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स्‍कूली शिक्षा में सूधार के लिए विश्व बैंक द्वारा समर्थित STARS परियोजना को मंजूरी दी गयी

सरकार ने हाल ही में STARS परियोजना को मंजूरी दी है. यह मंजूरी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दी. इस परियोजना की कुल लागत 5,718 करोड़ रुपए है, जिसे विश्व बैंक के सहयोग से पूरा किया जायेगा.

STARS परियोजना क्या है?

STARS का पूरा रूप Strengthening Teaching-Learning and Results for States है. यह भारतीय स्कूल शिक्षा प्रणाली में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए ‘स्‍कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग’, शिक्षा मंत्रालय के तहत केन्‍द्र सरकार की एक नई परियोजना है. यह कार्यक्रम भारत सरकार द्वारा विश्वबैंक के सहयोग से चलाया जा रहा है.

STARS परियोजना के मुख्य बिंदु:

  • STARS परियोजना की कुल लागत 5,718 करोड़ रुपए में लगभग 3700 करोड़ रुपए की सहायता राशि विश्व बैंक से प्राप्त होगी.
  • ‘स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग’ के तहत एक स्वतंत्र और स्वायत्त संस्थान के रूप में ‘परख’ (PARAKH) नामक ‘राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र’ की स्थापना की जाएगी. ‘परख’, ‘नई शिक्षा नीति (NEP)-2020’ में प्रस्तावित मूल्यांकन सुधारों में से एक है.
  • यह परियोजना 6 राज्यों- हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, केरल और ओडिशा में चलायी जाएगी. 15 लाख स्कूलों में पढ़ रहे छह से 17 वर्ष तक की उम्र के 25 करोड़ विद्यार्थी तथा एक करोड़ से अधिक शिक्षक इस कार्यक्रम से लाभान्वित होंगे.

संयुक्‍त पात्रता परीक्षा के लिए राष्‍ट्रीय भर्ती संस्था के गठन को मंजूरी

केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने सरकारी नौकरियों के लिए संयुक्‍त पात्रता परीक्षा (Common Eligibility Test) के आयोजन के लिए राष्‍ट्रीय भर्ती संस्था (National Recruitment Agency) के गठन को मंजूरी दी है. यह संस्था समूह ‘ख’ और समूह ‘ग’ में गैर-तकनीकी पदों के लिए उम्‍मीदवारों की जांच और चयन के लिए सामान्‍य पात्रता परीक्षा संचालित करेगी. भारत सरकार ने NRA के लिए 1517.57 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं.

इस एजेंसी में रेल मंत्रालय, वित्‍त मंत्रालय, कर्मचारी चयन आयोग (SSC), रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB) और बैंकिंग कर्मी चयन संस्‍थान (IBPS) के प्रतिनिधि होंगे.

राष्‍ट्रीय भर्ती संस्था: मुख्य बिंदु

  • राष्‍ट्रीय भर्ती संस्था (NRA) समूह सरकार के सभी ‘ख’ और समूह ‘ग’ में गैर-तकनीकी पदों के लिए एक सामान्य योग्यता परीक्षा (CET) आयोजित करेगी.
  • स्नातक, उच्च-माध्यमिक (12वीं पास) और मैट्रिक (10वीं पास) वाले उम्‍मीदवारों के लिए अलग-अलग CET का संचालन किया जाएगा.
  • CET के अंक परिणाम घोषित होने की तिथि से तीन वर्ष की अवधि के लिए मान्‍य होंगे. मान्‍य अंकों में सर्वश्रेष्‍ठ अंकों को उम्‍मीदवार के मौजूदा अंक माना जाएगा. उम्‍मीदवार अधिकतम आयु सीमा से पहले CET कितनी बार भी दे सकेगा.
  • सरकार की मौजूदा नीति के अनुसार अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्‍य पिछडा वर्ग और अन्‍य श्रेणी के उम्‍मीदवारों को अधिकतम आयु सीमा में छूट दी जाएगी.
  • उम्‍मीदवारों को सामान्‍य पात्रता परीक्षा के पोर्टल पर पंजीकरण कराने और अपनी पंसद का केन्‍द्र चुनने की सुविधा होगी.

नई शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी, मानव संसाधन मंत्रालय अब शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाएगा

सरकार ने देश में नई शिक्षा नीति (New Education Policy) 2020 को मंजूरी दे दी है. यह मंजूरी 29 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में दी गयी. बैठक में लिए गये निर्णय की जानकारी मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने जानकारी दी.

मानव संसाधन मंत्रालय का नया नाम शिक्षा मंत्रालय

बैठक में लिए गये निर्णय के तहत अब मानव संसाधन मंत्रालय (HRD) को शिक्षा मंत्रालय के (Education Ministry) नाम से जाना जाएगा. शुरुआत में इस मंत्रालय का नाम शिक्षा मंत्रालय ही था लेकिन 1985 में इसे बदलकर मानव संसाधन मंत्रालय नाम दिया गया था. नई शिक्षा नीति के मसौदे में इसे फिर से ‘शिक्षा मंत्रालय’ नाम देने का सुझाव दिया गया था.

कस्तूरीरंग की अध्यक्षता में समिति का गठन

सरकार ने नई शिक्षा नीति के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व अध्यक्ष के. कस्तूरीरंगन की अगुआई में एक समिति का गठन किया था. इस समिति ने पिछले साल मानव संसाधन मंत्रालय में नई शिक्षा नीति के मसौदे को प्रस्तुत किया था. बाद में उस मसौदे को लोगों के सुझावों के लिए रखा गया. मंत्रालय को इसके लिए करीब सवा 2 लाख सुझाव आए थे. उच्च शिक्षा और स्कूली शिक्षा के लिए अलग-अलग टीमें बनाई गई थी.

2030 तक सौ प्रतिशत साक्षरता

नई शिक्षा नीति 2020 का लक्ष्‍य 2030 तक सौ प्रतिशत युवा और प्रौढ़ साक्षरता प्राप्ति करना है. इसका उद्देश्‍य 2030 तक स्‍कूली शिक्षा में सौ प्रतिशत सकल नामांकन अनुपात के साथ पूर्व विद्यालय स्‍तर से माध्‍यमि‍क स्‍तर तक की शिक्षा का सार्वभौमिकरण करना है.

उच्च शिक्षा

नई शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा के लिए अलग अलग रेगुलेटर की बजाय एक ही रेगुलेटर की बात कही गई है. वर्ष 2035 तक उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सकल नामांकन दर को 50 प्रतिशत के लक्ष्य तक पहुंचाना जायेगा.

नई शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा में मल्टीपल इंट्री और एक्जिट की बात कही गई है. यानि एक साल पढ़ाई करने के बाद अगर कोई बीच में पढ़ाई छोड़ देता है तो भी उसे सर्टिफिकेट मिलेगा, जबकि दो साल के बाद डिप्लोमा पाने का हकदार होगा और तीन या चार साल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उसे डिग्री मिलेगी.

छात्रों के लिए तीन या चार साल के डिग्री प्रोग्राम का विकल्प रहेगा. नौकरी के इच्छुक छात्रों के लिए तीन साल की जबकि रिसर्च के इच्छुक छात्रों के लिए चार साल की डिग्री का विकल्प रहेगा.

स्कूली शिक्षा

स्कूली शिक्षा के बुनियादी ढांचे में बदलाव किया गया है और 10+2 की बजाय 5+3+3+4 यानि 15 साल की स्कूली शिक्षा की रूपरेखा तय की गई है. यानि पहली बार प्री प्राईमरी शिक्षा को शिक्षा प्रणाली का हिस्सा बनाया गया है. NCERT प्री प्राइमरी शिक्षा के लिए लिए पाठ्यक्रम तैयार करेगा.

साथ ही लक्ष्य रखा गया है कि हर बच्चा जब स्कूली शिक्षा हासिल कर निकले तो कम के कम एक वोकेशनल स्किल हासिल करके निकले यानि स्कूली शिक्षा को रोजगारपरक बनाने का लक्ष्य इस नई नीति में तय किया गया है.

नई शिक्षा नीति 2020: मुख्य बिंदु

  • केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर शिक्षा पर जीडीपी का 6 फीसदी खर्च करने की दिशा में काम करेंगी.
  • बुनियादी सुविधाओं से वंचितक्षेत्रों और समूहों के लिए बालक-बालिका समावेशी कोष और विशेष शिक्षा क्षेत्र स्‍थापित किया जाएगा.
  • देश में शोध और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की जाएगी.
  • NCERT आठ वर्ष की आयु तक के बच्‍चों के लिए प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा के लिए एक राष्‍ट्रीय पाठ्यक्रम और शैक्षणिक ढांचा विकसित करेगा.
  • एक मानक निर्धारक निकाय के रूप में नया राष्‍ट्रीय आकलन केन्‍द्र ‘परख’ स्‍थापित की जाएगी.
  • अध्‍यापक शिक्षण के लिए एक नया और व्‍यापक राष्‍ट्रीय पाठ्यक्रम ढांचा NCFTE 2021 तैयार किया जाएगा.
  • पांचवी तक पढ़ाई के लिए होम लैंग्वेज, मातृ भाषा या स्थानीय भाषा माध्यम होगा.
  • छठी कक्षा के बाद से ही वोकेशनल एजुकेशन की शुरुआत होगी.
  • बोर्ड एग्जाम रटने पर नहीं बल्कि ज्ञान के इस्तेमाल पर अधारित होंगे.
  • नई शिक्षा नीति में एमफिल कोर्सेज को खत्म किया जायेगा.
  • लीगल और मेडिकल कॉलेजों को छोड़कर सभी उच्च शिक्षण संस्थानों का संचालन सिंगल रेग्युलेटर के जरिए होगा.
  • विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा होंगे.
  • सभी सरकारी और निजी उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए एक तरह के मानदंड होंगे.
  • देश की वर्तमान शिक्षा नीति को 1986 में तैयार किया गया था. 1992 में उसमें सुधार किया गया था.

ऑनलाइन एजुकेशन से जुड़े दिशा-निर्देश ‘PRAGYATA’ जारी किये गये

मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने देश में ऑनलाइन एजुकेशन से जुड़े प्रज्ञता (PRAGYATA) दिशा-निर्देशों को जारी किया. इन दिशा-निर्देशों के तहत कक्षा 1 से 12 तक के छात्रों के लिए प्रतिदिन ऑनलाइन पढ़ाई की समय सीमा तय की गई है.

PRAGYATA, प्लान, रिव्यू, अरेंज, गाइड, टॉक, असाइन, ट्रैक एंड एप्रिशिएट (Plan- Review- Arrange- Guide- Yak (talk)- Assign- Track- Appreciate) का संक्षिप्त रूप है.

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इन दिशा-निर्देशों के मुताबिक प्री-प्राइमरी कक्षाओं के लिए प्रतिदिन अधिकतम 30 मिनट की समय-सीमा तय की गई है. यह समय-सीमा अभिभावकों के साथ बातचीत और उन्हें निर्देश देने के लिए है.

कक्षा 1 से 8 तक के विद्यार्थी हर रोज़ 30 से 45 मिनट के अधिकतम दो ऑनलाइन सत्र में ही शामिल हो सकते हैं, जबकि कक्षा 9 से 12 के विद्यार्थी 30 से 45 मिनट के अधिकतम 4 ऑनलाइन सत्र में पढ़ाई कर सकते हैं. ऑनलाइन पढ़ाई के दिन राज्य अपने हिसाब से तय कर सकते हैं.

गौरतलब है कि कोरोना महामारी का असर स्कूल जाने वाले 24 करोड़ से भी अधिक छात्रों पर पड़ा है. इस असर को कम करने के लिए स्कूलों को न केवल शिक्षा और शिक्षण के तौर-तरीकों में बदलाव करने होंगे, बल्कि ऐसे तरीके ढूंढने होंगे जिससे बच्चों को घर पर और स्कूल में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मुहैया कराई जा सके.

विश्व बैंक ने भारतीय राज्यों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिये ऋण स्वीकृत किये

विश्व बैंक (World Bank) ने छह भारतीय राज्यों में स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता और संचालन में सुधार के लिये 50 करोड़ डॉलर (लगभग 3,700 करोड़ रुपये) के ऋण स्वीकृत किये हैं. जिन राज्यों को यह लाभ मिलेगा उनमें हिमाचल प्रदेश, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान शामिल हैं.

विश्व बैंक ने यह राशि देश में चल रहे ‘टीचिंग-लर्निंग एंड रिजल्ट्स फोर स्टेट्स प्रोग्राम’ (STARS Programme) के लिए दिया जायेगा. यह राज्यों के साथ भागीदारी में मूल्यांकन प्रणालियों को बेहतर बनाने, कक्षा निर्देश और पदावनति को मजबूत करने में मदद करेगा.

15 लाख स्कूलों में पढ़ रहे छह से 17 वर्ष की उम्र के 25 करोड़ विद्यार्थी तथा एक करोड़ से अधिक शिक्षक इस कार्यक्रम से लाभान्वित होंगे.

STARS Programme क्या है?

STARS का पूरा रूप Strengthening Teaching-Learning and Results for States है. यह कार्यक्रम भारत सरकार द्वारा विश्वबैंक से चलाया जा रहा है. सरकारी स्कूलों में शिक्षा को मजबूती देने तथा हर किसी को शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 1994 में यह कार्यक्रम शुरू किया गया था.

MHRD ने डिजिटल पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराने के लिए ‘विद्यादान’ की शुरुआत की

मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) ने ऑनलाइन शिक्षा को मजबूत बनाने के लिए ‘विद्यादान’ (VidyaDaan) की शुरुआत की है. इसकी शुरुआत मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने 22 अप्रैल को की. इसका उद्देश्य कोरोनावायरस के संक्रमण को रोकने के लिए विभिन्न ऑनलाइन एजुकेशन प्लेटफार्म पर गुणवत्तापूर्ण डिजिटल पाठ्य सामग्री उपलब्ध करवाना है.

क्या है विद्यादान ?

  • विद्यादान एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है जिसके तहत विभिन्न शिक्षाविदों और संगठनों को पाठ्यक्रम के अनुसार ई-लर्निंग सामग्री विकसित करने और इसमें योगदान देने के लिए जोड़ा जायेगा. जो भी ई-लर्निंग सामग्री विकसित करने में अपना योगदान देना चाहते हैं वो व्याख्यात्मक वीडियो, एनिमेशन, पथ योजनाओं, मूल्यांकन और प्रश्न बैंक के रूप में अपना योगदान दर्ज करवा सकते हैं.
  • इस कार्यक्रम के तहत समस्त सामग्री की समीक्षा विशेषज्ञों द्वारा की जाएगी और उसके बाद उसको ‘दीक्षा एप’ (DIKSHA App) पर उपयोग के लिए जारी किया जायेगा. जिससे देश भर के छात्रों को कहीं भी और कभी भी पढाई करने की सुविधा उपलब्ध होगी.
  • राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपने-अपने हिसाब से विद्यादान कार्यक्रम शुरू कर सकते हैं, इसमें व्यक्तियों, संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों, एडटेक संगठनों, शिक्षकों आदि को इससे जोड़ कर इसमें पाठ्य सामग्री क्षेत्रीय भाषा और अपने-अपने क्षेत्रों के सन्दर्भ में भी उपलब्ध करवा सकते हैं.

ऑनलाइन शिक्षा के लिए ‘भारत पढ़े ऑनलाइन’ अभियान शुरू किया गया

मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) ने भारत में ऑनलाइन शिक्षा के जरिये लोगों को आपस में जोड़ने एवं लोगों के विचार जानने के उद्देश्‍य से ‘भारत पढ़े ऑनलाइन’ अभियान शुरू किया है. मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने 10 अप्रैल को इसकी शुरूआत की.

इस अभियान का उद्देश्य भारत की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को आमंत्रित करना है ताकि ऑनलाइन शिक्षा की बाधाओं को दूर करते हुए उपलब्ध डिजिटल शिक्षा प्लेटफार्मों को बढ़ावा दिया जा सके. इसके जरिये मंत्रालय के साथ सुझाव और समाधान सीधे साझा किए जा सकेंगे तथा उपलब्‍ध डिजिटल शिक्षा प्‍लेटफॉर्मों को बढ़ावा मिलेगा.

UGC ने उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए पांच नए दिशा-निर्देश जारी किए

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए 26 दिसम्बर को पांच नए दिशा-निर्देश जारी किए. मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने नई दिल्ली में मूल्य प्रवाह, गुरु दक्षता, सतत, केयर और मूल्यांकन सुधार नाम से इन दिशा-निर्देशों को जारी किया. इनका मकसद शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के साथ-साथ भारत के शैक्षणिक संस्थानों की रैंकिंग सुधारकर इन्हें दुनिया के शीर्ष सौ संस्थानों में शामिल करना है.

  • नए दिशा-निर्देशों के तहत छात्र के मूल्यांकन को अधिक सार्थक और प्रभावी बनाया जाएगा और मूल्यांकन को लर्निंग आउटकम से जोड़ा जाएगा. इसके अलावा गुणवत्तापूर्ण जर्नल्स की निरंतर निगरानी के लिए यूजीसी केयर की शुरुआत की गई है.
  • शैक्षणिक संस्थानों में मानवीय मूल्यों की संस्कृति को बढ़ावा देने के मकसद से UGC ने मूल्य प्रवाह नाम से दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं.
  • कॉलेज और विश्वविद्यालयों के शिक्षकों के लिए गुरु दक्षता की शुरुआत भी की गई है, जिसके तहत शिक्षकों के लिए 1 महीने का शिक्षक प्रेरण कार्यक्रम (इंडक्शन प्रोग्राम) अनिवार्य किया जाएगा. इसका मकसद शिक्षकों को छात्रों के समक्ष रोल मॉडल यानि आदर्श के तौर पर पेश करना है.
  • शैक्षणिक संस्थानों में पर्यावरण के अनुकूल सतत कैंपस के विकास के लिए सतत नाम से दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं. इसका मकसद संस्थानों को भविष्य में सतत हरित तरीकों को अपनाने के लिए प्रेरित करना है.

11 नवम्‍बर: राष्‍ट्रीय शिक्षा दिवस से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी

प्रत्‍येक वर्ष 11 नवम्‍बर को भारत में राष्‍ट्रीय शिक्षा दिवस (National Education Day) के रूप में मनाया जाता है. यह दिवस स्‍वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती पर मनाया जाता है. देश की शिक्षा प्रणाली की आधारशिला रखने में उनका महत्‍वपूर्ण योगदान है. मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रुप में मनाये जाने का फैसला 11 सितंबर 2008 को किया था.

मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती

महान स्‍वतंत्रता सेनानी और शिक्षाविद् मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्म 11 नवम्‍बर 1888 को हुआ था. उन्होंने 1947 से 1958 तक स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया था. शिक्षा मंत्री रहते हुए उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की स्थापना की थी. उनका मुख्य लक्ष्य प्राइमरी शिक्षा को बढ़ाना था.

1992 में मौलाना अबुल कलाम आजाद को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. भारत की आजादी के बाद मौलाना अबुल कलाम ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की स्थापना की थी.

एक्टिव लर्निंग स्‍टडी वेब कार्यक्रम ‘स्‍वयम्’ का शुभारंभ
राष्‍ट्रीय शिक्षा दिवस के अवसर पर मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक नई दिल्‍ली में युवाओं के लिए एक्टिव लर्निंग स्‍टडी वेब कार्यक्रम ‘स्‍वयम्’ के दूसरे चरण का शुभारंभ किया. स्‍वयम् कार्यक्रम शिक्षा नीति के तीन प्रमुख सिद्धांतों – सब तक पहुंच, समानता और गुणवत्‍ता हासिल करने के लिए सरकार की महत्‍वपूर्ण पहल है.

24 जनवरी को अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है…»

सरकार ने 9वीं और 10वीं कक्षा के छात्रों के लिए एप्टीट्यूड टेस्ट ‘तमन्ना’ शुरू की

भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 9वीं और 10वीं कक्षा के छात्रों के लिए एक उच्च-स्तरीय अभिक्षमता या कौशल परीक्षा का मॉड्यूल ‘तमन्ना’ (Try And Measure Aptitude And Natural Abilities) तैयार किया है.

‘तमन्ना’ का उद्देश्य 9वीं और 10वीं कक्षा के छात्रों के एप्टीट्यूड का पता लगाना है, ताकि वह किस दिशा में अपना करियर बना सकते हैं.

नीति आयोग की स्‍कूली शिक्षा गुणवत्‍ता सूचकांक: केरल पहले और उत्तर प्रदेश अंतिम स्थान पर

नीति आयोग ने स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता सूचकांक 2019 जारी किया है. नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने 30 सितम्बर को इस सूचकांक को जारी किया. आयोग द्वारा जारी किया गया यह इस तरह का पहला सूचकांक है.

इस सूचकांक के जारी करने का उद्देश्य राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा बढाना है जिससे इस क्षेत्र में बढ़िया करने की प्रेरणा मिलेगी. स्कूली शिक्षा गुणवत्ता सूचकांक का संदर्भ वर्ष 2016-17 और आधार वर्ष 2015-16 को लिया गया है.

बड़े राज्यों में केरल शीर्ष पर

देश के 20 बड़े राज्यों में पहले स्थान पर केरल, दूसरे पर राजस्थान और तीसरे स्थान पर कर्नाटक रहा. 20 बड़े राज्यों की इस सूची में आबादी के लिहाज से सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश अंतिम स्थान पर है. लगातार सुधार (इंक्रिमेंटल परफॉर्मेंस) रैंकिंग में हरियाणा पहले, असम दूसरे और उत्तर प्रदेश तीसरे स्थान पर रहा.

छोटे राज्यों में मणिपुर शीर्ष पर

छोटे राज्यों के संपूर्ण प्रदर्शन श्रेणी में मणिपुर शीर्ष पर है, जबकि त्रिपुरा दूसरे और गोवा तीसरे स्थान पर रहा. छोटे राज्यों के लगातार सुधार रैंकिंग में मेघालय को पहला स्थान मिला. उसके बाद नगालैंड और गोवा का स्थान रहा है.