जानिए क्या है भारत और नेपाल के बीच कालापानी विवाद, भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण

भारत और नेपाल के बीच हाल के दिनों में कालापानी विवाद चर्चा में रहा है. दोनों देशों के बीच यह मुद्दा तब सुर्खियों में आ गया जब भारत ने जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के बाद देश का नया राजनीतिक नक्शा प्रकाशित किया था. नेपाल कालापानी बॉर्डर के मुद्दे पर भारत से बात करना चाहता है. इस बीच भारत सरकार ने कहा है कि नए नक्शे में नेपाल के साथ लगी सीमा में किसी तरह के बदलाव से इंकार किया है.

कहां है कालापानी?

कालापानी चीन, नेपाल और भारत की सीमा के मिलन-बिंदु पर 372 वर्ग किमी का क्षेत्र है. भारत इसे उत्तराखंड का हिस्सा मानता है जबकि नेपाल इसे अपने नक्शे में दर्शाता है.

नेपाली सुप्रीम कोर्ट में याचिका

नेपाली सुप्रीम कोर्ट में इससे संबंधित याचिका दायर कर मांग की गई थी कि वह नेपाल सरकार को नेपाली भूभाग के संरक्षण के लिए राजनीतिक और कूटनीतिक प्रयास शुरू करने का आदेश दे. इस याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने नेपाल सरकार से दो वास्तविक नक्शे उपलब्ध कराने को कहा है. एक नक्शा 1816 में सुगौली समझौते का और दूसरा नक्शा 1960 के सीमा संधि का.

सुगौली संधि क्या है?

नेपाल और ब्रिटिश इंडिया के बीच सुगौली संधि साल 1816 में हुआ था. इसमें कालापानी इलाके से होकर बहने वाली महाकाली नदी भारत-नेपाल की सीमा मानी गई है. नेपाल का दावा है कि विवादित क्षेत्र के पश्चिमी क्षेत्र से गुजरने वाली जलधारा ही वास्तविक नदी है, इसलिए कालापानी नेपाल के इलाके में आता है. वहीं, भारत नदी का अलग उद्गम स्थल बताते हुए इस पर अपना दावा करता है.

सुगौली संधि के अंतर्गत नेपाल को अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों से उन सभी हिस्सों पर हक छोड़ना था, जो नेपाल के राजा ने युद्धों में जीतकर हासिल किए थे. इनमें पूर्वोत्तर में सिक्किम रियासत तथा पश्चिम में कुमाऊं और गढ़वाल के क्षेत्र भी शामिल थे.

चीनी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए महत्वपूर्ण है कालापानी

कालापानी इलाके का लिपुलेख दर्रा चीनी गतिविधियों पर नजर रखने के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है. 1962 से ही कालापानी पर भारत की इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस की पहरेदारी है.

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