राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन के स्थापना की घोषणा, भारत को ऊर्जा क्षेत्र में स्वतंत्र बनाने का लक्ष्य

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को ग्रीन हाइड्रोजन का नया वैश्विक केंद्र बनाने के लिए “राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन” की स्थापना की घोषणा की. इसी के साथ उन्होंने वर्ष 2047 तक भारत को ऊर्जा क्षेत्र में स्वतंत्र बनाने का लक्ष्य भी तय किया.

मुख्य बिंदु

  • प्रधानमंत्री ने कहा कि ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत हर साल 12 लाख करोड़ रुपए से अधिक खर्च करता है. भारत को यह संकल्प लेना होगा कि देश की आजादी के 100 साल पूरे होने से पहले भारत को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना होगा.
  • उन्होंने कहा इसके लिए देश को गैस आधारित अर्थव्यवस्था बनाना होगा.
  • भारतीय रेलवे ने 2030 तक नेट जीरो कार्बन इमिटर बनने का लक्ष्य रखा है. इन सारे प्रयासों के साथ ही देश ‘मिशन सर्कुलर इकोनॉमी’ पर भी बल दे रहा है.
  • जी-20 देशों के समूह में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जो अपने क्लाइमेट गोल्स को प्राप्त करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है.
  • भारत ने इस दशक के अंत (2030) तक रिन्यूएबल एनर्जी के 450 गीगावाट (GW) का लक्ष्य तय किया है. इसमें से 100 गीगावाट (GW) के लक्ष्य को भारत ने तय समय से पहले प्राप्त भी कर लिया है.
  • भारत की कुल बिजली उत्पादन क्षमता अब 383.73 गीगावॉट हो गई है. इसके अतिरिक्त भारत एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य पर है- जो वर्ष 2022 के अंत तक 175 GW अक्षय ऊर्जा की क्षमता प्राप्त करन, अक्षय ऊर्जा में यह अब तक दुनिया की सबसे बड़ी विस्तार योजना है.
  • राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन की घोषणा सबसे पहले इस साल फरवरी में पेश 2021-22 के बजट में की गयी थी. वर्तमान में देश में जो भी हाइड्रोजन की खपत होती है, वह जीवाश्म ईंधन से आती है.
  • ऑक्सीजन के साथ दहन के दौरान हाइड्रोजन ईंधन एक शून्य-उत्सर्जन ईंधन है. इसका उपयोग फ्यूल सेल या आंतरिक दहन इंजन में किया जा सकता है. यह अंतरिक्ष यान प्रणोदन के लिए ईंधन के रूप में भी उपयोग किया जाता है.
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