25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाया जाएगा
भारत सरकार ने प्रत्येक वर्ष 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया है. इस संबंध में सरकार ने अधिसूचना 12 जुलाई को जारी की थी.
25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वर्ष देश में आपातकाल लगाया था. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि यह दिवस उन घटनाओं का स्मरण कराएगा, जब भारत के संविधान को रौंदा गया था. यह दिन हर उस व्यक्ति को श्रद्धांजलि देने का दिन है, जिसने आपातकाल की ज्यादतियों को सहा था.
1975 का आपातकाल: मुख्य बिन्दु
- 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वर्ष देश में आपातकाल लगाया था जो 21 महीने तक देश में लागू रहा. 21 मार्च 1977 को इसे वापस ले लिया गया. देश में यह आपातकाल संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत लगाया था.
- प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने मंत्रिपरिषद से परामर्श किये बिना तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद को आपातकाल लगाने की सलाह दी.
- आपातकाल के दौरान इंदिरा सरकार ने लोगों के सभी मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया था, विपक्षी नेताओं को जेलों में डाल दिया और प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी थी.
- आपातकाल की घोषणा की उत्पत्ति 12 जून 1975 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले से मानी जाती है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने रायबरेली लोकसभा सीट से इंदिरा गांधी के चुनाव को अमान्य घोषित का दिया था.
- न्यायालय ने उन्हें चुनावी कदाचार का दोषी ठहराया था. उन पर अगले छह साल तक चुनाव लड़ने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया.
- जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने इंदिरा सरकार के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन शुरू किया ताकि इंदिरा गांधी को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया जा सके.
- जय प्रकाश नारायण ने पुलिस और सेना से सरकार के अनैतिक आदेशों की अवहेलना करने के लिए भी कहा.
- सरकार ने इसे आंतरिक अशांति के कारण भारत की सुरक्षा के लिए ख़तरा बताया और 25 जून 1975 को पूरे देश में आपातकाल लगा दिया.
संवैधानिक प्रावधान
- भारत के राष्ट्रपति अनुच्छेद 352 (राष्ट्रीय आपातकाल), अनुच्छेद 356 (किसी राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता) और अनुच्छेद 360 (वित्तीय आपातकाल) के तहत देश में आपातकाल लगा सकते हैं.
- संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह (आंतरिक अशांति) के कारण पूरे देश या देश के किसी हिस्से की सुरक्षा को खतरा होने पर राष्ट्रपति केंद्रीय मंत्रिपरिषद की सलाह आपातकाल लगा सकते हैं.
- आंतरिक अशांति शब्द को बाद में 42वें संवैधानिक संशोधन 1978 द्वारा ‘सशस्त्र विद्रोह’ द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया.