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नीदरलैंड के प्रधानमंत्री मार्क रुटे को नाटो का नया महासचिव नियुक्त किया गया

नीदरलैंड के प्रधानमंत्री मार्क रुटे को उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) का नया महासचिव नियुक्त किया गया है. 26 जून को ब्रुसेल्स में आयोजित बैठक में मार्क रुटे की उम्मीदवारी को मंजूरी दी गई थी. मार्क रूट नॉर्वे के वर्तमान महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग का स्थान लेंगे.

मुख्य बिन्दु

  • पिछले 10 वर्षों से नाटो के महासचिव रहे जेन्स स्टोलटेनबर्ग की सेवानिवृत्ति के बाद मार्क रूट 1 अक्टूबर 2024 को अपना पद ग्रहण करेंगे.
  • नाटो महासचिव आम तौर पर एक वरिष्ठ यूरोपीय राजनेता होता है जिसे नाटो के सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से नियुक्त किया जाता है.
  • महासचिव का कार्यकाल चार वर्ष का होता है और उन्हें पुनः नियुक्त किया जा सकता है. महासचिव नाटो का शीर्ष सिविल सेवक है.
  • वह नाटो की सर्वोच्च राजनीतिक निर्णय लेने वाली संस्था, उत्तरी अटलांटिक परिषद के अध्यक्ष हैं. वह संगठन में परामर्श और निर्णय लेने की प्रक्रिया के लिए जिम्मेदार है.

उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) क्या है?

नाटो या NATO, North Atlantic Treaty Organization (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) का संक्षिप्त रूप है. यह 30 यूरोपीय और उत्तरी अमरीकी देशों का एक सैन्य गठबन्धन है जो रूसी आक्रमण के खिलाफ दूसरे विश्वयुद्ध के बाद 1949 में बनाया गया था. इसका मुख्यालय ब्रुसेल्स (बेल्जियम) में है. नाटो सदस्य देशों ने सामूहिक सुरक्षा की व्यवस्था बनाई है, जिसके तहत बाहरी हमले की स्थिति में सदस्य देश सहयोग करते हैं.

नाटो के सदस्य देश

मूल रूप से नाटो में 12 सदस्य (फ्रांस, बेल्जियम, लक्जमर्ग, ब्रिटेन, नीदरलैंड, कनाडा, डेनमार्क, आइसलैण्ड, इटली, नार्वे, पुर्तगाल और संयुक्त राज्य अमेरिका) थे जो अब बढ़कर 32 हो गए हैं.

नाटो के अन्य सदस्य देश: ग्रीस, तुर्की, जर्मनी, स्पेन, चेक गणराज्य, हंगरी, पोलैंड, बुल्गारिया, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, रोमानिया, स्लोवाकिया और स्लोवेनिया, अल्बानिया और क्रोएशिया, मोंटेनेग्रो और उत्तर मैसेडोनिया (2020 30वां सदस्य बना था).

स्‍वीडन नैटो का 32वां सदस्‍य बना, जानिए क्या है NATO

स्वीडन आधिकारिक तौर पर 7 मार्च 2024 को उत्तर अटलांटिक संधि संगठन ‘नाटो’ (NATO) का 32वां सदस्य बन गया. फरवरी 2022 में फिनलैंड और स्‍वीडन ने नैटो सैन्‍य गठबंधन में शामिल होने के लिए आवेदन किया था. फिनलैंड को आधिकारिक तौर पर 4 अप्रैल 2023 को ही नैटो के 31वें सदस्य के रूप में शामिल कर लिया गया था. तुर्की और हंगरी की आपत्तियों के कारण स्वीडन को सदस्यता देने की प्रक्रिया में देरी हुई.

मुख्य बिन्दु

  • फिनलैंड और स्‍वीडन के नैटो में शामिल होने को रूस के लिए एक रणनीतिक और राजनीतिक झटके के तौर पर देखा जा रहा है. रूसी राष्ट्रपति पुतिन लंबे समय से रूस की ओर नाटो के विस्तार का विरोध करता रहा है.
  • रूस ने फिनलैंड द्वारा नाटो की सदस्यता ग्रहण करने को लेकर कहा था कि उसने रूस को ‘प्रतिशोधी उपाय’ करने के लिए मजबूर किया है.
  • स्वीडन पिछले करीब 20 से अधिक सालों से नाटो सैन्य संगठन से परहेज करता रहा था. स्‍वीडन के प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘एकता और एकजुटता’ स्‍वीडन के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत बना रहेगा.

उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) क्या है?

नाटो या NATO, North Atlantic Treaty Organization (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) का संक्षिप्त रूप है. यह 30 यूरोपीय और उत्तरी अमरीकी देशों का एक सैन्य गठबन्धन है जो रूसी आक्रमण के खिलाफ दूसरे विश्वयुद्ध के बाद 1949 में बनाया गया था. इसका मुख्यालय ब्रुसेल्स (बेल्जियम) में है. नाटो सदस्य देशों ने सामूहिक सुरक्षा की व्यवस्था बनाई है, जिसके तहत बाहरी हमले की स्थिति में सदस्य देश सहयोग करते हैं.

नाटो के सदस्य देश

मूल रूप से नाटो में 12 सदस्य (फ्रांस, बेल्जियम, लक्जमर्ग, ब्रिटेन, नीदरलैंड, कनाडा, डेनमार्क, आइसलैण्ड, इटली, नार्वे, पुर्तगाल और संयुक्त राज्य अमेरिका) थे जो अब बढ़कर 32 हो गए हैं.

नाटो के अन्य सदस्य देश: ग्रीस, तुर्की, जर्मनी, स्पेन, चेक गणराज्य, हंगरी, पोलैंड, बुल्गारिया, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, रोमानिया, स्लोवाकिया और स्लोवेनिया, अल्बानिया और क्रोएशिया, मोंटेनेग्रो और उत्तर मैसेडोनिया (2020 30वां सदस्य बना था).

फिनलैंड NATO में शामिल हुआ, जानिए क्या है NATO

फिनलैंड आधिकारिक तौर पर 4 अप्रैल को उत्तर अटलांटिक संधि संगठन ‘नाटो’ (NATO) का 31वां सदस्य बन गया. वहीं, फिनलैंड के पड़ोसी देश स्वीडन ने भी नाटो की सदस्यता के लिए आवेदन किया है, लेकिन तुर्की और हंगरी की आपत्तियों ने प्रक्रिया में देरी की है.

मुख्य बिन्दु

  • फिनलैंड के इस कदम को रूस के लिए एक रणनीतिक और राजनीतिक झटके के तौर पर देखा जा रहा है. रूसी राष्ट्रपति पुतिन लंबे समय से रूस की ओर नाटो के विस्तार का विरोध करता रहा है.
  • रूस ने फिनलैंड द्वारा नाटो की सदस्यता ग्रहण करने को लेकर कहा है कि उसने रूस को ‘प्रतिशोधी उपाय’ करने के लिए मजबूर किया है.
  • स्वीडन पिछले करीब 200 से अधिक सालों से नाटो सैन्य संगठन से परहेज करता रहा है.

उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) क्या है?

नाटो या NATO, North Atlantic Treaty Organization (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) का संक्षिप्त रूप है. यह 30 यूरोपीय और उत्तरी अमरीकी देशों का एक सैन्य गठबन्धन है जो रूसी आक्रमण के खिलाफ दूसरे विश्वयुद्ध के बाद 1949 में बनाया गया था. इसका मुख्यालय ब्रुसेल्स (बेल्जियम) में है. नाटो सदस्य देशों ने सामूहिक सुरक्षा की व्यवस्था बनाई है, जिसके तहत बाहरी हमले की स्थिति में सदस्य देश सहयोग करते हैं.

नाटो के सदस्य देश

मूल रूप से नाटो में 12 सदस्य (फ्रांस, बेल्जियम, लक्जमर्ग, ब्रिटेन, नीदरलैंड, कनाडा, डेनमार्क, आइसलैण्ड, इटली, नार्वे, पुर्तगाल और संयुक्त राज्य अमेरिका) थे जो अब बढ़कर 30 हो गए हैं. सबसे हालिया सदस्य उत्तर मैसेडोनिया है जिसे 2020 में संगठन में जोड़ा गया था.

नाटो के अन्य सदस्य देश: ग्रीस, तुर्की, जर्मनी, स्पेन, चेक गणराज्य, हंगरी, पोलैंड, बुल्गारिया, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, रोमानिया, स्लोवाकिया और स्लोवेनिया, अल्बानिया और क्रोएशिया, मोंटेनेग्रो और उत्तर मैसेडोनिया.

अमेरिका ने स्वीडन और फिनलैंड को NATO के सदस्यता के लिए अनुमोदन किया

अमेरिका ने स्वीडन और फिनलैंड को उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) मे शामिल करने के लिए अनुमोदन कर दिया है. अमरीका के राष्‍ट्रपति जो बाइडेन ने 9 अगस्त को दोनों देशों के नैटो गठबंधन में शामिल होने के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए.

मुख्य बिन्दु

यूक्रेन में रूस की सैन्य कार्रवाई की प्रतिक्रिया में स्‍वीडन और फिनलैंड ने नैटो की सदस्‍यता के लिए आवेदन किया था. जबकि, रूस इसके खिलाफ दोनों देशों को लगातार चेतावनी देता रहा है.

तुर्की ने शुरू में नैटो संगठन में इन नॉर्डिक देशों के प्रवेश का विरोध करते हुए आरोप लगाया था कि दोनों देश कुर्द अलगाववादियों को आश्रय दे रहे हैं. मैड्रिड में त्रिपक्षीय बैठक में तुर्की ने कुछ शर्तों के बाद विरोध समाप्त कर दिया था.

उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) क्या है?

नाटो या NATO, North Atlantic Treaty Organization (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) का संक्षिप्त रूप है. यह 30 यूरोपीय और उत्तरी अमरीकी देशों का एक सैन्य गठबन्धन है जो रूसी आक्रमण के खिलाफ दूसरे विश्वयुद्ध के बाद 1949 में बनाया गया था. इसका मुख्यालय ब्रुसेल्स (बेल्जियम) में है. नाटो सदस्य देशों ने सामूहिक सुरक्षा की व्यवस्था बनाई है, जिसके तहत बाहरी हमले की स्थिति में सदस्य देश सहयोग करते हैं.

नाटो के सदस्य देश

मूल रूप से नाटो में 12 सदस्य (फ्रांस, बेल्जियम, लक्जमर्ग, ब्रिटेन, नीदरलैंड, कनाडा, डेनमार्क, आइसलैण्ड, इटली, नार्वे, पुर्तगाल और संयुक्त राज्य अमेरिका) थे जो अब बढ़कर 30 हो गए हैं.

नाटो के अन्य सदस्य देश: ग्रीस, तुर्की, जर्मनी, स्पेन, चेक गणराज्य, हंगरी, पोलैंड, बुल्गारिया, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, रोमानिया, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, अल्बानिया, क्रोएशिया, मोंटेनेग्रो, उत्तर मैसेडोनिया (2020 मे शामिल), स्वीडन (2022 प्रस्तावित) और फिनलैंड (2022 प्रस्तावित).

स्वीडन और फिनलैंड को NATO में शामिल करने पर सहमति बनी

स्वीडन और फिनलैंड को उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) में शामिल करने पर सहमति बन गई है. यह सहमति फिनलैंड के विदेश मंत्री पेक्का हाविस्टो और स्वीडन की विदेश मंत्रि एन लिंडे की उपस्थिति में बेल्जियम के ब्रसेल्स में स्थित नैटो मुख्यालय में बनी.

मुख्य बिन्दु

तुर्की, फिनलैंड और स्वीडन के बीच त्रिपक्षीय समझौते के बाद यह सहमति बनी. तुर्की ने शुरू में नैटो संगठन में इन नॉर्डिक देशों के प्रवेश का विरोध करते हुए आरोप लगाया था कि दोनों देश कुर्द अलगाववादियों को आश्रय दे रहे हैं.

मैड्रिड में त्रिपक्षीय बैठक में तुर्की ने कुछ शर्तों के बाद विरोध समाप्त कर दिया था.

उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) क्या है?

नाटो या NATO, North Atlantic Treaty Organization (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) का संक्षिप्त रूप है. यह 30 यूरोपीय और उत्तरी अमरीकी देशों का एक सैन्य गठबन्धन है जो रूसी आक्रमण के खिलाफ दूसरे विश्वयुद्ध के बाद 1949 में बनाया गया था. इसका मुख्यालय ब्रुसेल्स (बेल्जियम) में है. नाटो सदस्य देशों ने सामूहिक सुरक्षा की व्यवस्था बनाई है, जिसके तहत बाहरी हमले की स्थिति में सदस्य देश सहयोग करते हैं.

नाटो के सदस्य देश

मूल रूप से नाटो में 12 सदस्य (फ्रांस, बेल्जियम, लक्जमर्ग, ब्रिटेन, नीदरलैंड, कनाडा, डेनमार्क, आइसलैण्ड, इटली, नार्वे, पुर्तगाल और संयुक्त राज्य अमेरिका) थे जो अब बढ़कर 30 हो गए हैं. सबसे हालिया सदस्य उत्तर मैसेडोनिया है जिसे 2020 में संगठन में जोड़ा गया था.

नाटो के अन्य सदस्य देश: ग्रीस, तुर्की, जर्मनी, स्पेन, चेक गणराज्य, हंगरी, पोलैंड, बुल्गारिया, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, रोमानिया, स्लोवाकिया और स्लोवेनिया, अल्बानिया और क्रोएशिया, मोंटेनेग्रो और उत्तर मैसेडोनिया.

अमेरिका ने कतर को एक प्रमुख गैर-नाटो सहयोगी के रूप का दर्जा दिया

अमेरिका ने कतर को एक प्रमुख गैर-नाटो सहयोगी के रूप का दर्जा दिया है. अमरीका के राष्ट्रपति जो बिडेन ने 12 मार्च को विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन को भेजे एक ज्ञापन में कतर को अमरीका के एक प्रमुख गैर-नाटो सहयोगी के रूप में नामित किया.

अमेरिका उन देशों को प्रमुख गैर-नाटो सहयोगी का दर्जा देती है जो उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के सदस्य नहीं हैं, लेकिन अमेरिका के सशस्त्र बलों के साथ रणनीतिक संबंध रखते हैं. अमेरिका ने इससे पहले ऑस्ट्रेलिया, मिस्र, इज़रायल, जापान और दक्षिण कोरिया को प्रमुख गैर-नाटो सहयोगी का दर्जा दिया था.

उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) क्या है?

नाटो या NATO, North Atlantic Treaty Organization (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) का संक्षिप्त रूप है. यह 30 यूरोपीय और उत्तरी अमरीकी देशों का एक सैन्य गठबन्धन है जो रूसी आक्रमण के खिलाफ दूसरे विश्वयुद्ध के बाद 1949 में बनाया गया था. इसका मुख्यालय ब्रुसेल्स (बेल्जियम) में है. नाटो सदस्य देशों ने सामूहिक सुरक्षा की व्यवस्था बनाई है, जिसके तहत बाहरी हमले की स्थिति में सदस्य देश सहयोग करते हैं.

नाटो के सदस्य देश

मूल रूप से नाटो में 12 सदस्य (फ्रांस, बेल्जियम, लक्जमर्ग, ब्रिटेन, नीदरलैंड, कनाडा, डेनमार्क, आइसलैण्ड, इटली, नार्वे, पुर्तगाल और संयुक्त राज्य अमेरिका) थे जो अब बढ़कर 30 हो गए हैं. सबसे हालिया सदस्य उत्तर मैसेडोनिया है जिसे 2020 में संगठन में जोड़ा गया था.

नाटो के अन्य सदस्य देश: ग्रीस, तुर्की, जर्मनी, स्पेन, चेक गणराज्य, हंगरी, पोलैंड, बुल्गारिया, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, रोमानिया, स्लोवाकिया और स्लोवेनिया, अल्बानिया और क्रोएशिया, मोंटेनेग्रो और उत्तर मैसेडोनिया.

नाटो ने रूस के साथ काम करने के लिए नए सुरक्षा प्रस्ताव के तहत शर्तें तय कीं

उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) ने रूस के साथ काम करने के लिए अपने नए सुरक्षा प्रस्ताव के तहत शर्तें तय की है. नाटो के महासचिव जेन्स स्टोल्टेनबर्ग ने 17 दिसम्बर को ये शर्तें तय कीं और आपसी भरोसा बढ़ाने के लिए मॉस्को के साथ काम करने की पेशकश की. उन्होंने कहा कि साथ काम करने से यूक्रेन को लेकर पैदा हुए तनाव को कम करने में मदद मिलेगी.

रूस ने भी सुरक्षा समझौता मसौदा देकर बातचीत की इच्छा जताई है. रूस ने भी एक मसौदा दस्तावेज दिया है जिसमें सुरक्षा व्यवस्था का खाका है. इसमें उसने अमेरिका और नाटो साझेदारों से बातचीत करने की मंशा प्रकट की है.

स्टोल्टेनबर्ग ने कहा, नाटो के 30 सदस्य देशों ने स्पष्ट कर दिया है कि रूस को तनाव कम करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए, हम विश्वास बहाली के कदमों को मजबूत करने के लिए काम करने को तैयार हैं.

उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) क्या है?

नाटो या NATO, North Atlantic Treaty Organization (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) का संक्षिप्त रूप है. यह 30 यूरोपीय और उत्तरी अमरीकी देशों का एक सैन्य गठबन्धन है जो रूसी आक्रमण के खिलाफ दूसरे विश्वयुद्ध के बाद 1949 में बनाया गया था. इसका मुख्यालय ब्रुसेल्स (बेल्जियम) में है. नाटो सदस्य देशों ने सामूहिक सुरक्षा की व्यवस्था बनाई है, जिसके तहत बाहरी हमले की स्थिति में सदस्य देश सहयोग करते हैं.

नाटो के सदस्य देश

मूल रूप से नाटो में 12 सदस्य (फ्रांस, बेल्जियम, लक्जमर्ग, ब्रिटेन, नीदरलैंड, कनाडा, डेनमार्क, आइसलैण्ड, इटली, नार्वे, पुर्तगाल और संयुक्त राज्य अमेरिका) थे जो अब बढ़कर 30 हो गए हैं. सबसे हालिया सदस्य उत्तर मैसेडोनिया है जिसे 2020 में संगठन में जोड़ा गया था.

नाटो के अन्य सदस्य देश- ग्रीस, तुर्की, जर्मनी, स्पेन, चेक गणराज्य, हंगरी, पोलैंड, बुल्गारिया, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, रोमानिया, स्लोवाकिया और स्लोवेनिया, अल्बानिया और क्रोएशिया, मोंटेनेग्रो और उत्तर मैसेडोनिया.

31वां नाटो शिखर सम्मेलन 2021 का आयोजन ब्रुसेल्स में किया गया

उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) देशों का 31वां शिखर सम्मेलन 14 जून 2021 को बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में किया गया था. इस सम्मलेन में सदस्य देशों के सभी शासनाध्यक्षों ने हिस्सा लिया.

सम्मेलन में नाटो सदस्य देश के नेताओं ने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की. चर्चा के मुख्य विषयों में भू-रणनीतिक वातावरण, उभरती प्रौद्योगिकियों, सामूहिक रक्षा, जलवायु परिवर्तन और सुरक्षा के मुद्दे में नाटो की भूमिका शामिल थे. भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए सभी नेता एक व्यापक पहल “नाटो 2030” एजेंडा पर सहमत हुए.

अंतरिक्ष में हमले होने पर सामूहिक कार्रवाई के लिए समझौते का विस्‍तार किया

इस सम्मेलन में नाटो सदस्य देशों ने अंतरिक्ष में हमले होने पर सामूहिक कारवाई के लिए परस्पर रक्षा के अपने समझौते का विस्तार किया है. नाटो की स्थापना संधि के अनुच्छेद 5 में कहा गया है कि 30 सहयोगी देशों में से किसी पर हमला सभी देशों पर आक्रमण माना जाएगा. अभी तक यह केवल भूमि, समुद्र या हवा में पारंपरिक सैन्य हमलों और हाल में शामिल किए गए साइबर स्पेस पर लागू होता था.

चीन को सुरक्षा के लिए स्थायी खतरा घोषित किया

नाटो सदस्य देशों ने चीन को सुरक्षा के लिए स्थायी खतरा घोषित किया. नाटो के नेताओं ने कहा है कि चीन अपने लक्ष्यों और हठी व्‍यवहार से नियमों पर आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और नाटो देशों की सुरक्षा के लिए चुनौती पेश कर रहा है. इन नेताओं ने चीन से कहा कि वह अपनी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का पालन करें और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में जिम्मेदारी से काम करे.

नाटो के प्रमुख जेन्स स्टोल्टनबर्ग ने आगाह किया कि चीन सैन्य और प्रौद्योगिकी के संदर्भ में नाटो देशों के करीब पहुंच रहा है. लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नाटो के देश चीन के साथ नया शीत युद्ध नहीं चाहते हैं.

उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) क्या है?

नाटो या NATO, North Atlantic Treaty Organization (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) का संक्षिप्त रूप है. यह 30 यूरोपीय और उत्तरी अमरीकी देशों का एक सैन्य गठबन्धन है जो रूसी आक्रमण के खिलाफ दूसरे विश्वयुद्ध के बाद 1949 में बनाया गया था. इसका मुख्यालय ब्रुसेल्स (बेल्जियम) में है. नाटो सदस्य देशों ने सामूहिक सुरक्षा की व्यवस्था बनाई है, जिसके तहत बाहरी हमले की स्थिति में सदस्य देश सहयोग करते हैं.

नाटो के सदस्य देश

मूल रूप से नाटो में 12 सदस्य (फ्रांस, बेल्जियम, लक्जमर्ग, ब्रिटेन, नीदरलैंड, कनाडा, डेनमार्क, आइसलैण्ड, इटली, नार्वे, पुर्तगाल और संयुक्त राज्य अमेरिका) थे जो अब बढ़कर 30 हो गए हैं. सबसे हालिया सदस्य उत्तर मैसेडोनिया है जिसे 2020 में संगठन में जोड़ा गया था.

नाटो के अन्य सदस्य देश- ग्रीस, तुर्की, जर्मनी, स्पेन, चेक गणराज्य, हंगरी, पोलैंड, बुल्गारिया, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, रोमानिया, स्लोवाकिया और स्लोवेनिया, अल्बानिया और क्रोएशिया, मोंटेनेग्रो और उत्तर मैसेडोनिया.

नाटो शिखर सम्मेलन 2019 का आयोजन ब्रिटेन के वाटफोर्ड में किया गया

नाटो (North Atlantic Treaty Organization) देशों का शिखर सम्मेलन 2019 का आयोजन 3 से 4 दिसम्बर को ब्रिटेन के वाटफोर्ड में किया गया. यह सम्मेलन इस संगठन के 70वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित किया गया था. सम्मलेन में नाटो सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने हिस्सा लिया. नाटो महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने इस सम्मलेन की अध्यक्षता की.

शिखर सम्मेलन का उद्देश्य नाटो के सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों और सरकारों को सहयोगयात्मक गतिविधियों के लिए रणनीतिक दिशा का मूल्यांकन करना था.

नाटो देश: एक दृष्टि

  • नाटो, उत्‍तरी एटलांटिक संधि संगठन (North Atlantic Treaty Organization) का संक्षिप्त रूप है. इसकी स्थापना 04 अप्रैल 1949 को हुई थी. इसका मुख्यालय ब्रुसेल्स (बेल्जियम) में है.
  • यह एक सैन्य गठबंधन है, जिसके तहत सदस्य देश बाहरी हमले की स्थिति में उसके विरुद्ध सहयोग करते हैं.
  • आरम्भ में नाटो के सदस्यों की संख्या 12 थी. अब नाटो के 30 सदस्य देश हैं. मैसिडोनिया, 6 फरवरी 2019 को नाटो का 30वॉ सदस्य देश बना है.
  • नाटो के सभी सदस्यों की संयुक्त सैन्य खर्च दुनिया के रक्षा व्यय का 70% से अधिक है, जिसका संयुक्त राज्य अमेरिका अकेले दुनिया का कुल सैन्य खर्च का आधा हिस्सा खर्च करता है और ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और इटली 15% खर्च करते हैं.