सकता है.
  • ऑक्‍सीकेयर सिस्‍टम व्‍यक्ति को हाईपोक्‍सिया की स्थिति में जाने से बचाता है. हाईपोक्‍सिया की स्थिति मरीज के लिए जानलेवा हो सकती है.
  • इस प्रणाली का विकास DRDO की बेंगलूरू स्थित रक्षा जैव अभियांत्रिकी और इलेक्‍ट्रो मेडिकल प्रयोगशाला (DEBEL) ने किया है. यह प्रणाली अत्‍यधिक उंचाई वाले क्षेत्रों में निरंतर तैनात सैनिकों के लिए विकसित की गई है.
  • स्‍वदेश विकसित यह प्रणाली व्‍यवहारिक और अत्‍यधिक उपयोगी है. इसे कोविड मरीजों के उपचार के लिए प्रभावी रूप से उपयोग किया जा सकता है.
लेटेस्ट कर्रेंट अफेयर्स 〉

कोविड पीड़ितों के उपचार के लिए दवा ‘टू-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज’ के उपयोग को मंजूरी दी गयी

भारतीय औषधि महानियंत्रक (DCGI) ने कोविड पीड़ितों के उपचार के लिए देश में विकसित दवा ‘टू-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज’ (2-Deoxy – D – Glucose) के उपयोग को मंजूरी दी है. इस दवा को संक्षिप्त में 2DG भी कहते हैं. इस दवा को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने विकसित किया है.

यह दवा एक पाउडर के रुप में है जिसे पानी में घोलकर लेना होता है. इसका विकास DRDO की एक प्रयोगशाला नाभिकीय औषधि तथा संबद्ध विज्ञान संस्थान ने डॉ. रेड्डीज लेबॉरेट्रीज के साथ मिलकर किया है.

अब तक के परीक्षणों से पता चला है कि यह दवा कोरोना मरीजों को तेज़ी से स्वस्थ करती है और इसके सेवन से ऑक्सीजन पर निर्भरता भी कम रह जाती है.

2DG क्‍या करता है?

यह दवा ग्‍लूकोज का एक वेरिऐंट है. जब इस दवा को कोरोना के मरीज को दिया हैं तो ये वायरस से ग्रस्‍त कोशिका में ज्‍यादा मात्रा में चला जाता है. जिससे कोरोना वायरस को एनर्जी की जरूरत होती है. पर यह दवा वायरस को एनर्जी नहीं दे पाता. जिससे शारीर में उस वायरस की वृद्धि को नियंत्रित किया जाता है.

लेटेस्ट कर्रेंट अफेयर्स 〉

रूस ने जानवरों के लिए कोरोना वायरस के खिलाफ दुनिया का पहला टीका विकसित किया

रूस ने जानवरों के लिए कोरोना वायरस के खिलाफ दुनिया का पहला वैक्सीन (टीका) विकसित किया है. जानवरों के लिए बनाई गई इस वैक्सीन का नाम ‘कार्निवैक-कोव’ (Carnivac-Cov) है.

जानवरों के लिए कोरोना वैक्सीन कार्निवैक-कोव (Carnivac-Cov) वैक्सीन रूस में पशु चिकित्सा और फाइटोसैनिटरी निगरानी के लिए एक संघीय सेवा रोसेलखोज़नाज़ोर (Rosselkhoznadzor) द्वारा विकसित किया गया है. इस वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल अक्टूबर 2020 में शुरू हुआ था. इसमें कुत्तों, बिल्लियों, आर्कटिक लोमड़ियों, मिंक, लोमड़ियों और अन्य जानवरों को शामिल किया गया था.

ट्रायल के परिणाम में यह बात सामने आई कि वैक्सीन जानवरों के लिए हानिरहित और अत्यधिक प्रतिरक्षात्मक है. जितने जानवरों को टीका लगाया गया था उन सब में कोरोना वायरस के लिए एंटीबॉडी विकसित हुई. टीकाकरण के बाद प्रतिरक्षण छह महीने तक रहता है.

लेटेस्ट कर्रेंट अफेयर्स 〉

DCGI ने COVID-19 के रोगियों के इलाज के लिए ‘विराफिन’ के उपयोग की मंजूरी दी

ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने COVID-19 के रोगियों के इलाज के लिए ‘विराफिन’ (Virafin) के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दी है. इस दवा को कोरोना के मध्यम लक्षण वाले मरीजों के इस्तेमाल के लिए आपातकालीन मंजूरी दी गयी है.

विराफिन: एक दृष्टि

इस दावा की निर्माता कंपनी जाइडस कैडिला ने DCGI से विराफिन दवा के लिए मंजूरी की मांग की थी. विराफिन का जेनेरिक नाम Pegylated Interferon alpha-2b है. यह दवा एक सिंगल डोज दवा है, जिसकी वजह से कोरोना मरीजों के इलाज में काफी हद तक मदद मिलेगी.

ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI)

भारत में किसी दावा के उपयोग की अनुमति DCGI द्वारा दी जाती है. यह केंद्रीय औषधि नियंत्रण संगठन का प्रमुख है. यह संगठन देश में दवाओं और चिकित्सा उपकरणों को नियंत्रित करता है और दवाओं के विनिर्माण, आयात, बिक्री और वितरण के लिए मानक स्थापित करता है.

लेटेस्ट कर्रेंट अफेयर्स 〉