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प्रधान मंत्री ने जम्मू-कश्मीर में सोनमर्ग सुरंग का उद्घाटन किया

  • प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 जनवरी 2025 को जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले में सोनमर्ग सुरंग (टनल) का उद्घाटन किया. इस सुरंग को पहले Z-मोड़ सुरंग (Z-Morh tunnel) नाम से जाना जाता था.
  • लगभग 12 किलोमीटर लंबी इस सुरंग परियोजना का निर्माण 2,700 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से किया गया है. इसका निर्माण मई 2015 में शुरू हुआ था और जिसे 2024 में पूरा किया जाना था.
  • श्रीनगर-लेह NH-1 पर बनी इस सुरंग के बनने के बाद अब श्रीनगर-लेह हाइवे पर गगनगीर से सोनमर्ग के बीच एक घंटे की दूरी अब महज 15 मिनट में पूरी की जा सकेगी. इससे पूरे रास्ते को पूरा करने में पहले 3 से 4 घंटे का समय लगता था, वो दूरी अब सिर्फ 45 मिनट में पूरी हो जाएगी.
  • सोनमर्ग सुरंग, जोजिला टनल प्रोजेक्ट का हिस्सा है. जिसका मकसद पूरे साल श्रीनगर से लद्दाख तक आवाजाही सुचारू रूप से चालू रखना है.
  • इस सुरंग के जरिए श्रीनगर, द्रास, कारगिल और लेह के इलाके में सिक्योरिटी बेहतर करने में मदद मिलेगी. साथ ही बॉर्डर के नजदीकी इलाकों का इंफ्रास्ट्रक्चर भी मजबूत होगा.
  • सुरंग के बनने से पहले यहां जो सड़क थी, वो अंग्रेजी के ‘Z’ अक्षर के आकार की थी, इसीलिए इसका नाम जेड मोड़ टनल रखा गया था.
  • सुरंग के निर्माण में इस रोड पर पड़ने वाले हिमस्खलन प्रभावित उस हिस्से को हटा दिया गया है, जो अक्सर भारी बारिश के कारण महीनों तक बंद रहता था.

उमर अब्दुल्ला ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में उमर अब्दुल्ला ने 16 अक्टूबर 2024 को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. उनके साथ, पांच मंत्रियों ने भी शपथ ली. जम्मू क्षेत्र से नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक सुरिंदर कुमार चौधरी ने उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.

मुख्य बिन्दु

  • जम्मू और कश्मीर के उप-राज्यपाल, मनोज सिन्हा ने श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में आयोजित एक समारोह में मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिपरिषद को पद की शपथ दिलाई.
  • हाल ही में संपन्न चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस की अगुवाई में गठबंधन को बहुमत मिला था. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कांग्रेस के साथ विधान सभा चुनाव लड़ा था.
  • नेशनल कॉन्फ्रेंस 42 सीटों, जबकि कांग्रेस ने 6 सीटें जीतीं. भारतीय जनता पार्टी 26 सदस्यों के साथ विधान सभा में मुख्य विपक्षी दल है. मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता हैं.

6 साल बाद जम्मू और कश्मीर से राष्ट्रपति शासन हटा

  • 2018 में पीडीपी-बीजेपी गठबंधन सरकार के पतन के बाद से जम्मू और कश्मीर राष्ट्रपति शासन के अधीन था.
  • 13 अक्टूबर 2024 को राष्ट्रपति द्वारा 6 साल बाद जम्मू और कश्मीर से राष्ट्रपति शासन हटा दिया गया था.
  • उमर अब्दुल्ला ने दूसरी बार जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है. इससे पहले वह जनवरी 2009 से जनवरी 2014 तक तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य के मुख्यमंत्री रहे थे.
  • 31 अक्टूबर 2019 को संसद ने जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया था. इस प्रकार वह केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री होंगे.
  • जम्मू और कश्मीर का विभाजन और उसके स्थिति में बदलाव भारतीय संसद द्वारा पारित जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के प्रावधान के तहत किया गया था.
  • जम्मू-कश्मीर में मंत्रिपरिषद
  • जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के अनुसार, जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री सहित मंत्रिपरिषद की अधिकतम संख्या विधान सभा में कुल सदस्यों के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी.
  • जम्मू और कश्मीर विधान सभा की कुल संख्या 116 है. इनमें से 114 सदस्य सीधे जनता द्वारा चुने जाने हैं, और दो सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं, जिन्हें उप-राज्यपाल द्वारा नामित किया जाएगा.
  • 114 सीटों में से 24 सीटें पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के हैं जो अभी रिक्त है. इस प्रकार, वर्तमान जम्मू और कश्मीर विधान सभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 92 (90 निर्वाचित और 2 नामांकित महिला सदस्य) है.
  • इसलिए, मुख्यमंत्री सहित, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के मंत्रिपरिषद के सदस्यों की अधिकतम संख्या 9 से अधिक नहीं हो सकती.

जम्‍मू कश्‍मीर से अनुच्‍छेद-370 हटाने की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट में फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने जम्‍मू कश्‍मीर से अनुच्‍छेद-370 को रद्द करने के केन्द्र सरकार के निर्णय पर 11 दिसम्बर को अपना फैसला सुनाया था. 5 जजों की संविधान पीठ ने एकमत से दिए गए अपने फैसले में कश्मीर से आर्टकिल 370 को हटाने के निर्णय को सही बताया.

मुख्य बिन्दु

  • सर्वोच्च अदालत ने आर्टकिल 370 को एक अस्थायी प्रावधान बताते हुए इसको निरस्त करने के केंद्र के नरेंद्र मोदी सरकार के फैसले को सही बताया.
  • कोर्ट ने साथ ही चुनाव आयोग को जम्मू-कश्मीर में जल्द से जल्द चुनाव कराने का आदेश दिया ताकि उसके राज्य का दर्जा बहाल हो सके. कोर्ट ने इसके लिए 30 सितंबर 2024 समय सीमा भी तय कर दी.
  • यही नहीं शीर्ष अदालत ने लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बनाए रखने को भी मंजूरी दे दी.
  • चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस सूर्यकांत की संविधान पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान ये फैसला सुनाया.
  • चीफ जस्टिस ने अपने फैसले में कहा कि भारत में जम्मू-कश्मीर का विलय होने के बाद उसकी संप्रभुता खत्म हो गई थी. यानी वो आंतरिक रूप से संप्रभु नहीं था.

बैक टू विलेज कार्यक्रम की सफलता के लिए एक समिति का गठन

जम्‍मू-कश्‍मीर सरकार ने ‘बैक टू विलेज’ यानी चलो गांव की ओर कार्यक्रम के पांचवें चरण की सफलता के लिए एक समिति का गठन किया है. इसमें वित्त, ग्रामीण और पंचायती-राज, सूचना प्रौद्योगिकी और अन्य विभागों के उच्‍चाधिकारी शामिल हैं.

मुख्य बिन्दु

  • चलो गांव की ओर कार्यक्रम का उद्देश्य जनता और सरकारी अधिकारियों के साझा प्रयास से विकास के लाभ ग्रामीण इलाकों तक पहुंचाना है.
  • कार्यक्रम दौरान सरकारी कर्मी प्रत्‍येक पंचायत में एक निश्‍चित समय तक रूककर लोगों से उनके विचार लेते हैं ताकि गांव की जरूरत के अनुरूप सेवा उपलब्ध कराई जा सके.

जम्मू कश्मीर में दुनिया का सबसे ऊंचा पुल की अंतिम आर्क को जोड़ा गया

जम्मू कश्मीर में, निर्माणाधीन विश्व के सबसे ऊंचे रेल पुल ने उस समय एक और उपलब्धि प्राप्त की जब 14 अगस्त को इसके अंतिम आर्क (गोल्डन ज्वाइंट) को जोड़ दिया गया.

मुख्य बिन्दु

  • यह रेल पुल जम्मू कश्मीर में, रियासी जिले के कौरी इलाके में चिनाब नदी पर निर्माणाधीन है. यह विश्व का सबसे ऊंचा रेल पुल होगा.
  • इस पुल के दोनों सिरों को हाई स्ट्रेंथ फ्रिक्शन ग्रिप (HSFG) बोल्ट की मदद से जोड़ा गया है. इसे ‘गोल्डन जॉइंट’ नाम दिया गया है.
  • यह कश्मीर को सीधा राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से जोड़ता है. यह उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक परियोजना के तहत बनाया गया है.
  • चिनाब दरिया की सतह से 359 मीटर की ऊंचाई पर इस पुल के अंतिम आर्क जुड़ते ही कोड़ी और बक्कल रेलवे स्टेशन आपस में जुड़ गए हैं.
  • यह पुल पेरिस के एफिल टावर से 30 मीटर ऊंचा है. हालांकि, पुल का अभी 98 फीसदी निर्माण पूरा हुआ है, जिसे दिसंबर 2022 तक पूरा किया जाएगा.
  • इस पुल पर 1,436 करोड़ रुपये खर्च होने हैं. 17 स्तंभों पर बने पुल की कुल लंबाई 1315 मीटर है.
  • 111 किलोमीटर लंबे कटड़ा-बनिहाल सेक्शन में निर्माणाधीन पुल का काम वर्ष 2004 में शुरू हुआ था. 120 साल की अवधि के लिए तैयार किए जा रहे पुल पर 260 किलोमीटर प्रतिघंटे के रफ्तार से चलने वाली हवाएं भी असर नहीं डाल सकेंगी.

जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग का चुनाव क्षेत्रों से संबधित आदेश लागू

जम्मू-कश्मीर परिसीमन (Jammu And Kashmir Delimitation) आयोग का चुनाव क्षेत्रों से संबधित आदेश 20 मई से लागू हो गया. केन्द्र सरकार की ओर से इसी दिन इस संबंध में अधिसूचना जारी की गई थी.

परिसीमन आयोग की अध्यक्षता सेवानिवृत न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई ने की. आयोग में पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चन्द्र और जम्मू-कश्मीर के चुनाव आयुक्त केके गुप्ता भी शामिल थे.

जम्मू कश्मीर परिसीमन आयोग की रिपोर्ट: मुख्य बिंदु

  • राज्य पुनर्गठन अधिनियम के अनुसार विधानसभा की 7 सीटें बढ़ाई जानी हैं. इससे विधानसभा में सदस्यों की संख्या 83 से बढ़कर 90 की जानी हैं. परिसीमन आयोग ने जम्मू संभाग में 6 व कश्मीर संभाग में 1 विधानसभा सीट को बढ़ाया है.
  • केंद्र शासित प्रदेश बनने से पहले विधानसभा में सीटों की संख्या 87 थी जिसमें चार सीटें लद्दाख की थीं. लद्दाख के अलग होने से 83 सीटें रह गईं, जो बढ़ने के बाद 90 हो जाएंगी. आयोग ने पाकिस्तान के कब्ज़े वाले जम्मू-कश्मीर क्षेत्र के लिए आरक्षित 24 सीटों का परिसीमन नहीं किया है.
  • पहली बार अनुसूचित जनजाति के लिए जम्मू कश्मीर में 9 विधानसभा सीटों को आरक्षित करने का प्रावधान किया गया है, जबकि अनुसूचित जाति के लिए पहले की तरह ही 7 विधानसभा सीटें आरक्षित रखी गई हैं. दो सीटों पर कश्मीर पंडित समुदाय और पीओजेके विस्थापितों के सदस्यों को मनोनीत किया जाएगा.
  • जम्मू-कश्मीर की लोकसभा सीटों में भी परिसीमन आयोग ने फेरबदल किया है. अब कश्मीर व जम्मू दोनों संभागों के हिस्से ढाई-ढाई लोकसभा सीटें (कुल 5 सीट) होंगी. पहले जम्मू संभाग में उधमपुर डोडा व जम्मू तथा कश्मीर में बारामुला, अनंतनाग व श्रीनगर की सीटें थीं. प्रत्येक लोकसभा सीट में 18 विधानसभा सीटें होंगी.

क्या होता है परिसीमन?

  • विधायी निकाय वाले क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा तय करने की प्रक्रिया परिसीमन कहलाती है. केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद प्रदेश में एक बार फिर परिसीमन के लिए आयोग बनाया गया है. इस बार सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज रंजना प्रकाश देसाई इस आयोग के अध्यक्ष हैं.
  • जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार परिसीमन 1995 में हुआ था. उस समय जम्मू-कश्मीर में 12 जिले और 58 तहसीलें हुआ करती थीं. वर्तमान में प्रदेश में 20 जिले हैं और 270 तहसील हैं. पिछला परिसीमन 1981 की जनगणना के आधार पर हुआ था. इस बार परिसीमन 2011 की जनगणना के आधार पर किया गया है.

जम्मू कश्मीर परिसीमन आयोग की रिपोर्ट जारी, विधानसभा में सदस्यों की बढ़कर 90 हुई

जम्मू कश्मीर परिसीमन आयोग ने केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर के विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन पर अंतिम रिपोर्ट जारी कर दी है. 5 मई को आयोग ने एक बैठक के बाद रिपोर्ट को जारी की. आयोग के लिए 6 मई 2022 तक अंतिम रिपोर्ट सौंपने की समय सीमा निर्धारित थी. रिपोर्ट के जारी होने के साथ ही केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव कराए जाने का रास्ता साफ हो गया है.

जम्मू कश्मीर परिसीमन आयोग की रिपोर्ट: मुख्य बिंदु

  • राज्य पुनर्गठन अधिनियम के अनुसार विधानसभा की 7 सीटें बढ़ाई जानी हैं. इससे विधानसभा में सदस्यों की संख्या 83 से बढ़कर 90 की जानी हैं. परिसीमन आयोग ने जम्मू संभाग में 6 व कश्मीर संभाग में 1 विधानसभा सीट को बढ़ाया है.
  • केंद्र शासित प्रदेश बनने से पहले विधानसभा में सीटों की संख्या 87 थी जिसमें चार सीटें लद्दाख की थीं. लद्दाख के अलग होने से 83 सीटें रह गईं, जो बढ़ने के बाद 90 हो जाएंगी.
  • पहली बार अनुसूचित जनजाति के लिए जम्मू कश्मीर में 9 विधानसभा सीटों को आरक्षित करने का प्रावधान किया गया है, जबकि अनुसूचित जाति के लिए पहले की तरह ही 7 विधानसभा सीटें आरक्षित रखी गई हैं. जम्मू कश्मीर की नई विधानसभा में कश्मीरी पंडितों और पीओजेके विस्थापितों को प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है.
  • जम्मू-कश्मीर की लोकसभा सीटों में भी परिसीमन आयोग ने फेरबदल किया है. अब कश्मीर व जम्मू दोनों संभागों के हिस्से ढाई-ढाई लोकसभा सीटें (कुल 5 सीट) होंगी. पहले जम्मू संभाग में उधमपुर डोडा व जम्मू तथा कश्मीर में बारामुला, अनंतनाग व श्रीनगर की सीटें थीं. प्रत्येक लोकसभा सीट में 18 विधानसभा सीटें होंगी.

क्या होता है परिसीमन?

  • विधायी निकाय वाले क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा तय करने की प्रक्रिया परिसीमन कहलाती है. केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद प्रदेश में एक बार फिर परिसीमन के लिए आयोग बनाया गया है. इस बार सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज रंजना प्रकाश देसाई इस आयोग के अध्यक्ष हैं.
  • जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार परिसीमन 1995 में हुआ था. उस समय जम्मू-कश्मीर में 12 जिले और 58 तहसीलें हुआ करती थीं. वर्तमान में प्रदेश में 20 जिले हैं और 270 तहसील हैं. पिछला परिसीमन 1981 की जनगणना के आधार पर हुआ था. इस बार परिसीमन 2011 की जनगणना के आधार पर किया गया है.

चिनाब नदी पर क्‍वार पनबिजली परियोजना के निर्माण की स्‍वीकृति दी गयी

जम्‍मू-कश्‍मीर के किश्‍तवाड जिले में चिनाब नदी पर क्‍वार पनबिजली परियोजना के निर्माण की स्‍वीकृति दी गयी है. प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक कार्य समिति ने 28 अप्रैल को यह स्‍वीकृति दी.

मुख्य बिंदु

  • 540 मेगावॉट की इस परियोजना पर 45 अरब रुपये से अधिक की लागत आएगी. बिजली के क्षेत्र में जम्मू-कश्मीर को आत्मनिर्भर बनाने के लिए यह निर्णय लिया गया है.
  • इसका निर्माण कार्य नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन (NHPC) की सब्सिडरी कंपनी चेनाव वैली पावर प्रोजेक्ट्स द्वारा किया जायेगा. इसमें 51 प्रतिशत शेयर NHPC का और 49 प्रतिशत शेयर जम्मू-कश्मीर के ट्रेड पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन का होगा.

जम्मू और कश्मीर के गुलमर्ग में दुनिया का सबसे बड़ा इग्लू कैफे खोला गया

जम्मू और कश्मीर के गुलमर्ग में दुनिया का सबसे बड़ा इग्लू कैफे का निर्माण किया गया है. यह इग्लू कैफे गुलमर्ग के प्रसिद्ध स्की-रिसॉर्ट में खोला गया है. इस इग्लू के निर्माता सैयद वसीम शाह हैं. इस कैफे का नाम स्नोग्लू (Snowglu) है. बर्फ से बने घर को इग्लू कहा जाता है.

यह न केवल दुनिया का सबसे बड़ा, बल्कि सबसे ऊंचा इग्लू कैफे भी है. इसकी ऊंचाई 37.5 फीट है जबकि इसका व्यास 44.5 फीट है. गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड के अनुसार दुनिया का सबसे बड़ा इग्लू कैफे स्विटजरलैंड में है जिसकी ऊंचाई 33.8 फीट और व्यास 42.4 फीट है. इसकी मोटाई 5 फीट है. यह इग्लू कैफे 15 मार्च तक खड़ा रहेगा. इसके बाद गर्मियां आने पर इसे आमजन के लिए बंद कर दिया जाएगा.

जम्मू-कश्मीर में दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल ‘आर्क ब्रिज’

जम्मू-कश्मीर में विश्व का सबसे ऊंचा रेलवे पुल ‘आर्क ब्रिज’ बनाया जा रहा है. चिनाब नदी पर बनाये जा रहे इस पुल का काम 5 अप्रैल को पूरा हो गया.

आर्क ब्रिज: एक दृष्टि

चिनाब नदी पर बने रहे इस रेलवे पुल की लंबाई 1315 मीटर है. जबकि नदी के तल से इसकी ऊंचाई 359 मीटर है. ब्रिज के एक तरफ लगे पिलर की ऊंचाई 131 मीटर है. यह रेलवे पुल पेरिस के एफिल टॉवर से 35 मीटर ऊंचा है.
इस पुल का निर्माण उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना के तहत चिनाब नदी पर किया गया है. इस रेलवे पुल की मदद से कश्मीर को रेलवे के माध्यम से देश के बाकी राज्यों और शहरों से जोड़ा जाएगा.

चेनाब नदी पर 850 मेगावाट क्षमता वाली रेटले पनबिजली परियोजना को मंजूरी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जम्‍मू कश्‍मीर 850 मेगावाट क्षमता वाली रेटले पनबिजली परियोजना के लिए 5282 करोड रुपये मंजूर किए हैं. यह परियोजन किश्‍तवाड़ में चेनाब नदी पर बनाई जा रही है.

यह परियोजना राष्‍ट्रीय पनबिजली निगम (NHPC) और जम्‍मू कश्‍मीर राज्‍य बिजली विकास निगम (JKSPDC) का सयुंक्‍त उद्यम है. इसमें NHPC की 51 प्रतिशत और JKSPDC की 49 प्रतिशत हिस्‍सेदारी है.

रेटले परियोजना साठ महीने में पूरी हो जाएगी. इससे बनने वाली बिजली से ग्रिड में सुधार किया जा सकेगा जिससे बिजली आपूर्ति बेहतर होगी.

जम्मू और कश्मीर काडर के अधिकारियों का AGMUT काडर में विलय किया गया

सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर काडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS) और भारतीय वन सेवा (IFOS) अधिकारियों का AGMUT (अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केन्‍द्रशासित प्रदेश) काडर में विलय कर दिया है.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस संबंध में अधिसूचना ‘जम्मू कश्मीर पुनगर्ठन संशोधन अध्यादेश 2021’ को 7 जनवरी को मंजूरी दी. केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय ने इस अधिसूचना को राष्ट्रपति के मंजूरी के लिए भेजा था.

इस नयी व्‍यवस्‍था से अब देश के अन्‍य राज्‍यों में नियुक्‍त इन सेवाओं के अधिकारी जम्‍मू कश्‍मीर में तैनात किए जा सकेंगे और जम्‍मू कश्‍मीर में नियुक्‍त ऐसे अधिकारियों को दूसरे राज्‍यों में भेजा जा सकेगा. इस संबंध में केंद्र सरकार के नियमों के तहत जरूरी संशोधन किए जाएंगे. जिन अधिकारियों को अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्र शासित काडर मिला हैं वह केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित नियमों के तहत ही काम करते रहेंगे.