चीन में मैग्लेव ट्रेन परिवहन प्रणाली की सार्वजनिक तौर पर शुरुआत

चीन ने नई मैग्लेव ट्रेन परिवहन प्रणाली की सार्वजनिक तौर पर शुरुआत की है. यह शुरुआत चीन के तटीय शहर किंगदाओ से हुई है. चीन में द्रुत गति की मैग्लेव ट्रेन परियोजना की शुरुआत अक्टूबर, 2016 में हुई थी. 600 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार की इस ट्रेन का प्रोटोटाइप 2019 में बनाया गया था. इसका सफल परीक्षण जून, 2020 में हुआ था.

मैग्लेव ट्रेन: मुख्य बिंदु

  • इस ट्रेन की चाल 600 किलोमीटर प्रति है जिसमें 10 डिब्बे लगाए जा सकते हैं. प्रत्येक की क्षमता 100 यात्रियों की होगी.
  • इस ट्रेन के जरिए बीजिंग से शंघाई पहुंचने में केवल 2.5 घंटे लगेंगे. दोनों शहरों के बीच 1,000 किमी की दूरी है. अभी प्लेन से इसमें 3 घंटे और हाई-स्पीड रेल से 5.5 घंटे लगते हैं.
  • देश की सबसे तेज स्पीड की ट्रेन मैग्लेव 2003 में चलनी शुरू हो गई थी. इसकी अधिकतम स्पीड 431 किलोमीटर प्रति घंटा है और यह शंघाई पुडोन्ग एयरपोर्ट को शंघाई के पूर्वी सिरे पर लॉन्गयाग रोड से जोड़ती है.

क्या है यह टेक्नोलॉजी

मैग्लेव यानी मैगनेटिक लेविटेशन. इन तेज रफ्तार रेलगाड़ियों में पहिए चाहिए, एक्सल, बियरिंग आदि नहीं होते हैं. परंपरागत ट्रेनों की तरह मैग्लेव रेल के पहिये रेल ट्रैक के संपर्क में नहीं आते हैं.

यह उच्च तापमान सुपरकंडक्टिंग (HTS) पावर पर चलती है जिससे लगता है कि यह चुंबकीय ट्रैक्स पर तैर रही हो. जापान और जर्मनी जैसे देश भी मैग्लेव नेटवर्क बनाने में जुटे हैं.

यह पटरियों के बजाय हवा में चलती है. इस वजह से इसमें ऊर्जा की बहुत कम खपत होती है और परिचालन लागत भी बहुत कम होती है.

भारत में मैग्लेव ट्रेन

भारत में मैग्लेव ट्रेन का के लिए सरकारी इंजीनियरिंग कंपनी बीएचईएल ने स्विटजरलैंड की कंपनी SwissRapide AG के साथ समझौता किया है. SwissRapide AG को Maglev Rail परियोजनाओं में विशेषज्ञता हासिल है. बीएचईएल पिछले पांच दशकों से रेलवे के विकास में साझेदार है.

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