1 दिसम्बर 2022: नगालैंड ने अपना 60वां स्‍थापना दिवस मनाया

प्रत्येक वर्ष 1 दिसम्बर को नगालैंड अपना स्‍थापना दिवस (Nagaland Foundation Day) मनाता है. 1963 में इसी दिन नगालैंड देश का 16वां राज्‍य बना था. भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एस राधाकृष्णन ने नगालैंड को भारत संघ के 16वें राज्य के रूप में उद्घाटन किया था. इस वर्ष यानी 2022 में इस राज्य ने 60वां स्‍थापना दिवस मनाया.

नागालेंड राज्य: मुख्य तथ्य

  • भारत की आजादी के दौरान नागालेंड असम के अंतर्गत था. 1957 में यह क्षेत्र केंद्रशासित प्रदेश बन गया और असम के राज्‍यपाल द्वारा इसका प्रशासन देखा जाने लगा. उस समय यह ‘नगा हिल्‍स तुएनसांग’ क्षेत्र कहलाता था. 1961 में इसका नाम बदलकर ‘नगालैंड’ रखा गया.
  • नगालैंड भारत का उत्तर-पूर्वी राज्य है जिसकी राजधानी कोहिमा है. यहां आदिवासी संस्कृति अहम है जिसमें स्थानीय त्योहार और लोक गायन काफी महत्वपूर्ण हैं. 2012 की जनगणना के मुताबिक यहां की आबादी 22.8 लाख है. नेफ्यू रियो नगालैंड के वर्तमान मुख्यमंत्री का नाम है.
  • नगालैंड के पूर्व में म्यांमार, उत्‍तर में अरुणाचल प्रदेश, पश्चिम में असम और दक्षिण में मणिपुर है. इसे ‘पूरब का स्विजरलैंड’ भी कहा जाता है. नागालैंड राज्‍य का क्षेत्रफल 16,579 वर्ग किमी है.
  • असम घाटी की सीमा से लगे क्षेत्र के अलावा इस राज्‍य का अधिकांश क्षेत्र पहाड़ी है. इसकी सबसे ऊंची पहाड़ी का नाम सरमती है जिसकी ऊंचाई 3,840 मीटर है. यह पर्वत शृंखला नागालैंड और म्‍यांमार के मध्य स्थित है.

हॉर्नबिल महोत्‍सव का आयोजन

नागालैंड में 10 दिन का हॉर्नबिल महोत्‍सव 1 दिसम्बर से नागा हेरिटेज विलेज किसामा में शुरू हुआ. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि थे. हॉर्नबिल महोत्सव का आयोजन नागालैंड राज्य के स्थापना दिवस पर एक दिसंबर को किया जाता है.

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26 नवम्बर: राष्ट्रीय दुग्ध दिवस, वर्गीज कुरियन का जन्मदिन

प्रत्येक वर्ष 26 नवंबर को भारत में ‘राष्ट्रीय दुग्ध दिवस’ (National Milk Day) मनाया जाता है. यह दिवस ‘श्वेत क्रांति’ के जनक डॉ. वर्गीज कुरियन के जन्मदिन के अबसर पर मनाया जाता है.

किसी व्यक्ति के जीवन में दूध के महत्व को बताने के उद्देश्य यह दिवस मनाया जाता है. पहली बार यह दिवस इंडियन डेयरी एसोसिएशन (IDA) द्वारा 26 नवंबर, 2014 को मनाया गया था.

इसके साथ-साथ प्रत्येक वर्ष 1 जून को विश्‍व दुग्ध दिवस (World Milk Day) भी मनाया जाता है.

डॉ वर्गीस कुरियन: एक दृष्टि

  • डॉ वर्गीस कुरियन को ‘मिल्कमैन ऑफ़ इंडिया’ के नाम से भी जाना जाता है, उन्होंने भारत में डेरी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सराहनीय योगदान दिया था. कुरियन ने अमूल ब्रांड की स्थापना एवं सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
  • कुरियन ने ‘ऑपरेशन फ्लड’ में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. ऑपरेशन फ्लड को 1970 में शुरू किया गया था, यह विश्व का सबसे बड़ा डेरी विकास कार्यक्रम था. इस ऑपरेशन के चलते भारत विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बन सका.
  • वर्गीस कुरियन को वर्ष 1963 में रमन मैगसेसे पुरस्कार (Ramon Magsaysay Award) से सम्मानित किया गया था. भारत सरकार ने 1999 में देश के दुसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान ‘पद्म विभूषण’ प्रदान किया था.

26 नवम्बर 2022: संविधान दिवस, भारतीय संविधान की 73वीं वर्षगांठ

प्रत्येक वर्ष 26 नवंबर को ‘संविधान दिवस’ (Constitution Day) के रूप में मनाया जाता है. संविधान सभा द्वारा 1949 में इसी दिन भारतीय संविधान को मंजूरी दी गयी और 26 जनवरी 1950 को इसे लागू किया गया था. इस वर्ष यानी 2022 में हमारे संविधान को अंगीकार किए जाने की 73वीं वर्षगांठ है.

संविधान दिवस को संविधान निर्माता डॉं. भीमराव अंबेडकर को याद किया जाता है. डॉं. अंबेडकर संविधान सभा के प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे.

भारत सरकार ने 26 नवम्बर को संविधान दिवस के रूप में मनाने की घोषणा 19 नवंबर 2015 को की थी. प्रधनमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुंबई में बीआर अम्बेडकर की ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी मेमोरियल’ की आधारशिला रखने के दौरान इसकी घोषणा की थी. उनकी 125वीं जयंती वर्ष के रूप में 26 नवम्बर 2015 को पहली बार संविधान दिवस मनाया गया था.

भारतीय संविधान: एक दृष्टि

  • संविधान निर्माण के लिए 29 अगस्त 1947 को भारत के संविधान का मसौदा तैयार करनेवाली समिति की स्थापना की गई थी और इसके अध्यक्ष के तौर पर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की नियुक्ति हुई थी.
  • संविधान सभा के 284 सदस्यों ने 24 जनवरी 1950 को दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए. दो दिन बाद इसे लागू किया गया था.
  • भारतीय संविधान को विश्व का सबसे बड़ा संविधान माना जाता है, जिसमें 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां शामिल हैं.
    यह हस्तलिखित संविधान है. इसे तैयार करने में 2 साल 11 महीने और 17 दिन का वक्त लगा था.

9-25 नवंबर: विश्व धरोहर सप्ताह

प्रत्येक वर्ष 19 नवंबर से 25 नवंबर तक के सप्ताह को विश्व धरोहर सप्ताह (World Heritage Week) के रूप में मनाया जाता है. यह सप्ताह सांस्कृतिक धरोहरों और स्मारकों के संरक्षण और सुरक्षा के बारे में लोगों को प्रोत्साहित करने और जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से मनाया जाता है.

यह सप्ताह यूनेस्को और कई अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा मनाया जाता है. भारत में विश्व धरोहर सप्ताह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा मनाया जाता है.

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25 नवंबर: अन्तर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस

प्रत्येक वर्ष 25 नवम्बर को महिलाओं के खिलाफ हिंसा के उन्मूलन के लिये अंतर्राष्ट्रीय दिवस (International Day for the Elimination of Violence Against Women) मनाया जाता है. यह दिवस महिलाओं पर हो रही हिंसा को रोकने के लिए लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से मनाया जाता है.

इस वर्ष यानी 2022 में अन्तर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस का मुख्य विषय (थीम) ‘एकजुट! महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के लिए सक्रियता’ (UNITE! Activism to end violence against women and girls) है.

घरेलू हिंसा, के साथ-साथ महिलाओं को बाहर भी कई बार शारीरिक और मानसिक यातनाएं झेलनी पड़ती हैं. इसी भेदभाव को खत्म करने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने 17 नवंबर 1999 को 25 नवंबर का दिन अन्तर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस के रूप में घोषित किया था. वर्ष 2000 से हर साल 25 नवंबर को अन्तर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस मनाया जाने लगा.

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21 नवम्बर को विश्व टेलीविजन दिवस मनाया गया

प्रत्येक वर्ष 21 नवम्बर को ‘विश्व टेलीविजन दिवस’ (World Television Day) मनाया जाता है. यह दिवस अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सांस्कृतिक विविधता के स्तंभ का जश्न मनाने के उद्देश्य से मनाया जाता है.

संयुक्त राष्ट्र ने विश्व टेलीविजन दिवस मनाये जाने की शुरुआत 1996 में की थी. पहला विश्व टेलीविजन दिवस 21 नवंबर 1997 को मनाया गया था.

टेलीविजन के आविष्कारक जॉन लोगी बेयर्ड थे. बेयर्ड ने वर्ष 1924 में बक्से, बिस्किट के टिन, सिलाई की सुई, कार्ड और बिजली के पंखे से मोटर का इस्तेमाल कर पहला टेलीविजन बनाया था. टेलीविजन के रिमोट कंट्रोल का आविष्कार 1950 में यूजीन पोली ने किया था. मार्च 1954 में वेस्टिंगहाउस ने पहला कलर टीवी सेट बनाया.

भारत में टेलीविजन: मुख्य तथ्य

  1. भारत में पहला प्रसारण दिल्ली में 15 सितंबर 1959 में प्रायोगिक तौर पर शुरू किया गया था. शुरू में इसका नाम ‘टेलिविजन इंडिया’ था, 1975 में इसका नाम बदलकर दूरदर्शन रखा गया. शुरू में इसे सिर्फ 7 शहरों में दिखाया जाता था.
  2. टीवी पर पहली बार कृषि दर्शन कार्यक्रम की शुरुआत 1966 में की गई. यह टीवी पर सबसे लंबे समय तक चलने वाला कार्यक्रम था.
  3. 1980 के दशक में इसका प्रसारण देश के सभी शहरों में किया जाने लगा. 15 अगस्त 1982 को पहली बार इसका रंगीन प्रसारण शुरू किया गया.
  4. 16 दिसबंर 2004 को डायरेक्ट टू होम (DTH) सर्विस शुरू हुई, इसने छोटे परदे की दुनिया में क्रांतिकारी बदला लाया.
  5. पहला प्राइवेट चैनल 2 अक्टूबर 1992 को जी टीवी आया था. जी टीवी नए कार्यक्रमों के साथ दर्शकों के सामने आया.
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20 नवंबर: विश्व बाल दिवस

प्रत्येक वर्ष 20 नवंबर को विश्व बाल दिवस (World Children’s Day) मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य दुनिया भर में बच्चों के बीच जागरूकता और बच्चों के कल्याण के लिए काम करना है.

इस वर्ष यानी विश्व बाल दिवस 2022 की थीम: ‘समावेशन, हर बच्चे के लिए’ (Inclusion, for every child) है.

पहला विश्व बाल दिवस 20 नवंबर 1954 को मनाया गया था. इस दिन बाल अधिकारों को अपनाया गया था. बाल अधिकारों को चार अलग-अलग भांगों में बांटा गया है- जीवन जीने का अधिकार, संरक्षण का अधिकार, सहभागिता का अधिकार और विकास का अधिकार.

भारत में बाल दिवस 14 नवंबर को मनाया जाता है

भारत में बाल दिवस देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन यानी 14 नवंबर को मनाया जाता है. पंडित नेहरू बच्चों को बेहद प्यार करते थे और यही कारण है कि बाल दिवस उनकी जयंती के मौके पर मनाया जाता है.

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19 नवंबर: विश्‍व शौचालय दिवस

प्रत्येक वर्ष 19 नवंबर को विश्‍व शौचालय दिवस (World Toilet Day) के रूप में मनाया जाता है. इस दिवस को मानाने का उद्देश्य शौचालय को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाना और स्‍वच्‍छता को वैश्विक विकास की प्राथमिकता बनाना है.

इस वर्ष यानी 2022 में विश्‍व शौचालय दिवस का मुख्य विषय (थीम) “अदृश्य को दृश्य बनाना” (Making the Invisible Visible) है.

विश्‍व शौचालय दिवस की स्‍थापना सिंगापुर के जैक सिम द्वारा 19 नवंबर 2001 में की गई थी. जैक से 2001 में वर्ल्‍ड टॉयलेट ऑर्गनाइजेशन की स्‍थापना की थी. हालांकि, 2013 में संयुक्‍त राष्‍ट्र संगठन द्वारा ऑ‍फिशियल तौर पर संयुक्‍त राष्‍ट्र विश्‍व शौचालय दिवस की घोषणा की गई.

मानव मल से जानलेवा बीमारियां फैलती हैं और इसके लिए शौचालय का प्रयोग जरूरी है. WHO की रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में लगभग 360 करोड़ लोग टॉयलेट से वंचित हैं. इसे देखते हुए समावेशी विकास के लक्ष्‍यों के तहत वर्ष 2030 तक हर घर में शौचालय का लक्ष्‍य निर्धारित किया गया है.

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नवंबर का तीसरा गुरुवार: विश्व फिलॉस्पी दिवस से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी

प्रत्येक वर्ष नवंबर के तीसरे गुरुवार को विश्व फिलॉस्पी दिवस (World Philosophy Day) के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष यानी 2022 में यह 17 नवम्बर को मनाया गया. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य दर्शन के मूल्य को सामने लाना और मानव विचारों का विकास करना है.

विश्व फिलॉस्पी दिवस 2022 ‘आने वाला मानव’ (The Human to Come) थीम पर मनाया गया.

यूनेस्को ने इस दिवस को मनाने की घोषणा 2001 में की थी. पहला विश्व फिलॉस्पी दिवस साल 2002 में मनाया गया था. यूनस्कों की तरफ से कहा गया है कि इस दिन का मकसद लोगों को उनके विचार प्रकट करने के लिए प्रोत्साहित करना है. ताकी सभी संस्कृति के लोग एक दूसरे के विचारों की इज्जत करें और उस पर विश्वास करें.

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16 नवंबर: अन्तर्राष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस, मदनजीत सिंह पुरस्कार फ्रांका मा-इह सुलेम योंग को

प्रत्येक वर्ष 16 नवंबर को अन्तर्राष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस (International Day for Tolerance) मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य सहिष्णुता के प्रति लोगों में जागरूकता उत्पन्न करना है.

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 1995 को संयुक्त राष्ट्र असहिष्णुता वर्ष घोषित किया था. 1996 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रत्येक वर्ष 16 नवंबर को अन्तर्राष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस मनाने का निर्णय लिया था.

सहिष्णुता और अहिंसा को बढ़ावा देने के लिए ‘मदनजीत सिंह पुरस्कार’

यूनेस्को ने वर्ष 1995 में महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के अवसर पर सहिष्णुता और अहिंसा को बढ़ावा देने के लिए ‘मदनजीत सिंह पुरस्कार’ की स्थापना की थी. यह पुरस्कार वैज्ञानिक, कलात्मक, सांस्कृतिक या संचार के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रत्येक 2 वर्ष में प्रदान किया जाता है.
मदनजीत सिंह भारतीय कलाकार, लेखक और पूर्व राजनयिक थे, जिन्होंने यूनेस्को सद्भावना राजदूत के रूप में सेवा की थी.

वर्ष 2022 में मदनजीत सिंह पुरस्कार फ्रांका मा-इह सुलेम योंग (Franca Ma-ih Sulem Yong) को दिया गया है. इस पुरस्कार में 1,00,000 अमरीकी डालर की पुरस्कार राशि शामिल है. इसका प्रबंधन यूनेस्को के सामाजिक और मानव विज्ञान क्षेत्र द्वारा किया जाता है.

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16 नंवबर: राष्ट्रीय प्रेस दिवस

प्रत्येक वर्ष 16 नवम्बर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस (National Press Day) मनाया जाता है. राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य देश में आम लोगों को प्रेस के बारे में जागरूक करना और उनको प्रेस के नजदीक लाना है.

प्रथम प्रेस आयोग ने भारत में प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा एवं पत्रकारिता में उच्च आदर्श कायम करने के उद्देश्य से एक प्रेस परिषद् की कल्पना की थी. इसके तहत 4 जुलाई 1966 को भारत में प्रेस परिषद् (PCI) की स्थापना की गई जिसने 16 नंवबर 1966 से अपना विधिवत कार्य शुरू किया था. तभी से प्रतिवर्ष 16 नवंबर को भारत में एक स्वतंत्र और जिम्मेदार प्रेस की मौजूदगी के प्रतीक के तौर पर राष्ट्रीय प्रेस दिवस के रूप में मनाया जाता है.

प्रेस को लोकतंत्र का चौथा स्तंभों कहा जाता है. अन्य तीन स्तंभ कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका हैं जहां कुछ चुनिंदा लोगों का समूह होता है.

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15 नवम्बर: झारखंड स्‍थापना दिवस, बिरसा मुंडा की जयंती, जनजातीय गौरव दिवस

15 नवम्बर को झारखंड स्‍थापना दिवस (Jharkhand Foundation Day) के रूप में मनाया जाता है. इसी दिन सन् 2000 में बिहार के विभाजन से झारखंड को पृथक राज्‍य का दर्जा दिया गया था.

बिरसा मुंडा जयंती पर पृथक राज्‍य का दर्जा

झारखंड को पृथक राज्‍य का दर्जा बिरसा मुंडा की जयंती के मौके पर मिला था. अंग्रेजी की गोलियों के सामने तीर-कमान से लड़ने वाले बिरसा मुंडा का जन्‍म 15 नवंबर 1875 को हुआ था. उनके जन्‍मदिन को देश भर में बिरसा मुंडा जयंती (Birsa Munda Jayanti) के रूप में मनाया जाता है.

उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ अपनी जमीन और जंगलों पर कब्जा करने के लिए ‘उलगुलान’ (Great Tumult) नामक आंदोलन का नेतृत्व किया था. बिरसा मुंडा को 3 मार्च 1900 को ब्रिटिश सेना ने गिरफ्तार कर लिया था. 9 जून 1900 को रांची जेल में उनकी रहस्‍यमयी मौत हो गई. झारखंड के लोग बिरसा मुंडा को भगवान का अवतार मानते हैं.

केन्‍द्र सरकार ने देश के इतिहास और संस्कृति में जनजातीय समुदाय के योगदान को देखते हुए 15 नवम्बर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में घोषित किया है.

झारखंड में बिरसा न सिर्फ सामाजिक व राजनीतिक चेतना के प्रतीक हैं बल्कि वह धार्मिक चेतना के भी अग्रणी माने जाते हैं. बिरसा ने एक नए धर्म का सृजन किया जिसे ‘बिरसाइत धर्म’ कहा जाता है. झारखंड और बिहार में लोग उन्हें भगवान की तरह पूजते हैं.

बिरसा मुंडा: एक दृष्टि

बिरसा मुंडा का जन्म भी 15 नवंबर 1875 को झारखंड के खूंटी जिले के उलीहातू गांव में हुआ था. वह मुंडा जनजाति से संबंधित थे. मुंडा जनजाति ज्यादातर छोटा नागपुर के पाठारों में निवास करती है.

  • बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों और जमींदारों के खिलाफ एक सशक्त आदिवासी आंदोलन चलाया और अपने समाज में मौजूद कुछ कुरीतियों को भी हटाने का काम किया.
  • उन्होंने आदिवासियों के पिछड़ेपन का सबसे बड़ा कारण अंधविश्वास और अशिक्षा को माना. इसलिए बिरसा ने मुंडाओं के बीच फैली झाड़-फूंक आदि को बेकार बताना शुरू किया.
  • उन्होंने सफाई से रहने पर जोर दिया. यह भी बताया कि सफाई न रखने पर क्या नुकसान होता है. उन्होंने शिक्षा के महत्व को भी समझाया. उन्होंने अपने समाज के लोगों में राजनीतिक चेतना जगाने का काम भी किया.
  • बिरसा मुंडा ने लोगों को एकत्रित किया और 1 अक्टूबर 1894 को विद्रोह कर दिया. इन्होंने लगान माफी के लिए भी आंदोलन किया. लोगों ने बेगार करना बंद कर दिया. इससे उस इलाके का काम पूरी तरह ठप हो गया. अगले ही साल इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 2 साल की सजा हुई.
  • बिरसा के शिष्यों ने अकाल के वक्त भी लोगों की भरपूर सहायता की. इस काम ने उन्हें जीते ही महापुरुष का दर्जा दे दिया. उस दौर में लोग उन्हें ‘धरती बाबा’ कहकर पुकारने लगे.
  • बिरसा ने एक नए धर्म का सृजन किया जिसे ‘बिरसाइत धर्म’ कहा जाता है. झारखंड और बिहार में लोग उन्हें भगवान की तरह पूजते हैं.
  • बिरसा मुंडा को बड़ा खतरा मानते हुए अंग्रेजों ने उन्हें जेल में डाल दिया और स्लो पॉइजन दिया. इस वजह से वह 9 जून 1900 को 25 साल से भी कम उम्र में शहीद हो गए.
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