प्रो. रामदरश मिश्र की कृति ‘मैं तो यहां हूं’ को 31वें सरस्वती सम्मान के लिए चुना गया

प्रोफेसर रामदरश मिश्र के हिन्दी कविता संग्रह ‘मैं तो यहां हूं’ को वर्ष 2021 के 31वें सरस्वती सम्मान (31st Saraswati Samman 2022) के लिए चुना गया है. हिन्दी भाषा की यह कृति वर्ष 2015 में प्रकाशित हुई थी.

प्रो. रामदरश मिश्र गोरखपुर उत्तर प्रदेश के हैं. उनके अब तक 32 काव्य संग्रह, 15 उपन्यास, 30 कहानी संग्रह, 15 समीक्षात्मक कृति, चार ललित निबंध और दो आत्मकथा के अतिरिक्त कई यात्रावृतांत, साक्षात्कार व संस्मरण प्रकाशित हो चुके हैं. उनकी अनेक कृतियों का अन्य भारतीय भाषा में अनुवाद भी किया गया है.

सरस्वती सम्मान: एक दृष्टि

  • यह प्रतिष्ठित सम्मान केके बिरला फाउंडेशन की ओर से प्रदान किया जाता है. यह सम्मान प्रतिवर्ष किसी भारतीय नागरिक की एक ऐसी उत्कृष्ट साहित्यिक कृति को दिया जाता है, जो संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लेखित किसी भी भारतीय भाषा में सम्मान वर्ष से पहले 10 वर्ष की अवधि में प्रकाशित हुई हो. भारतीय साहित्य के लिए अब यह शीर्षस्थ सम्मान है.
  • इस सम्मान में 15 लाख रुपये की पुरस्कार राशि के साथ प्रशस्ति पत्र व प्रतीक चिह्न भेंट किया जाता है. यह सम्मान 1991 से प्रदान किया जा रहा है. इसके तहत प्रस्तावित कृति साहित्य की किसी भी विधा में हो सकती है, जैसे कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, हास्य-व्यंग्य, ललित निबंध, जीवनी, आत्मकथा, साहित्य समीक्षा और साहित्य का इतिहास.
  • केके बिरला फाउंडेशन की ओर से साहित्य में तीन बड़े सम्मान, सरस्वती सम्मान (हिन्दी व संस्कृत सहित सभी भारतीय भाषाओं के लिए), व्यास सम्मान (हिन्दी के लिए) और बिहारी पुरस्कार (राजस्थान के हिन्दी/राजस्थानी लेखकों के लिए) प्रदान किया जाता है.
  • मराठी लेखक डॉ. शरणकुमार लिंबाले को 31वें सरस्वती सम्मान (वर्ष 2020 के लिए) जबकि सिंधी साहित्यकार वासदेव मोही को वर्ष 29वें सरस्वती सम्मान (2019 के लिए) दिया गया था.