नीति आयोग ने राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक जारी किया

नीति आयोग ने 15 जुलाई को राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक (Multi-dimensional Poverty Index) जारी किया था. नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीवीआर सुब्रह्मण्‍यम द्वारा जारी इस सूचकांक में गरीबी से मुक्त लोगों की जानकारी दी गई है.

यह राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 और राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2019-21 के बीच बहुआयामी गरीबी को कम करने में भारत की प्रगति को दर्शाता है.

राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक: मुख्य बिन्दु

  • नीति आयोग ने कहा है कि 2015-16 से 2019-20 के बीच 5 वर्षों में 13.5 करोड़ लोग बहु-आयामी गरीबी से मुक्त हुए. इन पांच वर्षों में गरीब लोगों की संख्या 24.85 प्रतिशत से घटकर 14.96 प्रतिशत पर आ गयी है.
  • ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी की दर में तेज गिरावट आयी है और इस दौरान यह 32.59 प्रतिशत से घटकर 19.28 प्रतिशत रह गयी है.
  • इस रिपोर्ट में 36 राज्यों और केन्‍द्रशासित प्रदेशों तथा 707 प्रशासनिक जिलों में बहुआयामी गरीबी का आकलन प्रस्तुत किया गया है.
  • रिपोर्ट के अनुसार पोषण में सुधार, बच्चों के स्कूल जाने की व्यवस्था, स्वच्छता और रसोई के लिए ईंधन की व्यवस्था ने गरीबी में कमी लाने में उल्लेखनीय भूमिका निभायी है.
  • यह सूचकांक स्‍वास्‍थ्‍य, शिक्षा और जीवनशैली के आधार पर गरीबी को परिभाषित करने का समग्र तरीका है. इसके माध्यम से राष्ट्रीय, राज्य और जिलों के स्तर पर राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में सुधार की योजनाओं का आकलन किया जाता है.