23 अप्रैल को मणिपुर में खोंगजोम दिवस मनाया जाता है, जानिए मुख्य ऐतिहासिक तथ्य

प्रत्येक वर्ष 23 अप्रैल को मणिपुर में खोंगजोम दिवस (Khongjom Day) मनाया जाता है. इस दिवस का मणिपुर की जनता के लिए अत्यंत महत्त्व है. इसी दिन 1891 में मणिपुर की स्वतंत्रता के लिए यह युद्ध लड़ा गया था.

मणिपुर के इतिहास में खोंगजोम युद्ध में शहीद हुए जवानों जवानों की शहादत को बड़े ही सम्मान के साथ याद किया जाता है. यह दिवस राज्य के बहादुर बेटों के सम्मान में हर साल मनाया जाता है जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया था.

खोंगजोम युद्ध क्या है?

खोंगजोम यानी अंग्रेज-मणिपुरी युद्ध (Anglo-Manipur War) 1891 में हुआ था जिसमें मणिपुर के वीर सेनानी पाओना ब्रजवासी ने मातृभूमि की रक्षा करते हुए वीरगति प्राप्त की थी. इस युद्ध के बाद मणिपुर ब्रिटिश शासन के अधीन आ गया.

स्वतंत्रता के बाद मणिपुर का संक्षिप्त इतिहास

  1. 1947 में जब अंग्रेजों ने मणिपुर छोड़ा तब से मणिपुर का शासन महाराज बोधचन्द्र के पास था. 21 सितम्बर 1949 को हुई विलय संधि के बाद 15 अक्टूबर 1949 से मणिपुर भारत का अंग बना.
  2. 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू होने के बाद यहाँ एक ‘प्रादेशिक परिषद’ गठित की गई. इस परिषद में 30 चयनित तथा 2 मनोनीत सदस्य थे. इसका प्रशासक का दर्जा मुख्य आयुक्त को था.
  3. 1962 में केंद्रशासित प्रदेश अधिनियम के अन्तर्गत 30 चयनित तथा 3 मनोनीत सदस्यों की एक विधानसभा स्थापित की गई. 19 दिसंबर, 1969 से प्रशासक का दर्जा मुख्य आयुक्त से बढ़ाकर उप-राज्यपाल कर दिया गया.
  4. 21 जनवरी, 1972 को मणिपुर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला और 60 निर्वाचित सदस्यों वाली विधानसभा गठित की गई. राज्य में लोकसभा में 2 और राज्यसभा में 1 प्रतिनिधि है.