58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार: जगतगुरू रामभद्राचार्य और कवि गुलजार को सम्मानित किया जाएगा
ज्ञानपीठ चयन समिति ने 58वें ज्ञानपीठ पुरस्कार (58th Jnanpith Award) की घोषणा 17 फ़रवरी को की थी. वर्ष 2023 के लिए जाने-माने शायर गुलजार और संस्कृत के विद्वान जगतगुरू रामभद्राचार्य को 58वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा.
गुलजार: गुलजार को हिन्दी सिनेमा में उनके कार्य के लिए जाना जाता है और उन्हें इस युग के बेहतरीन उर्दू कवियों में से एक माना जाता है. इससे पहले उन्हें उर्दू में अपने कार्य के लिए 2002 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 2013 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार, 2004 में पद्म भूषण और कई राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुके हैं.
जगतगुरू रामभद्राचार्य: जगतगुरू रामभद्राचार्य चित्रकूट में तुलसी पीठ के संस्थापक और प्रमुख हैं और प्रख्यात हिन्दू आध्यात्मिक नेता, शिक्षक और 240 से अधिक पुस्तकों और पाठों के लेखक हैं.
ज्ञानपीठ पुरस्कार: एक दृष्टि
- ज्ञानपीठ पुरस्कार साहित्य के क्षेत्र में भारत का सर्वोच्च सम्मान है.
- यह पुरस्कार भारतीय संविधान के आठवीं अनुसूची में बताई गई 22 भाषाओं में से किसी भाषा के लेखन के लिए दिया जाता है.
- पुरस्कार में 11 लाख रुपये की राशि, वाग्देवी की प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है.
- पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार 1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरूप को प्रदान किया गया था.
- अब तक हिन्दी तथा कन्नड़ भाषा के लेखक सबसे अधिक 7 बार यह पुरस्कार पा चुके हैं. यह पुरस्कार बांग्ला को 5 बार, मलयालम को 4 बार, उड़िया, उर्दू और गुजराती को 3-3 बार, असमिया, मराठी, तेलुगू, पंजाबी और तमिल को 2-2 बार मिल चुका है.
- वर्ष 2021 के लिए असमिया साहित्यकार नीलमणि फूकन को तथा वर्ष 2022 के लिए कोंकणी साहित्यकार दामोदर मौउजो को दिया गया था.
- कुछ प्रसिद्ध ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेताओं के नाम: महादेवी वर्मा (हिंदी), अमृता प्रीतम (पंजाबी), विष्णु नारायण भाटकरे (मराठी), रवींद्रनाथ टैगोर (बंगाली), के.एस. नारायणस्वामी (कन्नड़), महाश्वेता देवी (बंगाली), अब्दुल कलाम (तमिल)