बजट पूर्व भारतीय अर्थव्यवस्था की समीक्षा, क्या होता है आर्थिक सर्वेक्षण

प्रत्येक वर्ष सरकार द्वारा संसद में बजट प्रस्तुत किया जाता है. वर्ष 2024 में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिर बजट है, जो कि अंतरिम बजट है, जबकि पूर्ण बजट इस साल होने वाले आम चुनावों के बाद नई सरकार के गठन के बाद पेश होगा.

प्रत्येक वर्ष पूर्ण बजट पेश किए जाने से पूर्व संसद में आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) को रखा जाता है. हालांकि ये अंतरिम बजट है, इसलिए आर्थिक सर्वेक्षण पेश नहीं किया जाएगा.

क्या होता है आर्थिक सर्वेक्षण?

  • वित्त वर्ष 1950-51 में पहली बार देश का इकोनॉमिक सर्वे पेश किया गया था. आर्थिक सर्वेक्षण में सरकारी नीतियों, प्रमुख आर्थिक आंकड़े और क्षेत्रवार आर्थिक रूझानों के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाती है.
  • आर्थिक सर्वेक्षण बजट का मुख्य आधार होता है और इसमें इकोनॉमी की पूरी तस्वीर सामने आती है और इसे पिछले वित्तीय वर्ष की समीक्षा के आधार पर तैयार किया जाता है. इसके जरिए सरकार देश की अर्थव्यवस्था की ताजा हालत के बारे में बताती है.
  • आर्थिक सर्वेक्षण दो हिस्सों में पेश होता है, जिसके पहले हिस्सों में देश की अर्थव्यवस्था की ताजा हालत के बारे में जानकारी साझा की जाती है. वहीं दूसरे हिस्से में विभिन्न सेक्टर्स के प्रमुख आंकड़े दिए जाते हैं. ये दस्तावेज आर्थिक मामलों के विभाग के मुख्य आर्थिक सलाहकार के मार्गदर्शन में तैयार किया जाता है.
  • मुख्य आर्थिक सलाहकार के मार्गदर्शन में तैयार किए गए इस दस्तावेज को अंतिम रूप देने के बाद वित्त मंत्री द्वारा अनुमोदित दिया जाता है.

वित्त मंत्रालय ने भारतीय आर्थिक समीक्षा पेश की

वित्त मंत्रालय ने अंतरिम बजट 2024 से पहले 29 जनवरी को आर्थिक समीक्षा (Economy Review) पेश की थी. यह समीक्षा आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा तैयार किया गया था. समीक्षा में पिछले 10 साल में अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन की तुलना सामने रखी गई है.

आर्थिक समीक्षा 2024: मुख्य बिन्दु

प्रत्येक वर्ष पूर्ण बजट पेश किए जाने से पूर्व संसद में आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) को रखा जाता है. हालांकि ये अंतरिम बजट है, इसलिए आर्थिक सर्वेक्षण पेश नहीं किया जाएगा. इसकी जगह संक्षिप्त आर्थिक समीक्षा पेश किया गया.

  • आर्थिक समीक्षा में उम्मीद जताई गई है कि वित्त वर्ष 2024-25 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि (GDP Growth) 7 प्रतिशत के करीब रह सकती है.
  • वित्त वर्ष 2023-24 लगातार तीसरा ऐसा वर्ष है जब भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था में 7 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की जा रही है जबकि वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था 3 प्रतिशत से अधिक की दर से विकास के लिए संघर्षरत है.
  • आर्थिक समीक्षा में अनुमान दिया गया है कि अगले 3 साल में भारतीय अर्थव्यवस्था 5 लाख करोड़ डॉलर का स्तर पार कर लेगी. जबकि 2030 तक अर्थव्यवस्था 7 लाख करोड़ डॉलर का स्तर पार कर सकती है.
  • प्रधानमंत्री जनधन योजना के अंतर्गत बैंको में खाता खुलवाने वाली महिलाओं की संख्‍या 2015-16 के 53 प्रतिशत की तुलना में 2019-21 में बढकर 78.6 प्रतिशत हो गई है.
  • रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत विश्व में अमरीका और ब्रिटेन के बाद तीसरी सबसे बडी वित्त प्रौद्योगिकी अर्थव्‍यवस्‍था है.