भूटान में भीम-UPI भुगतान प्रणाली की शुरुआत

भूटान में भीम-UPI भुगतान प्रणाली की शुरुआत हुई है. इसकी शुरुआत केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भूटान के वित्त मंत्री के साथ संयुक्त रूप से की. इससे भूटान की यात्रा करने वाले भारत के पर्यटकों और व्यापारियों को लाभ होगा.

यह भुगतान प्रणाली एनपीसीआई इंटरनेशनल पेमेंट्स लिमिटेड (NIPL), भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) की अंतर्राष्ट्रीय शाखा, भूटान की रॉयल मॉनीटरी अथॉरिटी (RMA) के साथ साझेदारी में शुरू की गई थी.

भूटान अपने QR कोड (Quick Response) हेतु UPI मानकों को अपनाने वाला पहला देश है. व्यापारिक स्थलों पर BHIM-UP स्वीकृति प्राप्त करने वाला सिंगापुर के बाद यह दूसरा देश भी है.

भूटान एकमात्र ऐसा देश बन गया है जो रुपे कार्ड (RuPay Cards) जारी करने और स्वीकार करने के साथ-साथ भीम-यूपीआई को भी स्वीकार करेगा.

BHIM-UPI क्या है?

BHIM-UPI, Bharat Interface for Money-Unified Payments Interface का संक्षिप्त रूप है. इसे भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) द्वारा विकसित किया गया है. यह मोबाइल फोन के माध्यम से सीधे बैंक के माध्यम से ई-भुगतान भुगतान प्रणाली है.

रुपे कार्ड क्या है?

रुपे (RuPay) भारत में अपनी तरह का पहला घरेलू डेबिट और क्रेडिट कार्ड भुगतान नेटवर्क है. इस कार्ड का उपयोग सिंगापुर, भूटान, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), बहरीन और सऊदी अरब में लेन-देन के लिये भी किया जा सकता है.

भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम

यह एक गैर-लाभकारी संगठन है, जिसका उद्देश्य भारत में संपूर्ण बैंकिंग प्रणाली को भौतिक और इलेक्ट्रॉनिक भुगतान के लिये बुनियादी ढाँचा तथा निपटान प्रणाली प्रदान करना है.

विदेश मंत्री डॉक्‍टर एस जयशंकर की ग्रीस यात्रा

विदेश मंत्री डॉक्‍टर एस जयशंकर 25-26 जून को ग्रीस की यात्रा पर थे. इस यात्रा के दौरान उन्होंने ग्रीस के प्रधानमंत्री कीरियाकोस मित्सोताकिस और विदेशमंत्री निकोस डेनडियास से वार्ता की. इस वार्ता में दोनों देशों ने अनेक क्षेत्रों में सहयोग जारी रहने पर संतोष प्रकट किया. इनमें व्यापार और निवेश, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, संस्‍कृति, शिक्षा और लोगों के बीच संपर्क के क्षेत्र शामिल हैं.

डॉक्‍टर एस जयशंकर की ग्रीस यात्रा के मुख्य बिंदु

  • दोनों देशों के बीच अगले दौर के विचार-विमर्श और संयुक्‍त व्‍यापार समिति की शीघ्र ही वार्ता पर भी सहमति हुई.
    हिंद-प्रशांत क्षेत्र सहित नई भौगोलिक-राजनीतिक और आर्थिक वास्‍तविकताओं के संदर्भ में आपसी हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की.
  • ग्रीस के विदेश मंत्री ने अंतरराष्‍ट्रीय सौर गठजोड़ संबंधी समझौते पर हस्‍ताक्षर किए और उसे विदेश मंत्री एस. जयशंकर को सौंपा.
  • दोनों देश इस बात पर भी सहमत हुए कि अक्षय ऊर्जा को ऊर्जा आपूर्ति का महत्‍वपूर्ण अंग बनाने के लिए संबंधित सरकारों के ऊर्जा लक्ष्‍य हासिल करने के लिए दोनों देश एक-दूसरे की सहायता करेंगे.
  • डॉक्‍टर जयशंकर ने एथेंस में महात्‍मा गांधी की प्रतिमा का भी अनावरण किया.
  • विदेश मंत्री ग्रीस के बाद इटली भी जाएंगे जहां वे जी-20 समिट के लिए आयोजित मंत्री स्‍तरीय बैठक में भाग लेंगे.

भारतीय नौसेना और वायुसेना का अमरीकी नौसेना के कैरियर स्ट्राइक ग्रुप के साथ संयुक्त अभ्यास

भारतीय नौसेना और वायुसेना का अमरीकी नौसेना के कैरियर स्ट्राइक ग्रुप के साथ 23-24 जून को पैसेज नेवल अभ्यास (Passage Naval Exercise) आयोजित किया गया था. इसका आयोजन त्रिवेंद्रम के समीप हिंद महासागर में किया गया था. यह संयुक्त अभ्यास अमेरिका के साथ ‘स्ट्रैटेजिक आउटरीच एक्सरसाइज’ का हिस्सा था.

इस अभ्यास में भारतीय नौसेना के जहाज- कोच्चि और तेग के साथ P-8I तथा मिग-29 लड़ाकू विमान ने हिस्सा लिया. अमेरिका ने अपने नौसेना के करियर स्ट्राइक ग्रुप में रोनल्ड रीगन विमानवाहक पोत को शामिल किया था.

इस संयुक्त अभ्यास का उद्देश्य आपसी रिश्तों को मजबूत करना, समुद्री क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देना था. इसमें अमरीकी नौसेना और भारतीय नौसेना क्रॉस-डेक हेलिकॉप्‍टर संचालन और पनडुब्बी भेदी अभ्यास किया.

हिन्द महासागर की व्यापक शांति के लिए अभ्यास

दक्षिण चीन सागर में विवाद की वजह से हिन्द महासागर की व्यापक शांति को भी बार-बार खतरा उत्पन्न होता रहा है. इस खतरे को दूर करने के मकसद से भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया एक साथ आए हैं. इन देशों के समूह को क्‍वाड के नाम से जाना जाता है.

भारत और यूरोपीय संघ के बीच नौसैनिक अभ्यास ‘EU NAVFOR’ आयोजित किया गया

भारत और यूरोपीय संघ के तीन देशों के बीच 19-20 जून को नौसैनिक अभ्यास ‘EU NAVFOR’ आयोजित किया गया था. इस अभ्यास का आयोजन अदन की खाड़ी में किया गया था जिसमें भारत के साथ इटली, स्पेन व फ्रांस की नौसेनाओं ने हिस्सा लिया. इसका उद्देश्य प्रमुख जलमार्गों में परिचालन संबंधी अंतर-क्षमता में सुधार और शांति, सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देना था.

चार नौसेनाओं के पांच युद्धपोत इस संयुक्त नौसैनिक अभ्यास में भाग लिया. इसमें उन्नत वायु रक्षा और पनडुब्बी रोधी अभ्यास के अलावा खोज और बचाव मिशन शामिल थे. भारतीय नौसेना ने अभ्यास में अपने युद्धपोत INS त्रिकंद को तैनात किया है. फ्रांस ने अपने दो युद्धपोत भेजे थे.

अभ्यास में आधुनिक वायु रक्षा और पनडुब्बी रोधी अभियाओं के अलावा ‘क्रॉस डेक’ हेलीकॉप्टर परिचालन, ‘बोर्डिंग’ परिचालन, खोज और बचाव और अन्य समुद्री सुरक्षा अभियान शामिल थे.

EU NAVFOR क्या है?

EU NAVFOR, The European Union Naval Force का संक्षिप्त रूप है. यह सोमालिया के तट पर यूरोपीय संघ का समुद्री डकैतों के खिलाफ मिशन है.

भारत और अमेरिका के विदेश मंत्री की बैठक

विदेशमंत्री एस जयशंकर ने अमरीका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन से के साथ 28 मई को वाशिंगटन में वार्ता बैठक की. बैठक में द्विपक्षीय सहयोग के विभिन्न पहलुओं तथा क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व के मुद्दों पर रचनात्मक चर्चा हुई. दोनों नेताओं ने हिन्द -प्रशांत और क्वाड समूह के साथ-साथ अफगानिस्तान, म्यांमा और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार-विमर्श किया.

इस बैठक में भारत-अमरीका टीका साझेदारी पर भी चर्चा हुई जिसका उद्देश्य टीके की उपलब्धता बढ़ाना और इसकी आपूर्ति सुनिश्चित करना था. इससे अब भारत में एस्ट्राजेनेका COVID-19 वैक्सीन ‘Covishield’ के निर्माण में वृद्धि होगी. इस वैक्सीन का विकास ब्रिटिश-स्वीडिश जैव-प्रौद्योगिकी कंपनी ने ‘ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका’ ने किया है, जिसका निर्माण भारत में सीरम इंस्टिट्यूट कर रही है.

बैठक के बाद श्री ब्लिंकेन ने कहा कि अमरीका और भारत वर्तमान समय की अति महत्वपूर्ण चुनौतियों पर मिलकर काम कर रहे हैं, जिसका प्रभाव हमारे नागरिकों के जीवन पर पड़ता है. उन्होंने कहा कि अमरीका और भारत कोविड महामारी और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से मुकाबले के साथ-साथ क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर विभिन्न चुनौतियों से निपटने के लिए क्वाड तथा संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न संस्थानों के माध्यम से मिलकर काम कर रहे हैं.

भारत और इजराइल ने कृषि में सहयोग के लिए 3 साल की कार्य योजना पर हस्ताक्षर किये

भारत और इजराइल ने कृषि में सहयोग के लिए तीन साल की कार्य योजना ‘INDO-ISRAEL Agricultural Project’ (IIAP) पर हस्ताक्षर किए हैं. दोनों देशों के बीच यह पांचवां IIAP है. यह कार्य योजना 2023 तक जारी रहेगा. भारत और इजरायल के बीच 1993 से कृषि क्षेत्र में द्विपक्षीय संबंध हैं और इस तरह के चार संयुक्त कार्य कार्यक्रमों को सफलतापूर्वक पूरा किया है.

5वा भारत और इजराइल ने कृषि में सहयोग कार्य योजना (IIAP): मुख्य बिंदु

  • पिछले कार्य योजना में भारतीय किसानों को इजरायल के खेत और जल प्रौद्योगिकियों के बारे में जागरूक करने के लिए 13 उत्कृष्टता केंद्र (Centres of Excellence) स्थापित किए गए थे.
  • इस कार्य योजना का उद्देश्य मौजूदा उत्कृष्टता केंद्रों को विकसित करना, नए केंद्र स्थापित करना, उत्कृष्टता केंद्रों को आत्मनिर्भर मोड में लाना और निजी क्षेत्र की कंपनियों और सहयोग को प्रोत्साहित करना होगा.
  • यह कार्यक्रम किसानों की शुद्ध आय में वृद्धि को बढ़ावा देगा और उनकी आजीविका को बेहतर करेगा. पारंपरिक खेतों को IIAP मानकों के आधार पर आधुनिक-प्रगतिशील कृषि क्षेत्र में बदल देगा.

भारत और किर्गिज़स्तान के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘खंजर’ आयोजित किया गया

भारत और किर्गिज़स्तान के बीच 16 से 30 अप्रैल तक संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘खंजर’ आयोजित किया गया था. इसका आयोजन किर्गिज़स्तान की राजधानी बिश्केक में किया गया था. यह सैन्य अभ्यास मुख्य तौर पर ऊँचाई वाले तथा पहाड़ी क्षेत्रों और आतंकवाद एवं अतिवाद पर केंद्रित था.

भारत और किर्गिज़स्तान के संयुक्त विशेष बलों के बीच आयोजित होने वाले ‘खंजर’ सैन्य अभ्यास का आठवाँ संस्करण था. इस सैन्य अभ्यास की शुरुआत वर्ष 2011 में हुई थी.

भारत और फ्रांस की नौसेनाओं का संयुक्त अभ्यास ‘वरुण-2021’ आयोजित किया गया

भारत और फ्रांस की नौसेनाओं के बीच हाल ही में द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास ‘वरुण-2021’ आयोजित किया गया था. यह वरुण नौसैनिक अभ्यास का 19वां संस्करण था. इस अभ्यास का आयोजन 25 से 27 अप्रैल तक अरब सागर में आयोजित किया गया था.

इससे पहले अप्रैल में, भारतीय और फ्रांसीसी नौसेनाओं ने अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया की नौसेनाओं के साथ, 5 अप्रैल से 7 अप्रैल के बीच बंगाल की खाड़ी में ‘ला पेरेस’ अभ्यास में भाग लिया था.

वरुण-2021 अभ्यास का उद्देश्य दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना था. यह एक उच्च स्तरीय नौसेनिक अभ्यास तह, जो हिंद महासागर में चीन की बढ़ती चुनौती से निपटने के लिए बेहद महत्‍वपूर्ण है.

भारत और फ्रांस के बीच संयुक्त अभ्यास: एक दृष्टि

भारत और फ्रांस के संबंध विशेष तौर पर आतंकवाद, रक्षा, परमाणु और अंतरिक्ष जैसे मुद्दों पर पारंपरिक रूप से काफी अच्छे रहे हैं. दोनों देशों के बीच कुल तीन सैन्य अभ्यासों- अभ्यास वरुण (नौसेना), अभ्यास गरुण (वायुसेना) और अभ्यास शक्ति (थल सेना) का आयोजन किया जाता है.

भारत और ब्रिटेन के बीच सीमा शुल्क सहयोग मामले में प्रस्ताव को मंजूरी

सरकार ने भारत और ब्रिटेन के बीच सीमा शुल्क की जांच से जुड़े मामले में सूचनाओं के आदान-प्रदान और संबंधित अपराधों को रोकने के लिये समझौते पर हस्ताक्षर करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. यह मंजूरी 28 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में दी गयी.

सीमा शुल्क सहयोग और सीमा शुल्क के मामलों में पारस्परिक प्रशासनिक सहयोग के बारे में भारत सरकार और ब्रिटेन तथा उत्तरी आयरलैंड की सरकार के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर को मंजूरी दी गयी है.

इस समझौते से सीमा शुल्क से जुड़े अपराधों की रोकथाम और जांच के लिए उपयोगी जानकारी की उपलब्धता में मदद मिलेगी. साथ ही इससे व्यापार को आसान बनाने और दोनों देशों के बीच व्यापार किए गए माल की प्रभावी तरीके से मंजूरी सुनिश्चित होने की भी उम्मीद है.

यह समझौता दोनों देशों के सीमा शुल्क अधिकारियों के बीच सूचना एवं खुफिया जानकारी साझा करने का एक कानूनी ढांचा प्रदान करेगा. साथ ही सीमा शुल्क कानूनों के उपयुक्त अमल और सीमा शुल्क अपराधों की रोकथाम एवं जांच और वैध व्यापार को सहज बनाने में मदद करेगा.

अमेरिका ने भारत सहित 11 देशों को ‘मुद्रा व्यवहार निगरानी सूची’ में रखा

अमेरिका ने भारत सहित 11 देशों को उनकी मुद्रा के व्यवहार को लेकर ‘मुद्रा व्यवहार निगरानी सूची’ (Currency Manipulator Watch List) में रखा है. अन्य 10 देश जापान, चीन, जर्मनी, कोरिया, इटली, आयरलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, मैक्सिको और थाईलैंड हैं.

‘मुद्रा व्यवहार निगरानी सूची’ क्या है?

अमेरिका उन देशों को ‘मुद्रा व्यवहार निगरानी सूची’ में रखता है, जिनके बारे में उसे लगता है कि वे देश डॉलर के मुकाबले अपनी मुद्रा का जान-बूझकर अवमूल्यन करके ‘अनुचित मुद्रा व्यवहारों’ में संलग्न हैं. मुद्रा अवमूल्यन के कारण उस देश का निर्यात अधिक हो जाता है. इसके परिणामस्वरूप व्यापार घाटे में कमी होती है.

अमेरिका द्वारा किस देश को मुद्रा व्यवहार निगरानी सूची में मुख्य रूप से तीन मानदंडों के आधार पर रखा जाता है. ये मानदंड हैं- चालू खाता अधिशेष, द्विपक्षीय व्यापार अधिशेष और विदेशी मुद्रा बाजारों में निरंतर एकतरफा हस्तक्षेप.

भारत को तीन में से दो मानदंडों के आधार पर इस सूची में डाला गया है जो द्विपक्षीय व्यापार अधिशेष और निरंतर एकतरफा हस्तक्षेप हैं.

करेंसी मैनिपुलेटर्स वॉच लिस्ट

यूएस ट्रेज़री विभाग द्वारा व्यापारिक भागीदार देशों की एक सूची बनाई जाती है जिसमें ऐसे भागीदार देशों की मुद्रा के व्यवहार और उनकी वृहद आर्थिक नीतियों पर नजदीकी से नज़र रखी जाती है. यह अमेरिका के 20 सबसे बड़े व्यापारिक भागीदारों के मुद्रा व्यवहारों की समीक्षा करता है.

निगरानी सूची में रखे जाने के प्रभाव

सूची में शामिल करना किसी भी तरह के दंड और प्रतिबंधों के अधीन नहीं है लेकिन यह निर्यात लाभ हासिल करने के लिये मुद्राओं के अवमूल्यन सहित विदेशी मुद्रा नीतियों के संदर्भ में वित्तीय बाज़ारों में देश की वैश्विक वित्तीय छवि को खराब करता है.

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत और जापान के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) को मंजूरी दी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 7 अप्रैल को भारत और जापान के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) को मंजूरी दी थी. दोनों देशों के बीच यह समझौता ज्ञापन नवम्बर 2020 में हस्ताक्षर किये गये थे. इस समझौता ज्ञापन पर राष्ट्रीय वायुमंडलीय अनुसंधान प्रयोगशाला (NARL) और जापान के क्योटो विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित अनुसंधान संस्थान फॉर सस्टेनेबल ह्यूमनोस्फीयर (RISH) के बीच हस्ताक्षर किये गये थे.

भारत-जापान समझौता ज्ञापन (MoU): मुख्य बिंदु

  • समझौता ज्ञापन के अनुसार, भारत के NARL और जापान के RISH प्रौद्योगिकी, वायुमंडलीय विज्ञान, सहयोगी वैज्ञानिक प्रयोगों और अन्य अध्ययन के क्षेत्रों में अपना सहयोग जारी रखेंगे. दोनों संसथान वैज्ञानिक सामग्री, सूचना, प्रकाशन, छात्रों, संकाय सदस्यों और शोधकर्ताओं का आदान-प्रदान भी करेंगे.
  • इस समझौता ज्ञापन में जापान में मध्य और ऊपरी वायुमंडल राडार, मेसोस्फीयर-स्ट्रैटोस्फियर-ट्रोपोस्फीयर रडार, इक्वेटोरियल एटमॉस्फियर रडार जैसी सुविधाओं का उपयोग करने की अनुमति होगी.

भारतीय सेना बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास ‘शांतीर ओग्रोशेना-2021’ में भाग लेगी

भारतीय सेना बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास ‘शांतीर ओग्रोशेना-2021’ (Shantir Ogroshena) में भाग लेगी. इस सैन्य अभ्यास का आयोजन बांग्लादेश में 4 से 12 अप्रैल तक किया जायेगा. इसका आयोजन बांग्लादेश के राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के जन्म शताब्दी और बांग्लादेश की स्वतंत्रता की स्वर्ण जयंती के उपलक्ष्य में किया जायेगा.

इस अभ्यास में भारतीय सेना के अलाबा भूटान, श्रीलंका और बांग्लादेश की सेनाएं हिस्सा लेंगे. अमेरिका, ब्रिटेन, तुर्की, सऊदी अरब, कुवैत और सिंगापुर के सैन्य पर्यवेक्षक भी इस अभ्यास के दौरान उपस्थित रहेंगे. भारत की ओर से डोगरा रेजिमेंट के 30 कर्मियों वाली भारतीय सेना की टुकड़ी इस अभ्यास में भाग लेगी.

इस अभ्यास का मुख्य विषय (थीम)– ‘Robust Peace Keeping Operations’ है.

वर्ष 2021 बांग्लादेश की स्वतंत्रता और रहमान के जन्म शताब्दी की 50वीं वर्षगांठ है. 16 दिसंबर, 1971 को लगभग 93,000 पाकिस्तानी सेना भारतीय सेना और ‘मुक्ति बाहिनी’ सेना के आगे पीछे हट गई, जिसने बांग्लादेश के जन्म का रास्ता खोल दिया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 और 27 मार्च 2021 को बांग्लादेश का दौरा कर बांग्लादेश की स्वतंत्रता की स्वर्ण जयंती में भाग लिया था.