भारत के नए संसद भवन की आधारशिला रखी गयी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 दिसम्बर को नए संसद भवन की आधारशिला रखी. इस संसद भवन का निर्माण नई दिल्ली में संसद मार्ग पर किया जायेगा. नये भवन के निर्माण पर 971 करोड़ रुपए की लागत आएगी. इसके निर्माण का प्रस्‍ताव पिछले वर्ष 5 अगस्‍त‍ को राज्‍यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू और लोकसभा अध्‍यक्ष ओम बिड़ला ने राज्‍यसभा और लोकसभा की कार्यवाही के दौरान रखा था.

देश को आजाद हुए 75 साल होने वाले हैं और देश का संसद भवन अब काफी पुराना हो चुका है. सरकार चाहती है कि जब देश 15 अगस्त 2022 को अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा हो तब सांसद नए संसद भवन में बैठें.

नया भवन त्रिकोणीय आकार का होगा जिसमें लोकसभा परिसर, मौजूदा परिसर से तीन गुना बड़ा होगा और राज्‍यसभा का आकार भी पहले के मुकाबले बड़ा होगा. नए भवन की सज्‍जा भारतीय संस्‍कृति और क्षेत्रीय कला, शिल्‍पतथा वास्‍तुकला के विविध रूपों के अनुरूप होगी.

नए संसद भवन का निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड करेगी

नए संसद भवन का निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड करेगी. संसद भवन के निर्माण के लिए लगाई गई बोली के आधार पर यह कॉन्ट्रैक्ट टाटा को दिया गया था. टाटा ने निर्माण के लिए 861.90 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी. इस बोली में दूसरे स्थान पर रहे लार्सन एंड टुब्रो थे ने 865 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी.

पुराना संसद भवन: एक दृष्टि

मौजूदा संसद की बिल्डिंग का निर्माण ब्रिटिशकाल में किया गया था और यह वृत्‍ताकार है. यह 1911 में बनना शुरू हुआ था और 1927 में इसका उद्घाटन हुआ था. तब अंग्रेजों के शासन के दौर में दिल्ली राजधानी बनी थी.

किंग जॉर्ज पंचम ने भारत की राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करने की घोषणा की थी. पंचम ने नई राजधानी के निर्माण के लिए एडविन लुटियंस को नामित किया था. वर्तमान संसद भवन और राष्ट्रपति भवन को एडविन लुटियंस ने ही डिजाइन किया था.

मध्यप्रदेश के ग्वालियर और ओरछा यूनेस्को की विश्व धरोहर शहरों की सूची में शामिल

मध्यप्रदेश के ऐतिहासिक किला शहर ग्वालियर और ओरछा को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की विश्व धरोहर शहरों की सूची में शामिल किया गया है.

यूनेस्को ने अपने विश्व धरोहर शहर कार्यक्रम (अर्बन लैंडस्केप सिटी प्रोग्राम) के तहत इन दोनों शहरों को विश्व धरोहर शहरों की सूची में शामिल किया है. विश्व धरोहर शहरों की सूची में आने के बाद यूनेस्को, ग्वालियर और ओरछा के ऐतिहासिक स्थलों को बेहतर बनाने तथा उसकी खूबसूरती निखारने के लिए पर्यटन विभाग के साथ मिलकर मास्टर प्लान तैयार करेगा.

इस परियोजना के तहत यूनेस्को इन ऐतिहासिक शहरों के लिए ऐतिहासिक नगरीय परिदृय (HUL) सिफारिशों पर आधारित शहरी विकास के सबसे बेहतर तरीकों और साधनों का पता लगाएगा.

ओरछा
ओरछा का अर्थ है ‘छिपे हुए महल’ है. मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में स्थित ओरछा अपने मंदिरों और महलों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है. ओरछा पूर्ववर्ती बुंदेला राजवंश की 16वीं शताब्दी की राजधानी है. ओरछा, राज महल, जहांगीर महल, रामराजा मंदिर, राय प्रवीन महल, लक्ष्मीनारायण मंदिर एवं कई अन्य प्रसिद्ध मंदिरों और महलों के लिए विख्यात है.

ग्वालियर

ग्वालियर भी मध्य प्रदेश का ऐतिहासिक नगर और प्रमुख शहर है. 9वीं शताब्दी में स्थापित ग्वालियर गुर्जर प्रतिहार राजवंश, तोमर, बघेल, कछवाहों तथा सिंधिया राजवंश की राजधानी रहा है. विश्व धरोहर शहरों की सूची में आने के बाद ग्वालियर के मानसिंह पैलेस, गूजरी महल और सहस्रबाहु मंदिर के अलावा अन्य धरोहरों का रासायनिक रूप से परिशोधन किया जाएगा. इससे दीवारों पर उकेरी गई कला स्पष्ट दिखेगी और उसकी चमक भी बढ़ेगी.

भारत और अमेरिका ने बौद्धिक संपदा अधिकार सहयोग बढ़ाने के समझौते पर हस्ताक्षर किए

भारत और अमेरिका ने बौद्धिक संपदा अधिकार पर आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए सहमति ज्ञापन समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा सृजित कोई संगीत, साहित्यिक कृति, कला, खोज, प्रतीक, नाम, चित्र, डिजाइन, कापीराइट, ट्रेडमार्क, पेटेन्ट आदि बौद्धिक सम्पदा कहा जाता है.

उल्लेखनीय है कि भारत सरकार के केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस साल 19 फरवरी को अमेरिकी पेटेंट और ट्रेडमार्क कार्यालय (USPTO) और भारत के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT) के बीच इस सहमति ज्ञापन के लिए मंजूरी दी थी.

वर्चुअल माध्यम से हुई बैठक में DPIIT के सचिव गुरुप्रसाद मोहपात्रा और USPTO के अध्यक्ष और अमेरिकी वाणिज्य एवं बौद्धिक संपदा अधिकार विभाग के अपर सचिव आंद्रेई इंकू के बीच इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए.

इस समझौते के तहत दोनों देश बौद्धिक संपदा अधिकारों के क्षेत्र की सर्वश्रेष्ठ प्रक्रिया साझा करेंगे और साथ मिलकर प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाएंगे. इसके लिए दोनों पक्ष एक द्विपक्षीय योजना तैयार करेंगे जो इस सहमति ज्ञापन पत्र के प्रावधानों को लागू करने का काम करेगी. इस योजना में विस्तृत सहयोग कार्यक्रम और कार्रवाई करने लायक उपाय शामिल होंगे.

मातृ भाषा में तकनीकी शिक्षा देने की रूपरेखा तैयार करने के लिए कार्यबल का गठन

सरकार ने मातृ भाषा में तकनीकी शिक्षा देने की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक कार्यबल का गठन किया है. शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने यह निर्णय 2 दिसम्बर को एक उच्‍चस्‍तरीय बैठक में लिया. इस बैठक को राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्‍वयन से जुडे मुद्दों पर चर्चा के लिए बुलाया गया था.

उच्‍च शिक्षा सचिव अमित खरे इस कार्यबल के अध्यक्ष होंगे. यह कार्यबल इस संबंध में विभिन्‍न पक्षों से मिले सुझावों पर विचार करने के बाद एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगा.

नई शिक्षा नीति 2020: मुख्य बिंदु…»

भारत ने पेरिस समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए समिति का गठन किया

भारत ने जलवायु परिवर्तन पर 2015 के पेरिस समझौते (AIPA) के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हाल ही में एक शीर्ष समिति का गठन किया है. पेरिस यह समझौता आधिकारिक रूप से 1 जनवरी 2021 से लागू होगा.

इस समिति में 17 सदस्य को शामिल किया गया है जिसमें केंद्र सरकार के 13 प्रमुख मंत्रालयों के सदस्य शामिल होंगे. पर्यावरण सचिव आरपी गुप्ता इस समिति के अध्यक्ष होंगे. यह समिति संबंधित मंत्रालयों की जिम्मेदारियों को परिभाषित करेगी और जलवायु संबंधी लक्ष्यों की निगरानी, ​​समीक्षा और पुनरीक्षण करेगी.

यह समिति पेरिस समझौते के तहत भारत में कार्बन बाजारों को विनियमित करने के लिए एक राष्ट्रीय प्राधिकरण के रूप में काम करेगा. इसके पास पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 5 के तहत उद्योगों या किसी भी संस्था को भारत के लक्ष्यों के अनुरूप क्लीनर प्रयासों के अनुपालन के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की शक्ति होगी.

जानिए क्या है UNFCCC COP और पेरिस समझौता…»

सरकार ने मोटर वाहन एग्रीगेटर के लिए दिशानिर्देश जारी किये

सरकार ने मोटर वाहन एग्रीगेटर के लिए हाल ही में दिशानिर्देश ‘मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइंस 2020’ जारी किये हैं. ये इन दिशानिर्देश को सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी किया गया है. ओला और उबर भारत के मुख्य वाहन एग्रीगेटर कंपनियां हैं.

इन दिशानिर्देशों के माध्यम से एग्रीगेटर के अर्थ को परिभाषित किया है. इसके मुताबिक एग्रीगेटर का अर्थ है – यात्रियों को परिवहन की मंशा के लिए ड्राइवर के साथ जुड़ने के लिए डिजिटल मध्यस्थ या मार्केटप्लेस. एग्रीगेटर की परिभाषा को शामिल करने के लिए ‘मोटर व्हीकल 1988’ को ‘मोटर व्हीकल एक्ट, 2019 से संशोधित किया गया है.

इनका लक्ष्य शेयर्ड मोबिलिटी को रेगुलेट करने के साथ ट्रैफिक और प्रदूषण को कम करना है. एक्ट के तहत एग्रीगेटर द्वारा एकीकृत किए जाने वाले वाहनों में सभी मोटर व्हीकल्स और ई-रिक्शा शामिल होंगे.

सरकार के इन दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि एग्रीगेटर द्वारा कारोबारी संचालन की मंजूरी के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी किया गया लाइसेंस अनिवार्य है. एग्रीगेटर को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा दिए गए दिशा-निर्देश का राज्य सरकारों को पालन करना होगा.

भारत, सिंगापुर और थाईलैंड के बीच त्रिपक्षीय नौसेना अभ्यास SITMEX-20 आयोजित किया गया

भारत, सिंगापुर और थाईलैंड के बीच 21-22 नवम्बर को त्रिपक्षीय नौसेना अभ्यास ‘SITMEX-20’ आयोजित किया गया. इसका आयोजन अंडमान सागर में किया गया था. यह SITMEX का दूसरा संस्करण था. इसका पहला संस्करण 2019 में पोर्ट ब्लेयर में भारतीय नौसेना की मेजवानी में आयोजित किया गया था.

इस अभ्यास की मेजबानी रिपब्लिक ऑफ सिंगापुर नेवी (RSN) ने की थी. भारतीय नौसेना की ओर से स्वदेश निर्मित ASW कार्वेट कमोर्ट और मिसाइल कार्वेट करमुक ने अभ्यास में भाग लिया था.

कोविड-19 प्रतिबंधों के कारण यह अभ्यास ‘समुद्र में नॉन-कांटेक्ट–फॉर्मेट’ में निर्धारित किया गया था. इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य तीनों नौसेनाओं के बीच इंटरओपेराबिलिटी और बहुमुखी समुद्री परिचालन को बढ़ाना था.

SITMEX क्या है?

SITMEX भारत, सिंगापुर और थाईलैंड के बीच वार्षिक नौसैन्य अभ्यास है. जिस अभ्यास में भारतीय नौसेना, रिपब्लिक ऑफ सिंगापुर नेवी (RSN) और रॉयल थाई नेवी (RTN) हिस्सा लेते हैं. इस अभ्यास का आयोजन क्षेत्र में समग्र समुद्री सुरक्षा को बढ़ाने और सामान्य समझ और प्रक्रियाओं को विकसित करने के लिए किया जाता है.

IMO ने भारतीय नेविगेशन सिस्टम को विश्व व्यापी रेडियो नेविगेशन प्रणाली के रूप में मान्यता दी

अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) की समुद्री सुरक्षा समिति (MSC) ने इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (IRNSS) को विश्व व्यापी रेडियो नेविगेशन प्रणाली (WWRNS) के रूप में मान्यता दी है. IMO संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी है जो शिपिंग की सुरक्षा और जहाजों द्वारा समुद्री और वायुमंडलीय प्रदूषण की रोकथाम के लिए जिम्मेदार है.

अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चौथा देश

भारत अपना स्वतंत्र क्षेत्रीय नेविगेशन सिस्टम रखने वाला चौथा देश बन गया है. इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन के पास अपना स्वयं का नेविगेशन सिस्टम था. GPS के विपरीत, हालांकि, IRNSS एक क्षेत्रीय है और वैश्विक नेविगेशन प्रणाली नहीं है.

IRNSS का नाम ‘नाविक’ रखा गया है

इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (IRNSS) को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने विकसित किया है. ये एक क्षेत्रीय स्वायत्त उपग्रह नौवहन प्रणाली है जो पूर्णतया भारत सरकार के अधीन है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका नाम भारत के मछुवारों को समर्पित करते हुए ‘नाविक’ रखा है.

IRNSS नाविक: एक दृष्टि

IRNSS भारत विकसित एक स्वतंत्र क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम है. इसे हिंद महासागर में जहाजों के नेविगेशन में सहायता के लिए सटीक स्थिति सूचना सेवा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. भारत अभी तक इस टेक्नॉलजी के लिए अमेरिका पर आश्रित था.

IRNSS देश की सीमा से 1500 किलोमीटर की दूरी तक के हिस्से में इसके उपयोगकर्ता को सटीक स्थिति की सूचना दे सकता है. यह भारतीय सीमा में लगभग 1500 किमी तक फैले हिंद महासागर में अमेरिका के स्वामित्व वाली ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) की जगह लेगा.

भारत ने नौसेना की स्कॉर्पीन श्रेणी की पांचवीं पनडुब्बी ‘वागिर’ को जलावतरित किया

भारत ने हाल ही में भारतीय नौसेना की स्कॉर्पीन श्रेणी की पांचवीं पनडुब्बी वागिर (Vagir) को जलावतरित किया.

इस पनडुब्बी का नाम ‘वागिर’ हिंंद महासागर में पाई जाने वाली एक शिकारी मछली के नाम पर रखा गया है. पहली वागिर पनडुब्बी रूस से आई थी. उसे 3 दिसंबर 1973 को नौसेना में शामिल किया गया था और 7 जून 2001 को सेवामुक्त कर दिया गया था.

वागिर पनडुब्बी: एक दृष्टि

वागिर स्कॉर्पीन श्रेणी की छह पनडुब्बियों में से पांचवीं पनडुब्बी है, जिनका निर्माण भारत में किया जा रहा है. इस श्रेणी की पहली पनडुब्बी कलवरी है. अन्य तीन पनडुब्बियां खंडेरी, करंज व वेला हैं, जबकि छठी वागशीर को भी जल्द लांच किया जाएगा.

इस श्रेणी की पनडुब्बियों को फ्रांसीसी नौसेना एवं ऊर्जा कंपनी DCNS ने डिजाइन किया है. इनका निर्माण भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट-75 के अंतर्गत ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत किया जा रहा है.

यह पनडुब्बी सतह व पनडुब्बी रोधी युद्ध, खुफिया सूचना एकत्र करने, सुरंग बिछाने व निगरानी में सक्षम है. यह दुश्मन के रडार को आसानी से चकमा दे सकती है.

NGT ने दिल्ली और NCR में पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर प्रतिबन्ध लगाया

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने दिल्ली समेत पूरे NCR में पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर प्रतिबन्ध लगा दिया है. यह प्रतिबन्ध 10 नवम्बर से 30 नवंबर तक रहेगा. बढ़ते प्रदूषण और कोरोना को देखते हुए यह फैसला लिया गया है. NGT का यह आदेश देश के उन सभी शहरों में भी लागू होगा जहां पिछले साल नवंबर में वायु की गुणवत्ता ‘खराब’ (poor) श्रेणी या इससे ऊपर की श्रेणी तक चला गया था.

ऐसा शहर जहाँ नवंबर 2019 में वायु की गुणवत्ता ‘मध्यम’ (moderate) यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 51-100 के बीच था, तो प्रदूषण रहित पटाखे बेचे और चलाए जा सकते हैं. लेकिन, दिवाली और छठ पर सिर्फ 2 घंटे की छूट मिलेगी. यह 2 घंटे राज्य सरकारों की तरफ से तय समय के मुताबिक होंगे.

एयर क्वालिटी इंडेक्स क्या है?

एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) वायु की गुणवत्ता को बताता है. इसमें बताया जाता है कि वातावरण में मौजूद हवा में किन गैसों की कितनी मात्रा घुली हुई है. इस इंडेक्स में 6 कैटेगरी बनाई गई हैं.

AQIश्रेणी
0-50अच्छी
51-100ठीक (मॉडरेट)
101-150सेंसेटिव लोगों की सेहत के लिए खराब
151-200सभी की सेहत के लिए खराब
201-300सेहत के लिए बहुत खराब
301-500खतरनाक

जहाजरानी मंत्रालय का नाम बदलकर अब मिनिस्ट्री ऑफ पोर्ट्स, शिपिंग और वाटरवेज किया गया

सरकार ने जहाजरानी यानी शिपिंग मंत्रालय (Shipping Ministry) का नाम बदलकर ‘बंदरगाह, जहाजरानी एवं जलमार्ग मंत्रालय’ (Ministry of Ports, Shipping and Waterways) कर दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए नाम की घोषणा 8 नवम्बर को की.

सरकार ने हाल ही में मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय और कृषि मंत्रालय का नाम कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय (Ministry of Agriculture & Farmers Welfare) किया था.

सूरत में रो-पैक्स फेरी सेवा की शुरुआत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए नाम की घोषणा सूरत में हजीरा और भावनगर जिले के घोघा के बीच रो-पैक्स फेरी सेवा की शुरुआत करने के दौरान की. इस रो-पैक्स सर्विस से दोनों जगहों के बीच सड़क यात्रा की 370 किलोमीटर की दूरी जल मार्ग के जरिए 90 किलोमीटर कम हो जाएगी. इस सर्विस से लगभग 9,000 लीटर प्रति दिन की काफी बचत होगी

रो-पैक्स फेरी वीसल ‘वोयेज सिम्फनी’ DWT 2500-2700 MT, 12000 से 15000 GT विस्थापन के साथ एक तीन मंजिला जहाज है. इसकी मुख्य डेक की भार क्षमता 30 ट्रक, ऊपरी डेक की 100 यात्री कार और यात्री डेक की क्षमता 500 यात्रियों और 34 क्रू और कर्मचारियों की है.

भारत ने पिनाका रॉकेट प्रणाली का सफल परीक्षण किया

भारत ने 4 नवम्बर को पिनाका रॉकेट प्रणाली के उन्नत संस्करण (पिनाका MK-II) का सफल परीक्षण किया. रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (DRDO) ने यह परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर से किया.

पिनाका रॉकेट प्रणाली: एक दृष्टि

पिनाका रॉकेट प्रणाली के उन्नत संस्करण मौजूदा पिनाका MK-I का स्थान लेंगे. यह रॉकेट अत्याधुनिक दिशासूचक प्रणाली से लैस है जिसके कारण यह सटीकता से लक्ष्य की पहचान कर उसपर निशाना साधता है.

पिनाका MK-I रॉकेट की मारक क्षमता करीब 37 किलोमीटर जबकि पिनाका MK-II की सीमा 60 किमी है.
इसका डिजाइन और विकास DRDO प्रयोगशाला, आयुध अनुसंधान एवं विकास स्थापना (ARDI) और हाई एनर्जी मैटेरियल रिसर्च लेबोरेटरी (HEMRL) ने किया है.