भारत में अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की दो नए आर्द्रभूमि ‘रामसर स्थल’ को जोड़ा गया

02 फरवरी 2022 को विश्व आर्द्रभूमि दिवस (World Wetlands Day) के दिन भारत में दो नए रामसर स्थलों (अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि) को शामिल किया गया था. ये दो स्थल- गुजरात में खिजड़िया वन्यजीव अभयारण्य और उत्तर प्रदेश में बखिरा वन्यजीव अभयारण्य हैं. ये भारत के 48वें और 49वें रामसर स्थल हैं.

विश्व आर्द्रभूमि दिवस 2022 के अवसर पर इसरो के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (SAC) द्वारा ‘नेशनल वेटलैंड डेकाडल चेंज एटलस’ तैयार किया गया था. SAC द्वारा इससे संबंधित मूल एटलस वर्ष 2011 में जारी किया गया था.

मुख्य बिंदु

  • विश्व आर्द्रभूमि दिवस 02 फरवरी, 1971 को ईरानी शहर रामसर में ‘आर्द्रभूमि पर कन्वेंशन’ को अपनाने की तारीख को चिह्नित करता है. यह दिवस पहली बार वर्ष 1997 में मनाया गया था.
  • रामसर कन्वेंशन एक अंतर-सरकारी संधि है जो आर्द्रभूमि एवं उनके संसाधनों के संरक्षण तथा उचित उपयोग हेतु राष्ट्रीय कार्रवाई और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिये रूपरेखा प्रदान करती है.
  • रामसर सूची के अनुसार, सबसे अधिक रामसर स्थलों वाले देश यूनाइटेड किंगडम (175) और मेंक्सिको (142) हैं. अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि का क्षेत्रफल (148,000 वर्ग किमी) सबसे अधिक बोलीविया में है.

आर्द्रभूमि क्या होता है?

  • आर्द्रभूमि पानी में स्थित मौसमी या स्थायी पारिस्थितिक तंत्र हैं. इनमें मैंग्रोव, दलदल, नदियाँ, झीलें, डेल्टा, बाढ़ के मैदान और बाढ़ के जंगल, चावल के खेत, प्रवाल भित्तियाँ, समुद्री क्षेत्र (6 मीटर से कम ऊँचे ज्वार वाले स्थान) के अलावा मानव निर्मित आर्द्रभूमि जैसे- अपशिष्ट जल उपचार तालाब और जलाशय आदि शामिल होते हैं.
  • आर्द्रभूमियां प्राकृतिक पर्यावरण का महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं. ये बाढ़ की घटनाओं में कमी लाती हैं, तटीय इलाकों की रक्षा करती हैं, साथ ही प्रदूषकों को अवशोषित कर पानी की गुणवत्ता में सुधार करती हैं.
  • आर्द्रभूमि मानव और पृथ्वी के लिये महत्त्वपूर्ण हैं. 1 बिलियन से अधिक लोग जीवनयापन के लिये उन पर निर्भर हैं और दुनिया की 40% प्रजातियाँ आर्द्रभूमि में रहती हैं तथा प्रजनन करती हैं.
  • भारत में कुल 49 रामसर स्थल (आर्द्रभूमि) हैं जो देश की कुल भूमि का 4.6% (15.26 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र) है. आर्द्रभूमि के राज्य-वार वितरण में गुजरात शीर्ष पर है (एक लंबी तटरेखा के कारण). इसके बाद आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल का स्थान है.