भारत-जापान संबंधों के मजबूत स्‍तंभ, जपान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे का निधन

जपान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे का 8 जुलाई को निधन हो गया. 67 वर्षीय आबे को पश्चिमी जापान के नारा में एक चुनावी भाषण के दौरान गोली मार दी गई थी. उनके निधन पर 9 जुलाई 2022 को भारत में एक दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया था.

शिंजो आबे भारत-जापान संबंधों के एक मजबूत स्‍तंभ थे

  • शिंजो आबे, भारत-जापान संबंधों के एक मजबूत स्‍तंभ माने जाते हैं. उन्होंने जापान के प्रधानमंत्री के रूप में चार बार भारत यात्रा की थी.
  • वह उन दुर्लभ नेताओं में से एक थे जिन्‍होंने न सिर्फ जापान को आर्थिक महाशक्ति बनाया, बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र की चुनौतियों से भी निपटे.
  • 2007 में भारतीय संसद को संबोधित करते आबे ने QUAD की परिकल्‍पना की थी. वह ‘बेल्‍ट एंड रोड’ इनिशिएटिव के पीछे चीन के कुटिल मकसद को पहचानने वाले चुनिंदा जापानी नेताओं में से थे.
  • 2006 में शिंजो आबे और मनमोहन सिंह भारत और जापान के बीच ‘रणनीति और वैश्विक साझेदारी’ पर हस्‍ताक्षर कर चुके थे. यह भारत-जापान के रिश्‍तों के और मजबूत होने की दिशा में पहला कदम था.
  • आबे के प्रधानमंत्री रहते 2012 से 2019 के बीच भारत में जापान से आने वाला प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश (FDI) 180% तक बढ़ गया था.
  • 2020 में कर्ज के रूप में जापान से भारत को मिलने वाली आर्थिक मदद 356.30 बिलियन येन थी. इसके अलावा 5.02 बिलियन येन का अनुदान और 8.7 बिलियन येन का तकनीकी सहयोग भी है.
  • जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे 2014 में भारत के 65वें गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्‍य अतिथि रहे. वह इस खास मौके पर उपस्थिति दर्ज करने वाले जापान के पहले राष्‍ट्राध्‍यक्ष थे.
  • 2015 की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिंजो आबे को वाराणसी के घाटों पर लेकर गए. आबे ने दशाश्‍वमेध घाट पर मशहूर गंगा आरती देखी.
  • भारत सरकार ने शिंजो आबे को 2021 में पद्म विभूषण से सम्‍मानित किया था. यह भारत का दूसरा सर्वोच्‍च नागरिक सम्‍मान है.

बुलेट ट्रेन प्रोजेक्‍ट की नींव

शिंजो आबे की प्रधानमंत्री के रूप में भारत की आखिरी यात्रा 2017 में हुई. तब वह मोदी के गृह राज्‍य गुजरात गए थे जहां मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्‍ट की नींव रखी गई.

यह भारतीय रेल और जापान की शिनकासेन टेक्‍नोलॉजी के बीच का संयुक्‍त उद्यम है. इसी प्रोजेक्‍ट को लॉन्‍च करते हुए शिंजो आबे ने ‘जय जापान, जय इंडिया’ का नारा दिया था.

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