नेपाल के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में महाभियोग प्रस्ताव

नेपाल में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (चीफ जस्टिस) चोलेंद्र शमशेर जेबी राणा के खिलाफ 13 फरवरी को महाभियोग प्रस्ताव लाया गया. जस्टिस बनने वाले राणा को 2 जनवरी 2019 को मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था. इस प्रस्ताव के आते ही वह पद से स्वत: निलंबित हो गए हैं. इस बीच जस्टिस दीपक कुमार कर्की को कार्यवाहक चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया है.

मुख्य बिंदु

  • सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल नेपाली कांग्रेस, माओवादी समेत अन्य दलों के 98 सांसदों ने उनके खिलाफ प्रस्ताव संसद सचिवालय में पेश किया. खास बात यह है कि चीफ जस्टिस राणा के फैसले से ही देश में मौजूदा प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के नेतृत्व में सरकार बनी थी.
  • यह महाभियोग प्रस्ताव अदालत के सही ढंग से काम नहीं कर पाने और उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप के कारण लाया गया है. प्रस्ताव में मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ कई आरोप लगाए गए हैं. इसमें लोकतंत्र को सुरक्षित रखने, मानवाधिकारों, कानून के नियमों, न्यायिक स्वतंत्रता व निष्पक्षता को बनाए रखने में नाकामी के आरोप हैं.
  • मुख्य न्यायाधीश पर कार्यालय आने पर पाबंदी और इस्तीफे की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट के अन्य न्यायाधीश और वकील पिछले कई दिनों से धरना दे रहे थे. प्रदर्शनकारी उन पर न्यायपालिका में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के आरोप लगा रहे हैं.
  • यदि महाभियोग प्रस्ताव प्रतिनिधि सभा या संसद में मौजूद सदस्यों की कुल संख्या के कम से कम दो तिहाई बहुमत से पास हो जाता है तो मुख्य न्यायाधीश को उनके पद से हटा दिया जाएगा. इससे पहले 2017 में तत्कालीन चीफ जस्टिस सुशीला कर्की के खिलाफ भी महाभियोग प्रस्ताव पेश किया गया था.
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