तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा किया

अफगानिस्तान की सत्ता पर एक बार फिर से चरमपंथी संगठन तालिबान ने कब्जा कर लिया है. 20 साल की लंबी लड़ाई के बाद पूरे अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्ज़ा हो चुका है. काबुल में राष्ट्रपति भवन पर कब्जा करने के साथ ही उसने युद्ध समाप्ति की घोषणा की. इससे पहले अफगानिस्तान के राष्ट्रपति मोहम्मद अशरफ गनी ने राष्ट्र छोड़ दिया.

भारत और अमेरिका समेत कई देश अपने नागरिकों और राजनयिक कर्मचारियों को निकालने के लिए विशेष अभियान चला रहे हैं. अमेरिका ने अपने सभी राजनयिक कर्मचारियों को काबुल हवाई अड्डे पहुंचा दिया है जहाँ से उन्हें छोटे छोटे समूहों में अमेरिका रवाना किया जा रहा है.

तालिबान दूसरी बार अफगानिस्‍तान की सत्‍ता पर काबिज हुआ है. पहली बार अफगानिस्‍तान में तालिबान 1990 के बाद आया था और इसके करीब छह वर्ष (1996-2001) बाद तालिबान अफगानिस्‍तान के कंधार समेत काफी हिस्‍से में आ गया था. उस वक्‍त केवल तीन इस्‍लामिक देशों ने ही इस सरकार को मान्‍यता दी थी, जिनमें पाकिस्‍तान, सऊदी अरब और संयुक्‍त अरब अमीरात शामिल था.

तालिबान क्या है?

तालिबान एक सुन्नी इस्लामिक आधारवादी आन्दोलन है जिसकी शुरूआत 1994 में दक्षिणी अफ़ग़ानिस्तान में हुई थी. यह इस्लामिक कट्टपंथी राजनीतिक आंदोलन हैं. इसकी सदस्यता पाकिस्तान तथा अफ़ग़ानिस्तान के मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों को मिलती है.

1996 से लेकर 2001 तक अफगानिस्तान में तालिबानी शासन के दौरान मुल्ला उमर देश का सर्वोच्च धार्मिक नेता था. उसने खुद को हेड ऑफ सुप्रीम काउंसिल घोषित कर रखा था.

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