बिहार के मिथिला मखाना को जीआई टैग प्रदान किया गया, जानिए क्या है GI टैग

केन्‍द्र सरकार ने बिहार के मिथिला मखाना को GI टैग प्रदान किया है. इसकी घोषणा वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने 20 अगस्त को की. GI टैग मिलने से बिहार के मिथिला क्षेत्र के पांच लाख से अधिक किसानों को फायदा होगा. उन्हें इसके उत्पाद का अधिकतम मूल्य मिलेगा.

किसी उत्पाद को जीआई टैग मिलने पर कोई भी व्यक्ति या कंपनी इसी तरह की सामग्री को उसी नाम से नहीं बेच सकती. इस टैग की मान्यता दस वर्षों के लिए है और बाद में इसका नवीनीकरण किया जा सकता है.

GI टैग क्या है?

  • GI (Geographical Indication) टैग किसी भी उत्पाद के लिए एक भौगोलिक चिन्ह होता है जो कुछ विशिष्ट उत्पादों (कृषि, प्राकृतिक, हस्तशिल्प और औधोगिक सामान) को दिया जाता है.
  • यह टैग एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में 10 वर्ष या उससे अधिक समय से उत्पन्न या निर्मित हो रहे उत्पादों को दिया जाता है.
  • भारत में GI टैग उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग द्वारा वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा दिया जाता है.
  • भारत ने GI टैग उत्पादों का (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम को 15 सितम्बर, 2003 को पारित किया गया था. भारत में GI टैग सर्वप्रथम वर्ष 2004-2005 में, दार्जिलिंग चाय को दिया गया था.

GI टैग के फायदे

  • GI टैग उन उत्पादों को संरक्षण प्रदान करता है, जहाँ घरेलू और अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों में प्रीमियम मूल्य निर्धारण का आश्वासन देता है.
  • GI टैग यह भी सुनिश्चित करता है कि अधिकृत उपयोगकर्ताओं निदिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में दर्ज किए गये उत्पादों का नाम अन्य किसी को उपयोग करने कि अनुमति नहीं देता है.
  • GI टैग मिलने के बाद अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में उस वस्तु की कीमत और उसका महत्व बढ़ जाता है. इस वजह से देश-विदेश से लोग एक खास जगह पर उस विशिष्ट सामान को खरीदने आते हैं.
  • किसी भौगोलिक क्षेत्रों में रहने वाले कारीगरों/ कलाकारों के पास बेहतरीन हुनर, कौशल और पारंपरिक पद्धतियों का ज्ञान होता है जो पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होता रहता है. इसे सहेज कर रखने तथा बढ़ावा देने के लिए GI टैग की आवश्यकता होती है.

GI टैग और पेटेंट में अंतर

GI टैग किसी भौगोलिक परिस्थिति के आधार पर दिए जाते हैं, जबकि पेटेंट नई खोज और आविष्कारों को बचाए रखने के लिए दिए जाते हैं. GI टैग्स और पेटेंट दोनों ही इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स (IPR) का हिस्सा हैं, जो पेटेंट से मिलते-जुलते ही हैं.

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