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IIT मद्रास के प्रोफेसर थलप्पिल प्रदीप का चयन निक्केई एशिया पुरस्कार के लिए किया गया

जापान के प्रतिष्ठित 25वें निक्केई एशिया पुरस्कार (25th Nikkei Asia Prize) 2020 की घोषणा 1 मई को गयी. IIT मद्रास के प्रोफेसर थलप्पिल प्रदीप को इस पुरस्कार के लिए चुना गया है.

प्रोफेसर थलप्पिल प्रदीप

प्रोफेसर थलप्पिल प्रदीप का चयन ‘विज्ञान और प्रौद्योगिकी’ की श्रेणी में किया गया है. नैनो-प्रौद्योगिकी आधारित जल शुद्धिकरण (water purification) के उत्कृष्ट कार्य के लिए उन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.
उन्हें हाल ही में भारत सरकार द्वारा पद्म श्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था.

अन्य दो श्रेणी के पुरस्कार

भारतीय प्रोफेसर थलप्पिल प्रदीप के अलावे राम प्रसाद कदेल (नेपाल) को संस्कृति और समुदाय की श्रेणी में और एंथनी टैन और टैन होई लिंग (मलेशिया) को आर्थिक और व्यापार नवाचार श्रेणी में यह पुरस्कार दिया जायेगा.

निक्केई एशिया पुरस्कार: एक दृष्टि

  • निक्केई एशिया पुरस्कार जापान द्वारा प्रत्येक वर्ष तीन श्रेणियों- ‘आर्थिक और व्यापार नवाचार’ (Economic and Bussiness Innovation), विज्ञान और प्रौद्योगिकी (Science and Technology) तथा संस्कृति एवं समुदाय (Culture and Community) में प्रदान किया जाता है.
  • पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह (वर्ष 1997), इंफोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति (वर्ष 2001) प्रो. सीएन राव (वर्ष 2008), डॉ. देवी प्रसाद शेट्टी (वर्ष 2014), अक्षय पात्र फाउंडेशन (वर्ष 2016) तथा नंदन नीलेकणि (वर्ष 2017) को इस पुरस्कार से सम्मानित होने वाले भारतीय हैं.

भारतीय शिक्षाविद गीता सेन को डैन डेविड पुरस्कार से सम्मानित किया गया

भारतीय शिक्षाविद और सामाजिक कार्यकर्त्ता गीता सेन को प्रतिष्ठित ‘डैन डेविड पुरस्कार 2020’ से सम्मानित किया गया है. उन्हें इस पुरस्कार के “वर्तमान” श्रेणी में यह पुरस्कार दिया गया है. गीता सेन महिलाओं के अधिकारों, यौन स्वास्थ्य और गरीबी उन्मूलन के क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य किया है.

डैन डेविड पुरस्कार: एक दृष्टि

  • डैन डेविड पुरस्कार (Dan David Prize) प्रत्येक वर्ष इजराइल के डैन डेविड फाउंडेशन द्वारा दिया जाता है. यह पुरस्कार इंटरडिसिप्लिनरी रिसर्च के क्षेत्र में तीन श्रेणियों (अतीत, वर्तमान और भविष्य) में दिया जाता है.
  • इस पुरस्कार के रूप में 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर की राशि प्रदान की जाती है.
  • यह पुरस्कार पाने वाले भारतीयों में सीएनआर राव (2005), जुबिन मेहता (2007), अमिताव घोष (2010) और श्रीनिवास कुलकर्णी (2017) और इतिहासकार संजय सुब्रमण्यम (2019) शामिल हैं.

भारतीय मूल के ईश्वर शर्मा को ‘ग्लोबल चाइल्ड प्रॉडिजी अवार्ड-2020’ से सम्मानित किया गया

भारतीय मूल के दस वर्षीय ब्रिटिश छात्र ईश्वर शर्मा को योग के क्षेत्र में योगदान के लिए ‘ग्लोबल चाइल्ड प्रॉडिजी अवार्ड-2020’ से सम्मानित किया गया है. उन्हें ‘अंडर-11 योग चैंपियन’ को योग के क्षेत्र में योगदान के लिए ब्रिटेन से चुना गया था.

इस पुरस्कार के तहत 45 देशों और 30 विभिन्न श्रेणियों के लिए आवेदकों को चुना जाता है. शर्मा को हाल में नयी दिल्ली में नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी और पुडुचेरी की उपराज्यपाल किरन बेदी की मौजूदगी में आयोजित विशेष कार्यक्रम में पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

स्वीडन की ग्रेटा थुनबर्ग को टाइम पत्रिका का ‘पर्सन ऑफ द ईयर 2019’ घोषित किया गया

जलवायु और पर्यावरण कार्यकर्ता स्वीडन की 16 वर्षीय ग्रेटा थुनबर्ग को टाइम पत्रिका का ‘पर्सन ऑफ द ईयर 2019’ (Time 2019 Person of the Year) घोषित किया गया है. वे टाइम पत्रिका की पर्सन ऑफ द ईयर घोषित होने वाली सबसे कम उम्र की हस्‍ती हैं.

इस घोषणा से पहले ग्रेटा ने मैड्रिड में चल रहे संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन शिखर बैठक ‘COP 25’ को संबोधित किया था. संबोधन में उन्होंने विश्व नेताओं से वास्तविक कार्रवाई से बचने के लिए गलत तरीका अपनाने पर रोक लगाने की अपील की थी.

ग्रेटा थुनबर्ग: एक दृष्टि

  • स्वीडन के 16 साल की ग्रेटा ने पर्यावरण के मुद्दे पर अपनी देश की संसद के बाहर प्रदर्शन किया था और विश्वभर में युवाओं के आंदोलन का नेतृत्व किया था. उन्होंने ‘फ्राइडेज फॉर फ्युचर’ प्रदर्शन की अगुवाई की थी, जिसमें लाखों लोगों ने हिस्सा लिया था. ग्रेटा को इस वर्ष (2019) के नोबल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया था.
  • ग्रेटा सितंबर में उस वक्त चर्चा में आई थीं जब उन्होंने संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में दुनियाभर के शक्तिशाली नेताओं पर ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन से निपटने में नाकाम रहने और इस तरह नई पीढ़ी से विश्वासघात करने का आरोप लगाया था.
  • उन्होंने अमीर देशों के नेताओं को संबोधित करते हुए बेहद नाराजगी भरे स्वर में कहा था, ‘अपनी खोखली बातों से आपने मेरे सपने और मेरा बचपन छीन लिया है. लोग त्रस्त हैं, लोग मर रहे हैं. पूरी पारिस्थितिकी ध्वस्त हो रही है. हाउ डेयर यू.’

इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद को वर्ष 100वां नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया

इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद को अन्तर्राष्ट्रीय शांति और सहयोग में उनके योगदान के लिए 2019 का नोबेल शांति पुरस्कार से 10 दिसम्बर को सम्मानित किया गया. उन्होंने ओस्लो के सिटी हॉल में एक समारोह में यह पुरस्कार प्राप्त किया. इस पुरस्कार की घोषणा अक्टूबर 2019 में की गयी थी.
इस वर्ष का नोबेल शांति पुरस्कार अब तक प्रदान किया गया 100वां पुरस्‍कार था. नोबेल शांति पुरस्कार के रूप में एक प्रमाण-पत्र, स्वर्ण पदक और नौ मिलियन स्वीडिश क्रोनर की राशि प्रदान की जाती है.

इथियोपिया और इरिट्रिया के बीच शांति समझौता के लिए दिया गया
अफ्रीकी देश इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद अली को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार पड़ोसी देश इरिट्रिया के साथ सालों से चले आ रहे सीमा विवाद को हल करने में प्रमुख भूमिका निभाने के लिए दिया गया है.

43 साल के अबी अहमद को इथियोपिया का ‘नेल्सन मंडेला’ भी कहा जाता है. वह अप्रैल 2018 में इथियोपिया के प्रधानमंत्री बने थे. उन्होंने चिर प्रतिद्वंद्वी इरिट्रिया के साथ खूनी संघर्ष को खत्म करने के उनके शांति प्रयासों को देखते हुए लोग उनकी तुलना नेल्सन मंडेला से की जाती है.

उन्हीं के प्रयासों का नतीजा था कि 2018 में इथियोपिया और इरिट्रिया ने सीमा विवाद को हल करने के लिए शांति समझौता किया. 1998 से 2000 के बीच दोनों देशों के बीच युद्ध चला था.

ग्रेटा थनबर्ग को अंतर्राष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया

स्वीडन की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग को जलवायु परिवर्तन के खिलाफ उनके संघर्ष के लिए 20 नवम्बर को अन्तर्राष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया. कैमरून की शांति कार्यकर्ता 15 वर्षीय डिविना मलौम को भी अंतर्राष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.

यह पुरस्कार डच बाल अधिकार संगठन ‘किड्स राइट’ 2005 से देता आ रहा है. भारतीय बाल अधिकार कार्यकर्ता और 2014 के नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने यह पुरस्कार प्रदान किया. थनबर्ग समारोह में उपस्थित नहीं हो सकीं क्योंकि वह मेड्रिड में एक अंतर्राष्ट्रीय जलवायु सम्मेलन में भाग लेने के लिए नाव से अटलांटिक महासागर पार कर रही हैं.

ग्रेटा थनबर्ग: एक दृष्टि
16 वर्षीय ग्रेटा थनबर्ग, स्कूल स्ट्राइक फॉर क्लाइमेट मूवमेंट की संस्थापक हैं. उन्होंने स्वीडन की संसद के समक्ष पेरिस समझौते के मुताबिक कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए विरोध प्रदर्शन किया था. जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को रोकने के लिए आवाज उठाने वाली थनबर्ग ने पिछले साल अंतर्राष्ट्रीय पटल पर दस्तक दी, जब उन्होंने जलवायु परिवर्तन के विरोध में स्कूल हड़ताल की थी.