रेलगाडि़यों को टकराने से बचाने के लिए ‘कवच’ प्रणाली का सफल परीक्षण

भारतीय रेलवे ने रेलगाडि़यों को टकराने से बचाने के लिए ‘कवच’ (Kavach) प्रणाली का सफल परीक्षण किया है. जीरो एक्सीडेंट मिशन के तहत रेलवे ने स्वदेशी तकनीक से इस प्रणाली का विकास किया है. 2022 में देश में दो हजार किलोमीटर नेटवर्क पर कवच का परीक्षण किया जाना है.

कवच प्रणाली में अगर 2 ट्रेन स्पीड से एक दूसरे की तरफ आ रही है तो अपने आप ही ब्रेक लग जाता है. इसके अलावा जब ट्रेन फाटकों के पास पहुंचती है तो अपने आप सिटी भी बजने लगती है.

मुख्य बिंदु

  • भारतीय रेलवे ने चलती ट्रेनों की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए अपनी स्वदेशी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (Automatic Train Protection (ATP) प्रणाली तैयार की है जिसे ‘कवच’ नाम दिया गया है.
  • कवच एक एंटी कोलिजन डिवाइस नेटवर्क है जो कि रेडियो कम्युनिकेशन, माइक्रोप्रोसेसर, ग्लोबर पोजिशनिंग सिस्टम तकनीक पर आधारित है. इस तकनीक की मदद से उम्मीद लगाई जा रही है कि रेलवे जीरो एक्सीडेंट के लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल होगा.
  • बजट 2022 में आत्मनिर्भर भारत के तहत 2000 किलोमीटर के रेलवे नेटवर्क को कवच तकनीक के अंदर लाने की घोषणा की गयी है.
  • स्वदेशी कवच की लागत लगभग 30 लाख से 50 लाख रुपये प्रति किलोमीटर, जबकि आयातित प्रणाली की लागत लगभग 2.5 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर है.