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ISRO ने स्कूली छात्रों के लिए यंग साइंटिस्ट प्रोग्राम का दूसरा संस्करण शुरू किया

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 3 फरवरी को ‘युवा विज्ञानी कार्यक्रम- युविका’ (ISRO Young Scientist Programme) 2020 शुरू किया. इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्कूली छात्रों को अंतरिक्ष की जानकारी और उसकी टेकनोलॉजी की समझ को विकसित करना है.

युविका 2020 के लिए 24 फरवरी, 2020 तक www.isro.gov.in पर आवेदन किए जा सकते हैं. यह कार्यक्रम गर्मियों के छुट्टियों के दौरान दो सप्ताह 11 मई से 22 मई 2020 तक चलेगा.

इसरो का युविका कार्यक्रम 2019 में शुरू किया गया था. 2020 में इस कार्यक्रम का दूसरा संस्करण है. इस कार्यक्रम का मकसद बच्चों को स्पेस टक्नोलॉजी, स्पेस साइंस जैसी चीजों के बारे में जागरूक करना है.

योग्यता

जिन स्टूडेंट्स ने आठवीं की परीक्षा पास कर ली है और नौवीं में पढ़ाई कर रहे हैं, वह इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आवेदन कर सकते हैं. इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए सीबीएसई, आईसीएसई और राज्‍य पाठ्यक्रम को मिलाकर हर राज्‍य/केंद्र शासित प्रदेश से तीन विद्यार्थियों का चयन किया जाएगा.

चयन

उम्मीदवारों का चयन ऑनलाइन पंजीकरण के जरिए किया जाएगा. इसके लिए 24 फरवरी तक ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया चलेगी. 8वीं के प्राप्त मार्क्स और एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज में प्रदर्शन के आधार स्टूडेंट्स का चयन होगा.

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गगनयान मिशन में मानव से पहले रोबोट ‘व्‍योम मित्र’ को अन्तरिक्ष भेजा जायेगा

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) गगनयान मिशन के अंतर्गत मानव को अन्तरिक्ष भेजने से पहले दो मानवरहित मिशनों का प्रक्षेपण करेगा. मानवरहित मिशन में ISRO ने अंतरिक्ष की स्थिति को बेहतर तरीके से समझने के लिए ह्यूमैनोयड मॉडल (मानव की तरह दिखने वाला रोबोट) भेजने की योजना बनाई है. इस ह्यूमनॉयड रोबोट को इसरो ने ‘व्योम मित्र’ नाम दिया है.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख के सिवन ने कहा कि दिसंबर 2021 में भारत के प्रथम मानवयुक्त अंतरिक्षयान ‘गगनयान’ के प्रक्षेपण के मद्देनजर इसरो दिसंबर 2020 और जून 2021 में दो मानवरहित मिशनों का प्रक्षेपण करेगा. व्योम मित्र उसी का हिस्सा है.

गगनयान मिशन तीन चरणों में पूरा होगा

गगनयान मिशन तीन चरणों में पूरा किया जायेगा. दिसंबर 2020 और जून 2021 में दो मानवरहित मिशन और उसके बाद दिसंबर 2021 में मानवयुक्त अंतरिक्ष यान. व्योम मित्र, वैज्ञानिक की तरह हर हलचल पर नज़र रखेगी. यह एक इंसान की तरह काम करेगा और वहां की जानकारियां उपलब्ध कराएगा.

गगनयान मिशन का उद्देश्य

गगनयान मिशन के तहत 2022 तक तीन भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजने का लक्ष्य है. इस मिशन का उद्देश्य न केवल अंतरिक्ष में भारत का पहला मानवयान भेजना है, बल्कि ‘निरंतर अंतरिक्ष मानव उपस्थिति’ के लिए नया अंतरिक्ष केंद्र स्थापित करना भी है. गगनयान इसरो के ‘अंतर-ग्रहीय मिशन’ के दीर्घकालिक लक्ष्य में भी मदद करेगा. अंतर-ग्रहीय मिशन दीर्घकालिक एजेंडे में शामिल है.

फ्रांस में दो हफ्ते का प्रशिक्षण

गगनयान मिशन के तहत अंतरिक्ष भेजे जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों का चयन कर लिया गया है. ये अंतरिक्ष यात्री भारतीय वायुसेना के हैं. इन चुने गए अंतरिक्षयात्रियों की सेहत की निगरानी के लिए फ्रांस, भारतीय फ्लाइट सर्जनों को प्रशिक्षण देगा. दो हफ्ते का यह प्रशिक्षण गगनयान अभियान का अहम पहलू है.

मानव अंतरिक्ष उड़ान पर अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्‍ठी आयोजित की गयी

मानव अंतरिक्ष उड़ान और अन्‍वेषण, वर्तमान चुनौतियां और भावी रूझान विषय पर अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्‍ठी बेंगलूरू में 22-24 जनवरी को आयोजित किया गया. भारतीय अं‍तरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ एस्ट्रोनॉटिक्स एंड एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया ने संयुक्‍त रूप से इसका आयोजन किया था. 2022 तक भारत के मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ के मद्देनजर यह संगोष्‍ठी महत्त्वपूर्ण है.

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ISRO के संचार उपग्रह जीसैट-30 का फ्रेंच गुयाना से सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के संचार उपग्रह जीसैट-30 का 17 जनवरी को सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया. यह प्रक्षेपण फ्रेंच गुयाना के कोउरू लांच बेस से ‘एरियन-5’ रॉकेट (अन्तरिक्ष-यान) के माध्यम से किया गया. फ्रेंच गुयाना दक्षिण अमेरिका के उत्तर पूर्वी तट पर फ्रांस के क्षेत्र में स्थित है.

जियोसिनक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में प्रक्षेपित किया गया
प्रक्षेपण में उपग्रह जीसैट-30 को जियोसिनक्रोनस (भूतुल्यकालिक) ट्रांसफर ऑर्बिट में प्रक्षेपित किया गया. आने वाले दिनों में धीरे-धीरे करके चरणबद्ध तरीके से उसे जियोस्टेशनरी (भूस्थिर) कक्षा में भेजा जाएगा. जियोस्टेशनरी कक्षा की ऊंचाई भूमध्य रेखा से करीब 36,000 किलोमीटर होती है. जीसैट-11 को जियोस्टेशनरी कक्षा में 74 डिग्री पूर्वी देशांतर पर रखा जाएगा.

उपग्रह जीसैट-30: एक दृष्टि

  • जीसैट-30 टेलीविजन, दूरसंचार और प्रसारण के लिए गुणवत्‍तापूर्ण सेवाएं उपलब्‍ध कराएगा.
  • 30 वर्ष की मिशन अवधि वाला यह उपग्रह डीटीएच, टेलीविजन अपलिंक और वीसैट सेवाओं के लिए क्रियाशील संचार उपग्रह है.
  • तीन हजार 357 किलोग्राम के इस उपग्रह में 12-सी और 12-केयू बैंड के ट्रांसपोंडर लगे हैं.
  • यह उपग्रह केयू बैंड में भारतीय मुख्य भूमि और द्वीपों को, सी बैंड में खाड़ी देशों, बड़ी संख्या में एशियाई देशों और आस्ट्रेलिया को कवरेज प्रदान करेंगा.
  • यह अपेक्षाकृत अधिक कवरेज के साथ इनसैट-4A का स्‍थान लेगा, जिसकी अवधि समाप्‍त हो रही है.
  • भारत के अलावा ऑस्‍ट्रेलिया, खाड़ी देश, और बड़ी संख्‍या में अन्‍य एशियाई देश भी इसके दायरे में आयेंगे.
  • जीसैट-30 का पेलोड विशेष रूप से इस तरह डिजाइन किया गया है कि ट्रांसपोंडरों की संख्‍या अधिक से अधिक बढ़ाई जा सके.
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ISRO मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए कर्णाटक के चल्लकेरे में केंद्र स्थापित करेगा

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने मानव मिशन के लिए कर्णाटक के चल्लकेरे (चित्रदुर्गा) में विश्वस्तरीय “मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र” (HSFC) स्थापित करेगा. इस केंद्र में अंतरिक्ष यात्रियों के प्रशिक्षण से लेकर मानव मिशन से जुड़ी सभी गतिविधियां संचालित होंगी. ISRO ने इस केंद्र के विकास के लिए 2700 करोड़ रुपए का प्रस्ताव तैयार किया है.

यह नया केंद्र योजना के मुताबिक अगले तीन साल में तैयार होगा. इसके तैयार हो जाने के बाद मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम (HSP) से जुड़ी तमाम गतिविधियां चल्लकेरे स्थित केंद्र में स्थानांतरित हो जाएंगी.

ISRO के मौजूदा मानव मिशन “गगनयान” मिशन के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षित करने के लिए रूस भेजा जा रहा है लेकिन भविष्य में यहां ऐसी सुविधाएं होंगी कि विदेश जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. दरअसल, विदेशों से सहायता के लिए भारत को भारी-भरकम राशि का भुगतान करना पड़ता है.

क्या है गगनयान मिशन?

गगनयान मिशन के तहत वर्ष 2022 तक तीन अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. इसके लिए चार अंतरिक्ष यात्रियों का चयन किया जा चुका है जिन्हें जनवरी के तीसरे सप्ताह में प्रशिक्षण के लिए रूस भेजा जाएगा. हालांकि, चल्लकेरे केंद्र के तैयार होने में अभी कम से कम तीन साल का समय लगेगा और संभवत: यह केंद्र पहले मानव मिशन के बाद ही अस्तित्व में आ पायेगा.

चल्लकेरे साइंस सिटी: एक दृष्टि

चल्लकेरे साइंस सिटी के उपनाम से मशहूर है. यहां रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (DRDO), भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC), भारतीय विज्ञान संस्थान (IISC) और इसरो के केंद्र हैं जो लगभग 10 हजार एकड़ क्षेत्र में फैले हैं.

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चीन ने ‘लॉन्ग मार्च 5’ रॉकेट का प्रक्षेपण किया, ‘शिजियान-20’ उपग्रह को प्रक्षेपित किया गया

चीन ने 27 दिसम्बर को ‘लॉन्ग मार्च 5’ रॉकेट का प्रक्षेपण किया. यह प्रक्षेपण दक्षिण चीन के हैनान में वेनचांग प्रक्षेपण स्थल से किया गया. प्रक्षेपण में इस राकेट के द्वारा ‘शिजियान-20’ नामक उपग्रह को प्रक्षेपित किया गया. यह चीन का सबसे उन्नत संचार उपग्रह है.

लॉन्ग मार्च-5: एक दृष्टि
‘लॉन्ग मार्च 5’ रॉकेट दुनिया के सबसे शक्तिशाली रॉकेट में से है. चीन इस रॉकेट के माध्यम से 2020 में मंगल ग्रह पर अपने तय मिशन को पूरा करने योजना है. यह राकेट 25 टन तक के भार ले जाने में सक्षम है.

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अमेरिका ने अंतरिक्ष बल का गठन किया, अमेरिकी सेना का छठा आधिकारिक बल होगा

अमेरिका ने हाल ही में ‘अंतरिक्ष बल’ (Space Force) के गठन की घोषणा की है. यह अंतरिक्ष बल अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के तहत कार्य करेगा. इसके गठन के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ‘राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण कानून 2020’ पर हस्ताक्षर किया है.

अंतरिक्ष बल अमेरिकी सेना का छठा आधिकारिक बल होगा. अन्य बलों में थलसेना, वायुसेना, नौसेना, मरीन और तटरक्षक बल शामिल हैं. यह कानून पेंटागन बल के लिए शुरुआती बजट तय करेगा जो सेना की पांच अन्य शाखाओं के लिए बराबर होगी.

अंतरिक्ष बल के गठन के उद्देश्य

  • अमेरिका ने चीन और रूस से लगातार मिल रही 21वीं सदी की सामरिक चुनौतियों के काट के लिए ‘अंतरिक्ष बल’ का गठन किया है. अंतरिक्ष विश्व का नया युद्ध क्षेत्र है. अमेरिकी अंतरिक्ष बल स्टार वार में यानि उपग्रह रोधी हथियार और उपग्रहों को मार गिराने वाले हथियारों के लिहाज से अपने वर्चस्व को कायम रखेगा.
  • अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने कहा है कि अंतरिक्षीय क्षमताओं पर हमारी निर्भरता बहुत तेजी से बढ़ी है और आज बाहरी अंतरिक्ष अपने आप में किसी युद्ध क्षेत्र में तब्दील हो गया है. उन्होंने कहा कि उस क्षेत्र में अमेरिकी वर्चस्व को बरकरार रखना अब अमेरिकी अंतरिक्ष बल का मिशन है.
  • वर्ष 2003 के बाद से चीन का अंतरिक्ष कार्यक्रम तेजी से आगे बढ़ा है. फरवरी 2019 में पेंटागन ने एक रिपोर्ट में कहा था कि चीन और रूस ने ऐसी प्रौद्योगिकी विकसित करने के लिए बड़े प्रयास शुरू कर दिए हैं जिनकी मदद से वे संघर्ष के हालात में अमेरिका और उसके सहयोगियों के उपग्रहों को नष्ट कर सकते हैं या उनमें गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं.

चीन की प्रतिक्रिया

अंतरिक्ष में एक ताकत के रूप में उभर रहे चीन ने अमेरिकी अंतरिक्ष बल के गठन को अंतरिक्ष में शांति और सुरक्षा के लिए सीधा खतरा बताया है. चीन ने इसे अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण इस्तेमाल पर अन्तर्राष्ट्रीय आम सहमति का गंभीर उल्लंघन और अंतरिक्ष में शांति तथा सुरक्षा के लिए सीधा खतरा बताया है.

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ISRO ने भारत की नवीनतम रडार इमेजिंग भू-पर्यवेक्षी उपग्रह RISAT-2BR1 का सफल प्रक्षेपण किया

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 11 दिसम्बर को भारत की नवीनतम रडार इमेजिंग भू-पर्यवेक्षी उपग्रह RISAT-2BR1 का सफल प्रक्षेपण किया. यह प्रक्षेपण आंध्रप्रदेश में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से PSLV-C-48 प्रक्षेपण यान (राकेट) के माध्यम से किया गया.

44.4 मीटर लंबे PSLV-C-48 का यह 50वां मिशन था. इस प्रक्षेपण में RISAT-2BR1 को 576 किलोमीटर की कक्षा में स्थापित किया गया. इस प्रक्षेपण में PSLV-C-48 ने इस्राइल, इटली, जापान और अमरीका के 9 छोटे उपग्रह को भी प्रक्षेपित किया. न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड के साथ वाणिज्यिक समझौते के तहत ये विदेशी उपग्रह प्रक्षेपित किए गये.

RISAT-2BR1 उपग्रह: एक दृष्टि

  • RISAT-2BR1 का भार 628 किलोग्राम है. यह पृथ्‍वी के रडार चित्र लेने वाला भू-प्रेक्षपण उपग्रह है. यह उपग्रह दिन और रात में काम कर सकता हैं.
  • इस उपग्रह की आयु पांच साल है और ये सैन्य उपयोग के साथ-साथ कृषि, वानिकी और आपदा प्रबंधन में भी काम आएगा.
  • यह उपग्रह निगरानी के लिए सिंथेटिक अपर्चर राडार (SAR) का उपयोग करते हैं. इसके द्वारा ख़राब मौसम में भी निगरानी की जा सकती है.
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पहली बार सिर्फ दो महिलाएं द्वारा स्पेसवॉक: क्रिस्टिना और जेसिका पहली महिला जोड़ी बनीं

अंतरिक्ष में 18 अक्टूबर को पहली बार सिर्फ दो महिलाएं स्पेसवॉक कर इतिहास रच दिया. आज स्पेसवॉक करने वाली टीम में कोई न कोई पुरुष अंतरिक्ष यात्री मौजूद रहा था. यह 421वां स्पेसवॉक था. इससे पहले किए गए सभी 420 स्पेसवॉक में पुरुष किसी न किसी रूप में शामिल रहे थे.

स्पेसवॉक में नासा के अंतरिक्षयात्री क्रिस्टिना कोच और जेसिका मीर स्पेसवॉक करने वाली पहली महिला जोड़ी बन गई. दरअसल, यह मिशन मार्च 2019 में शुरू होने वाला था लेकिन स्पेस एजेंसी के पास एक ही मध्यम साइज का सूट था, जो महिला-पुरुष कॉम्बिनेशन वाला था.

421वें स्पेसवॉक में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र में मौजूद सभी चार पुरुष भीतर ही रहे और जबकि जेसिका और क्रिस्टिना टूटे हुए बैटरी चार्जर को बदलने के लिए केंद्र से बाहर अंतरिक्ष में चहलकदमी करती दिखीं.

बैटरी चार्जर उस वक्त खराब हो गया था जब कोच और चालक दल के एक पुरुष सदस्य ने पिछले हफ्ते अंतरिक्ष केंद्र के बाहर नई बैटरियां लगाईं थीं. नासा ने इस समस्या को ठीक करने के लिए बैटरी बदलने के बाकी काम स्थगित कर दिया और महिलाओं के नियोजित स्पेसवॉक को आगे बढ़ा दिया था.

भारतीय शास्त्रीय गायक पंडित जसराज के नाम पर एक क्षुद्रग्रह का नाम रखा गया

इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन (IAU) ने भारतीय गायक पंडित जसराज के नाम पर एक क्षुद्रग्रह (एस्टेरोइड) का नाम ‘पंडित जसराज’ रखा है. भारतीय शास्त्रीय गायक जसराज यह सम्मान पाने वाले पहले भारतीय कलाकार हैं.

यह क्षुद्रग्रह वीपी 32 (नंबर-300128) है. इसका नंबर 300128, जसराज की जन्मतिथि 28 जनवरी 1930 पर रखा गया है. इसकी खोज 11 नवंबर 2006 को हुई थी. यह क्षुद्रग्रह एक छोटे ग्रह के नाम से जाना जाता है जो मंगल और बृहस्पति की कक्षाओं के बीच भ्रमण करता है.

पूर्व में यह सम्मान पा चुके महान संगीतकार मोजार्ट, बीथोवन और टेनर लूसियानो पावरोत्ति के साथ अब भारतीय गायक का नाम भी जुड़ गया है.


इसरो की ऐतिहासिक कामयाबी: ‘चन्द्रयान-2’ का सफल प्रक्षेपण कर इतिहास रचा