भारत, मालदीव और श्रीलंका के बीच त्रिपक्षीय अभ्यास ‘दोस्ती’ का आयोजन 20-24 नवंबर 2021 को किया गया था. यह त्रिपक्षीय अभ्यास ‘दोस्ती’ का 15वां संस्करण था जिसका आयोजन मालदीव में किया गया था.
भारत-मालदीव-श्रीलंका त्रिपक्षीय अभ्यास का उद्देश्य तट रक्षक बल सहयोग को बढ़ाना, संबंधों को और मजबूती देना तथा परिचालन क्षमता को बढ़ाना था.
अभ्यास ‘दोस्ती’
अभ्यास ‘दोस्ती’ 1991 में भारतीय और मालदीव के तट रक्षकों के बीच शुरू किया गया था. श्रीलंका 2012 में पहली बार अभ्यास में शामिल हुआ था.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2021-11-25 09:27:322021-11-26 09:36:16भारत, मालदीव व श्रीलंका के तट रक्षक बलों के बीच सैन्य अभ्यास ‘दोस्ती’ आयोजित किया गया
स्वास्थ्य मंत्रालय ने पांचवें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के (NFHS-5) में भारत से संबंधित प्रमुख संकेतकों का तथ्य-पत्र 24 नवम्बर को नई दिल्ली में जारी किया. इस तथ्य-पत्र में देश की जनसंख्या, पुनर्प्रजनन और शिशु स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, पोषण जैसे अन्य प्रमुख संकेतक शामिल हैं.
यह पत्र 2019-2021 के सर्वेक्षण से संबंधित है, जो 14 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए है. सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य और परिवार कल्याण तथा अन्य उभरते मुद्दों से संबंधित विश्वसनीय और तुलनात्मक डेटा प्रदान करना है.
तथ्य-पत्र के मुख्य बिंदु
सर्वेक्षण के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर कुल प्रजनन दर 2.2 से कम होकर 2 हो गई है.
पूर्ण टीकाकरण अभियान के अलावा 23 माह से 12 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों के मामले में काफी सुधार हुआ है, जो कि अखिल भारतीय स्तर पर 62 प्रतिशत से बढ़ कर 75 प्रतिशत हो गया.
रिपोर्ट के अनुसार 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 11 में 23 माह से 12 वर्ष आयु वर्ग के 75 प्रतिशत बच्चे हैं, जिनका पूर्ण टीकाकरण कर लिया गया है. ओडिसा में पूर्ण टीकाकरण वाले सबसे अधिक 90 प्रतिशत बच्चे हैं.
अब हर 1,000 पुरुषों पर 1,020 महिलाएं हैं. आजादी के बाद ये भी पहली बार है जब पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की आबादी 1 हजार से ऊपर पहुंची है. इससे पहले 2015-16 में हुए NFHS-4 में ये आंकड़ा हर 1,000 पुरुष पर 991 महिलाओं का था.
सर्वे में कहा गया है कि बच्चों के जन्म का लिंग अनुपात अभी भी 929 है यानी अभी भी लोगों के बीच लड़के की चाहत ज्यादा दिख रही है. महिलाएं पुरुषों की तुलना में ज्यादा जी रही हैं.
सर्वे के अनुसार एक महिला के अब औसतन 2 बच्चे हैं, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर के मानकों से भी कम है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2021-11-25 09:27:302021-11-26 09:35:35पांचवें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण का तथ्य-पत्र जारी किया किया गया
स्वदेश निर्मित स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी INS वेला (INS Vela) का 25 नवम्बर को मुंबई में नौसेना गोदी में जलावतरण किया गया. यह प्रोजेक्ट 75 के तहत चौथी स्टेल्थ स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी है.
INS वेला का निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने फ्रांस के नेवल ग्रुप के सहयोग से किया है. मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने स्कॉर्पिन श्रेणी की छह पनडुब्बियों के निर्माण और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए फ्रांस के नेवल ग्रुप के साथ समझौता किया था. INS कलवरी, INS खंदेरी और INS करंज के बाद INS वेला इस श्रृंखला की चौथी पनडुब्बी है.
INS वेला, डीजल-इलेक्ट्रिक से चलने वाला एक अटैक पनडुब्बी है. इसकी लंबाई 67.5 मीटर और ऊंचाई 12.3 मीटर है जबकि इसकी बीम की लंबाई 6.2 मीटर है.
वेला जलमग्न होने पर 20 समुद्री मील की शीर्ष गति तक पहुँच सकता है जबकि इसकी सतह की शीर्ष गति 11 समुद्री मील तक होती है. इसमें पावर के लिए 360 बैटरी सेल के साथ चार MTU 12V 396 SE84 डीजल इंजन शामिल हैं.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2021-11-25 09:27:282021-11-26 09:51:21स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी INS वेला का मुंबई में नौसेना गोदी में जलावतरण किया गया
भारती नौसेना में 21 नवंबर को INS विशाखापट्टनम को शामिल कर लिया गया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में मुंबई डॉकयार्ड में इस जंगी जहाज (वारशिप) को नौसेना में शामिल किया गया.
INS विशाखापट्टनम: एक दृष्टि
INS विशाखापट्टनम एक जंगी जहाज है जिसको आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 75 फीसदी स्वदेशी उपकरणों से बनाया गया है. इसे भारतीय सेना के प्रॉजेक्ट 15B के तहत बनाया गया है. 2015 में पहली बार इसे पानी में उतारा गया था. 164 मीटर लंबाई वाले वारशिप का सभी उपकरणों और हथियारों की तैनाती के बाद वजन 7,400 टन हो गया है. यह एक दिन में 500 नॉटिकल मील से ज्यादा की दूरी तय करने में सक्षम है.
INS विशाखापत्तनम डिस्ट्रॉयर उन चार स्टेल्थ डिस्ट्रॉयर्स में से एक हैं जो मझगांव डॉक्स पर बनाए जा रहे हैं. जनवरी 2011 में इनका कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था. तीन और डिस्ट्रॉयर्स- मुरगांव, इम्फाल और सूरत अगले कुछ सालों में नौसेना में सौंपे जायेंगे. इन चारों डिस्ट्रॉयर में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल और इजरायली बराक मिसाइलें लगी होंगी. चारों को तैयार करने में 35,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत आने वाली है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2021-11-21 20:59:562021-11-21 20:59:56INS विशाखापट्टनम को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया
भारत को वर्ष 2021-25 के लिए एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) के कार्यकारी बोर्ड का सदस्य चुना गया है. कार्यकारी बोर्ड के सदस्यों का चुनाव 16 नवम्बर को किया गया था. भारत को सदस्य चुने जाने के पक्ष में 164 वोट मिले थे.
‘ग्रुप चार एशिया एवं प्रशांत देश’, से जापान, फिलीपिन, वियतनाम, कुक द्वीप समूह और चीन भी कार्यकारी बोर्ड के सदस्य चुने गए हैं.
यूनेस्को का कार्यकारी बोर्ड
कार्यकारी बोर्ड, यूनेस्को के तीन संवैधानिक अंगों में से एक है. इसे जनरल कॉन्फ्रेंस द्वारा चुना जाता है. जनरल कॉन्फ्रेंस के अधीन कार्य करते हुए, यह कार्यकारी बोर्ड संगठन के कार्यक्रमों और महानिदेशक द्वारा प्रस्तुत किए गए संबंधित बजट अनुमानों की जांच करता है. कार्यकारी बोर्ड में 58 सदस्य देश हैं, जिनका कार्यकाल चार वर्ष का होता है.
यूनेस्को क्या है?
यूनेस्को का पूरा नाम संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन है. इसका उद्देश्य शिक्षा, विज्ञान, कला और संस्कृति में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से विश्व शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देना है. यूनेस्को में कुल 193 सदस्य देश शामिल हैं. इसका मुख्यालय फ्रांस के पेरिस में है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2021-11-21 20:58:272021-11-21 20:58:27भारत को एक बार फिर यूनेस्को कार्यकारी बोर्ड का सदस्य चुना गया
भारत में दुनिया की सबसे ऊंची मोटर वाहन चलाने योग्य सड़क का निर्माण किया गया है. इसका निर्माण सीमा सड़क संगठन (BRO) ने पूर्वी लद्दाख में उमलिंग-ला दर्रे पर किया है. यह 19,300 फीट (5798.251 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित है. BRO, भारतीय सशस्त्र बल की सड़क बनाने वाली एजेंसी है. BRO ने इस सड़क के निर्माण और ब्लैकटॉपिंग के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड प्राप्त किया है.
मुख्य बिंदु
इस ऊंचे पहाड़ी दर्रे से होते हुए BRO ने 52 किलोमीटर लंबी पक्की सड़क बनाई है. उमलिंग ला दर्रे की सड़क अब पूर्वी लद्दाख के चुमार सेक्टर के महत्वपूर्ण शहरों को जोड़ती है.
उमलिंग ला दर्रा ने अब बोलीविया में स्थित 18,953 फीट के पिछले रिकॉर्ड को तोड़ दिया है. बोलीविया में पिछली सबसे ऊंची सड़क उटुरुंकु नामक ज्वालामुखी से जुड़ती है.
उमलिंग ला दर्रे पर स्थित यह सड़क माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप (आधार शिविरों) से भी ऊंचा है. तिब्बत में उत्तरी बेस 16,900 फीट की ऊंचाई पर है, जबकि नेपाल में दक्षिण बेस कैंप 17,598 फीट पर स्थित है. माउंट एवरेस्ट का शिखर 29,000 फीट से थोड़ा ज्यादा ऊंचा है.
उमलिंग ला दर्रा मशहूर खारदुंग ला दर्रे की तुलना में ड्राइवरों के लिए ज्यादा चुनौतीपूर्ण होगा.
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इस दर्रे का तापमान भीषण सर्दियों के मौसम में माइनस 40 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है. साथ ही, इस ऊंचाई पर ऑक्सीजन का स्तर सामान्य स्थानों की तुलना में लगभग 50 फीसदी कम है. जिससे किसी के लिए भी यहां ज्यादा समय तक रहना बहुत मुश्किल हो जाता है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2021-11-19 21:59:292021-11-19 21:59:29भारत में दुनिया की सबसे ऊंची मोटर वाहन चलाने योग्य सड़क का निर्माण
प्रधानमंत्री ने 16 नवम्बर को उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के करवल खीरी में नवनिर्मित पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन किया. इस एक्सप्रेस-वे के उद्घाटन के लिए वे C-130 हरक्युलिस विमान से करवल कीरी हवाईपट्टी पहुंचे थे. यह पहली बार था जब देश के प्रधानमंत्री विमान में सवार होकर सीधे एक्सप्रेस-वे की हवाई पट्टी पर लैंड किये थे. उद्घाटन के बाद, भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने एक्सप्रेस-वे पर बनी हवाई पट्टी पर अपने कौशल का प्रदर्शन किया.
पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे: एक दृष्टि
पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे उत्तर प्रदेश में लखनऊ जिले के चांद सराय गांव को NH-31 पर गाजीपुर जिले के हैदरिया गांव से जोड़ता है. इसकी लंबाई 340.8 किमी है. यह 6-लेन का है जिसे 8-लेन तक बढ़ाया जा सकता है.
यह भारत का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे है. इसे “उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण” (UPEIDA) द्वारा विकसित किया गया है. UPEIDA द्वारा इसका निर्माण अक्टूबर 2018 में शुरू किया गया था. इस परियोजना की लागत 22,494 करोड़ रुपये है.
इस एक्सप्रेस-वे में विमानों की आपातकालीन लैंडिंग के लिए सुल्तानपुर जिले के निकट अखलकिरी कारवत गांव में 3.2 किमी लंबी हवाई पट्टी भी शामिल है.
इस एक्सप्रेस-वे पर आठ पैट्रोल स्टेशन और चार सीएनजी स्टेशन बनाये जायेंगे. जल्द ही एक्सप्रेस-वे पर इलैक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग की सुविधा भी मौजूद हो जायेगी. अभी फिलहाल कुछ दिनों तक इस एक्सप्रेस-वे पर यात्रा मुफ्त रहेगी.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2021-11-17 08:55:572021-11-18 09:10:04प्रधानमंत्री ने नवनिर्मित पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन किया
रूस ने भारत को सतह से हवा में मार करने वाली एस-400 मिसाइल वायु रक्षा प्रणाली (एयर डिफेंस सिस्टम) की आपूर्ति शुरू कर दी है. इस सिस्टम की पहली यूनिट को जल्द ही सेना में शामिल किया जा सकता है. भारत से पहले चीन ने भी रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम को खरीदा था.
क्या है वायु रक्षा प्रणाली?
वायु रक्षा प्रणाली (एयर डिफेंस सिस्टम) का काम देश में होने वाले किसी भी संभावित हवाई हमले का पता लगाना और उसे रोकना है. यह तमाम तरह के रेडार और उपग्रहों की मदद से जानकारी जुटाता है. इस जानकारी के आधार पर यह बता सकता है कि लड़ाकू विमान कहां से हमला कर सकते हैं. यह एंटी-मिसाइल दागकर दुश्मन विमानों और मिसाइलों को हवा में ही खत्म कर सकता है.
क्या है S-400 डिफेंस सिस्टम?
S-400 को रूस का सबसे उन्नत लंबी दूरी का सतह से हवा (अडवांस लॉन्ग रेंज सर्फेस-टु-एयर) में मारक क्षमता का मिसाइल डिफेंस सिस्टम माना जाता है. यह दुश्मन के क्रूज, एयरक्राफ्ट और बलिस्टिक मिसाइलों को मार गिराने में सक्षम है. यह सिस्टम रूस के ही S-300 का अपग्रेडेड वर्जन है. इस मिसाइल सिस्टम को रूस की सरकारी कंपनी अल्माज-आंते (Almaz-Antey) ने तैयार किया है.
S-400 के रडार 100 से 300 टारगेट ट्रैक कर सकते हैं. 600 किमी तक की रेंज में ट्रैकिंग कर सकता है. इसमें लगी मिसाइलें 30 किमी ऊंचाई और 400 किमी की दूरी में किसी भी टारगेट को भेद सकती हैं. इससे ज़मीनी ठिकानों को भी निशाना बनाया जा सकता है. एक ही समय में यह 400 किमी तक 36 टारगेट को एक साथ मार सकती है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2021-11-15 21:58:322021-11-16 11:58:58रूस ने भारत को एस-400 वायु रक्षा प्रणाली की आपूर्ति शुरू की
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) के निदेशकों के कार्यकाल को पांच साल तक बढ़ाने के लिए 14 नवम्बर को दो अध्यादेश जारी किये. ये अध्यादेश हैं- केंद्रीय सतर्कता आयोग संशोधन अध्यादेश 2021 और दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना संशोधन अध्यादेश 2021.
अध्यादेशों के अनुसार, CBI और ED के निदेशकों को उनके कार्यकाल की समाप्ति से पहले नहीं हटाया जा सकता है. दोनों निदेशकों को दो साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद तीन साल तक का विस्तार दिया जा सकता है. अध्यादेशों में कहा गया है, प्रारंभिक नियुक्ति में उल्लिखित अवधि सहित कुल मिलाकर पांच साल की अवधि पूरी होने के बाद आगे कोई विस्तार नहीं दिया जाएगा. मौजूदा समय में CBI और ED के निदेशकों की नियुक्ति की तारीख से उनका दो साल का निश्चित कार्यकाल होता है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2021-11-15 11:41:432021-11-16 11:55:50CBI और ED के निदेशकों के कार्यकाल को पांच साल तक बढ़ाने के लिए अध्यादेश
भारत की चौथी स्कॉर्पीन सबमरीन ‘आईएनएस वेला’ भारतीय नौसेना को प्रदान कर दी गई. इसका निर्माण ‘प्रोजेक्ट-75’ के तहत किया गया है.
प्रमुख बिंदु
‘प्रोजेक्ट-75’ के तहत शामिल स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियाँ ‘डीज़ल-इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम’ द्वारा संचालित होती हैं. स्कॉर्पीन सर्वाधिक परिष्कृत पनडुब्बियों में से एक है, जो एंटी-सरफेस शिप वॉरफेयर, पनडुब्बी रोधी युद्ध, खुफिया जानकारी एकत्र करने, खदान बिछाने और क्षेत्र-विशिष्ट की निगरानी सहित कई मिशनों को पूरा करने में सक्षम है.
‘स्कॉर्पीन’ श्रेणी जुलाई 2000 में रूस से खरीदे गए ‘INS सिंधुशास्त्र’ के बाद लगभग दो दशकों में नौसेना की पहली आधुनिक पारंपरिक पनडुब्बी शृंखला है.
प्रोजेक्ट-75 भारतीय नौसेना का एक कार्यक्रम है, जिसमें छह स्कॉर्पीन श्रेणी की ‘अटैक सबमरीन’ का निर्माण किया जाना है. दो पनडुब्बियों- कलवरी और खांदेरी को भारतीय नौसेना में शामिल किया जा चुका गया है. स्कॉर्पीन ‘वागीर’ का परीक्षण चल रहा है. छठी पनडुब्बी- ‘वाग्शीर’ निर्माणाधीन है. कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियों का डिज़ाइन ‘फ्रेंच स्कॉर्पीन श्रेणी’ की पनडुब्बियों पर आधारित है.
इसका निर्माण मझगाँव डॉक लिमिटेड (MDL) द्वारा किया जा रहा है. इस पनडुब्बियों के निर्माण के लिए अक्तूबर, 2005 में 3.75 बिलियन अमेरिकी डॉलर के सौदे पर हस्ताक्षर किये गये थे. ‘मझगाँव डॉक लिमिटेड’ शिपयार्ड रक्षा मंत्रालय के तहत एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2021-11-13 17:37:222021-11-13 17:37:22चौथी स्कॉर्पीन सबमरीन ‘INS वेला’ भारतीय नौसेना को प्रदान की गई
भारतीय नौसेना द्वारा 07 से 09 नवंबर 2021 तक गोवा मैरीटाइम कॉन्क्लेव (GMC) 2021 आयोजित किया गया था. यह इसका तीसरा संस्करण था जिसकी मेजबानी नेवल वॉर कॉलेज, गोवा के तत्वावधान में की गयी थी. GMC 2021 की थीम “Maritime Security and Emerging Non-Traditional Threats: A case for proactive role for Indian Ocean Region” है.
GMC 2021 में, भारतीय नौसेना बांग्लादेश, कोमोरोस, इंडोनेशिया, मेडागास्कर, मलेशिया, मालदीव, मॉरीशस, म्यांमार, सेशेल्स, सिंगापुर, श्रीलंका और थाईलैंड सहित हिंद महासागर क्षेत्र के 12 देशों के नौसेना प्रमुखों/ समुद्री बलों के प्रमुखों ने हिस्सा लिया था.
GMC का मुख्य भाषण विदेश सचिव श्री हर्षवर्धन श्रृंगला ने दिया, जिन्होंने सागर के बारे में भारत के दृष्टिकोण और समुद्री सुरक्षा के दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला. उन्होंने दोहराया कि समुद्री परिवहन और रसद ब्लू इकोनमी का एक प्रमुख घटक है और विशेष रूप से आईओआर देशों के लिए महत्वपूर्ण है.
GMC -21 तीन सत्रों में आयोजित किया गया था:
आईओआर में राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे क्षेत्रों में उभरते गैर-पारंपरिक खतरों को कम करने के लिए अनिवार्य घटक
समुद्री कानून प्रवर्तन के लिए क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करना
उभरते गैर-पारंपरिक खतरों का मुकाबला करने के लिए सामूहिक समुद्री दक्षताओं का लाभ उठाना.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2021-11-10 08:01:242021-11-10 08:01:24गोवा मैरीटाइम कॉन्क्लेव 2021 भारत की मेजबानी में आयोजित किया गया
देश में नौसेना के लिए युद्धपोत बनाने की परियोजना P15B का पहला विध्वंसक युद्धपोत ‘विशाखापट्टनम’ (Y12704) को 31 अक्तूबर को भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया. इसके शामिल होने से हिंद महासागर क्षेत्र में भारतीय नौसेना की सामरिक और रणनीतिक क्षमता में बढ़ोतरी होगी.
विशाखापट्टनम युद्धपोत: मुख्य बिंदु
‘विशाखापट्टनम’ भारत में निर्मित सबसे लंबा विध्वंसक युद्धपोत है. इसे ‘नौसेना डिजाइन निदेशालय’ ने डिजाइन किया है और निर्माण मुंबई स्थित मझगांव डाक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने किया है. इसका निर्माण स्वदेशी स्टील डीएमआर-249ए से किया गया है. इसकी लंबाई 164 मीटर है और भार क्षमता 7,500 टन है.
इस युद्धपोत को सुपरसोनिक ब्रह्मोस और बराक समेत सभी प्रमुख मिसाइलों और हथियारों से लैस किया गया है. यह पूर्ण रूप से दुश्मन की पनडुब्बियों, युद्धपोतों, एंटी सबमरीन मिसाइलों और युद्धक विमानों का मुकाबला बिना किसी सहायक युद्धपोत के करने में सक्षम है.
इसमें समुद्र के नीचे युद्ध करने में सक्षम डिस्ट्रायर, पनडुब्बी रोधी हथियार और सेंसर लगाए गए हैं. साथ ही इसमें हाल माउंटेड सोनार, हमसा एनजी, हेवी वेट टारपीडो ट्यूब लांचर्स, राकेट लांचर्स आदि भी शामिल हैं. यह एक बार में 42 दिनों तक समुद्र में रहने में सक्षम है.
‘नौसैनिक युद्धपोत निर्माण परियोजना’ के तहत देश के चार कोनों के प्रमुख शहरों विशाखापट्टनम, मोरमुगाओ, इंफाल और सूरत के नाम पर चार युद्धपोतों का निर्माण किया जा रहा है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2021-11-01 22:19:562021-11-01 22:19:56देश का पहला विध्वंसक युद्धपोत ‘विशाखापट्टनम’ भारतीय नौसेना को सौंपा गया