NMC ने डॉक्टरों को हिपोक्रेटिक शपथ की जगह ‘चरक शपथ’ दिलाये जाने का सुझाव दिया

भारत के शीर्ष चिकित्सा शिक्षा नियामक, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने डॉक्टरों को हिपोक्रेटिक शपथ की जगह ‘चरक शपथ’ दिलाये जाने का सुझाव दिया है. डॉक्टरों को यह शपथ पढ़ाई पूरी करने के बाद स्नातक समारोह के दौरान दिया जाता है.

चरक शपथ, आयुर्वेद विशारद महर्षि चरक की चिकित्सा को लेकर किताब ‘चरक संहिता’ पर आधारित होगी. यह शपथ दिलाये जाने का उद्देश्य भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देना है.

अब तक की परंपरा के अनुसार मेडिकल में स्नातक की पढ़ाई पूरी कर लेने के बाद छात्रों को हिपोक्रेटिक शपथ दिलाई जाती रही है. इसमें भावी डॉक्टरों से मरीजों की सेवाभाव और उनकी जान बचाने की प्राथमिकता जैसे कई वादे लिए जाते थे.

हिपोक्रेटिक शपथ और चरक शपथ

  • अभी तक डॉक्टरों को प्राचीन यूनानी चिकित्सक हिप्पोक्रेट के सिद्धांतों की शपथ दिलाई जाती थी. NMC के अनुसार देश की चिकित्सा का समृद्ध इतिहास रहा है, यहां आचार्य चरक जैसे महान विशेषज्ञ रहे हैं तो फिर विदेशी सिद्धांतों को मानने की क्या आवश्यकता है.
  • हिपोक्रेटिक शपथ में अब तक भावी डॉक्टर्स से वादा लिया जाता रहा है कि वह बिना अपने पद का दुरुपयोग किए, मरीजों की सेवा करने को अपना धर्म मानेंगे. अपने साथी डॉक्टर्स का सम्मान करेंगे और हर मुश्किल में उनका साथ देंगे. शपथ की यह प्रक्रिया डॉक्टरों को उनके कर्तव्य और जिम्मेदारी के प्रति बाध्य करती है.
  • चरक-शपथ के मुताबिक- ”ना अपने लिए और ना ही दुनिया में मौजूद किसी वस्तु या फायदे को पाने के लिए, बल्कि सिर्फ इंसानियत की पीड़ा को खत्म करने के लिए मैं अपने मरीजों का इलाज करूंगा.”
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