डेली कर्रेंट अफेयर्स
हिमाचल प्रदेश में दुनिया की सबसे लंबी सुरंग ‘अटल सुरंग’ का उद्घाटन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 अक्टूबर को हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में दुनिया की सबसे लंबी हाईवे सुरंग का उद्घाटन किया. इस सुरंग के खुल जाने की वजह से मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किलोमीटर कम हो गई.
रोहतांग दर्रे के नीचे यह ऐतिहासिक सुरंग बनाने का निर्णय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में तीन जून 2000 में लिया गया था. इसकी आधारशिला 26 मई 2002 को रखी गयी थी. सेरी नाला फाल्ट जोन में 587 मीटर क्षेत्र में सुरंग बनाने का काम सबसे चुनौतीपूर्ण था.
प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने इस सुरंग का नाम रोहतांग सुरंग के बजाय अटल सुरंग रखने को मंजूरी दी. इसके निमार्ण पर 3200 करोड़ रूपये की लागत आई है.
इस सुरंग के दोनों द्वारों पर बैरियर लगे हैं. आपात स्थिति में बातचीत के लिए हर 150 मीटर पर टेलीफोन और हर 60 मीटर पर अग्निशमन यंत्र लगे हैं. घटनाओं का स्वत पता लगाने के लिए हर ढाई सौ मीटर पर सीसीटीवी कैमरा और हर एक किलोमीटर पर वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली लगी है.
दुनिया में सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग
- अटल सुरंग दुनिया में सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग है. इसकी लंबाई 9.02 किलोमीटर है. यह मनाली को लाहौल स्पीति घाटी से जोड़ती है.
- इस सुरंग के शुरू हो जाने के बाद यहाँ का आवागमन हमेशा जारी रहेगा. पहले घाटी छह महीने तक भारी बर्फबारी के कारण शेष हिस्से से कटी रहती थी.
- सुरंग को हिमालय के पीर पंजाल की पर्वत श्रृंखलाओं के बीच अत्याधुनिक विशिष्टताओं के साथ समुद्र तल से करीब तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर बनाया गया है.
- अटल सुरंग का दक्षिणी पोर्टल मनाली से 25 किलोमीटर की दूरी पर 3060 मीटर की ऊंचाई पर बना है जबकि उत्तरी पोर्टल 3071 मीटर की ऊंचाई पर लाहौल घाटी में तेलिंग, सीसू गांव के नजदीक स्थित है.
- घोड़े की नाल के आकार वाली दो लेन वाली सुरंग में आठ मीटर चौड़ी सड़क है और इसकी ऊंचाई 5.525 मीटर है.
- अटल सुरंग की डिजाइन प्रतिदिन तीन हजार कार और 1500 ट्रक के लिए तैयार की गई है जिसमें वाहनों की अधिकतम गति 80 किलोमीटर प्रति घंटे होगी.
- यह सुरंग सियाचिन ग्लेशियर और अक्साई चिन में स्थित सैन्य उप क्षेत्र को आपूर्ति करने के लिए मार्ग प्रदान करता है.
- अटल सुरंग का निर्माण सीमा सड़क संगठन (BRO) ने किया है. BRO रक्षा मंत्रालय के तहत काम करता है.
भारत ने शौर्य मिसाइल ने नए वर्जन का सफल परीक्षण किया
भारत ने 3 अक्टूबर को शौर्य मिसाइल ने नए वर्जन का सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण ओडिशा के बालासोर से किया गया. यह मिसाइल संचालन में हल्का व आसान है. यह मौजूदा मिसाइल सिस्टम को मजबूत करेगा.
शौर्य मिसाइल: एक दृष्टि
- जमीन से जमीन पर मार करने वाला यह बैलेस्टिक मिसाइल परमाणु क्षमता से लैस है. यह मिसाइल 800 किलोमीटर दूर तक टारगेट को तबाह कर सकता है.
- मौजूदा मिसाइलों के मुकाबले यह हल्का है और इस्तेमाल भी आसान है. टारगेट की ओर बढ़ते हुए अंतिम चरण में यह हाइपरसोनिक स्पीड हासिल कर लेता है.
- शौर्य मिसाइल का पहला परीक्षण 2008 में ओडिशा के चांदीपुर समेकित परीक्षण रेंज से किया गया था. इसके बाद सितंबर 2011 में इसका दूसरा परीक्षण किया गया था. पहले इसकी क्षमता 750 किलोमीटर दूर तक हथियार ले जाने की थी.
भारत ने हाल ही में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का भी सफल परीक्षण किया था, जो 400 किमी दूर तक टारगेट को हिट कर सकता है जो पिछले मिसाइल की क्षमता से 100 किलोमीटर अधिक है.
भारतीय तटरक्षक बल में नया गश्ती पोत ‘कनकलता बरुआ’ को शामिल किया गया
भारतीय तटरक्षक बल में हाल ही में एक नया गश्ती पोत ‘कनकलता बरुआ’ को शामिल किया गया है. इस पोत के जरिये भारतीय कोस्ट गार्ड को भारतीय समुद्री इलाके के विशेष आर्थिक क्षेत्र में गश्ती बढ़ाने में मदद मिलेगी. यह पोत भारतीय समुद्र तटों की चौकसी में भी भूमिका निभाएगा.
49 मीटर लम्बा और 310 टन विस्थापन क्षमता वाला यह पोत कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) द्वारा बनाया गया है. सार्वजनिक क्षेत्र की रक्षा मंत्रालय की इस कम्पनी ने कोस्ट गार्ड को ऐसे पांच तेज गश्ती पोत बना कर दिये हैं.
कनक लता बरुआ के नाम पर रखा गया
यह पोत कनक लता बरुआ के नाम पर रखा गया है जो 1942 के भारत छोडो आन्दोलन के दौरान भारतीय तिरंगा लहराते हुए एक जुलूस का नेतृत्व करते हुए शहीद हो गई थीं. इस पोत के कमीशन होने के साथ ही भारतीय कोस्ट गार्ड में अब 151 पोत औऱ 62 विमान हो जाएंगे.