चौथी स्कॉर्पीन सबमरीन ‘INS वेला’ भारतीय नौसेना को प्रदान की गई
भारत की चौथी स्कॉर्पीन सबमरीन ‘आईएनएस वेला’ भारतीय नौसेना को प्रदान कर दी गई. इसका निर्माण ‘प्रोजेक्ट-75’ के तहत किया गया है.
प्रमुख बिंदु
- ‘प्रोजेक्ट-75’ के तहत शामिल स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियाँ ‘डीज़ल-इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम’ द्वारा संचालित होती हैं. स्कॉर्पीन सर्वाधिक परिष्कृत पनडुब्बियों में से एक है, जो एंटी-सरफेस शिप वॉरफेयर, पनडुब्बी रोधी युद्ध, खुफिया जानकारी एकत्र करने, खदान बिछाने और क्षेत्र-विशिष्ट की निगरानी सहित कई मिशनों को पूरा करने में सक्षम है.
- ‘स्कॉर्पीन’ श्रेणी जुलाई 2000 में रूस से खरीदे गए ‘INS सिंधुशास्त्र’ के बाद लगभग दो दशकों में नौसेना की पहली आधुनिक पारंपरिक पनडुब्बी शृंखला है.
- प्रोजेक्ट-75 भारतीय नौसेना का एक कार्यक्रम है, जिसमें छह स्कॉर्पीन श्रेणी की ‘अटैक सबमरीन’ का निर्माण किया जाना है. दो पनडुब्बियों- कलवरी और खांदेरी को भारतीय नौसेना में शामिल किया जा चुका गया है. स्कॉर्पीन ‘वागीर’ का परीक्षण चल रहा है. छठी पनडुब्बी- ‘वाग्शीर’ निर्माणाधीन है. कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियों का डिज़ाइन ‘फ्रेंच स्कॉर्पीन श्रेणी’ की पनडुब्बियों पर आधारित है.
- इसका निर्माण मझगाँव डॉक लिमिटेड (MDL) द्वारा किया जा रहा है. इस पनडुब्बियों के निर्माण के लिए अक्तूबर, 2005 में 3.75 बिलियन अमेरिकी डॉलर के सौदे पर हस्ताक्षर किये गये थे. ‘मझगाँव डॉक लिमिटेड’ शिपयार्ड रक्षा मंत्रालय के तहत एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है.