वैश्विक गरीबी सूचकांक: भारत में लगभग 415 मिलियन लोग गरीबी रेखा के बाहर

संयुक्त राष्ट्र द्वारा हाल ही में जारी वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (Multidimensional Poverty Index – MPI) 2022 के अनुसार भारत में 15 वर्षों के दौरान लगभग 415 मिलियन लोग गरीबी रेखा के बाहर निकल गए हैं. ये आंकड़ा साल 2005-2006 और साल 2019-2020 के बीच का है. संयुक्त राष्ट्र ने इसे एक ऐतिहासिक परिवर्तन करार दिया है.

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) और ऑक्सफर्ड गरीबी एवं मानव विकास पहल (OPHI) की तरफ से 17 अक्तूबर को यह बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) जारी किया था.

MPI 2022 रिपोर्ट के मुख्य बिन्दु

  • 111 देशों में 1.2 अरब लोग (19.1%) तीव्र बहुआयामी गरीबी में रहते हैं. बहुआयामी गरीबी के उच्चतम प्रसार वाला विकासशील क्षेत्र उप-सहारा अफ्रीका (लगभग 579 मिलियन) है, इसके बाद दक्षिण एशिया (385 मिलियन) है.
  • साल 2005-06 से लेकर 2019-21 के बीच भारत में करीब 41.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए हैं जो एक “ऐतिहासिक परिवर्तन” है. इस कामयाबी को से साल 2030 तक गरीबों की संख्या को आधा करने के सतत विकास लक्ष्यों को बड़े पैमाने पर हासिल कर पाना संभव है.
  • रिपोर्ट के अनुसार साल 2020 में भारत की जनसंख्या के आंकड़ों के हिसाब से 22.89 करोड़ गरीबों की संख्या दुनिया भर में सर्वाधिक है.
  • MPI को स्वास्थ्य, जीवन स्तर, शिक्षा सहित 10 संकेतकों के आधार पर जारी किया जाता है.
लेटेस्ट कर्रेंट अफेयर्स 〉