17 जून: विश्व मरुस्थलीकरण रोकथाम दिवस से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी

प्रत्येक वर्ष 17 जून को ‘विश्व मरुस्थलीकरण रोकथाम दिवस’ (World Day to Combat Desertification and Drought) मनाया जाता है. इस दिवस का उद्देश्य अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग से बंजर और सूखे के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए जन जागरुकता को बढ़ावा देना है.

विश्व मरुस्थलीकरण रोकथाम दिवस 2023 की थीम

इस वर्ष यानी 2023 में इस दिवस का मुख्य विषय (थीम)– ‘उसकी भूमि. उसके अधिकार’ (Her land. Her rights) है.

विश्व मरुस्थलीकरण रोकथाम दिवस का इतिहास

वर्ष 1994 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मरुस्थलीकरण रोकथाम कन्वेंशन के कार्यान्वयन के लिए विश्व मरुस्थलीकरण रोकथाम और सूखा दिवस की घोषणा की थी. पहला विश्व मरुस्थलीकरण रोकथाम दिवस (WDCD) वर्ष 1995 से मनाया गया था.

मरुस्थलीकरण क्या है?

मरुस्थलीकरण जमीन के अनुपजाऊ हो जाने की प्रक्रिया है. जलवायु परिवर्तन तथा मानवीय गतिविधियों समेत अन्य कई कारणों से शुष्क, अर्द्ध-शुष्क और निर्जल अर्द्ध-नम इलाकों की जमीन मरुस्थल या रेगिस्तान में बदल जाती है. इससे जमीन की उत्पादन क्षमता में कमी और ह्रास होता है.

वर्तमान में समस्त विश्व के कुल क्षेत्रफल का 20 प्रतिशत मरुस्थलीय भूमि के रूप में है. जबकि सूखाग्रस्त भूमि कुल वैश्विक क्षेत्रफल का एक तिहाई है.

मरुस्थलीकरण भारत की प्रमुख समस्या

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में मरुस्थलीकरण भारत की प्रमुख समस्या बनती जा रही है. भारत का 29.32 फीसदी क्षेत्र मरुस्थलीकरण से प्रभावित है. इसमें से 82 प्रतिशत हिस्सा केवल आठ राज्यों राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, जम्मू एवं कश्मीर, कर्नाटक, झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश और तेलंगाना में हैं.

मरुस्थलीकरण से निवारण के उपाय

वनीकरण को प्रोत्साहन इस समस्या से निपटने में सहायक हो सकता है, कृषि में रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर जैविक उर्वरकों का प्रयोग सूखे को कम करता है. फसल चक्र को प्रभावी रूप से अपनाना और सिंचाई के नवीन और वैज्ञानिक तरीकों को अपनाना जैसे बूंद-बूंद सिंचाई, स्प्रिंकलर सिंचाई आदि.

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