सरकार ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर संसद में एक श्वेत पत्र प्रस्तुत किया

भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 8 फरवरी को संसद में भारतीय अर्थव्यवस्था पर एक ‘श्वेत पत्र’ जारी किया था. वित्त मंत्रालय की ओर से तैयार ये श्वेत-पत्र 2004 से 2014 के बीच यूपीए सरकार और 2014 से 2024 के बीच एनडीए सरकार के आर्थिक प्रदर्शन की तुलना करता है.

2004 से 2014 तक मनमोहन सिंह ने यूपीए सरकार का नेतृत्व किया था. वहीं 2014 से एनडीए सरकार का नेतृत्व नरेंद्र मोदी कर रहे हैं.

श्वेत-पत्र के मुख्य बिन्दु

  • यूपीए सरकार को विरासत में अच्छी अर्थव्यवस्था मिली थी, जो और ज़्यादा सुधारों को लिए तैयार थी. लेकिन उसने दस साल के दौरान आर्थिक सुधारों को पूरी तरह छोड़ दिया.
  • 2008 के ग्लोबल वित्तीय संकट के बाद यूपीए सरकार किसी भी तरह ऊंची विकास दर को बनाए रखना चाहती थी. लेकिन इसके लिए उसने मैक्रो इकोनॉमिक बुनियादों की परवाह नहीं की. जैसे इस दौरान महंगाई दर काफी ज़्यादा हो गई.
  • राजकोषीय घाटा काफी बढ़ गया. बैंकों का एनपीए संकट भी काफी ज़्यादा हो गया, जिससे देश में आर्थिक गतिविधियों को झटका लगा.
  • यूपीए सरकार का दशक गलत नीतियों और घोटालों से भरा पड़ा था. यूपीए सरकार ने बाज़ार से भारी मात्रा में कर्ज़ लिया और इसे गैर उत्पादक खर्चों में लगाया. सरकार ‘पॉलिसी पैरालिसिस’ में फंसी रही.
  • इसमें आईएमएफ के आंकड़ों के हवाले से कहा गया है कि मोदी सरकार की तुलना में मनमोहन सरकार में महंगाई किस कदर ज़्यादा रही.
  • मोदी सरकार के कार्यकाल में स्वच्छता अभियान के तहत बड़ी संख्या में शौचालय बनाए गए समावेशी बैंकिंग की दिशा में बड़े कदम उठाए गए. बहुत बड़ी आबादी का बैंक में खाता खुला और सीधे उनके खातों में कल्याणकारी योजनाओं का पैसा पहुंचा.
  • 2004 से 2008 (यूपीए-1 सरकार का कार्यकाल) तक अर्थव्यवस्था ने तेज़ बढ़ोतरी दर्ज की लेकिन ये अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के आर्थिक सुधारों और अनुकूल ग्लोबल हालात का नतीजा थी.

क्या होता है श्वेत पत्र?

‘श्वेत पत्र’ किसी ख़ास मुद्दे पर जानकारी देने के लिए जारी किया जाता है. इसकी शुरुआत सन् 1922 में ब्रिटेन में हुई थी. सरकार के अलावा किसी भी संस्था, कंपनी, ऑर्गेनाइजेशन द्वारा श्वेत पत्र जारी किया जा सकता है.

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