राष्‍ट्रपति ने ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक- 2019’ को मंजूरी दी

राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 31 जुलाई को ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक- 2019’ (The Muslim Women Protection of RIghts on Marriage Bill) को मंजूरी दे दी. इस विधेयक के लोकसभा और राज्यसभा से पारित होने के बाद राष्‍ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा गया था. इस विधेयक में मुस्लिम समुदाय में प्रचलित एक बार में तीन तलाक बोलने को अपराध माना गया है.

राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह विधेयक संसद से पारित हो गया है और कानून बन गया है. यह कानून 21 फरवरी 2019 को जारी किए गए मौजूदा अध्यादेश की जगह लेगा. सरकार ने सितम्‍बर 2018 में और फरवरी 2019 में दो बार तीन तलाक पर अध्‍यादेश जारी किया था. लोकसभा में पारित होने के बाद इस विधेयक के राज्‍यसभा में लम्बित होने के कारण ये अध्‍यादेश लाने पड़े थे. यह कानून 19 सितंबर 2018 से लागू माना जाएगा.

भारत से पहले विश्व के 22 ऐसे देश हैं जहां तीन तलाक पर प्रतिबंध है. तीन तलाक प्रतिबन्ध लगाने वाला विश्व का पहला देश मिस्र है.

मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण कानून: एक दृष्टि

  • इस विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद, एक बार में तीन तलाक बोलकर तलाक देने की कुप्रथा अमान्य और अवैध होने के साथ संज्ञेय अपराध बन जाएगी.
  • विधेयक में तीन तलाक को दण्डनीय अपराध ठहराया गया है और अपराधी को तीन साल तक की कैद और जुर्माने की सज़ा दी जा सकती है.
  • मौखिक, लिखित यो किसी अन्य माध्यम से कोई पति अगर एक बार में अपनी पत्नी को तीन तलाक देता है तो वह अपराध की श्रेणी में आएगा.
  • तीन तलाक देने पर पत्नी स्वयं या उसके करीबी रिश्तेदार ही इस बारे में केस दर्ज करा सकेंगे. इस विधेयक में ये प्रावधान भी है कि अपराधी को जमानत देने से पहले मजिस्ट्रेट पीड़ित महिला की सुनवाई करेगा.
  • जिस मुस्लिम महिला को तलाक दिया जाता है, अगर वह मजिस्ट्रेट से मुकदमा वापस लेने का अनुरोध करती है और मजिस्ट्रेट उसे स्वीकृति दे देता है तो मुकदमा वापस लिया जा सकता है.
  • विधेयक के अंतर्गत पीड़ित मुस्लिम महिला स्वयं और अपने बच्चों के लिए गुजारा भत्ते की मांग कर सकती है.