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14 अप्रैल 2020: बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की 129वीं जयंती, समानता दिवस

प्रत्येक वर्ष 14 अप्रैल को भारत रत्न बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाई जाती है. 14 अप्रैल 2020 को बाबा साहब की 129वीं जयंती मनाई गयी. भीमराव अंबेडकर का जन्म इसी दिन 1891 में मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के महू में हुआ था. बाबा साहेब को आधुनिक भारत का निर्माता और भारतीय संविधान के मुख्‍य निर्माता थे.

बाबा साहब की जयंती: समानता दिवस

बाबा साहब की जयंती को ‘समानता दिवस’ और ‘ज्ञान दिवस’ के रूप में भी मनाया जाता है, क्योंकि जीवन भर समानता के लिए संघर्ष करने वाले प्रतिभाशाली डॉ॰ भीमराव आंबेडकर को समानता के प्रतीक और ज्ञान का प्रतीक भी कहा जाता है.

डॉ आंबेडकर के मुख्य योगदान: एक दृष्टि

  • निम्न वर्ग समूह के लोगों के लिये अस्पृश्यता के सामाजिक मान्यता को मिटाने के लिये उन्होंने काम किया.
  • दलित वर्ग के अस्पृश्य लोगों के लिये सीट आरक्षित करने के लिये पूना संधि के द्वारा उन्होंने अलग निर्वाचक मंडल की माँग की.
  • डॉ अंबेडकर संविधान की प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे. उन्होंने एक ऐसे संविधान की रचना की जिसकी नज़रों में सभी नागरिक एक समान हों, धर्मनिरपेक्ष हो और जिस पर देश के सभी नागरिक विश्वास करें.
  • भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना में इन्होंने एक बड़ी भूमिका निभायी क्योंकि वो एक पेशेवर अर्थशास्त्री थे.
  • भारत के जम्मू कश्मीर के लोगों के लिये विशेष दर्जा उपलब्ध कराने के लिये भारतीय संविधान में अनुच्छेद 370 के खिलाफ थे.
  • इसके अलावा डॉक्टर अंबेडकर की प्रेरणा से ही भारत के वित्त आयोग की स्थापना हुई थी.
  • डा. अम्बेडकर को 1990 में मरणोपरांत देश का सर्वोच्‍च नागरिक सम्‍मान भारत रत्‍न से सम्‍मानित किया गया.

31 मार्च: भारत की पहली महिला डॉक्टर आनंदी गोपाल जोशी की जयंती

भारत की पहली महिला डॉक्टर आनंदी गोपाल जोशी की 155वीं जयंती 31 मार्च 2020 को मनाई गयी. उनका जन्म 31 मार्च 1865 को महाराष्ट्र में हुआ था.

आनंदी गोपाल जोशी: एक दृष्टि

  • आनंदी गोपाल जोशी डॉक्‍टरी की डिग्री लेने वालीं पहली भारतीय महिला थीं.
  • मेडिकल क्षेत्र में शिक्षा पाने के लिए अमेरिका गईं और साल 1886 में सिर्फ 19 साल की उम्र में MD की डिग्री हासिल कर ली.
  • अमेरिका के महिला मेडिकल कॉलेज ऑफ पेंसिलवेनिया से मेडिकल की डिग्री हासिल की.
  • टीबी से पीड़ित जोशी का 26 फरवरी 1887 को 22 साल की उम्र में मौत हो गयी.

21 मार्च: प्रख्यात शहनाई वादक बिस्मिल्लाह खां का जन्मदिन

प्रख्यात शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खान का 103वां जन्मदिन 21 मार्च को मनाया गया. बिस्मिल्लाह खान का जन्म 21 मार्च 1916 में हुआ था. उन्हें पद्म विभूषण, पद्म भूषण, पद्मश्री समेत दर्जनों पुरस्कारों से नवाजा गया. 2001 में उन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया था. वह तीसरे भारतीय संगीतकार थे, जिन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया है.

बिस्मिल्लाह खान ने मामा अली बख्श ‘विलायती’ से शहनाई बजाना सीखा। उनके उस्ताद मामा ‘विलायती’ वाराणसी के विश्वनाथ मन्दिर में स्थायी रूप से शहनाई-वादन का काम करते थे।

उन्होंने 14 साल की उम्र में सार्वजनिक जगहों पर शहनाई वादन शुरू कर दिया था. हालांकि, 1937 में कोलकाता में इंडियन म्यूज़िक कॉन्फ्रेंस में उनकी परफॉर्मेंस से उन्हें देशभर में पहचान मिली. उन्होंने एडिनबर्ग म्यूजिक फेस्टिवल में भी परफॉर्म किया था जिससे दुनिया भर में उन्हें ख्याति मिली. दिल का दौरा पड़ने की वजह से 21 अगस्त 2006 को उनकी मौत हो गयी.

19 फरवरी: छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती, महत्वपूर्ण जानकारी

प्रत्येक वर्ष 19 फरवरी को छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती मनाई जाती है. 19 फरवरी 1630 में शिवनेरी दुर्ग में उन्का जन्म हुआ था. छत्रपति शिवाजी को एक कुशल रणनीतिकार और निपुण प्रशासक के रूप में याद किया जाता है.

छत्रपति शिवाजी: एक दृष्टि

  • छत्रपति शिवाजी महाराज ने पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी थी.
  • उन्होंने दक्कन में हिंदू राज्य की स्थापना की थी, जो कई वर्ष औरंगज़ेब के मुगल साम्राज्य से संघर्ष किया.
  • 1674 ई.में रायगढ़ में उनका राज्याभिषेक हुआ और वे छत्रपति बन गये.
  • शिवाजी ने समर-विद्या में अनेक नवाचार किये और गुरिल्ला वॉर की नयी शैली विकसित की.
  • उन्होंने प्राचीन हिन्दू राजनीतिक प्रथाओं को पुनर्जीवित किया और फारसी के स्थान पर मराठी और संस्कृत को राजकाज की भाषा बनाया.
  • 3 अप्रैल 1680 को महज 50 साल की उम्र में वीर छत्रपति शिवाजी महाराज ने लंबी बीमारी के बाद अंतिम सांस ली.

23 जनवरी: नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती, महत्वपूर्ण तथ्यों पर एक दृष्टि

प्रत्येक वर्ष 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती मनाई जाती है. आज ही के दिन 1897 में नेताजी का जन्‍म ओडि‍सा के कटक में हुआ था. राष्‍ट्र नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 123वीं जयंती पर उन्‍हें श्रद्धाजंलि अर्पित की.

नेताजी सुभाष चंद्र बोस: एक दृष्टि

  • नेताजी ने सिविल सर्विस परिक्षा पास की थी. लेकिन उन्होंने भारत की आजादी के आंदोलन में शामिल होने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी. 1938-39 के दौरान वे कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. बाद में मतभेद के कारण उन्होंने कांग्रेस से त्याग-पत्र दे दिया तथा फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना की.
  • सुभाष चन्द्र बोस ने सशक्त क्रान्ति द्वारा भारत को स्वतंत्र कराने के उद्देश्य से 21 अक्टूबर, 1943 को सिंगापुर में ‘आज़ाद हिन्द फौज’ की स्थापना की थी. इसकी स्थापना में रास बिहारी बोस की भूमिका महत्वपूर्ण थी.
  • ‘आज़ाद हिन्द फौज’ एक सशस्त्र सेना थी. सुभाष चन्द्र बोस इस फ़ौज के सर्वोच्च कमांडर थे. 1943 में नेता जी तथा उनकी आज़ाद हिंद फौज ने भारत भूमि पर पहली बार आज़ादी का झंडा फहराया था.
  • नेताजी के कई प्रसिद्ध नारों ने स्वाधीनता की लड़ाई में लोगों के अंदर उत्साह का संचार किया. उनमें से एक प्रसिद्ध नारा था, “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा”.

12 जनवरी: स्वामी विवेकानंद की जयंती, राष्ट्रीय युवा दिवस के रुप में मनाता जाता है

12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद की जयंती है. इस दिन को ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ (National Youth Day) के रुप में मनाता जाता है. स्वामी जी का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था.

भारत के महान आध्‍यात्मिक गुरु स्‍वामी विवेकानंद ने विश्व को वेदांत और योग के भारतीय दर्शन से अवगत कराया. उन्हें बचपन में परिजनों ने नरेंद्र नाम दिया था. उठो, जागो, और ध्येय की प्राप्ति तक रूको मत… स्वामी विवेकानंद का ये संदेश सदा सर्वदा देश और दुनिया के युवाओं को प्रेरित करता रहेगा. अमरीका के शिकागो की धर्म संसद में साल 1893 में स्वामी विवेकानंद के भाषण ने पूरी दुनिया के सामने भारत को एक मजबूत छवि के साथ पेश किया था.

स्वामी विवेकानंद: एक दृष्टि

स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता में हुआ था. उनका मूल नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था. विवेकानंद को भारत में हिन्दू धर्म के पुनर्जागरण व राष्ट्रवाद का प्रेरणा-श्रोत माना जाता है. वे प्रसिद्ध संत रामकृष्ण परमहंस के शिष्य थे. स्वामी विवेकानंद का निधन 4 जुलाई, 1902 को हुआ था.

स्वामी विवेकानंद ने 1893 में अमेरिका के शिकागो में विश्व धर्म संसद में ऐतिहासिक भाषण दिया था और विश्व को हिन्दू धर्म का परिचय करवाया था.

3 जनवरी: सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले की जयंती से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी

3 जनवरी को समाज सुधारिका सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले की जयंती (Savitribai Phule Jayanti) है. उनका जन्म 1831 में इसी दिन महाराष्ट्र स्थित सतारा के नायगांव में हुआ था.

सावित्रीबाई फुले: मुख्य तथ्य

  • सावित्रीबाई फुले भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारिका एवं मराठी कवयित्री थीं. उन्होंने स्त्री अधिकारों एवं शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए.
  • वे प्रथम महिला शिक्षिका थीं. उन्हें आधुनिक मराठी काव्य का अग्रदूत माना जाता है. 1852 में उन्होंने बालिकाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की थी.
  • सावित्रीबाई फुले को देश के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रधानाचार्या बनने और पहले किसान स्कूल की स्थापना करने का श्रेय जाता है.

25 दिसम्बर: सुशासन दिवस, अटल बिहारी वाजपेयी का जन्मदिन

पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का जन्मदिन को देश में सुशासन दिवस (Good Governance Day) के रूप में मनाया जाता है. सुशासन दिवस का मुख्य उद्देश्य जनता को पारदर्शी, भ्रष्टाचार मुक्त और जिम्मेदार प्रशासन देना है.

अटल जी की समाधि ‘सदैव अटल’: भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की समाधि ‘सदैव अटल’ 25 दिसम्बर 2018 को नई दिल्ली में राष्ट्र को समर्पित किया था.

25 दिसंबर 2019: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 95वीं जयंती

25 दिसंबर 2019 को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 95वीं जयंती थी. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अटल बिहारी वाजपेयी की समाधि “सदैव अटल” पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.

उनका जन्‍म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ था. वे तीन बार देश के प्रधानमंत्री बने. पहली बार 1996 में वे केवल 13 दिन तक प्रधानमंत्री रहे. दूसरा कार्यकाल 1998 से 1999 तक 11 महीने का रहा और इसके बाद 1999 से 2004 तक उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा की. 2015 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से अलंकृत किया गया था.

श्री वाजपेयी के नेतृत्व में ही भारत ने 1998 में दूसरा पोखरण परमाणु परीक्षण किया था और परमाणु संपन्न देश के रूप में अपनी स्थिति सुदृढ कर ली थी.

पंडित मदन मोहन मालवीय की जयंती

25 दिसंबर 2019 को महान शिक्षाविद और स्वतंत्रता सेनानी पंडित मदन मोहन मालवीय की भी जयंती है. भारत रत्न से अलंकृत महामना मदन मोहन मालवीय ने आधुनिक शिक्षा को बढ़ावा देने का प्रयास किया. उन्होंने 1916 में वाराणसी में काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की थी.

31 अक्टूबर 2019: सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती ‘ऱाष्ट्रीय एकता दिवस’ के रूप में मनाई गयी

प्रत्येक वर्ष 31 अक्टूबर को लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती मनाई जाती है. इस वर्ष यानी 2019 में उनकी 144वीं जयंती मनाई गयी.

वर्ष 2014 से सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्मदिन को ‘ऱाष्ट्रीय एकता दिवस’ के तौर पर मनाया जाता है. देश में राष्ट्रीय एकता की भावना का संचार करने के उद्देश्य से बीते 5 सालों से केन्द्र सरकार इस दिन ‘रन फॉर यूनिटी दौड़’ कार्यक्रम का आयोजन करती है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात में सरदार पटेल की पर विश्‍व की सबसे ऊंची प्रतिमा ‘स्‍टैच्‍यू ऑफ यूनिटी’ पर उन्हें पुष्‍पांजलि अर्पित की. गु़जरात के नर्मदा किनारे केवाडिया में बने यह प्रतिमा 182 मीटर ऊंची है, जो कि दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा बन गयी है.

‘एक भारत श्रेष्‍ठ भारत’ पर्व का आयोजन

सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर नई दिल्‍ली के इंडिया गेट पर ‘एक भारत श्रेष्‍ठ भारत’ पर्व का आयोजन किया गया. इस पहल का उद्देश्‍य सभी राज्‍यों और केंद्रशासित प्रदेशों के बीच देश की विविधता में एकता को रेखांकित करना है. एक भारत श्रेष्‍ठ भारत का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 31 अक्‍तूबर, 2015 को सरदार पटेल की 140वीं जयंती के अवसर पर किया था.

सरदार वल्‍लभ भाई पटेल: संक्षिप्त परिचय

सरदार वल्‍लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्‍तूबर 1875 को गुजरात के नाडियाड में हुआ था. वह भारत के लौह पुरूष के रूप में जाने जाते हैं. उन्‍होंने भारत के साथ पांच सौ से अधिक रजवाड़ों का विलय कराया था. 12 अक्‍तूबर 1947 को दशहरे के अवसर पर सरदार पटेल ने अखंड भारत की अवधारणा का आह्वान किया था.

सरदार पटेल ने भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री के रूप में सेवा की और गृहमंत्री भी रहे. वे भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता थे. भारत गणराज्‍य के एक संस्‍थापक के रूप में पटेल ने देश की आजादी के लिए संघर्ष में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई.

15 अक्टूबर: डॉक्‍टर एपीजे अब्दुल कलाम जयंती, विश्व छात्र दिवस

15 अक्टूबर को पूर्व राष्‍ट्रपति डॉक्‍टर एपीजे अब्‍दुल कलाम की जयंती (Dr APJ Abdul Kalam Birth Anniversary) है. डॉक्‍टर कलाम एक असाधारण गुरू, अदभुत प्रेरक और प्रख्‍यात वैज्ञानिक थे.

डॉक्‍टर एपीजे अब्दुल कलाम: एक दृष्टि

  • डॉक्‍टर एपीजे अब्दुल कलाम का पूरा नाम डॉक्टर अबुल पाकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम है. उन्हें ‘मिसाइल मैन’ के नाम से भी जाना जाता है.
  • उनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वरम में हुआ था. 27 जुलाई, 2015 को वे आईआईएम शिलॉंग में लेक्चर देने के दौरान दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया था.
  • उन्होंने अपनी पढ़ाई सेंट जोसेफ कॉलेज त्रिचि से किया था. 1957 में एमआईटी मद्रास से उन्होंने एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग से स्पेशलाइजेशन किया था.
  • कलाम ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में दो दशक तक अपनी सेवाएँ दी. इस दौरान उन्होंने भारत के पहले सैटेलाइट लॉच व्हीकल (SLV111) की शुरुआत की थी.
  • इसरो के बाद कलाम ने डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंटल ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) की जिम्मेदारी ले ली. उन्होंने अग्नि मिसाइल और पृथ्वी मिसाइल के निर्माण और ऑपरेशनल कार्यों में अपना भरपूर योगदान दिया था. इसी कारण उन्हें ‘मिसाइल मैन’ कहा जाने लगा था.
  • उन्हें भारत और विदेशों के कुल 48 विश्वविद्यालयों और इंस्टीट्यूट से कई डॉक्टरेट की उपाधि मिल चुकी है. उन्हें 1981 में पद्म भूषण, 1990 में पद्म विभूषण और 1997 में भारत रत्न सम्मान दिया जा चुका है.
  • डॉक्‍टर कलाम देश के 11वें राष्ट्रपति थे. वर्ष 2002 में उन्होंने लक्ष्मी सहगल को हराकर देश के 11वें राष्ट्रपति बने थे.

15 अक्टूबर: विश्व छात्र दिवस

प्रत्येक वर्ष 15 अक्टूबर को विश्व छात्र दिवस (World Students Day) मनाया जाता है. 15 अक्टूबर को 1931 को देश के महान वैज्ञानिक और भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजी अब्दुल कलाम के जन्मदिन पर यह दिवस मनाया जाता है, क्योंकि डॉ. कलाम की पहचान एक समर्पित शिक्षक के रूप में थी. संयुक्त राष्ट्र ने इसे दिवस के रूप में मनाने को लेकर अभी तक मान्यता नहीं दी है.

2 अक्टूबर 2019: लाल बहादुर शास्त्री की 115वीं जयंती

2 अक्टूबर 2019 को लाल बहादुर शास्त्री की 115वीं जयंती पर देश भर में श्रद्धांजलि दी गयी. प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने राजधानी दिल्ली में विजय घाट जाकर लाल बहादुर शास्‍त्री की समाधि पर उन्हें श्रद्धाजंलि अर्पित की.


लाल बहादुर शास्त्री: महत्वपूर्ण तथ्य

  • शास्त्री का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणासी में 2 अक्टूबर 1904 को शारदा प्रसाद और रामदुलारी देवी के घर हुआ था. उन्होंने 11 जनवरी, 1966 को उज्बेकिस्तान के ताशकंद में अंतिम सांस ली थी. उन्हें 1966 में मरणोपरांत भारतरत्न से सम्मानित किया गया था. वह पहले व्यक्ति थे जिन्हें मरणोपरांत इस सम्मान से सम्मानित किया गया था.
  • साल 1920 में शास्त्री जी भारत की आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए थे. स्वाधीनता संग्राम के जिन आंदोलनों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही उनमें 1921 का असहयोग आंदोलन, 1930 का दांडी मार्च और 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन उल्लेखनीय हैं. शास्त्री जी ने 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान देश को ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया था.
  • स्वतंत्रता के बाद शास्त्री जी 9 जून, 1964 से 11 जनवरी, 1966 के बीच वे देश के दूसरे प्रधानमंत्री रहे. उन्हें पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु के देश का प्रधानमंत्री बनाया गया था. इससे पहले पंडित जवाहर लाल नेहरु की सरकार में वे 1951 से 1956 तक रेलवे मंत्री, 1961 से 1963 के बीच गृह मंत्री, 9 जून 1964 से 18 जुलाई 1964 के बीच विदेश मंत्री रहे थे.
  • उनके कार्यकाल में 1965 का भारत-पाक युद्ध हुआ था. 10 जनवरी, 1966 को ताशकंद को उन्होंने पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब ख़ान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर किया था. उसके अगले दिन ही ताशकन्द में 11 जनवरी 1966 की रात में ही रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गयी. उनकी मृत्यु का स्पष्ट कारण पर अभी भी विवाद है.