हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने ‘धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक 2019’ पारित किया

हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने 30 अगस्त को ‘धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक 2019’ पारित किया. यह विधेयक हिमाचल प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2006 का स्थान लेगा.

यह बिल बहकाने, जबरन, अनुचित तरीके से प्रभावित करने, दबाव, लालच, शादी या किसी भी धोखाधड़ी के तरीके से धर्म परिवर्तन पर रोक लगाता है. यदि कोई भी शादी बस धर्मांतरण के लिए होती है तो वह इस बिल की धारा पांच के तहत अमान्य माना जाएगा.

नए कानून के तहत 7 साल तक की कैद का प्रावधान है जबकि पुराने कानून में 3 साल की कैद की सजा की व्यवस्था थी. नए कानून के अनुसार अगर कोई व्यक्ति अपना धर्म बदलना चाहता है तो उसे कम से कम एक महीने पहले जिलाधिकारी को लिखकर देना होगा कि वह अपनी मर्जी से धर्मांतरण कर रहा है.

नए बिल के मुताबिक, धर्मांतरण कराने वाले पुरोहित/पादरी या किसी धर्माचार्य को भी एक महीने पहले इसकी सूचना देनी होगी. अपने मूल धर्म में वापस आने वाले व्यक्ति पर ऐसी कोई शर्त नहीं होगी.