प्रधानमंत्री की असम यात्रा: बोडो समझौते पर आयोजित रैली को संबोधित किया

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी 7 फरवरी को असम के कोकराझार में आयोजित एक रैली को संबोधित किया. यह रैली बोडो ऐतिहासिक बोडो समझौते का स्‍वागत करने के लिए आयोजित की गयी थी. बोडो क्षेत्र में शांति और विकास के लिए इस समझौते पर 27 जनवरी को केन्‍द्र, असम सरकार और विभिन्‍न बोडो संगठनों ने हस्‍ताक्षर किये थे.

विभिन्‍न बोडो संगठनों ने हस्‍ताक्षर किये थे

केंद्र सरकार ने असम के उग्रवादी समूहों में से एक नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (NDFB) और दो अन्य संगठनों के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. समग्र बोडो समाधान समझौते पर हस्ताक्षर करने वालों में ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (ABSU) और यूनाइटेड बोडो पीपुल्स ऑर्गेनाइजेशन (UBPO) भी शामिल हैं. ABSU 1972 से ही अलग बोडोलैंड राज्य की मांग के लिए आंदोलन चला रहा था.

बोडो समझौता: एक दृष्टि

  • इस समझौते के तहत केन्‍द्र सरकार बोडो क्षेत्रों के विकास के लिए तीन वर्ष में 1500 करोड़ रुपये का पैकेज उपलब्‍ध करायेगी.
  • बोडो लैंड क्षेत्रीय परिषद के वर्तमान ढांचे को और अधिक मजबूत किया जाएगा तथा इसके सदस्यों की संख्या चालीस से बढ़ाकर 60 कर दी जाएगी.
  • बरामा में एक बोडो सामाजिक कार्यकर्ता और ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन के पूर्व अध्यक्ष उपेन्द्र नाथ ब्रह्मा के नाम पर एक केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी.
  • तामूलपुर में एक मेडिकल कॉलेज और कैंसर अस्पताल की स्थापना की जाएगी. इसके साथ ही क्षेत्र में पशु चिकित्सा कॉलेज, रेल कोच फैक्ट्री और राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय की स्थापना भी की जाएगी.
  • असम सरकार जल्दी ही बोडो भाषा को राज्य की एक सहयोगी राजभाषा बनाने के लिए अधिसूचना जारी करेगी.

27 साल में तीसरी बार बोडो समझौता

  1. पहला बोडो समझौता 1993 में ऑल बोडो स्‍टूडेंट्स यूनियन के साथ हुआ था. इसमें बोडो लैंड स्‍वायत्‍त परिषद का गठन हुआ था जिसके पास सीमित राजनीतिक शक्तियां थीं.
  2. 2003 में दूसरा समझौता उग्रवादी गुट बोडो लिबरेशन टाइगर्स के साथ हुआ था. इसके तहत असम के चार जिलो कोकराझार, चिरांग, बक्‍सा और उडालगुड़ी के साथ बोडो लैंड क्षेत्रीय परिषद का गठन हुआ. इन जिलों कों बोडोलैंड टेरिटोरियल एरिया डिस्ट्रिक्‍ट कहा गया.
  3. 27 जनवरी को 2020 को हुए नए समझौते के तहत बोडोलैंड टेरिटोरियल एरिया डिस्ट्रिक्‍ट का नाम बदलकर बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद (बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन) हो जाएगा, जिसके पास और अधिक कार्यकारी, प्रशासनिक, विधायी और वित्‍तीय शक्तियां होंगी.बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद में बोडो बहुसंख्‍यक आबादी वाले गांवों को शामिल करने और बोडो अल्‍पमत आबादी वाले गांवों को हटाने के लिए समिति गठित की जाएगी.

क्या है बोडोलैंड?

असम में बोडो एक बहुत बड़ा जनजातीय समुदाय है जो अपनी विशिष्‍ट संस्‍कृति और भाषायी पहचान के संरक्षण के लिए काफी समय से अलग बोडोलैंड राज्‍य बनाने की मांग करता रहा है. कोकराझार, चिरांग, बक्सा और उदालगुड़ी में तकरीबन 30 फीसदी की आबादी बोडो जनजाति की है.

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