15 नवम्‍बर: भगवान बिरसा मुंडा की जयन्‍ती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया गया

15 नवम्‍बर को भगवान बिरसा मुंडा की जयन्‍ती को जनजातीय गौरव दिवस (Birsa Mundas Birth Anniversary: Janjati Gaurav Divas) के रूप में मनाया गया. जनजातीय गौरव दिवस मनाये जाने का फैसला हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने किया था. इस दिन को भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में घोषित किया गया है.

बिरसा मुंडा को पूरे देश में जनजाती‍य समुदाय में भगवान माना जाता है. इस दिन वीर स्‍वतन्‍त्रता सेनानी बिरसा मुंडा का स्‍मरण किया जाता है जिससे आने वाली पीढियां देश के लिए उनके बलिदान के बारे में जान सकें.

बिरसा मुंडा: एक दृष्टि

झारखंड राज्य जो पहले बिहार का हिस्सा था, का गठन 15 नवंबर 2000 को हुआ था. झारखंड के सपूत बिरसा मुंडा का जन्म भी 15 नवंबर को ही हुआ था. उनका जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड के खूंटी जिले के उलीहातू गांव में हुआ था. वह मुंडा जनजाति से संबंधित थे. मुंडा जनजाति ज्यादातर छोटा नागपुर के पाठारों में निवास करती है.

  • बिरसा मुंडा ने शुरुआती पढ़ाई के दौरान ही यह समझ लिया था कि अंग्रेज यहां रहने वालों का शोषण करते हैं. स्थानीय जमींदार भी इसमें पीछे नहीं रहते. ये आदिवासियों से बेगार करवाते हैं और अंग्रेज जबरन कर वसूलते हैं. इसलिए उन्होंने अंग्रेजों और जमींदारों के खिलाफ एक सशक्त आदिवासी आंदोलन चलाया और अपने समाज में मौजूद कुछ कुरीतियों को भी हटाने का काम किया.
  • उन्होंने आदिवासियों के पिछड़ेपन का सबसे बड़ा कारण अंधविश्वास और अशिक्षा को माना. इसलिए बिरसा ने मुंडाओं के बीच फैली झाड़-फूंक आदि को बेकार बताना शुरू किया. उन्होंने सफाई से रहने पर जोर दिया. यह भी बताया कि सफाई न रखने पर क्या नुकसान होता है. उन्होंने शिक्षा के महत्व को भी समझाया. उन्होंने अपने समाज के लोगों में राजनीतिक चेतना जगाने का काम भी किया.
  • बिरसा मुंडा ने लोगों को एकत्रित किया और 1 अक्टूबर 1894 को विद्रोह कर दिया. इन्होंने लगान माफी के लिए भी आंदोलन किया. लोगों ने बेगार करना बंद कर दिया. इससे उस इलाके का काम पूरी तरह ठप हो गया. अगले ही साल इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 2 साल की सजा हुई. बिरसा के शिष्यों ने अकाल के वक्त भी लोगों की भरपूर सहायता की. इस काम ने उन्हें जीते ही महापुरुष का दर्जा दे दिया. उस दौर में लोग उन्हें ‘धरती बाबा’ कहकर पुकारने लगे.
  • झारखंड में बिरसा न सिर्फ सामाजिक व राजनीतिक चेतना के प्रतीक हैं बल्कि वह धार्मिक चेतना के भी अग्रणी माने जाते हैं. बिरसा ने एक नए धर्म का सृजन किया जिसे ‘बिरसाइत धर्म’ कहा जाता है. झारखंड और बिहार में लोग उन्हें भगवान की तरह पूजते हैं.
  • बिरसा मुंडा को बड़ा खतरा मानते हुए अंग्रेजों ने उन्हें जेल में डाल दिया और स्लो पॉइजन दिया. इस वजह से वह 9 जून 1900 को 25 साल से भी कम उम्र में शहीद हो गए.
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