गोरखपुर के चौरी-चौरा में चौरी-चौरा घटना शताब्‍दी समारोह

गोरखपुर के चौरी-चौरा में 4 फरवरी को चौरी-चौरा की घटना की स्मृति में शताब्‍दी समारोह की शुरुआत हुई. प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने इस समारोह का विडियो कांफ्रेंसिंग माध्यम से उद्घाटन किया. प्रधानमंत्री ने चौरी-चौरा शताब्‍दी वर्ष के अवसर पर एक डाक टिकट भी जारी किया.

उत्‍तर प्रदेश में यह समारोह एक वर्ष तक चलेगा. इसमें महान स्‍वाधीनता सेनानियों के स्‍मारकों पर अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. इसके अलावा, राज्‍यभर में निबंध लेखन प्रतियोगिता, वाद-विवाद प्रतियोगिता और अन्‍य स्‍पर्धाएं भी आयोजित की जा रही है. इस वर्ष राज्‍य के सभी सरकारी विभाग अपने पत्र-व्‍यवहार में चौरी-चौरा शताब्‍दी के प्रतीक चिन्‍ह का उपयोग करेंगे.

एक अनोखी पहल के तहत गोरखपुर डिविजन के सभी सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्‍त स्‍कूलों के छात्रों को चौरी-चौरा शहीद स्‍मारक और अन्‍य स्‍मारकों को दिखाने के लिए ले जाया जाएगा.

स्‍वतंत्रता संग्राम में चौरी-चौरा घटना: एक दृष्टि

  • स्‍वतंत्रता संग्राम में चौरी-चौरा घटना 4 फरवरी 1922 को ब्रिटिश इंडिया के संयुक्‍त प्रांत में हुई थी, जिसे अब उत्‍तर प्रदेश कहा जाता है.
  • गौरखपुर जिले का चौरी-चौरा नामक नाम तब सुर्खियों में आया जब ब्रिटिश पुलिस के अत्‍याचार के विरोध में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस थाने पर हमला किया और थाने की इमारत में आग लगा दी जिससे उसके अंदर मौजूद सभी लोग मारे गए.
  • इस घटना में तीन नागरिकों और 23 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी. महात्‍मा गांधी हिंसा कड़ा विरोध करते थे इसलिए उन्‍होंने इस घटना के बाद 12 फरवरी 1922 को राष्‍ट्रीय स्‍तर पर चल रहे असहयोग आंदोलन को स्‍थगित करने की घोषणा कर दी.
  • चौरी-चौरा घटना पर गांधी को दुख पहुंचा और वो पांच दिन के उपवास पर चले गए. गांधी जी ने महसूस किया कि जनता को हिंसात्मक हमलों के मद्देनजर सयंम बरतने का पर्याप्‍त प्रशिक्षण नहीं दिया गया था.