सरकार ने चुनावी खर्च की सीमा में 10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की घोषणा की

सरकार ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव के प्रत्याशियों को चुनावी खर्च की सीमा में 10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की घोषणा की है. केंद्रीय कानून मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना के बाद यह बढ़ोत्तरी तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है.

इस घोषणा के तहत अब लोकसभा चुनावों में अधिकतम 77 लाख तक और विधानसभा चुनाव में अधिकतम 30.80 लाख रुपये तक खर्च की सीमा तय की गयी है. अभी तक खर्च की यह सीमा लोकसभा में अधिकतम 70 लाख रुपए तक और विधानसभा में 28 लाख रुपये तक की थी.

भारतीय निर्वाचन आयोग ने COVID-19 के कारण सरकार से चुनावी खर्च की सीमा में बढ़ोत्तरी का सुझाव दिया था. इससे पहले चुनावी खर्च सीमा में यह बढ़ोत्तरी 2014 में की गई थी.

कुछ छोटे राज्यों व केंद्र शासित क्षेत्र में बढ़ोतरी नहीं

चुनावी खर्च सीमा में की गई इस बढोत्तरी को अरुणाचल प्रदेश, गोवा, सिक्किम, पुंडुचेरी, अंडमान निकोबार, दादर नगर हवेली और दमन दीव, लक्षद्वीप, लद्दाख जैसे कुछ छोटे राज्यों व केंद्र शासित क्षेत्र में लागू नहीं किया गया है. यहाँ लोकसभा चुनाव में 59.40 लाख और विधानसभा चुनाव में 22 लाख रुपये तक की राशि तय की गयी है.

इसके साथ ही उत्तर-पूर्व के मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम, मणिपुर, नगालैंड जैसे राज्यों में लोकसभा में तो खर्च की सीमा को 77 लाख ही रखा गया है, लेकिन विधानसभा चुनावों में खर्च की सीमा को 22 लाख रुपए रखा है.

भारत ने नाग एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल का परीक्षण किया

भारत ने 22 अक्टूबर को नाग एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (Nag Anti-Tank Guided Missile) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया. यह परीक्षण राजस्थान के पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में किया गया.

नाग एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने विकसित किया है. इस मिसाइल का नवीनतम संस्करण बड़े टैंक्स को भी किसी भी मौसम में निशाना बना सकती है. इसकी मारक क्षमता 20 किमी तक की है.

इस मिसाइल में इंफ्रारेड का उपयोग कर लॉन्च से पहले टारगेट को लॉक किया जाता है. इसके बाद नाग अचानक ऊपर उठती है और फिर तेजी से टारगेट के एंगल पर मुड़कर उसकी ओर चल देती है.

इससे पहले भी नाग मिसाइल के कई परीक्षण किये जा चुके हैं. हर बात कुछ नया इसमें जोड़ा जाता रहा है. साल 2017, 2018 और 2019 में अलग-अलग तरीके की नाग मिसाइलों का परीक्षण हो चुका है.

भारत ने स्टैंड-ऑफ एंटी-टैंक ‘SANT’ मिसाइल का सफल परीक्षण किया

भारत ने स्टैंड-ऑफ एंटी-टैंक (SANT) मिसाइल का सफल परीक्षण किया है. यह परीक्षण 19 अक्टूबर को ओडिशा तट की इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (ITR) से किया गया. यह मिसाइल विकास रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने किया है.

SANT एंटी-टैंक मिसाइल, हेलीकॉप्टर लॉन्चेड नाग (HeliNa) का उन्नत संस्करण है. यह वायु-से-सतह पर मार करने वाली मिसाइल है.

भारत द्वारा किये गये हाल के परीक्षण

  • 18 अक्टूबर को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के नौसेना संस्करण का परीक्षण स्वदेश निर्मित INS चेन्नई से किया गया.
  • 16 अक्टूबर को ओडिशा तट स्थित परीक्षण रेंज से परमाणु-सक्षम पृथ्वी-2 मिसाइल का रात में परीक्षण सफलतापूर्वक किया. द्रव्य ईंधन द्वारा चालित पृथ्वी-2 की रेंज 250 किलोमीटर है. सतह से सतह पर मार करने वाली यह भारत की पहली स्वदेशी रणनीतिक मिसाइल है.
  • 10 अक्टूबर को भारत ने अपनी पहली स्वदेशी एंटी रेडिएशन मिसाइल रुद्रम-1 का सफल परीक्षण किया. यह जमीन पर दुश्मन के राडार का पता लगा सकती है.
  • 5 अक्टूबर को स्वदेशी SMART टारपीडो प्रणाली का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया. यह टारपीडो रेंज से परे एंटी-सबमरीन वारफेयर (ASW) के संचालन के लिए आवश्यक है.
  • 3 अक्टूबर को भारत ने ओडिशा तट से परमाणु-सक्षम शौर्य मिसाइल के नए संस्करण का सफल परीक्षण किया.
  • 1 अक्टूबर को लेजर-गाइडेड एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) महाराष्ट्र के अहमदनगर में एक MBT अर्जुन टैंक से दागी गई.
  • 30 सितंबर को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की एक्सटेंडेड रेंज का परीक्षण किया गया.
  • 22 सितंबर को ABHYAS – हाई-स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट (HEAT) व्हीकल्सः का ओडिशा के तट से परीक्षण किया गया.
  • 7 सितंबर को स्वदेशी रूप से विकसित हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्सट्रेटर व्हीकल (HSTDV) का परीक्षण ओडिशा के तट से किया गया.

स्‍कूली शिक्षा में सूधार के लिए विश्व बैंक द्वारा समर्थित STARS परियोजना को मंजूरी दी गयी

सरकार ने हाल ही में STARS परियोजना को मंजूरी दी है. यह मंजूरी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दी. इस परियोजना की कुल लागत 5,718 करोड़ रुपए है, जिसे विश्व बैंक के सहयोग से पूरा किया जायेगा.

STARS परियोजना क्या है?

STARS का पूरा रूप Strengthening Teaching-Learning and Results for States है. यह भारतीय स्कूल शिक्षा प्रणाली में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए ‘स्‍कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग’, शिक्षा मंत्रालय के तहत केन्‍द्र सरकार की एक नई परियोजना है. यह कार्यक्रम भारत सरकार द्वारा विश्वबैंक के सहयोग से चलाया जा रहा है.

STARS परियोजना के मुख्य बिंदु:

  • STARS परियोजना की कुल लागत 5,718 करोड़ रुपए में लगभग 3700 करोड़ रुपए की सहायता राशि विश्व बैंक से प्राप्त होगी.
  • ‘स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग’ के तहत एक स्वतंत्र और स्वायत्त संस्थान के रूप में ‘परख’ (PARAKH) नामक ‘राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र’ की स्थापना की जाएगी. ‘परख’, ‘नई शिक्षा नीति (NEP)-2020’ में प्रस्तावित मूल्यांकन सुधारों में से एक है.
  • यह परियोजना 6 राज्यों- हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, केरल और ओडिशा में चलायी जाएगी. 15 लाख स्कूलों में पढ़ रहे छह से 17 वर्ष तक की उम्र के 25 करोड़ विद्यार्थी तथा एक करोड़ से अधिक शिक्षक इस कार्यक्रम से लाभान्वित होंगे.

भारत ने ‘रुस्‍तम-2’ ड्रोन का सफल परीक्षण किया

भारत ने हाल ही में ‘रुस्‍तम-2’ ड्रोन का सफल परीक्षण किया है. यह परीक्षण कर्नाटक के चित्रदुर्गा में किया गया. परीक्षण में यह 16 हजार फीट की ऊंचाई पर लगातार 8 घंटे तक उड़ान भरता रहा. इसके बावजूद उसमें एक घंटे उड़ने के लिए काफी ईंधन बच गया था.

‘रुस्‍तम-2’ ड्रोन को डिफेंस रिसर्च ऐंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) ने विकसित किया है. यह एक मध्यम ऊंचाई का ड्रोन है. 2020 के आखिर तक इस प्रोटोटाइप के 26,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ने की क्षमता हासिल कर लेने की उम्‍मीद है. इसका फ्लाइट टाइम भी बढ़कर 18 घंटे करने पर काम हो रहा है.

रुस्‍तम-2 मिशन की जरूरत के हिसाब से अलग-अलग तरह के पेलोड्स ले जा सकता है. इस ड्रोन के साथ सिंथेटिक अपर्चर रडार, इलेक्‍ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सिस्‍टम और सिचुएशनल अवेयरनेस सिस्‍टम भेजा जा सकता है. इसमें एक सैटेलाइट कम्‍युनिकेशन लिंक भी है जो युद्ध की स्थिति में हालात की जानकारी रियल टाइम में दे सकता है.

भारत सरकार इजरायली ड्रोन्‍स ‘हेरान’ की पूरी फ्लीट को अपग्रेड करना चाहती है. इस ड्रोन्‍स में हवा से जमीन में मार करने वाली मिसाइल और लेजर गाइडेड बम लगाए जाएंगे. इसके अलावा एक सैटेलाइट लिंक भी लगाया जाएगा ताकि इन्‍फॉर्मेशन पहुंचने में देरी न हो. DRDO का मकसद रुस्‍तम-2 को इजरायल के हेरॉन UAV की टक्‍कर का ड्रोन बनाना है.

भारत ने पहली स्‍वदेशी ऐंटी-रेडिएशन मिसाइल ‘रूद्रम-1’ का सफल परीक्षण किया

भारत ने पहली स्‍वदेशी ऐंटी रेडिएशन मिसाइल ‘रूद्रम-1’ (RUDRAM-1) का सफल परीक्षण किया है. परीक्षण में इस मिसाइल को फाइटर एयरक्राफ्ट सुखोई-30 से छोड़ा गया. यह मिसाइल टेस्‍ट भारतीय वायुसेना के लिए था.

रूद्रम ऐंटी-रेडिएशन मिसाइल को डिफेंस रिसर्च ऐंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) ने विकसित किया है. यह देश की पहली न्‍यू जेनेरेशन ऐंटी रेडिएशन मिसाइल (NGARM) है. फिलहाल इसे सुखोई एयरक्राफ्ट से छोड़ा जा सकता है. मगर इसे जगुआर, मिराज 2000 और तेजस के साथ लॉन्‍च करने लायक भी बनाया जा रहा है.

ऐंटी रेडिएशन मिसाइल (NGARM) क्‍या है?

ऐंटी रेडिएशन मिसाइलों में सेंसर्स लगे होते हैं जो रेडिएशन का सोर्स ढूंढते हुए उसके पास जाते हैं और प्रहार करते हैं. इसका उपयोग मुख्य रूप से दुश्‍मन के कम्‍युनिकेशन सिस्‍टम को ध्‍वस्‍त करने के लिए किया जाता है. ये दुश्‍मन के रडार, जैमर्स और बातचीत के लिए इस्‍तेमाल होने वाले रेडियो के खिलाफ भी उपयोग हो सकती हैं. ये मिसाइलें अचानक आने वाली जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के खिलाफ भी छोड़ी जा सकती हैं.

रूद्रम 100 किलोमीटर की दूर से पता लगा सकती है कि रेडियो फ्रीक्‍वेंसी कहां से आ रही है. इसकी मदद से जमीन पर मौजूद दुश्‍मन के रडार को ध्‍वस्‍त किया जा सकता है. यह मिसाइल 100 से 250 किलोमीटर की रेंज में किसी भी टारगेट को ध्‍वस्‍त कर सकती है. यह मिसाइल की लंबाई करीब 5.5 मीटर है और वजन 140 किलो है.

भारतीय तटरक्षक दल के सातवें गश्तीदल ‘विग्रह’ का अनावरण किया गया

भारतीय तटरक्षक दल के सातवें गश्तीदल ‘विग्रह’ का 6 अक्टूबर को औपचारिक रूप से अनावरण किया गया. इसका अनावरण चेन्नई के कट्टूपल्ली बंदरगाह में किया गया. मार्च 2021 में इसे भारतीय तटरक्षक दल में शामिल किया जाएगा.

अत्याधुनिक नौवहन एवं संचार उपकरणों से लैस यह पोत भारतीय तटीय सीमाओं की निगरानी बढ़ाने में मदद करेगा. विग्रह पोत का इस्तेमाल समुद्री सीमा की निगरानी, तस्करों की धरपकड़ और गैरकानूनी गतिविधियों की रोकथाम के लिए किया जायेगा.

‘विग्रह’ का विकास लार्सन एंड टूब्रो लिमिटेड (एलएंडटी) ने किया है. इसकी लंबाई 98 मीटर और चौडाई 15 मीटर है. विग्रह एलएंडटी द्वारा विकसित सातवां और इस श्रृंखला का अंतिम पोत है. इसके लिए 2015 में रक्षा मंत्रालय के साथ 1432 करोड़ रुपये का करार हुआ था. इसकी अधिकतम रफ्तार 26 नॉट्स है और यह एक बार में बिना रुके 10,000 किलोमीटर की यात्रा पर जा सकता है.

इससे पहले, एलएंडटी ने आइसीजीएस विक्रम, आइसीजीएस विजया, आइसीजीएस वीरा, आइसीजीएस वराह, आइसीजीएस वरड और आइसीजीएस वज्र का भी निर्माण किया है.

भारत ने सुपरसोनिक ऐंटी-शिप मिसाइल SMART का सफल परीक्षण किया

भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने 5 अक्टूबर को सुपरसोनिक ऐंटी-शिप मिसाइल SMART का सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण ओडिशा के वीलर कोस्‍ट से किया गया.

क्‍या है SMART?

SMART का पूरा नाम Supersonic Missile Assisted Release of Torpedo है. यह एक तरह की सुपरसोनिक ऐंटी-शिप मिसाइल है. इसके साथ एक कम वजन का टॉरपीडो लगा है जो पेलोड की तरह इस्‍तेमाल होता है. दोनों मिलकर इसे एक सुपरसोनिक ऐंटी-सबमरीन मिसाइल बना देते हैं. यानी इसमें मिसाइल के साथ पनडुब्‍बी नष्‍ट करने की क्षमता होती है.

इस वेपन सिस्‍टम की रेंज 650 किलोमीटर होगी. ऐंटी-सबमरीन वारफेयर में यह तकनीक भारतीय नौसेना की ताकत को कई गुना बढ़ा सकती है.

भारत और बांग्लादेश की नौसेना के बीच द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास ‘बोंगोसागर’ का आयोजन

भारत और बांग्लादेश की नौसेना के बीच 3-5 अक्टूबर को द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास ‘बोंगोसागर’ आयोजित किया गया. इसका आयोजन बंगाल की खाड़ी में किया गया था. यह ‘बोंगोसागर’ नौसैनिक अभ्यास ‘बोंगोसागर’ का दूसरा संस्करण था. इस अभ्यास का उद्देश्य दोनों देशों के बीच मैत्री बढाना और संयुक्त परिचालन कौशल विकसित करना था.

इस अभ्यास के दौरान दोनों नौसेनाओं ने सतह युद्ध अभ्यास, नाविक कला विकास और हेलीकॉप्टर संचालन का अभ्यास किया. इसके अलावा दोनों देशों के नौसेनाए अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (IMBL) के साथ संयुक्त रूप से गश्त में हिस्सा लिया.

बोंगोसागर नौसैनिक अभ्यास: एक दृष्टि

बोंगोसागर नौसैनिक अभ्यास का आयोजन भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्येक वर्ष बंगाल की खाड़ी में किया जाता है. यह समुद्री अभ्यास 2019 में शुरू हुआ था.

हिमाचल प्रदेश में दुनिया की सबसे लंबी सुरंग ‘अटल सुरंग’ का उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 अक्टूबर को हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में दुनिया की सबसे लंबी हाईवे सुरंग का उद्घाटन किया. इस सुरंग के खुल जाने की वजह से मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किलोमीटर कम हो गई.

रोहतांग दर्रे के नीचे यह ऐतिहासिक सुरंग बनाने का निर्णय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में तीन जून 2000 में लिया गया था. इसकी आधारशिला 26 मई 2002 को रखी गयी थी. सेरी नाला फाल्ट जोन में 587 मीटर क्षेत्र में सुरंग बनाने का काम सबसे चुनौतीपूर्ण था.

प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने इस सुरंग का नाम रोहतांग सुरंग के बजाय अटल सुरंग रखने को मंजूरी दी. इसके निमार्ण पर 3200 करोड़ रूपये की लागत आई है.

इस सुरंग के दोनों द्वारों पर बैरियर लगे हैं. आपात स्थिति में बातचीत के लिए हर 150 मीटर पर टेलीफोन और हर 60 मीटर पर अग्निशमन यंत्र लगे हैं. घटनाओं का स्वत पता लगाने के लिए हर ढाई सौ मीटर पर सीसीटीवी कैमरा और हर एक किलोमीटर पर वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली लगी है.

दुनिया में सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग

  • अटल सुरंग दुनिया में सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग है. इसकी लंबाई 9.02 किलोमीटर है. यह मनाली को लाहौल स्पीति घाटी से जोड़ती है.
  • इस सुरंग के शुरू हो जाने के बाद यहाँ का आवागमन हमेशा जारी रहेगा. पहले घाटी छह महीने तक भारी बर्फबारी के कारण शेष हिस्से से कटी रहती थी.
  • सुरंग को हिमालय के पीर पंजाल की पर्वत श्रृंखलाओं के बीच अत्याधुनिक विशिष्टताओं के साथ समुद्र तल से करीब तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर बनाया गया है.
  • अटल सुरंग का दक्षिणी पोर्टल मनाली से 25 किलोमीटर की दूरी पर 3060 मीटर की ऊंचाई पर बना है जबकि उत्तरी पोर्टल 3071 मीटर की ऊंचाई पर लाहौल घाटी में तेलिंग, सीसू गांव के नजदीक स्थित है.
  • घोड़े की नाल के आकार वाली दो लेन वाली सुरंग में आठ मीटर चौड़ी सड़क है और इसकी ऊंचाई 5.525 मीटर है.
  • अटल सुरंग की डिजाइन प्रतिदिन तीन हजार कार और 1500 ट्रक के लिए तैयार की गई है जिसमें वाहनों की अधिकतम गति 80 किलोमीटर प्रति घंटे होगी.
  • यह सुरंग सियाचिन ग्लेशियर और अक्साई चिन में स्थित सैन्य उप क्षेत्र को आपूर्ति करने के लिए मार्ग प्रदान करता है.
  • अटल सुरंग का निर्माण सीमा सड़क संगठन (BRO) ने किया है. BRO रक्षा मंत्रालय के तहत काम करता है.

भारत ने शौर्य मिसाइल ने नए वर्जन का सफल परीक्षण किया

भारत ने 3 अक्टूबर को शौर्य मिसाइल ने नए वर्जन का सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण ओडिशा के बालासोर से किया गया. यह मिसाइल संचालन में हल्का व आसान है. यह मौजूदा मिसाइल सिस्टम को मजबूत करेगा.

शौर्य मिसाइल: एक दृष्टि

  • जमीन से जमीन पर मार करने वाला यह बैलेस्टिक मिसाइल परमाणु क्षमता से लैस है. यह मिसाइल 800 किलोमीटर दूर तक टारगेट को तबाह कर सकता है.
  • मौजूदा मिसाइलों के मुकाबले यह हल्का है और इस्तेमाल भी आसान है. टारगेट की ओर बढ़ते हुए अंतिम चरण में यह हाइपरसोनिक स्पीड हासिल कर लेता है.
  • शौर्य मिसाइल का पहला परीक्षण 2008 में ओडिशा के चांदीपुर समेकित परीक्षण रेंज से किया गया था. इसके बाद सितंबर 2011 में इसका दूसरा परीक्षण किया गया था. पहले इसकी क्षमता 750 किलोमीटर दूर तक हथियार ले जाने की थी.

भारत ने हाल ही में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का भी सफल परीक्षण किया था, जो 400 किमी दूर तक टारगेट को हिट कर सकता है जो पिछले मिसाइल की क्षमता से 100 किलोमीटर अधिक है.

भारत ने स्वदेशी बूस्टर युक्त सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का सफल किया

भारत ने 30 सितम्बर को सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का सफल किया. इस परीक्षण में स्वदेशी बूस्टर और एयरफ्रेम सेक्शन सहित कई स्वदेशी उप-प्रणालियों युक्त ब्रह्मोस के सतह से सतह तक मार करने वाली वर्जन का परीक्षण किया गया. यह परीक्षण ओडिशा में ITR, बालासोर से किया गया.

ब्रह्मोस मिसाईल: महत्वपूर्ण तथ्यों पर एक दृष्टि

  • ब्रह्मोस के महानिदेशक डॉक्‍टर सुधीर कुमार हैं.
  • ब्रह्मोस एक कम दूरी की सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है.
  • 9 मीटर लंबी इस मिसाइल का वजन लगभग 3 टन है. यह मिसाइल ठोस ईंधन से संचालित होती है.
  • यह दुनिया की सबसे तेज मिसाइल है. यह ध्‍वनि से 2.9 गुना तेज (करीब एक किलोमीटर प्रति सेकेंड) गति से 14 किलोमीटर की ऊँचाई तक जा सकता है.
  • इस मिसाइल की मारक क्षमता 290 किलोमीटर है जिसे अब 400 किलोमीटर तक बढ़ाया जा सकता है.
  • ब्रम्‍होस का विकास भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और रूस के एनपीओ के संयुक्‍त उद्यम ने किया है.
  • ब्रह्मोस के संस्करणों को भूमि, वायु, समुद्र और जल के अंदर से दागा जा सकता है.
  • इसका पहला परीक्षण 12 जून 2001 को किया गया था.
  • इस मिसाइल का नाम दो नदियों को मिलाकर रखा गया है जिसमें भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्क्वा नदी शामिल है.
  • जमीन और नौवहन पोत से छोड़ी जा सकने बाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाईल पहले ही भारतीय सेना और नौसेना में शामिल की जा चुकी है. इस सफल परीक्षण के बाद ये मिसाइल सेना के तीनों अंगों का हिस्सा बन जायेगी.

सुखोई लड़ाकू विमान से गाइडेड बम छोड़ने का सफल परीक्षण

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने 24 मई 2019 को सुखोई लड़ाकू विमान (SU-30 MKI) से 500 किलोग्राम श्रेणी के एक गाइडेड बम छोड़ने का सफल परीक्षण किया था.