राष्ट्रपति ने प्रणब मुखर्जी, नानाजी देशमुख और भूपेन हजारिका को भारत-रत्न से अलंकृत किया

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 8 अगस्त को राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में तीन हस्तियों को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत-रत्न से अलंकृत किया. ये हस्तियाँ हैं- पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, सामाजिक कार्यकर्ता नानाजी देशमुख तथा गायक भूपेन हजारिका. नानाजी देशमुख तथा भूपेन हजारिका को मरणोपरांत यह सम्मान दिया गया है. भूपेन हजारिका के बेटे तेज हजारिका ने उनकी ओर से सम्‍मान प्राप्‍त किया। नानाजी देशमुख की ओर से उनके रिश्तेदार वीरेंद्रजीत सिंह ने ये सम्‍मान ग्रहण किया।

70वें गणतंत्र दिवस 2019 की पूर्व संध्या पर भारत रत्न सम्मान की घोषणा की गयी थी. इस सम्मान की घोषणा चार साल बाद हुई थी। इससे पूर्व 2015 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और बीएचयू के संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय (मरणोपरांत) को इस सम्मान से सम्मानित किया गया था। अब तक 45 विभूतियों को भारत-रत्न दिया जा चुका है। अब यह संख्या 48 हो गई।

प्रणब मुखर्जी: प्रणब मुखर्जी का जन्म पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में 11 दिसंबर, 1935 में हुआ था. प्रणब मुखर्जी के राजनीतिक जीवन की शुरुआत वर्ष 1969 में हुई जब मात्र 35 वर्ष की अवस्था में राज्यसभा के सदस्य चुने गये थे. मुखर्जी पहली बार वह लोकसभा के लिए पश्चिम बंगाल के जंगीपुर निर्वाचन क्षेत्र से 2004 में चुने गए थे. वह लंबे समय तक देश के वित्त मंत्री, रक्षा मंत्री, योजना आयोग के उपाध्यक्ष आदि पदों पर रहे. प्रणब मुखर्जी 2012 से 2017 तक भारत के 13वें राष्ट्रपति थे.

नानाजी देशमुख: मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित नानाजी देशमुख का वास्तविक नाम चंडिकादास अमृतराव देशमुख था. वह एक भारतीय समाजसेवी थे. वे भारतीय जनसंघ के संस्थापक नेता भी रहे. वह जीवन पर्यन्त दीनदयाल शोध संस्थान के अन्तर्गत चलने वाले विविध प्रकल्पों के विस्तार हेतु कार्य करते रहे. उन्होंने चित्रकूट के ग्रामोदय विविद्यालय की स्थापना की थी और स्वावलंबन पर आधारित ग्राम स्वराज का अनुकरणीय मॉडल प्रस्तुत किया था. प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान वे राज्यसभा के सदस्य भी चुने गये. इस दौरान उन्हें शिक्षा, स्वास्य व ग्रामीण स्वालम्बन के क्षेत्र में अनुकरणीय योगदान के लिये पद्म विभूषण भी प्रदान किया था.

भूपेन हजारिका: मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित भूपेन हजारिका पूर्वोत्तर के एक बहुमुखी प्रतिभा के गीतकार, संगीतकार और गायक थे. इसके अलावा वे असमिया भाषा के कवि, फिल्म निर्माता, लेखक और असम की संस्कृति और संगीत के अच्छे जानकार भी रहे थे. उन्होंने अपनी मातृभाषा असमिया के अलावा हिंदी, बंगला समेत कई अन्य भारतीय भाषाओं में गाना गाया. न्यूयॉर्क स्थित कोलंबिया विविद्यालय से उन्होंने पीएचडी की डिग्री हासिल की. उन्हें 1992 में सिनेमा जगत के सर्वोच्च पुरस्कार दादा साहब फाल्के सम्मान से सम्मानित किया गया. इसके अलावा उन्हें 2009 में असोम रत्न और उसी साल संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड, 2011 में पद्म भूषण जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया. उनका निधन पांच नवंबर 2011 को हुआ था.