प्रधानमंत्री ने सात नई रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों को राष्ट्र को समर्पित किया

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 15 अक्तूबर को सात नई रक्षा कंपनी को राष्ट्र को समर्पित किया. इन 7 नई कंपनियों का गठन आयुध निर्माणी बोर्ड (Ordnance Factory Board – OFB) का विघटन कर किया गया है. OFB के अंतर्गत 41 निर्माण और 9 सहायक निकाय थे.

OFB को 01 अक्टूबर, 2021 से भंग कर दिया गया था. यह भारत में हथियारों और सैन्य उपकरणों का प्रमुख उत्पादक था. 1 अक्टूबर के बाद, इसकी 41 फैक्ट्रियों को 7 नवगठित रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (DPSUs) में स्थानांतरित कर दिया गया. OFB के निगमीकरण का उद्देश्य आयुध आपूर्ति में स्वायत्तता, जवाबदेही और दक्षता में सुधार लाना है.

ये सात नई सरकारी स्वामित्व वाली कॉर्पोरेट संस्थायें वाहन, गोला-बारूद और विस्फोटक, हथियार और उपकरण, ऑप्टो-इलेक्ट्रॉनिक्स गियर, सैनिक आराम के आइटम, पैराशूट और सहायक उत्पाद का उत्पादन करेंगी.

सात नये सार्वजनिक उपक्रम

OFB की 41 फैक्ट्रियों को जिन सात नई कॉरपोरेट इकाइयों में बांटा गया है. ये इकाई हैं:

  1. गोला बारूद और विस्फोटक समूह (मुनिशन इंडिया लिमिटेड)
  2. वाहन समूह (बख्तरबंद वाहन निगम लिमिटेड)
  3. हथियार और उपकरण समूह (उन्नत हथियार और उपकरण इंडिया लिमिटेड)
  4. ट्रूप कम्फर्ट आइटम्स ग्रुप (ट्रूप कम्फर्ट्स लिमिटेड)
  5. सहायक समूह (यंत्र इंडिया लिमिटेड)
  6. ऑप्टो-इलेक्ट्रॉनिक्स समूह (इंडिया ऑप्टेल लिमिटेड)
  7. पैराशूट समूह (ग्लाइडर्स इंडिया लिमिटेड)

आयुध निर्माणी बोर्ड क्या है?

भारत के आयुध निर्माणी बोर्ड (Ordnance Factory Board) भारतीय सशस्त्र बलों के लिए सैन्य उपकरणों और हथियारों का मुख्य उत्पादक और आपूर्तिकर्ता था. 240 साल पुराने इस द्वारा देश के 41 आयुध कारखानों को नियंत्रित किया जाता था. यह रक्षा मंत्रालय के अधीन एक अधीनस्थ कार्यालय के रूप में कार्य कर रहा था.

मूडीज़ ने भारतीय अर्थव्यवस्था की रेटिंग को ‘नकारात्मक’ से ‘स्थिर’ के रूप में प्रोन्नत किया

मूल्यांकन एजेंसी ‘मूडीज़’ ने भारतीय अर्थव्यवस्था की रेटिंग (Moody’s India Rating) को ‘नकारात्मक’ से ‘स्थिर’ के रूप में प्रोन्नत किया है. मूडीज ने भारत को BAA3 रेटिंग दी हुई है.

मुख्य बिंदु

  • मूडीज इन्वेस्टर सर्विसेज ने भारत सरकार की साख को लेकर परिदृश्य में बदलाव किया और इसे नकारात्मक से स्थिर श्रेणी में किया है. साथ ही देश की विदेशी मुद्रा तथा स्थानीय मुद्रा दीर्घकालीन निर्गमकर्ता रेटिंग और स्थानीय मुद्रा रेटिंग (सीनियर अनसिक्योर्ड) BAA3 पर बरकरार रखी गयी है.
  • मूडीज के अनुसार भारत में बेहतर पूंजी और नकदी की अच्छी स्थिति से बैंक तथा गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों के स्तर पर जोखिम पूर्व के अनुमान के मुकाबले कम हुए हैं.
  • उल्लेखनीय है कि मूडीज इनेवेस्टर्स सर्विस ने 2020 भारत की साख को ‘BAA2’ से कम कर ‘BAA3’ कर दिया था. इससे पहले मूडीज ने मई 2021 के दौरान भारत की रेटिंग को घटाकर नकारात्मक (निगेटिव) ‘BAA3-‘ कर दिया था.

सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग क्या होती है?

विभिन्न देशों की उधार चुकाने की क्षमता के आधार पर सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग तय की जाती है. रेटिंग एजेंसियां इसके लिए इकॉनोमी, मार्केट और राजनीतिक जोखिम को आधार मानती हैं. एजेंसियां क्रेडिट किसी देश की रेटिंग तय करते समाया उस देश के मूलधन और ब्याज जुकाने की क्षमता पर फोकस करती हैं. यह रेटिंग यह बताती है कि एक देश भविष्य में अपनी देनदारियों को चुका सकेगा या नहीं?

सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग टॉप इन्वेस्टमेंट ग्रेड से लेकर जंक ग्रेड तक होती है. जंक ग्रेड को डिफॉल्ट श्रेणी में माना जाता है. सामान्य तौर पर इकॉनोमिक ग्रोथ, बाहरी कारण और सरकारी खजाने में ज्यादा बदलाव पर रेटिंग बदलती है.

अच्छी क्रेडिट रेटिंग का महत्व

कई देश अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए दुनियाभर के निवेशकों से कर्ज लेते हैं. यह निवेशक कर्ज देने से पहले रेटिंग पर गौर करते हैं. ज्यादा रेटिंग पर कम जोखिम माना जाता है. इससे ज्यादा रेटिंग वाले देशों को कम ब्याज दरों पर कर्ज मिल जाता है.

भारत के लिए रेटिंग का महत्व

सामान्य तौर पर भारत सरकार विदेशी बाजारों से कर्ज नहीं लेती है. इसलिए क्रेडिट रेटिंग का ज्यादा महत्व नहीं है. लेकिन कम रेटिंग के कारण स्टॉक मार्केट से विदेशी निवेशकों के बाहर जाने की संभावना बनी रहती है. इसके अलावा नए निवेश के बंद होने की आशंकी भी रहती है.

मुख्य क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां

Standard & Poor’s (S&P), Fitch और Moody’s Investors सॉवरेन रेटिंग तय करने वाली विश्व की मुख्य एजेंसियां हैं.

S&P और फिच रेटिंग के लिए BBB+ को मानक रखती हैं, जबकि मूडीज का मानक Baa1 है. यह सबसे ऊंची रेटिंग है जो इन्वेस्टमेंट ग्रेड को दर्शाती है.

पीएम गति शक्ति-राष्ट्रीय मास्टर प्लान का शुभारंभ, योजना के मुख्य उद्देश्य

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 13 अक्तूबर को प्रधानमंत्री गति शक्ति-राष्ट्रीय मास्टर प्लान (PM Gati Shakti-National Master Plan) का शुभारंभ किया. इसका उद्देश्य देश में समग्र और एकीकृत बुनियादी ढांचे का विकास करना है. शक्ति-राष्ट्रीय मास्टर प्लान के तहत 100 लाख करोड़ रुपये की लगत से देश में आर्थिक क्षेत्रों को मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी प्रदान किया जायेगा.

मुख्य बिंदु

  • पीएम गति शक्ति अभियान के माध्यम से, सरकार का लक्ष्य सभी संबंधित विभागों को एक मंच पर जोड़कर बुनियादी ढांचा कनेक्टिविटी परियोजनाओं को अधिक गति और पॉवर शक्ति देना है.
  • गति शक्ति योजना का लक्ष्य सात मूलभूत ढांचा क्षेत्रों सहित 16 मंत्रालयों को एक मंच पर लाना है, ताकि विभिन्न हितधारक मंत्रालयों के बीच परियोजनाएं तैयार करने में समन्वय स्थापित किया जा सके.
  • प्रत्येक मंत्रालय और विभाग द्वारा अलग-अलग योजना बनाने और डिजाइन करने के बजाय एकीकृत योजना और समन्वित कार्यान्वयन के लिए 16 मंत्रालयों और राज्य सरकारों की बुनियादी ढांचा योजनाओं (जिन्हें 2024-25 तक पूरा किया जाना है) को एक मंच पर लाने के लिए एक केंद्रीकृत पोर्टल स्थापित किया जाएगा.
  • पीएम-गति शक्ति नेशनल मास्टर प्लान के तहत रोड, रेलवे, एविएशन, एग्रीकल्चर सहित विभिन्न मंत्रालयों को, विभागों को इससे जोड़ा जायेगा.

पीएम गति शक्ति योजना के पांच मुख्य उद्देश्य

  1. देश में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के सभी पक्ष के बीच समन्वय के साथ काम हो. इससे इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में समय कम लगेगा और संसाधनों की बर्बादी कम करने में मदद मिलेगी.
  2. लॉजिस्टिक्स पर आने वाले खर्च को कम करना, कार्गो हैंडलिंग कैपेसिटी को बढ़ाना और सामान एक जगह से दूसरी जगह भेजने में लगने वाले समय को कम करना. किसी एक प्रोजेक्ट के इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर काम करने वाले सभी विभाग को एक साथ लाकर एक प्लेटफार्म पर खड़ा करना.
  3. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेशनल हाईवे का नेटवर्क बढ़ाकर दो लाख किलोमीटर करना चाहते हैं. इसके साथ ही देश में 200 नए एयरपोर्ट, हेलीपोर्ट और वाटर एयरोड्रम बनाने की योजना है. साल 2024-25 तक इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए गति शक्ति योजना लांच की गई है.
  4. पीएम गति शक्ति योजना की मदद से 11 इंडस्ट्रियल कॉरिडोर और दो नए डिफेंस कॉरिडोर बनाए जाने हैं. डिफेंस कॉरिडोर तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में बनाए जाएंगे. हर गांव को 4G कनेक्टिविटी देना भी इस योजना का उद्देश्य है. इसके साथ ही देश में 17000 किलोमीटर का गैस पाइपलाइन नेटवर्क बिछाया जायेगा.
  5. इस योजना की मदद से अलग-अलग मंत्रालय के लिए एक कॉमन अंब्रेला प्लेटफार्म बनाया जाएगा. अलग-अलग मंत्रालय या विभाग से कोआर्डिनेशन करने में कोई दिक्कत ना हो इसलिए एक अंब्रेला प्लेटफार्म की प्लानिंग की गई है.

पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन को ‘महारत्न’ का दर्जा दिया गया

बिजली के क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर, वित्तपोषण प्रदान करने वाली कंपनी ‘पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन’ (PFC) को सरकार की ओर से ‘महारत्न’ का दर्जा दिया गया है. उसे यह सम्मान पिछले तीन साल में शानदार वित्तीय प्रदर्शन व परिचालन कुशलता के लिए दिया गया है.

मुख्य बिंदु

महारत्न का दर्जा सरकारी स्वामित्व वाली उस इकाई को दिया जाता है जिसने लगातार तीन वर्षों में 5,000 करोड़ रुपये से अधिक का शुद्ध लाभ या इस अवधि में 25,000 करोड़ रुपये का औसत वार्षिक कारोबार दर्ज किया हो.

‘महारत्न’ का सम्मान मिलने से PFC बोर्ड की वित्तीय फैसले लेने की क्षमता बढ़ेगी. ‘महारत्न’ कंपनी का निदेशक मंडल वित्तीय संयुक्त उद्यम और पूर्ण अनुषंगी इकाईयों को लेकर इक्विटी निवेश पर फैसला कर सकता है. भारत एवं विदेश में विलय और अधिग्रहण कर सकता है. हालांकि, यह संबंधित CPSE के कुल मूल्य के 15 फीसदी तक और एक परियोजना के लिए 5000 करोड़ रुपये तक सीमित होगा.

महारत्न का सम्मान मिलने के बाद PFC सरकार के एजेण्डा के तहत 2030 तक 40 फीसदी हरित ऊर्जा की राष्ट्रीय प्रतिबद्धता में योगदान देगा.

‘पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन’ (PFC)

पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन (PFC) एक भारतीय वित्तीय संस्थान है. इसकी स्थापना 1986 में हुई थी. यह भारत में विद्युत क्षेत्र की वित्तीय़ इंफ्रास्ट्रक्चर है. यह केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में काम करती है. PFC महारत्न श्रेणी में प्रवेश करने वाली भारत की 11वीं सरकारी स्वामित्व वाली इकाई बन गई है.

भारत की महारत्न कंपनियां

  1. भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड (SAIL)
  2. तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ONGC)
  3. भारतीय तेल निगम (IOC)
  4. राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (NTPC)
  5. कोल इंडिया लिमिटेड (CIL)
  6. भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL)
  7. भारतीय गैस प्राधिकरण लिमिटेड (GAIL)
  8. हिंदुस्तान पैट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPCL)
  9. भारत पैट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BCL)
  10. पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (PGCIL)

टाटा सन्‍स ने ‘एयर इंडिया’ का अधिग्रहण किया

टाटा सन्‍स ने सरकार के स्वामित्व वाली विमानन कम्पनी ‘एयर इंडिया’ का अधिग्रहण कर लिया है. उसने एयर इंडिया में सरकार की 100% हिस्सेदारी के लिए 18 हजार करोड़ रुपये की बोली लगाई थी.

एयर इंडिया: एक दृष्टि

  • एयर इंडिया की स्थापना 1932 में महान व्‍यक्तित्‍व के धनी और समाजसेवी जे.आर.डी. टाटा ने की थी. यह भारत की पहली वाणिज्यिक एयर लाइन थी जो उस समय ‘टाटा एयर लाइन्स’ नाम से जानी जाती थी. 1946 में इसका नाम बदलकर ‘एयर इंडिया’ कर दिया गया.
  • हालांकि, 1953 में सरकार ने टाटा सन्‍स से एयर इंडिया का अधिग्रहण कर लिया था. वर्ष 2021 में एक बार फिर यह टाटा सन्‍स समूह के पास आ गई है.
  • जे.आर.डी. टाटा को भारतीय नागर विमानन का जनक माना जाता है. वह भारत के ऐसे पहले व्‍यक्ति थे जिन्‍हें पायलट का लाइसेंस मिला था. उन्‍हें भारत रत्‍न से सम्‍मानित किया जा चुका है. जे.आर.डी. टाटा का निधन ने 89 वर्ष की आयु में, 29 नवम्‍बर 1993 में को स्विट्जरलैंड के जेनेवा में हुआ था.

RBI की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक, रेपो दर 4%, रिवर्स रेपो दर 3.35% पर अपरिवर्तित

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समि‍ति (MPC) की बैठक 7-9 अगस्त को मुंबई में आयोजित की गयी थी. बैठक की अध्यक्षता बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने की थी. यह चालू वित्त वर्ष (2021-22) की चौथी द्विमासिक (अक्टूबर-नवम्बर) मौद्रिक नीति (4th Bi-Monthly Monetary Policy) समीक्षा बैठक थी.

MPC की बैठक: मुख्य बिंदु

रिजर्व बैंक ने वर्तमान में रेपो रेट 4 प्रतिशत और रिवर्स रेपो रेट 3.35 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है. यह लगातार 8वीं बार था जब RBI ने नीतिगत दर पर यथास्थिति बनाए रखी.

RBI ने इस वित्त वर्ष (2021-22) में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि दर 9.5 प्रतिशत रहने का अनुमान बरकरार रखा है. वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक GDP वृद्धि वृद्धि 17.2% रहने का अनुमान है.

2021-22 के दौरान सीपीआई मुद्रास्फीति 5.3% अनुमानित है. 2022-23 की पहली तिमाही के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 5.1% अनुमानित है.

वर्तमान दरें: एक दृष्टि

नीति रिपो दर4%
रिवर्स रेपो दर3.35%
सीमांत स्‍थायी सुविधा दर (MSF)4.25%
बैंक दर4.25%
नकद आरक्षित अनुपात (CRR)4%
वैधानिक तरलता अनुपात (SLR)18%

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI): एक दृष्टि

  • भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) भारत का केन्द्रीय बैंक है. यह भारत के सभी बैंकों का संचालक है.
  • RBI की स्थापना 1 अप्रैल 1935 को RBI ऐक्ट 1934 के अनुसार हुई. प्रारम्भ में इसका केन्द्रीय कार्यालय कोलकाता में था जो सन 1937 में मुम्बई आ गया.
  • पहले यह एक निजी बैंक था किन्तु सन 1949 से यह भारत सरकार का उपक्रम बन गया है.
  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत अनिवार्य रूप से मौद्रिक नीति के संचालन की जिम्मेदारी सौपीं गई है.

क्या होता है रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, सीआरआर और एसएलआर?

पीएम-मित्र योजना के तहत देश में 7 टेक्सटाइल पार्क को मंजूरी दी गयी

सरकार ने पीएम-मित्र योजना (PM Mitra Scheme) के तहत देश में 7 टेक्सटाइल पार्क (MITRA parks) को मंजूरी दी है. यह मंजूरी 6 अक्तूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में दी गयी. इस योजना पर करीब 4,445 करोड़ रुपये खर्च होंगे.

पीएम-मित्र योजना: मुख्य बिंदु

पीएम-मित्र योजना के तहत देश में 7 टेक्सटाइल पार्क (MITRA parks) बनेंगे और इन टेक्सटाइल पार्कों से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करीब 21 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा.

तमिलनाडु, पंजाब, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, असम, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और तेलंगाना सरकार ने मित्र-पार्क विकसित करने में रुचि दिखाई है.

केन्द्रीय कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल ने अर्थव्यस्था के क्षेत्र में मजबूत पकड़ के लिए 5-F को कैप्चर करने की बात कही है. 5-F यानी फार्म से फाइबर, फाइबर से फैक्ट्री, फैक्ट्री से फैशन और फैशन से फॉरेन. ये सभी कड़ियां मिलकर वैल्यू चेन को मजबूत करती हैं, लेकिन अभी ये सब अलग-अलग हैं.

कपास गुजरात और महाराष्ट्र में पैदा होता है, वहां से तमिलनाडु जाता है, जहां स्पिनिंग होती है. प्रोसेसिंग के लिए राजस्थान और गुजरात जाता है. वस्त्र दिल्ली-एनसीआर, बेंगलुरु, कोलकाता में बनते हैं और निर्यात के लिए मुंबई और कांडला जाना पड़ता है. पीएम मित्र योजना के तहत ये सारा कुछ अब इंटीग्रेटेड तरीके से हो सकेगा.

इस परियोजना के तहत, सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के तहत राज्य सरकारों और केंद्र के स्वामित्व वाले एक विशेष प्रयोजन वाहन के माध्यम से पार्क स्थापित किए जाएंगे.

ऑटो इंडस्ट्री के लिए ₹26,000 करोड़ की नई PLI स्कीम को मंजूरी दी गयी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ऑटो इंडस्ट्री के लिए ₹26,000 करोड़ की नई प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम को मंजूरी दे दी है. इसका उद्देश्य ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत देश में इलेक्ट्रिक वाहन और हाइड्रोजन ईधन चालित वाहनों के उत्पादन को बढ़ावा देना है.

ऑटो सेक्टर के लिए PLI योजना 2021-22 के बजट में सरकार द्वारा 13 सेक्टर के लिए गई प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव घोषणाओं का हिस्सा है जिसके लिए सरकार ने 1.97 लाख करोड़ रुपये का परिव्यय रखा है.

मुख्य बिंदु

  • इसके साथ ऑटो क्षेत्र में ये स्कीम उच्च मूल्य के एडवांस ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी वाहनों और उत्पादों को प्रोत्साहित करेगी. यह हायर टेक्नोलॉजी, अधिक कुशल और ग्रीन ऑटोमोटिव मैन्युफैक्चरिंग में एक नए युग की शुरुआत करेगी. ऑटोमेटिव कंपनियां या इस क्षेत्र में आने वाले इन्वेस्टर्स दोनों ही इस योजना का लाभ ले सकेंगे.
  • इस योजना का लाभ PLI योजना के तहत आने वाले ऑटो कंपोनेंट सेगमेंट शामिल होंगे. इनमें इलेक्ट्रॉनिक पावर स्टीयरिंग सिस्टम, ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन असेंबली, सेंसर, सनरूफ, सुपरकैपेसिटर, एडेप्टिव फ्रंट लाइटिंग, टायर प्रेशर मॉनिटरिंग सिस्टम, ऑटोमैटिक ब्रेकिंग, टायर प्रेशर मॉनिटरिंग सिस्टम और कोलिजन वार्निंग सिस्टम शामिल हैं.
  • देश की मैन्युफैक्चरिंग जीडीपी में ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री का लगभग 35 प्रतिशत योगदान है. देश में कुल मिलाकर 12 बिलियन डॉलर का व्हीकल एक्सपोर्ट किया जाता है. 15 बिलियन डॉलर का कॉम्पोनेन्ट एक्सपोर्ट किया जाता है जबकि 17 बिलियन डॉलर का इम्पोर्ट किया जाता है. इस 17 बिलियन के इम्पोर्ट को कम करने के लिए यह कदम उठाया गया है.

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दूरसंचार क्षेत्र में 100% FDI को मंजूरी दी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दूरसंचार क्षेत्र में 100% विदेशी निवेश (FDI) को को मंजूरी दी है. प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 15 सितम्बर को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह मंजूरी दी गयी.

मुख्य बिंदु

  • मंत्रिमंडल ने कर्ज से जूझ रहे दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को राहत प्रदान करने के लिए दूरसंचार क्षेत्र में कई संरचनात्मक और प्रक्रिया सुधारों को मंजूरी दी है. राहत पैकेज में दूरसंचार कंपनियों द्वारा वैधानिक बकाया के भुगतान पर 4 साल की मोहलत (moratorium) शामिल है.
  • सरकार ने स्वचालित मार्ग के तहत दूरसंचार क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को 49% से बढ़ाकर 100% कर दिया है. किसी देश के किसी व्यक्ति या फर्म से किसी दूसरे देश में किया गया कोई भी निवेश प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कहलाता है.

विपणन वर्ष 2022-23 के लिए रबी फसलों के न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य में वृद्धि

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने विपणन सत्र 2022-23 के लिए रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि को मंजूरी दी है. गेहूं का MSP 40 रुपये बढ़ाकर 2015 रुपये प्रति क्विंटल और जौं का 35 रुपये बढ़ाकर 1635 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है.

विपणन वर्ष 2022-23 के लिए रबी फसलों का MSP

फसलप्रति क्विंटल MSPवृद्धि
गेहूं201540
जौ163535
सरसों5050400
चना5230130
कुसुभ5441114
मसूर5500400

MSP (Minimum Support Price) क्या है?

MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य वह कीमत होती है, जिस पर सरकार किसानों से अनाज खरीदती है. इसे सरकारी भाव भी कहा जा सकता है. MSP की घोषणा सरकार द्वारा कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की संस्तुति पर वर्ष में दो बार रबी और खरीफ के मौसम में की जाती है.

सरकार फसलों की MSP तय करती है ताकि किसानों की उपज का वाजिब भाव मिल सके. इसके तहत सरकार फूड कारपोरेशन ऑफ इंडिया, नैफेड जैसी सरकारी एजेसिंयों की मदद से किसानों की फसलों को खरीदती है.

सरकार ने कपड़ा क्षेत्र के लिए 10683 करोड़ रुपए की PLI योजना को मंजूरी दी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कपड़ा क्षेत्र के लिए 10,683 करोड़ रुपए की उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना को मंजूरी दी. यह मंजूरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 8 सितम्बर को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में दी गई.

मुख्य बिंदु

  • केंद्रीय कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने MMF (मानव निर्मित रेशे) परिधान, MMF फैब्रिक्स तथा टेक्निकल टेक्सटाइल के 10 खंडों/उत्पादों के लिए PLI योजना को मंजूरी दी है.
  • कपड़ा क्षेत्र के लिए PLI योजना बजट 2021-22 में 13 क्षेत्रों के लिए की गई घोषणाओं का हिस्सा है. बजट में 13 क्षेत्रों के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपये की PLI योजनाओं की घोषणा की गई थी.
  • एक अनुमान के अनुसार 5 साल की अवधि में कपड़ा क्षेत्र के लिए PLI योजना से 19,000 करोड़ रुपए से भी अधिक का नया निवेश मिलेगा. योजना के तहत 3 लाख करोड़ रुपए से भी अधिक का कुल कारोबार हासिल किया जा सकेगा. साथ ही इससे क्षेत्र में 7.5 लाख से भी अधिक लोगों के लिए अतिरिक्त रोजगारों के साथ-साथ सहायक गतिविधियों के लिए भी कई लाख और रोजगार के अवसरों का सृजन होगा.

असंगठित कामगारों के राष्‍ट्रीय डेटाबेस के लिए “ई-श्रम पोर्टल” का शुभारंभ

भारत में असंगठित कामगारों के राष्‍ट्रीय डेटाबेस के लिए “ई-श्रम पोर्टल” शुरू किया गया है. इस पोर्टल का शुभारंभ श्रम और रोजगार मंत्री भूपेन्‍द्र यादव ने 26 अगस्त को किया.

इस पोर्टल पर देश के असंगठित क्षेत्र के कामगारों का विवरण दिया जाएगा. इससे कामगारों के लिए विभिन्‍न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के बेहतर कार्यान्‍वयन की सुविधा उपलब्‍ध हो सकेगी.

ई-श्रम पोर्टल क्या है?

  • केंद्र सरकार का लक्ष्य 38 करोड़ असंगठित कामगारों जैसे निर्माण मजदूर, प्रवासी कार्यबल, रेहड़ी-पटरी वाले और घरेलू कामगार आदि को एक पोर्टल या सरकारी दस्तावेज में पंजीकृत करना है. इसके लिए लगभग 404 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी गयी है.
  • इन श्रमिकों के लिए 12 अंकों का यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) और ई-श्रम कार्ड जारी किया जायेगा जो पूरे देश में मान्य होगा
  • इस सरकारी डेटाबेस में पीएम श्रम योगी मानधन योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और पीएम जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) सहित सामाजिक सुरक्षा (पेंशन, बीमा) योजनाओं को जोड़ा जाएगा. असंगठित कामगार इस डेटाबेस प्लेटफॉर्म के माध्यम से इन योजनाओं का लाभ लेने के लिए रजिस्ट्रेशन कर सकेंगे.

ई-श्रम पोर्टल पर श्रमिकों का पंजीकरण

  • देश के असंगठित क्षेत्र के कामगार इस पोर्टल या एप्प से निःशुल्क पंजीकरण कर सकते हैं. पोर्टल पर श्रमिकों के पंजीकरण का समन्वय श्रम मंत्रालय, राज्य सरकारों, ट्रेड यूनियनों और सीएससी द्वारा किया जाएगा.
  • श्रमिकों के प्रश्नों की सहायता और समाधान के लिए एक राष्ट्रीय टोल फ्री नंबर – 14434 – भी शुरू किया गया है. एक श्रमिक आवश्यक विवरण भरने के अलावा, अपने आधार कार्ड नंबर और बैंक खाते के विवरण का उपयोग करके पर पंजीकरण कर सकता है.
  • इस पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करने के बाद श्रमिक भाइयों और बहनों को भारत सरकार की सोशल सेक्योरिटी स्कीम का फायदा लेने के लिए बार-बार पंजीकरण की जरूरत नहीं पड़ेगी.