नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 125वीं जयंती पराक्रम दिवस के रूप में मनाया गया

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 125वीं जयंती 23 जनवरी 2022 को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया गया. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नेताजी की जयंती को प्रत्येक वर्ष पराक्रम दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी. नेताजी का जन्म 23 जनवरी, 1897 को हुआ था.

नेताजी सुभाष चंद्र बोस: एक दृष्टि

  • नेताजी ने सिविल सर्विस परिक्षा पास की थी. लेकिन उन्होंने भारत की आजादी के आंदोलन में शामिल होने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी. 1938-39 के दौरान वे कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. बाद में मतभेद के कारण उन्होंने कांग्रेस से त्याग-पत्र दे दिया तथा फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना की.
  • 1941 में वे अफगानिस्तान और सोवियत संघ के रास्ते जर्मनी चले गये थे. उन्होंने 4,500 भारतीय सैनिकों के साथ ‘Indian Legion’ की स्थापना की. इन सैनिकों को उत्तरी अफ्रीका से जर्मनों द्वारा कैद किया गया था. 1943 में उन्होंने जापान में ‘इंडियन नेशनल आर्मी’ को पुनर्जीवित किया.
  • सुभाष चन्द्र बोस ने सशक्त क्रान्ति द्वारा भारत को स्वतंत्र कराने के उद्देश्य से 21 अक्टूबर, 1943 को सिंगापुर में ‘आज़ाद हिन्द फौज’ की स्थापना की थी. इसकी स्थापना में रास बिहारी बोस की भूमिका महत्वपूर्ण थी.
  • ‘आज़ाद हिन्द फौज’ एक सशस्त्र सेना थी. सुभाष चन्द्र बोस इस फ़ौज के सर्वोच्च कमांडर थे. 1943 में नेता जी तथा उनकी आज़ाद हिंद फौज ने भारत भूमि पर पहली बार आज़ादी का झंडा फहराया था.
  • नेताजी के कई प्रसिद्ध नारों ने स्वाधीनता की लड़ाई में लोगों के अंदर उत्साह का संचार किया. उनमें से एक प्रसिद्ध नारा था, “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा”.
लेटेस्ट कर्रेंट अफेयर्स 〉