FDI पर भारत के नए प्रावधान, जानिए क्या है मामला?

सरकार ने प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश (FDI) नीति की 18 अप्रैल को समीक्षा की. इस समीक्षा में देश के वर्तमान FDI नीति में कई नए प्रावधान किये गये हैं. नीति के नए प्रावधानों का उद्देश्‍य कोविड-19 महामारी के बीच अनुकूल मौका देखते हुए भारतीय कंपनियों के विलय और अधिग्रहण की संभावनाओं को रोकना है.

FDI नीति के कई नए प्रावधान

  • नई नीति में यह स्‍पष्‍ट किया गया है कि भारत के साथ जमीनी सीमा साझा करने वाले देशों से आने वाली FDI के कारण भारतीय कंपनियों के स्‍वामित्‍व के हस्तांतरण और किसी परिवर्तन के लिए भी सरकार का अनुमोदन आवश्‍यक होगा. यह नीति उन कंपनियों पर भी लागू होगी जिनके मालिक इन देशों के नागरिक हैं या ये कंपनियां इन देशों में स्थित हैं.
  • दरअसल, अभी तक रक्षा, अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा, मीडिया, फार्मास्युटिकल्स और इंश्योरेंस सेक्टर को छोड़ कर अन्य क्षेत्रों में विदेशी निवेश (FDI) के लिए सरकार की मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होती थी. अब सरकार ने नियम बनाया है कि भारत से जमीनी सीमाएं साक्षा करने वाले देशों से भारत में निवेश बिना सरकार की मंजूरी के नहीं होगा, चाहे वह किसी भी सेक्टर में हो.
  • पाकिस्तान के निवेशकों पर इस तरह की शर्त पहले से लागू है. पाकिस्तान का कोई नागरिक अथवा पाकिस्तान में बनी कोई भी कंपनी केवल सरकारी मंजूरी के जरिये ही प्रतिबंधित क्षेत्रों को छोड़कर अन्य क्षेत्रों में निवेश कर सकते हैं. रक्षा, अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा, ऊर्जा और कुछ अन्य क्षेत्रों में विदेशी निवेश प्रतिबंधित है.

FDI के नए प्रावधानों से प्रभावित देश

भारत के साथ जमीनी सीमाएं साझा करने वाले देशों में चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान, भूटान, नेपाल, म्यांमा और अफगानिस्तान शामिल हैं. सरकार के इस निर्णय से इन देशों से आने वाले विदेशी निवेश पर प्रभाव पड़ सकता है.

चीन की प्रतिक्रिया

FDI नीति में भारत द्वारा जोड़े गये नए प्रावधानों को चीनी दूतावास ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) के गैर-भेदभाव वाले सिद्धान्त का उल्लंघन और मुक्त व्यापार के खिलाफ बताया है. चीनी ने कहा कि नई नीति G-20 समूह में निवेश के लिए एक स्वतंत्र, निष्पक्ष, गैर-भेदभावपूर्ण और पारदर्शी वातावरण के लिए बनी आम सहमति के भी खिलाफ है.

क्या है मामला?

चीन के केंद्रीय बैंक ‘पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना’ ने हाल ही में हाउसिंग लोन देने वाली भारतीय कंपनी HDFC लिमिटेड के 1.75 करोड़ शेयर खरीदे थे. ये शेयर तब ख़रीदे गये जब COVID-19 महामारी के कारण HDFC लिमिटेड के शेयरों में 32.29 फीसदी की गिरावट आई थी. इन निवेश के बाद अब HDFC लिमिटेड में चीनी केंद्रीय बैंक की हिस्सेदारी 1.01 प्रतिशत हो गई. चीन के इसी कदम के बाद भारत सतर्क हुआ है.