ISRO का चन्‍द्रयान-2 मिशन ज्यादातर उद्देश्यों में कामयाब रहा

भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन (ISRO) द्वारा चाँद के अध्ययन के लिए भेजा गया चन्‍द्रयान-2 मिशन अपने ज्यादातर उद्देश्यों में कामयाब रहा है. तकनीकी कारणों से इस मिशन के लैंडर से संपर्क टूटने के कारण यह कुछ उद्देश्यों को छोड़कर सफल रहा.

चन्‍द्रयान-2 के लैंडर ‘विक्रम’ का 7 सितम्बर को चन्‍द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने से कुछ मिनट पहले ही धरती से सम्‍पर्क टूट गया था. ‘विक्रम’ के उतरने की निर्धारित प्रक्रिया से 2.1 किलोमीटर की दूरी रह जाने तक सामान्‍य थी. लैंडर ‘विक्रम’ को 2.30 बजे चंद्रमा पर उतरना था.

इस मिशन का आर्बिटर सफलतापूर्वक चन्द्रमा की सौ किलोमीटर ऊपर कक्षा में भली-भांति कार्य कर रहा है. यह ऑर्बिटर चांद की विकास यात्रा, सतह की संरचना, खनिज और पानी की उपलब्धता आदि के बारे में हमारी समझ को और बेहतर बनाने में मदद करेगा. इसकी उम्र 1 साल की मानी जा रही थी लेकिन वह करीब 7 साल तक सक्रिय रहेगा.

इस ऑर्बिटर में चंद्रमा की सतह की मैपिंग और उसके बाहरी वातावरण के अध्‍ययन के लिए आठ पेलोड लगे हैं. ऑर्बिटर में लगे ये आठ पेलोड्स और उसके कैमरे अब तक के सारे मून मिशन के कैमरों से ज्यादा रिजॉलूशन (0.3m) वाला है.

चन्‍द्रयान-2 मिशन: एक दृष्टि

  • इसरो ने चंद्रयान-2 मिशन को 22 जुलाई, 2019 को स्वदेश निर्मित रॉकेट जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल-मार्क III (GSLV MK III) से अंतरिक्ष में भेजा था.
  • चन्‍द्रयान-2 में तीन प्रमुख हिस्से- ऑर्बिटर (वजन 2,379 किलोग्राम), लैंडर विक्रम (1,471 किलोग्राम) और एक रॉवर प्रज्ञान (27 किलोग्राम) है.
  • चंद्रयान-2 मिशन पर 14.1 करोड़ डॉलर (करीब 900 करोड़ रुपये) का खर्च आया जो अमेरिका के ऐतिहासिक अपोलो मून मिशन की लागत का महज एक छोटा सा हिस्सा है.
  • चंद्रयान-2 मिशन के तहत भेजा गया लैंडर ‘विक्रम’ भारत का पहला मिशन था जो स्वदेशी तकनीक की मदद से चंद्रमा पर खोज करने के लिए भेजा गया था. लैंडर का यह नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए साराभाई पर दिया गया था.
  • चंद्रयान-2 मिशन में चंद्रमा की सतह पर लैंडर को उतरा जाना था जिसके भीतर रोवर ‘प्रज्ञान’ था. सौर ऊर्जा से चलने वाले प्रज्ञान को उतरने के स्थान से 500 मीटर की दूरी तक चंद्रमा की सतह पर चलने के लिए बनाया गया था.
  • इसरो के पूर्व अध्‍यक्ष जी माधवन नायर ने कहा है कि लैंडर ‘विक्रम’ के चंद्रमा की सतह पर नहीं उतर पाने के बावजूद चंद्रयान-2 ने अपने 95 प्रतिशत उद्देश्‍यों को प्राप्‍त किया है. उन्होंने कहा कि ऑर्बिटर चंद्रमा की कक्षा में सामान्‍य ढंग से काम कर रहा है. चंद्रयान -2 के कई उद्देश्य थे, जिनमें चंद्रमा की सतह पर उतरना भी शामिल था.
  • चंद्रयान-2 भारत का चंद्रमा पर दूसरा मिशन है. यह 2008 में चाँद पर भेजे गये गए मिशन ‘चंद्रयान-1’ का उन्नत संस्करण है. चंद्रयान-1 मिशन को केवल चन्द्रमा की परिक्रमा करने के लिए भेजा गया था.