हड़प्पा काल के शहर धोलावीरा को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया

संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने गुजरात के हड़प्पा काल के शहर धोलावीरा को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया है. अब तक भारत के कुल 40 स्थलों को विश्व धरोहर में शामिल किया जा चुका है.

गुजरात में धोलावीरा को लेकर अबतक चार स्थल को शामिल किया जा चूका है. अन्य तीस स्थल में पावागढ़ के निकट चंपानेर, पाटन में रानी की वाव और एतिहासिक शहर अहमदाबाद शामिल हैं.

रूद्रेश्वर (रामप्पा) मंदिर विश्व धरोहर स्थल में शामिल

यूनेस्को ने हाल ही में भारत के तेलंगाना में रूद्रेश्वर (रामप्पा) मंदिर को विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया था.  रामप्पा मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में किया गया था और इसका नाम इसके शिल्पकार रामप्पा के नाम पर रखा गया है. सरकार ने 2019 के लिए यूनेस्को को इसे विश्व धरोहर स्थल के तौर पर मान्यता देने का प्रस्ताव दिया था.

धोलावीरा: एक दृष्टि

धोलावीरा की खोज 1968 में की गयी थी.  यह गुजरात के कच्छ के ग्रेट रण में खादिर द्वीप पर स्थित है. यह सिंधु घाटी सभ्यता का पांचवां सबसे बड़ा पुरातात्विक स्थल है. यह शहर लगभग 3,000 ईसा पूर्व का है.

इस साइट पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा खुदाई से पता चला है कि शहर के घरों का निर्माण चूने के पत्थरों से किया गया था और ये सभी एक सीवेज नेटवर्क से जुड़े थे. खुदाई के दौरान यहाँ पर बारिश के पानी को स्टोर करने के लिए टैंक, सजावटी मोती, लाल मिट्टी के बर्तन और सूक्ष्म पाषाण उपकरण मिले हैं.

यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल

1983 में पहली बार भारत के चार ऐतिहासिक स्थलों को यूनेस्को ने ‘विश्व धरोहर स्थल’ में शामिल किया था. ये चार स्थल थे – ताज महल, आगरा किला, अजंता और एलोरा गुफाएं. वर्तमान में, भारत की कुल 40 साइटें विश्व धरोहर सूची में शामिल हैं, जिनमें से 28 को सांस्कृतिक श्रेणी में, 7 प्राकृतिक और 1 मिश्रित श्रेणी में स्थान दिया गया है. भारत दुनिया की धरोहरों में छठे स्थान पर है.